Owner/Director : Anita Khare
Contact No. : 9009991052
Sampadak : Shashank Khare
Contact No. : 7987354738
Raipur C.G. 492007
City Office : In Front of Raj Talkies, Block B1, 2nd Floor, Bombey Market GE Road, Raipur C.G. 492001
गर्भावस्था में महिलाओं को काफी चीजे खाने का मन करता है। जैसे की अचार, इमली और खट्टी चीजें वगैरह आदि। देखा गया है की कई महिलाएं तो चोरी छिपे तो कई खुलेआम सबके सामने इन चीजों को खाती दिखती है।इमली कई पोषक तत्वों से भरपूर है जिसमें विटामिन सी, ई और बी । इसके अलावा इसमें कैल्शियम, आयरन, फॉस्फोरस, पोटैशियम, मैगनीज और फाइबर अच्छी मात्रा में होता है साथ ही इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स भी होता हैं। इमली के सेवन से दिल की सेहत दुरुस्त रहती है। यह शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल कम करती है और इसमें मौजूद पोटैशियम बीपी नियंत्रित करने में मदद करता है।
गर्भावस्था मे इमली खाने के कुछ नुकसान
कोइ भी सही मात्रा में इस्तेमाल होने पर सुरक्षित होती है I दवा के रूप में उपयोग करने के लिए इमली सुरक्षित है , क्युकी इसमें कैल्शियम, आयरन, फॉस्फोरस, पोटैशियम, मैगनीज और फाइबर अच्छी मात्रा में है। साथ ही इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स भी हैं। इमली के सेवन से दिल की सेहत दुरुस्त रहती है । पर गर्भावस्था मे दिये गये कुछ कारणो से इसका सेवन करना ज्यादा लाभदायक नही है...
1.विटामिन सी
इमली एक स्वस्थ पोषक तत्व है और आप के दैनिक आहार के लिए एक अच्छा अतिरिक्त है। इमली मे विटामिन सी बहुत ज्यादा मात्रा मे होता है। लेकिन, अधिक मात्रा मे, विटामिन C से गर्भवती महिलाओं पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है ।
गर्भवती महिलाओं में, अधिक विटामिन सी भी गर्भपात का कारण बन सकता है। गर्भावस्था के पहले महीने में, बहुत अधिक विटामिन सी लेने से प्रोजेस्टेरोन का उत्पादन कम हो सकता है, जिससे गर्भपात हो सकता है।
कुछ स्त्रीरोग विशेषज्ञों के अनुसार, विटामिन सी की बहुत अधिक खपत से भ्रूणों में सेल को कम कर सकता है।
इमली कब्ज से राहत लाने में मदद करता है, जो कि गर्भावस्था के दौरान एक सामान्य समस्या है। हालांकि, बहुत अधिक इमली खपत करने से कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है:
5. सर्जरी
गर्भावस्था का समय शिशु और मां दोनों के लिए बेहद नाजुक दौर होता है, इस दौरान गर्भवती को हर छोटी से लेकर बड़ी चीज का ख्याल रखना होता है। ऐसे में अगर किसी प्रेगनेंट महिला को अगर मजबूरन में ट्रेवल करना पड़ जाएं तो ये स्थिति थोड़ी मुश्किल भरी हो जाती है। हालांकि प्रेगनेंसी के दौरान डॉक्टर्स तो यात्रा न करने की हिदायत देते हैं। क्योंकि यात्रा के दौरान लगने वाले झटके, पेट पर दबाव या किसी दुर्घटना की स्थितिमें शिशु को नुकसान पहुंच सकताहै। कई बार गर्भपात की भी स्थिति बन जाती है। आइए इस ब्लॉग के जरिए जानते है कि अगर किसी भी गर्भवती महिला को यात्रा करनी पड़ जाए तो किन बातों का विशेष ख्याल रखना चाहिए।
प्रेग्नेंसी के दौरान यात्रा करने के समय आप इन जरूरी बातों का रखें ख्याल
विशेषज्ञों के मुताबिक आप छठवें महीने तक कर सकती हैं यात्रा। प्रेग्नेंसी के दौरान यात्रा करना उन महिलाओं के लिए हानिकारक हो सकता है, जिन्हें हाई रिस्क प्रेग्नेंसी है या जिन्हें डॉक्टर ने पूरी तरह से आराम करने की सलाह दी है।
अगर आप यात्रा के दौरान इन बातों का ध्यान रखेंगी तो आपको किसी प्रकार की दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा लेकिन फिर भी एहतियात के तौर पर हमेशा अपने डॉक्टर की सलाह के मुताबिक एवं परिवारजनों के संग ही यात्रा करने का प्रयास करें।
पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम को आम भाषा में (PCOS) कहते हैं. इसे पॉलीसिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर (PCOD) भी कहा जाता है. पिछले कुछ सालों में ये समस्या महिलाओं में तेजी से बढ़ी है. सिंतबर का महीना PCOS जागरूकता के रूप में मनाया जाता है. PCOS एक गंभीर हार्मोनल समस्या है जिसकी वजह मेटाबॉलिक और प्रजनन संबंधी समस्या आती है. PCOS समस्या कई महिलाओं और लड़कियों में पाई जाती है लेकिन इसके बारे में बहुत कम लोगों को ही पता है.
PCOS क्या होता है- PCOS में महिलाओं के शरीर में सामान्य की तुलना में बहुत अधिक हार्मोन्स बनते हैं. हार्मोन में इस असंतुलन की वजह से एक ओवुलेशन होता है जिसकी वजह से पीरियड्स नियमित नहीं रहते हैं. आगे चलकर इससे प्रेग्नेंसी में भी समस्या आ जाती है. 20 से 30 साल की उम्र में ये समस्या ज्यादा पाई जाती है. PCOS का ओवरी पर बुरा असर पड़ता है जिसकी वजह से महिलाओं के प्रजनन अंग प्रभावित होते हैं. प्रजनन अंग ही शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन बनाता है जो पीरियड्स को संतुलित रखता है.
PCOS के लक्षण: मेयो क्लिनिक के अनुसार, पीसीओएस के लक्षण पहले मासिक धर्म के समय के आसपास विकसित होते हैं. कभी-कभी ये समस्या एक उम्र के बाद भी हो सकती है. जैसे कि उम्र के साथ वजन बढ़ने से भी यह समस्या हो सकती है. पीसीओएस के लक्षण हर महिलाओं में अलग-अलग होते हैं.
अनियमित पीरियड्स- अनियमित या लंबे समय तक दर्द के साथ पीरियड्स का रहना PCOS का सबसे आम संकेत है. जैसे, साल में 9 पीरियड्स से कम होना, दो पीरियड्स के बीच में 35 दिनों से ज्यादा का अंतराल और असामान्य रूप से बहुत ज्यादा पीरियड होना.
अतिरिक्त एण्ड्रोजन- महिलाओं में कई बार हार्मोन के असंतुलन (पुरुषों वाले हार्मोन के ज्यादा निकलने) की वजह से चेहरे और शरीर पर जरूरत से ज्यादा बाल आने लगते हैं और कभी-कभी चेहरे पर बहुत मुंहासे होने लगते हैं. कभी-कभी गंजेपन की भी समस्या भी आ सकती है. ये सारे PCOS के संकेत हो सकते हैं.
पॉलिसिस्टिक ओवरी- इस स्थिति में ओवरी यानी अंडाशय बढ़ने लगते हैं जिसके वजह से एग के चारों तरफ फॉलिकल की संख्या बढ़ने लगती है और ओवरी सही से काम नहीं कर पाती है. मोटे लोगों में ये समस्या ज्यादा गंभीर हो जाती है.
शरीर में इंसुलिन का ना बनना- इंसुलिन एक ऐसा हार्मोन है जो शरीर में पाचन तंत्र को खाने से मिलने वाले शुगर को बनाने में मदद करता है. PCOS होने पर महिलाओं में इंसुलिन बनना बंद हो जाता है जिसकी वजह से शरीर पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है. इस दबाव की वजह से ओवरी पुरुषों वाले हार्मोंस निकालना शुरू कर देती है.
अनुवाशिंक- PCOS कोई नया सिंड्रोम नहीं है, इसे आसानी से पहचाना जा सकता है. अगर परिवार में किसी को मोटापे और डायबिटीज की समस्या है तो PCOS होने की संभावना बढ़ जाती है. इसके अलावा मोटापे की वजह से शरीर में होने वाली सूजन भी इसका एक कारण है.
PCOS की वजह से आने वाली मुख्य समस्या इनफर्टिलिटी होती है. कई बार मिसकैरिएज और प्रीमैच्योर बर्थ जैसी गंभीर दिक्कतों का भी सामना करना पड़ता है. इसके अलावा महिलाओं में हाई ब्लड प्रेशर, हाई ब्लड शुगर, स्ट्रोक, दिल संबंधी बीमारी, गर्भाशय का कैंसर और शरीर में होने वाले बदलावों की वजह से डिप्रेशन की समस्या आ सकती है.
घर पर कैसे करें इलाज- लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव कर इसे घर पर ही ठीक किया जा सकता है. PCOS पर नियंत्रण पाने के लिए लो कार्बोहाइड्रेट डाइट अपनाएं, वजन कम करें और रोज कम से कम 30 मिनट तक एक्सरसाइज करें. वजन कम करने से डायबिटीज और दिल की बीमारी का खतरा भी कम होता है और कोलेस्ट्रॉल का स्तर भी सही होता है.
मेडिकल ट्रीटमेंट- PCOS की मेडिकल ट्रीटमेंट भी कराई जा सकती है. इस केस में डॉक्टर हार्मोन को संतुलित करने के लिए दवाएं देते हैं और इसकी वजह से पीरियड्स नियमित हो जाते हैं. इनफर्टिलिटी की समस्या दूर करने के लिए ओवरी की सर्जरी भी की जाती है.
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम महिलाओं में प्रजनन स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या है। यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें महिलाएं अनियमित पीरियड्स, बालों के झड़ने, शरीर में बालों के विकास, मुंहासे, वजन बढ़ने और त्वचा के काले पड़ने का अनुभव करती है। पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम वह स्थिति है, जिसमें ओवरी में सिस्ट या गांठ बन जाती है। इसका मुख्य कारण हार्मोंस में गड़बड़ी है। लेकिन आजकल पीसीओएस की समस्या हर उम्र की महिलाओं को प्रभावित कर रही है। पीसीओएस के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिसमें इस बीमारी का जेनेटिक, खराब लाइफस्टाइल, निष्क्रिय जीवनशैली और खान-पान की गलत आदतें भी इसके कारण हो सकते हैं। हालांकि दवाओं और एक स्वस्थ खानपान और जीवनशैली के साथ पीसीओएस के लक्षणों से निपटने और स्थिति को बढ़ाने में मदद मिल सकती है।
क्या खाएं?
फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों सेवन :
एंटी इंफ्लामेटरी गुणों से भरपूर खाद्य पदार्थ :
फाइबरयुक्त आहार के सेवन के साथ आप अपनी डाइट में एंटी इंफ्लामेटरी गुणों से भरपूर खाद्य पदार्थों के सेवन को शामिल करें। जिसमें कि आप फैटी फिश, हरी पत्तेदार सब्जियां, टमाटर, जामुन, नट्स, हल्दी, काली मिर्च और जैतून का तेल आदि शामिल कर सकते हैं।
लो जीआई वाले खाद्य पदार्थ :
पीसीओएस की समस्या से पीडि़त होने पर आप लो जीआई वाले खाद्य पदार्थों का सेवन शामिल करें। यह आपके ब्लड शुगर को कंट्रोल रखने में मदद करेगा। इसके अलावा, लीन प्रोटीन को भी डाइट में शामिल करें, यह पीसीओएस वाली महिलाओं के लिए एक स्वस्थ विकल्प है।
क्या न खाएं?
शुगरी फूड्स और ड्रिंक्स से बचें
यदि आप पीसीओएस की समस्या से पीडि़त है, तो आप उन खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों के सेवन से बचें, जो चीनी में उच्च हैं। शुगरी फूड्स और ड्रिंक्स से पीसीओएस और पीसीओडी वाली महिलाओं को सख्ती से बचा जाना चाहिए।
रिफाइंड कार्ब्स या ट्रांस फैट
पीसीओएस वाली महिलाओं को प्रोसेस्ड मीट, रिफाइंड कार्ब्स या ट्रांस फैट जैसे खाद्य पदार्थों से भी बचना चाहिए। क्योंकि यह सभी इफ्लेमेशन को ट्रिगर कर सकते हैं। इसके अलावा, शराब पीने या धूम्रपान से भी बचें।
फास्ट फूडस और अधिक तला-भुना खाना न केवल पीसीओएस, बल्कि सभी के लिए हानिकारक है। यह मोटापे से लेकर दिल की बीमारियों समेत कई बीमारियों के खतरे को बढ़ा सकते हैं। खासकर पीसीओएस वाली महिलाओं को फास्ट फूड्स और अधिक तला-भुना खाना सख्त मना होता है।