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आने वाले कुछ सालों में नई दिल्ली रेलवे स्टेशन कुछ इस तरह दिखेगा. रेल मंत्रालय की योजना नई दिल्ली रेलवे स्टेशन को विश्व स्तरीय मल्टीमॉडल ट्रांजिट हब के रूप में विकसित करने की है.
यानी आपको होटल, दुकानें, शापिंग कॉमप्लेक्स और ट्रेन सब एक जगह पर एक साथ मिलेंगी, कुछ-कुछ वैसा ही जैसा आपको एयरपोर्ट पर देखने को मिलता है. ऊपर से देखने पर नई दिल्ली रेलवे स्टेशन का नया लुक, आपको गणित के इन्फ़िनिटी जैसा आकार दिखेगा, जिसमें 70 और 40 मीटर ऊंची दो गुंबदनुमा इमारतें होंगी. इसलिए इसका नाम इन्फ़िनिटी टॉवर रखा गया है.
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन का नया लुक कैसा होगा?
स्टेशन परिसर के चारों तरफ़ चौड़ी सड़कें होंगी ताकि स्टेशन के भीतर आने में लोगों को दिक़्क़त ना हो. स्टेशन में प्रवेश करने के लिए के लिए छह एंट्री प्वाइंट होंगे और बाहर निकलने के लिए भी छह गेट होंगे.
अजमेरी गेट और पहाड़गंज़ दोनों तरफ़ मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट हब बनाया जाएगा, जिसमें ग्राउंड फ़्लोर पर लगभग 50 बसों के रुकने की व्यवस्था होगी ताकि स्टेशन के अंदर बस से आएं और सीधे ट्रेन पकड़ लें.
सरकार ने हाल ही में इसके लिए रिक्वेस्ट फ़ॉर क्वालिफ़िकेशन (आरएफ़क्यू) मंगाया था, ताकि ये पता चल सके कि प्राइवेट कंपनियां इस तरह से रेलवे स्टेशन को रीडेवलप करने में इच्छुक हैं या नहीं.
इस प्रक्रिया में नौ अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर की कंपनियों ने भाग लिया, जिसमें जीएमआर, ओमैक्स और अडानी रेलवे शामिल हैं.
आगे ये कंपनियां अब तकनीकी मूल्यांकन से गुजरेंगी, जिसके बाद इस प्रोजेक्ट के लिए फ़ाइनेंशियल बिड मंगाई जाएगी. सभी प्रक्रिया पूरी होने के बाद किसी एक कंपनी को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के रीडेवलप करने का काम सौंपा जाएगा. इसका फ़ैसला जुलाई- अगस्त तक कर लिया जाएगा.
रीडेवलपमेंट प्लान क्यों है ख़ास?
दरअसल अब तक हमने आपको जितनी बातें बताई वो तो नई दिल्ली रेलवे स्टेशन की बदलती तस्वीर की थी. अब बात करते हैं, इसमें होने वाले ख़र्च की.रोज़ाना आने वाले यात्रियों की संख्या के हिसाब से नई दिल्ली रेलवे स्टेशन भारत का दूसरा सबसे बड़ा स्टेशन है. यहाँ हर रोज़ साढ़े चार लाख यात्री आते हैं, तक़रीबन 400 ट्रेनें यहां से हर रोज़ चलती हैं.
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के पुर्नविकास का काम 12 लाख स्क्वेयर मीटर के बिल्ड-अप एरिया में होना है.
रेल भूमि विकास प्राधिकरण के वाइस चेयरमैन वेद प्रकाश डूडेजा ने बीबीसी को बताया, "इस 12 लाख वर्गमीटर की जगह में स्टेशन रीडेवलप करने वाली कंपनी को 2.5 लाख वर्गमीटर जगह दी जाएगी (शुरुआती अनुमान के मुताबिक़) जिसमें कंपनी अपने हिसाब से दुकान, होटल शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, बिजनेस सेंटर जैसी इमारतें विकसित कर सकते हैं. इन कंपनियों को रेलवे ये जगह 60 साल के लीज़ पर देगी."
यही होगा स्टेशन विकसित करने वाली कंपनी की कमाई का ज़रिया.
परियोजना की लागत और कमाई
वेद प्रकाश डूडेजा बताते हैं कि नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के पुनर्विकास की परियोजना में ख़र्च आएगा 6,500 करोड़ रुपये का. इसमें से स्टेशन डेवलप करने वाली कंपनी को 5,000 करोड़ रुपये रेलवे के काम पर ख़र्च करना होगा, जिसमें प्लेटफॉर्म, कॉनकोर्स, वेटिंग एरिया, रेलवे कर्मचारियों के लिए दफ़्तर, घर, मल्टीलेवल ट्रांसपोर्ट हब शामिल होंगे. बाक़ी के 1,500 करोड़ रुपये स्टेशन डेवलप करने वाली कंपनी अपने रियल इस्टेट प्रोजेक्ट पर ख़र्च करेगी जिसे वो उस परिसर में बनाना चाहती है.
इस पूरे मॉडल को डिज़ाइन-बिल्ड-फ़ाइनेंस-ऑपरेट-ट्रांसफर (डीबीएफ़ओटी) मॉडल कहा जाता है. काम शुरू होने के चार साल के अंदर इस परियोजना को पूरा करने का प्लान है. यही वजह है कि अडानी रेलवे और जीएमआर जैसी कंपनियां जिनके पास देश के एयरपोर्ट बनाने का अनुभव है, अब स्टेशन रीडेवलपमेंट में अपना हाथ आज़माने की सोच रहे हैं.
दिल्ली का दिल कहे जाने वाले कनॉट प्लेस के आसपास 60 साल के लिए लगभग 2.5 लाख स्क्वेयर मीटर की ज़मीन पर कुछ बना कर कमाई का ज़रिया मिले, तो किसी के लिए भी सौदा नुक़सान का तो नहीं है.
कंपनियों के पास स्टेशन डेवलपमेंट का कितना अनुभव?
वेद प्रकाश डूडेजा के मुताबिक़, "हमने जो आरएफ़क्यू निकाला है, उसमें नौ निवेशकों ने रूचि दिखाई है. उसमें अरैबियन कंस्ट्रक्शन कंपनी, अडानी रेलवे ट्रांसपोर्ट लिमिटेड, एंकरेज इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट्स होल्डिंग्स लिमिटेड, जीएमआर हाइवेज़ लिमिटेड, ओमैक्स लिमिटेड जैसी कंपनियां शामिल हैं."
"ज़्यादातर कंपनियां वो हैं जो रियल इस्टेट बिज़नेस में काम कर रही हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि स्टेशन डेवलपमेंट एक बड़ा हिस्सा रियल एस्टेट डेवलेपमेंट का है. ये दरअसल निवेशक होंगे. "
"हमने अपने प्रस्ताव में ऐसे निवेशकों के लिए एक शर्त ये भी रखी है कि काम उनको ही मिलेगा जो अपने साथ स्टेशन डेवलपमेंट का अनुभव रखने वाले किसी कॉन्ट्रैक्टर को साथ लेकर आएँगे. इसके लिए उन्हें शुरुआत में एक लिखित में शपथ-पत्र भी देना होगा. भारत में स्टेशन रीडेवलपमेंट का काम बिलकुल नया है. इसलिए पहले से इस क्षेत्र का अनुभव रखने वाली कंपनियाँ नहीं हैं. एयरपोर्ट को हम स्टेशन जैसा मान सकते हैं. मेट्रो के काम का अनुभव हो, तो भी स्टेशन डेवलपमेंट का काम कोई कंपनी कर सकती है."
लेकिन क्या इन दोनों क्षेत्रों में अडानी और जीएमआर जैसी कंपनियों को अनुभव है.
अडानी रेलवे ट्रांसपोर्ट लिमिटेड के पास रोड, रेल, मेट्रो बनाने का अनुभव है. अडानी के पास भारत की सबसे लंबी प्राइवेट रेलवे लाइन (तक़रीबन 300 किलोमीटर) है. ये रेलवे लाइन उनके बंदरगाह, ख़ान और दूसरे बिज़नेस हब तक माल लाने ले-जाने के काम आता है. इसके अलावा हाल ही में देश के छह बड़े एयरपोर्ट बनाने का कॉन्ट्रैक्ट भी उनको मिला है.
उसी तरह से नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के रीडेवलपमेंट में रूचि दिखाने वाली दूसरी कंपनी जीएमआर को दुनिया का चौथा बड़ा एयरपोर्ट डेवलपर माना जाता है. जीएमआर ने दिल्ली, हैदराबाद समेत दुनिया के दूसरे देशों में एयरपोर्ट बनाए हैं. इसके अलावा इनके पास दूसरे अर्बन इंफ्रास्ट्रक्टर बनाने का भी अनुभव हासिल है.
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन को ऐसा बनाने की योजना है.
स्टेशन रीडेवलपमेंट परियोजना क्या है?
बढ़ती आबादी और आधुनिक तकनीकी सुविधाओं को देखते हुए भारत सरकार के रेल मंत्रालय ने तक़रीबन 400 रेलवे स्टेशनों को रीडेवलप करने का प्लान बनाया है. इसके तहत पहले चरण में 123 ऐसे स्टेशनों की सूची तैयार की है, जिन स्टेशनों का काम पहले शुरू किया जाना है.
स्टेशन के कायाकल्प करने की योजना रेल भूमि विकास प्राधिकरण (आरएलडीए) और इंडियन रेलवे स्टेशन डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड को दिया गया है. ये संस्था रेल मंत्रालय के अंतर्गत काम करती है.
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के कायाकल्प की योजना रेल भूमि विकास प्राधिकरण (आरएलडीए) कर रही है, जिनके पास 62 ऐसे स्टेशनों की ज़िम्मेदारी है. आरएलडीए को ही तिरुपति, देहरादून और पुड्डुचेरी स्टेशनों के पुनर्विकास की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है.
वहीं इंडियन रेलवे स्टेशन डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड के पास 61 स्टेशन डेवलपमेंट का काम है, जिसमें हबीबगंज, गांधी नगर, आंनद बिहार और चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन शामिल हैं.
द हिंदू की ख़बर के मुताबिक, आर्थिक सर्वेक्षण 2021 में खाद्य सब्सिडी के खर्च को बहुत अधिक बताते हुए सुझाव दिया गया है कि 80 करोड़ ग़रीब लाभार्थियों को राशन की दुकानों से दिए जाने वाले अनाज के बिक्री मूल्य में बढ़ोतरी की जानी चाहिए.
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के माध्यम से खाद्यान्न बेहद सस्ती दर पर दिए जाते हैं. इसके तहत राशन की दुकानों से तीन रुपये प्रति किलो चावल, दो रुपये प्रति किलो गेहूं और एक रुपये प्रति किलो की दर से मोटा अनाज दिया जाता है.
ख़बर में कहा गया है कि सस्ती दर वाले गेहूं का ये मूल्य बढ़कर लगभग 27 रुपये प्रति किलो हो गया है. इसी तरह चावल का मूल्य भी लगभग 37 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बैठता है.
आर्थिक सर्वेक्षण 2021 में कहा गया है, "खाद्य सुरक्षा के प्रति बढ़ती प्रतिबद्धता के मद्देनज़र खाद्य प्रबंधन की आर्थिक लागत को कम करना मुश्किल है. लेकिन बढ़ते खाद्य सब्सिडी बिल को कम करने के लिए केंद्रीय निर्गम मूल्य (सीआईपी) में संशोधन पर विचार करने की ज़रूरत है."
सीआईपी वह रियायती दर होती है, जिस पर राशन की दुकानों के ज़रिए खाद्यान्न बांटा जाता है. सरकार ने कमज़ोर वर्गों को खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सब्सिडी जारी रखी है. यह क़ानून साल 2013 में लागू किया गया था, उसके बाद से गेहूं और चावल की कीमतों में बदलाव नहीं किया गया है, जबकि हर साल इसकी आर्थिक लागत में बढ़ोतरी हुई है.
आईआईटी दिल्ली में एसोसिएट प्रोफ़ेसर और विकास अर्थशास्त्री रितिका खेड़ा का कहना है कि केंद्र सरकार को सर्वेक्षण की सिफ़ारिशों को नहीं मानना चाहिए. उनका कहना है कि खाद्य सब्सिडी पर बचत के बजाए जीवन बचाना सरकार की बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए. सरकार राजस्व बढ़ाने के लिए दूसरे उपाय कर सकती है.