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रिलेशनशिप में कपल्स एक दूसरे की खुशी और संतुष्टि का ध्यान रखते हैं। शारीरिक संबंध बनाने के दौरान वो अपनी परफॉर्मेंस के बारे सोचते रहते हैं ताकि वो अपने पार्टनर का पूरा साथ दे सकें। वो चाहते हैं कि पार्टनर सेशन को पूरी तरह से एंजॉय करे। उनके उस सुख के लिए अपने प्रदर्शन को लेकर चिंतित रहते हैं। कई बार यह चिंता लोगों में विकार बन जाता है
सेक्शुअल मेडिसीन रिव्यू में प्रकाशित शोध की मानें तो 9 से 25 फीसदी पुरुष स्तंभन दोष व शीघ्रपतन होने संबंधी चिंता से परेशान रहते हैं। वहीं 6 से 16 फीसदी महिलाओं में यौन संबंध स्थापित करने की इच्छा बड़ी अड़चन बनती है। यदि आप भी शारीरिक संबंध के दौरान अपनी परफॉर्मेंस के बारे में ही चिंतित रहते हैं तो इन टिप्स की मदद से आप उन पलों का बेहतर ढंग से आनंद ले सकते हैं।
शारीरिक संबंध को लेकर चिंता क्यों?
व्यक्ति जब किसी मामले को लेकर तनाव और अवसाद में रहता है तो इसका सीधा असर उसकी सेक्स लाइफ पर पड़ता है। सेक्शुअल मेडिसीन रिव्यू में प्रकाशित शोध के अनुसार शारीरिक संबंध बनाने की इच्छा के दौरान जब चिंता या तनाव रहता है तो वह शरीर के नर्व सिस्टम को प्रभावित करता है। यदि कपल्स अपने परफॉर्मेंस को लेकर इस चिंता करने की आदत पर काबू पा लें तो उनकी सेक्स लाइफ काफी बेहतर हो सकती है।
मेडिकल चेकअप करवाएं
यदि किसी व्यक्ति को गठिया, शुगर या एंडोमेट्रियोसिस से जुड़ी परेशानी है तो वह शारीरिक संबंध बनाने के दौरान तनाव में आ सकते हैं। फिजिकल रिलेशन के समय में रक्त संचार प्रभावित होता है। ऐसी स्थिति में एक बार शारीरिक जांच जरूर करवा लेनी चाहिए। यदि इंटिमेट पलों के दौरान तनाव के सही कारणों का पता चल जाए तो उस स्थिति में सुधार लाना ज्यादा आसान होगा।
अपने शरीर को समझें
पार्टनर के सामने अपनी शारीरिक बनावट को लेकर कई लोग खुद को हीन समझने लगते हैं। वहीं कई बार संबंध बनाने के समय अपने शरीर के प्रदर्शन को लेकर लोग शर्म करने लगते हैं। रिलेशनशिप में एक दूसरे पर भरोसा करना बहुत जरुरी है। साथ ही आपको अपने शरीर की बनावट को लेकर खुद सहज होना होगा।
फिजिकल रिलेशनशिप से जुड़ी शिक्षा
वर्तमान समय में भी लोग शारीरिक संबंध से जुड़ी किसी भी तरह की दिक्कत पर खुल कर बात नहीं करते हैं और डॉक्टर के पास जाने से भी हिचकिचाते हैं। इस वजह से कई बार छोटी सी परेशानी बड़ी समस्या बन जाती है। इस बारे में सही जानकारी होना जरुरी है।
पार्टनर से करें बात
आपको अपने पार्टनर के साथ खुलकर बातचीत करनी चाहिए। इंटिमेट होने से पहले अच्छा संवाद काफी मदद करता है। आप फिजिकल रिलेशन के बारे में क्या सोचते हैं उस पर चर्चा करें और साथ ही पार्टनर की राय भी जानें। आप पार्टनर से जितनी शर्म रखेंगे आपकी परफॉर्मेंस पर उतना ही असर पड़ेगा।
तनाव से बचने और मन शांत रखने के लिए टिप्स
यदि आपका मन शारीरिक संबंध में अपने प्रदर्शन को लेकर परेशान रहता है तो आपको योग तथा ध्यान का सहारा लेना चाहिए। आपको अपने खानपान में ज्यादा तेल या वसायुक्त भोजन को शामिल नहीं करना चाहिए।
दिल्ली के एक स्कूल में पढ़ने वाली 16 वर्षीय लड़की की उसी की कक्षा में पढ़ने वाले एक लड़के से क़रीबी दोस्ती हो गई. लड़की को जल्दी ही एहसास हो गया कि उनका रिलेशन 'अब्यूज़िव' होता जा रहा है.
लड़की के मुताबिक़ लड़के ने उसे अपनी अंतरंग तस्वीरें भेजने के लिए मजबूर किया. लड़की को रिलेशन कुछ वक़्त बाद ख़त्म करना पड़ा. स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद लड़की पढ़ाई के लिए 2014 में विदेश चली गई, लेकिन लड़के ने उसका पीछा नहीं छोड़ा. वो उससे मिलने ब्रिटेन पहुँच गया. उसके घर गया और लड़की के मुताबिक़ वहाँ उसे शारीरिक तौर पर नुक़सान पहुँचाया. लड़की ने स्थानीय पुलिस से शिकायत की. ब्रिटेन के एक मजिस्ट्रेट कोर्ट ने लड़के को 2017 में दोषी ठहराया और लड़की से किसी भी तरह से संपर्क करने से रोक दिया. लड़की जिस शहर में दो साल से रह रही थी, उस शहर में घुसने पर भी कोर्ट ने रोक लगा दी.
फिर सोशल मीडिया के ज़रिये बदला
लड़की को 2019 के अक्तूबर-नवंबर में पता चला कि लड़के (अभियुक्त) ने उनकी कुछ निजी तस्वीरें ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर डाल दी हैं. ये तस्वीरें लड़की ने 16 साल की उम्र में लड़के के साथ शेयर की थीं. लड़की ने दिल्ली की साइबर पुलिस में एक एफ़आईआर दर्ज कराई. साथ ही सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म से तस्वीरें हटाने को कहा.
उस लड़की की उम्र अब 24 साल है. लड़की ने दिल्ली हाई कोर्ट में गुहार लगाई और कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म वो यूआरएल हटाने में कथित रूप से नाकाम रहे हैं जो उन्होंने फ़ॉरवर्ड किये थे. उसने बताया कि ऐसे यूआरएल 50 से ज़्यादा हैं जहाँ उनकी निजी तस्वीरे हैं.
सोशल मीडिया साइट्स ने क्या कहा?
इस मामले में इस साल जुलाई में इंस्टाग्राम के स्वामित्व वाले फ़ेसबुक और यूट्यूब के स्वामित्व वाले गूगल ने अदालत से कहा कि यूआरएल हटा दिये गये हैं, लेकिन तस्वीरें अब भी इंटरनेट पर मौजूद हैं, क्योंकि कई अन्य यूज़र्स ने उन्हें फिर से अपलोड कर दिया है.
यहाँ कंपनियों का मतलब ये था कि अभियुक्त ने जब लड़की की निजी 'आपत्तिजनक' तस्वीरें सोशल मीडिया पर डालीं तो वो तस्वीरें कई लोगों तक पहुँची. कई लोगों ने उन्हें डाउनलोड करके बाद में फिर से इंटरनेट पर अपलोड कर दिया.
इस पर दिल्ली हाई कोर्ट ने अब कहा है कि सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर मौजूद जिस आपत्तिजनक सामग्री की पहचान की जा चुकी है, उसे आगे सर्कुलेट होने से रोकने की समस्या पर इस मामले से ध्यान गया है. अदालत ने साफ़ किया कि प्लेटफ़ॉर्म्स को जानकारी मिलने पर ग़ैर-क़ानूनी सामग्री को हटाना होगा.
कोर्ट ने कहा, "रिस्पोंडेंट नं. 2 (फ़ेसबुक) और नं. 3 (गूगल) को ये निर्देश भी दिया जाता है कि पहले हटाये जा चुके यूआरएल से मिलती-जुलती सामग्री को हटाने के लिए हर मौजूद उपाय करें."
दिल्ली हाई कोर्ट ने गूगल और फ़ेसबुक से लड़की की उन "आपत्तिजनक" तस्वीरों को हटाने के लिए कहा है जिन्हें कई यूज़र्स ने महिला की सहमति के बिना सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर अपलोड कर दिया.
तस्वीरें दोबारा अपलोड करने वालों पर पुलिस करेगी कार्रवाई
साथ ही कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि पुलिस उन लोगों की पहचान कर कार्रवाई करे जो आपत्तिजनक सामग्री को फिर से अपलोड कर देते हैं. कोर्ट ने ये भी कहा कि इंस्टाग्राम और गूगल को सुनिश्चित करना होगा कि उनके प्लेटफ़ॉर्म पर चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी से जुड़ी सामग्री न हो. अदालत ने पॉक्सो एक्ट की धारा-20 और पॉक्सो नियमों, 2020 के नियम-11 का उल्लेख भी किया.
कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता से जुड़ी आपत्तिजनक सामग्री- बाल यौन सामग्री के दायरे में आती है क्योंकि उस वक़्त वो 16 साल की थीं. कोर्ट ने पुलिस एजेंसियों से इसे एनसीआरबी यानी नेशलन क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो को फ़ॉरवर्ड करने के लिए कहा है जो ऑनलाइन साइबर क्राइम रिपोर्टिंग की नोडल एजेंसी है ताकि वो भी इस सामग्री को हटवाने के लिए अपनी तरफ से क़दम उठाये.
दोबारा तस्वीरें अपलोड करने वालों की पहचान कैसे होगी
जो लोग किसी भी तस्वीर या वीडियो को देखकर उसे डाउनलोड कर लेते हैं और फिर दोबारा अपलोड करते हैं, उन लोगों की पहचान कर उन पर कार्रवाई कर पाना कितना मुश्किल या आसान होगा? और इससे ये समस्या किस हद तक हल हो पाएगी?
इस पर साइबर एक्सपर्ट निखिल पाहवा कहते हैं कि कंपनियों के पास ज़्यादातर सोशल मीडिया यूज़र्स के फ़ोन नंबर होते हैं क्योंकि फ़ेसबुक और गूगल अकाउंट बनाने के लिए ज़्यादातर लोग ईमेल एड्रेस या फिर मोबाइल नंबर का इस्तेमाल करते हैं.
इस तरह से री-अपलोड यानी तस्वीरें दोबारा अपलोड करने वालों की पहचान करने में जाँच एजेंसियों को मदद मिल सकती है. पाहवा कहते हैं कि कंपनियों से ये जानकारी मिलने के बाद पुलिस को मोबाइल ऑपरेटर से मदद लेनी होगी. इस तरह से उनकी पहचान कर कार्रवाई की जा सकती है.
वे कहते हैं, "मेरे हिसाब से अगर इस मामले में कुछ लोगों पर कार्रवाई होगी और किसी को गिरफ़्तार किया जायेगा तो इससे समाज में एक ज़रूरी संदेश जाएगा. ऐसे में लोग रिअपलोड करने से पहले सोचेंगे, इसलिए इस लड़की को न्याय मिलना बहुत ज़रूरी है."
बीते 20 सालों से ऐसे मामलों में पीड़ितों की मदद कर रहीं साइबर लॉ एक्सपर्ट डॉक्टर कर्णिका सेठ कहती हैं कि ऐसे मामलों से निपटना बिल्कुल मुमकिन है और क़ानून में इसका हल है. सिर्फ ज़रूरत है कि पीड़ित ऐसे वकील के पास जायें जिसे ऐसे मामलों को हल करने का अनुभव हो.
तकनीकी और क़ानूनी हल
डॉक्टर कर्णिका सेठ कहती हैं कि अगर कोई शिकायतकर्ता कोर्ट में जाता है तो कोर्ट सोशल मीडिया को निर्देश देता है कि वो शिकायत मिलते ही तुरंत आपत्तिजनक सामग्री हटाए.
वे कहती हैं कि ऐसे कई मामले पहले भी हुए हैं कि शिकायतकर्ता अगर कहता है कि ऐसा ही एक और वीडियो या तस्वीर फिर से प्लेटफ़ॉर्म पर अपलोड किया गया है तो कोर्ट जाये बिना ही प्लेटफ़ॉर्म्स को उसे हटाना पड़ेगा.
इस मामले में तकनीक की मदद भी ली जा रही है.डॉक्टर कर्णिका सेठ बताती हैं कि कई तरह के तकनीकी टूल हैं जैसे एक टूल 'डीएनए फ़ोटो हैश मेकेनिज़्म' है.
जिस तरह हर उत्पाद का एक बार कोड होता है वैसे ही डीएनए फ़ोटो हैश मेकेनिज़्म काम करता है.तस्वीर की एक हैश वैल्यू बन जाती है. अगर उस हैश वैल्यू को रन किया जाये तो इंटरनेट पर कहीं भी मौजूद वो तस्वीर मिल जाती है.
डॉक्टर कर्णिका के मुताबिक़ इससे उस सामग्री के सर्कुलेशन को ब्लॉक करवाया जा सकता है.
चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी को लेकर कितनी गंभीरता
फ़ेसबुक ने एक हलफ़नामे में अदालत से कहा कि उसने चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी को फैलने से रोकने के लिए कई क़दम उठाये हैं जिसमें नेशनल सेंटर फ़ॉर मिसिंग एंड एक्सप्लोइटेड चिल्ड्रन यानी एनसीएमईसी के साथ मिलकर काम करना शामिल है. एनसीएमईसी एक ग़ैर-सरकारी संस्था है जो लापता बच्चों को ढूंढने, बाल यौन उत्पीड़न को कम करने और चाइल्ड विक्टिमाइज़ेशन को रोकने का काम करती है.
सोशल मीडिया कंपनी ने कहा कि एनसीएमईसी ने साइबर टिपलाइन (फ़ोन-सेवा) बनाई है जो एक ऑनलाइन फ़ोरम है, जहाँ इंटरनेट पर संदिग्ध चाइल्ड पोर्न की रिपोर्ट की जा सकती है. कंपनी का दावा है कि जब भी वे अपने प्लेटफ़ॉर्म पर चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी की पहचान करता है तो वो तुरंत उस सामग्री को हटा देता है.
गूगल ने भी हलफ़नामा दायर कर यह दावा किया है कि वो यूट्यूब पर चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी या बच्चों के यौन उत्पीड़न से जुड़ी सामग्री से निपटने के लिए कई क़दम उठा रहा है. गूगल ने कहा कि अगर कोई व्यक्तिगत तौर पर किसी ऐसी सामग्री को रिपोर्ट करता है तो वो उसे हटा देता है.
गूगल ने कहा कि उसने एक भरोसेमंद फ्लैगर प्रोग्राम भी बनाया है जिसके ज़रिए कोई व्यक्ति, सरकारी एजेंसियाँ या ग़ैर-सरकारी संगठन यूट्यूब पर आपत्तिजनक सामग्री को नोटिफ़ाई कर सकते हैं.
अदालत ने भी कहा, "उनकी (इंस्टाग्राम और गूगल) ओर से दायर हलफ़नामों से यह संकेत मिलता है कि वो अपने प्लेटफ़ॉर्म से आपत्तिजनक सामग्री हटाने के लिए आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस और अन्य टूल्स का इस्तेमाल कर रहे हैं."
साइबर विशेषज्ञों का मानना है कि सोशल मीडिया कंपनियाँ चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी पर लगाम लगाने के लिए अपनी तरफ से कोशिशें तो कर रही हैं, लेकिन उन्हें और ज़िम्मेदारी के साथ काम करने की ज़रूरत है.
निखिल पाहवा कहते हैं कि चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर कोशिशें हुई हैं, लेकिन इस मामले में अभी तकनीक पूरी तरह परफ़ेक्ट नहीं है और इसमें अभी वक़्त लगेगा.
उनका कहना है कि हर रोज़ अरबों घंटों के वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर अपलोड होते हैं, इसलिए 100% निपटना मुश्किल है. लेकिन रिपोर्ट होने पर उसे जल्द से जल्द हटाना सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म की प्राथमिकता होनी चाहिए.
साइबर लॉ एक्सपर्ट डॉक्टर कर्णिका सेठ कहती हैं कि "इंटरनेट पर एक क्लिप बहुत तेज़ी से वायरल हो जाती है और कम वक़्त में ही पीड़ित का बहुत नुक़सान कर देती है. इसलिए ज़रूरी है कि तेज़ी से ही इस पर कार्रवाई हो."
उनका कहना है कि भारत में इन प्लेटफ़ॉर्म्स के प्रतिनिधि होने चाहिए.
वे कहती हैं, "शिकायत का ऑटोमेटेड रिस्पॉन्स (कंप्यूटर द्वारा दिया गया जवाब) आना ही काफ़ी नहीं है. कोई ज़िम्मेदार होना चाहिए जो शिकायत पर तुरंत कार्रवाई कर पाये."
विशेषज्ञों का कहना है कि इंटरनेट का रेगुलेशन आसान नहीं है, लेकिन तकनीक और क़ानून की मदद से काफ़ी हद तक ऐसा किया जा सकता है.
नवरात्रि का समय माता के भक्तों के लिए विशेष महत्व रखते हैं। इस पूरे नौ दिन माता दुर्गा के अलग अलग रूपों की आराधना की जाती है। मां दुर्गा का आशीर्वाद पाने के लिए ये समय सबसे उपयुक्त होती है। नवरात्रि के समय में भक्त माता की पूजा अर्चना करते हैं और व्रत भी रखते हैं।
धार्मिक शास्त्रों की मानें तो देवी-देवताओं का आशीर्वाद पाने तथा उन्हें प्रसन्न करने के लिए नियमानुसार व्रत रखा जाता है। कई बार जातक के भूलवश अथवा अनजाने में गलती के कारण व्रत भंग या फिर टूट जाता है। अगर आपसे भी इस तरह की गलती हो जाती है तो आप इन उपायों की मदद से क्षमा मांग सकते हैं।
2. आपसे जिन देवी या देवता का व्रत टूटा है, उनके लिए घर में हवन जरूर कराएं और अपनी भूल की माफी मांगे। हवन के बाद प्रार्थना करें और कहें कि जो हमारे द्वारा व्रत भंग हुआ था उसका दोष दूर करें और व्रत पूर्ण करें।
3. अपनी इस भूल को सुधारने के लिए आप उन देवी या देवता की मूर्ति बना लें। फिर इसे दूध, दही, शहद और शक्कर को मिलाकर पंचामृत बनाएं और स्नान कराएं।
4. आपसे जिन देवी या देवता का व्रत भंग हुआ है, उनका विशेष मंत्र पढ़ें और उनकी पूजा करें।
5. अगर आपसे ऐसी भूल हो गयी है तो आप किसी जानकार पंडित से संपर्क करें और उनसे दान कर्म के बारे पूछ लें। दान-दक्षिणा की मदद से आप पुण्य कमाकर देवी-देवता से क्षमा मांग सकते हैं।
गर्भावस्था के दिनों में महिलाओं को अपनी दिनचर्या से लेकर अपने खानपान का खास ख्याल रखना जरूरी होता है, ताकि इसका पॉजिटिव असर गर्भ में पल रहे शिशु को भी हो। प्रेग्नेंसी में जितना जरूरी है हेल्दी डायट का सेवन करना, उतना ही जरूरी है शरीर को हाइड्रेट रखना। ऐसे में सही मात्रा में पानी पीना बहुत जरूरी होता है। पानी पीने से शरीर हाइड्रेट रहने के साथ ही ऊर्जा से भी भरपूर रहता है। शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाते हैं। यदि आप नॉर्मल वाटर के साथ ही पूरे दिन दो-तीन गिलास गर्म या गुनगुना पानी पिएंगे, तो सेहत के लिए बेहद लाभकारी साबित होगा। जानें, प्रेग्नेंसी के दिनों में गर्म पानी पीने से क्या-क्या से लाभ होते हैं।
प्रेग्नेंसी में आप नॉर्मल पानी तो खूब पीती होंगी, लेकिन एक-दो गिलास गर्म या गुनगुना पानी भी पीकर देखिए। इससे गर्भावस्था में होने वाली पाचन तंत्र संबंधित समस्याओं से आप बची रहेंगी। शरीर के सारे टॉक्सिन पदार्थ पेशाब के जरिए बाहर निकल जाएंगे। प्रेग्नेंसी के दौरान वजन बढ़ने से पाचन तंत्र में फैट भी जमा होने लगता है। गर्म पानी पीने से आप फैट बनने की समस्या से बची रहेंगी।
ब्लड सर्कुलेशन रहता है नियमित
गर्म पानी पीने से रक्त शिराओं का प्रसार होता है। शरीर में रक्त का संचार बेहतर होता है। जब ब्लड सर्कुलेशन सही होता है, तो शरीर के प्रत्येक अंगों में ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की पर्याप्त मात्रा पहुंचती रहती है।
ऊर्जा का स्तर कभी ना हो कम
गर्भावस्था के दौरान अक्सर महिलाएं थकान का अनुभव करती हैं। दरअसल, इन दिनों शरीर में कई तरह के हार्मोनल उतार-चढ़ाव होते हैं। गर्म पानी पिएंगी, तो शरीर से टॉक्सिन आसानी से बहर निकलते हैं। इससे मांसपेशियां और तंत्रिकाएं एक्टिव हो जाती हैं, जिससे थकान महसूस नहीं होती है।
कब्ज की समस्या से नहीं होंगी परेशान
गर्भावस्था में कई महिलाओं को कब्ज की शिकायत रहती है। ऐसा कम पानी पीने से भी होता है। इन दिनों कब्ज से छुटकारा पाने के लिए हर दिन खासकर रात में सोने से पहले एक गिलास गर्म पानी पिएं। आप सुबह उठने के बाद भी सबसे पहले एक कप गर्म या हल्का गुनगुना पानी पी लेंगी, तो बाउल मूवमेंट्स सही हो जाएगा। इससे पाचन तंत्र हेल्दी और आंतें भी साफ रहती हैं।
प्रेग्नेंसी में गर्म पानी पीते समय बरतें सावधानियां
1 - गर्भावस्था के दौरान बहुत अधिक गर्म पानी पीने से बचें। हल्का गर्म पानी ही पिएं।
2 - दिनभर में 8 से 10 गिलास सादा पानी हर गर्भवती महिला को पीना चाहिए।
3- एक दिन में 2 से 3 गिलास से अधिक गर्म या गुनगुना पानी ना पिएं।