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मां दुर्गा के प्रति अपनी असीम भक्ति और आस्था प्रकट करने के लिए मां के भक्त नवरात्रि के दौरान व्रत जरूर रखते हैं. कुछ लोग पूरे नौ दिनों का व्रत रखते हैं, तो कुछ नवरात्रि के पहले और आखिरी दिन उपवास करते हैं. ऐसे में प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए हमेशा से ही व्रत रखना सही नहीं माना जाता, क्योंकि इससे उनके स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ सकता है. धार्मिक मान्यताओं के चलते कई महिलाएं पूरे दिन भूखे-प्यासे रहकर व्रत रख लेती हैं, तो कुछ प्रेग्नेंट महिलाएं घंटे भर भी भूखी नहीं रह पाती.
करवा चौथ, शिवरात्रि, अहोई अष्टमी, जन्माष्टमी जैसे एक-एक दिन के व्रत भी कई गर्भवती महिलाएं रख लेती हैं. लेकिन नवरात्रि, रमज़ान और छठ जैसे लंबे व्रतों को लेकर प्रेग्नेंट महिलाओं को कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए. ताकि इससे उनके स्वास्थ्य पर कोई बुरा प्रभाव न पड़े. साथ ही व्रत रखने से पहले एक बार अपने डॉक्टर से जरूर बात कर लेनी चाहिए कि आपको भूखा-प्यासा रहना चाहिए या फिर नहीं. क्योंकि कई महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान भूखा रहने से एसिडिटी, बेहोशी, जी मचलने और चक्कर जैसी शिकायतें हो सकती हैं.
अगर आप प्रेग्नेंट हैं और इस नवरात्रि व्रत( Navratri fast) रख रही हैं, तो यहां कुछ नियम दिए जा रहे हैं, जिन्हें शारदीय नवरात्रि के उपवास रखने से पहले ध्यान में जरूर रखें. आपको बता दें, कि नवरात्रि के व्रत में फलाहार औ दूध से बनी चीज़ें खा सकते हैं.
1. व्रत के दौरान भूख के अहसास को कम करने के लिए महिलाएं चाय का ज्यादा सेवन करती हैं. लेकिन अगर आप प्रेग्नेंट हैं, तो ऐसा ना करें, दिन में केवल 1 या 2 बार ही चाय पीएं. ज्यादा चाय से डिहाइड्रेशन हो सकता है, जो आपकी और आपके बच्चे की सेहत के लिए सही नहीं है.
2. कई महिलाएं नवरात्रि के दौरान लौंग के जोड़े या निर्जला व्रत रखती हैं, लेकिन आप गलती से भी ऐसा ना करें. पानी खूब पीएं.
3. नवरात्रि हो या कोई और व्रत, सभी में मीठे का सेवन ज्यादा होता है, लेकिन आप इससे बचें. इससे आपको जी मचलने की शिकायत हो सकती है. इसके बजाय फल खाएं. नैचुरल शुगर कभी नुकसान नहीं करती है.
4. क्योंकि नवरात्रि के व्रत के दौरान आप सिर्फ फल और व्रत में खाई जानी वाली गिनी-चुनी चीज़ों पर ही निर्भर होती हैं, इसीलिए शारीरिक परिश्रम कम करें. जैसे कम चलना और घूमना. जिससे थकान कम हो. लेकिन लगातार बैठे भी ना रहें, इससे एसिडिटी हो सकती है.
5. शरीर में पानी की मात्रा कम ना हो इसके लिए नारियल पानी का सेवन करें. ये स्वाद में अच्छा होता है और इससे पाचन क्रिया भी बेहतर होती है.
6. वैसे व्रत में सिर्फ सुबह और शाम को खाने की मान्यता है, लेकिन आप हर 2 घंटे में कुछ ना कुछ फल या व्रत का कोई आहार लेती रहें, तो इससे शरीर में कमज़ोरी महसूस नहीं होगी.
7. कोई भी ऐसा थकाने वाला काम ना करें, जिससे आपको पसीना आए और थकावट महसूस हो. ज्यादा भागदौड़ वाला कोई काम न करें.
खास बातें
नई दिल्ली : अकसर लड़कों के मन में एक सवाल होता है कि आखिर लड़कियों को लड़के में क्या पसंद है? ऐसी क्या वो चीज है जिससे लड़कियां तुरंत इम्प्रेस हो जाती हैं. बात करने का तरीका पसंद है या फिर शानदार बॉडी बनाना. आखिर क्या वो चीज है जिससे लड़कियां बात करने को मजबूर हो जाती हैं. ब्रिटेन और साउथ अफ्रीका की यूनिवर्सिटीज ने एक ज्वाइंट रिसर्च की और पता लगाया कि लड़कों के किस बॉडी पार्ट को देखकर अट्रैक्ट होती हैं लड़कियां. आइए जानते हैं क्या निकला इस स्टडी में...
लड़कियां सबसे ज्यादा पसंद करती हैं आंखें
लड़कियों को बाते करने का अंदाज नहीं बल्कि गॉड गिफ्टिड चीज यानी आंखे सबसे ज्यादा अट्रैक्ट करती हैं. खास कर जब पुरुषों की आंखों में डार्क सर्कल्स न हो या फिर आंखें लाल न हों.
एब्स भी काफी पसंद
आज कल 6 पैक एब्स का बुखार छाया हुआ है. एक्टर हो या फिर मॉडल हर किसी के पास 6 पैक एब्स हैं. जिसे देखकर लड़कियां काफी अट्रैक्ट होती है. आंखों के साथ-साथ लड़कियों को एब्स भी काफी अट्रैक्ट करते हैं.
इन चीजों को देखकर भी अट्रैक्ट होती हैं लड़कियां
शोध में पता चला है कि लड़कियों को पुरुषों के दांत, होंठ, बाल, दाढ़ी, मूछें, शोल्डर और सीना काफी पसंद करती हैं. जो पुरुष अपनी बॉडी का ज्यादा ख्याल रखते हैं लड़कियों को ये चीज उनकी अट्रैक्ट करती है. जिस चीज पर लड़कियां सबसे ज्यादा गौर करती हैं वो है लड़कों के रहने का तरीका. कैसे बात कर रहे हैं? क्या पहन रहे हैं और आप कितने एक्टिव हैं. इन चीजों पर लड़कियां सबसे ज्यादा गौर करती हैं.
आज के दौर में नाक-कान छिदवाना भले ही एक फैशन बन चुका हो पर धार्मिक परंपराओं के अनुसार लड़कियों का नाक-कान छेदन का संस्कार उनकी शारिरिक बनावट के हिसाब से जरूरी माना गया है। महिलाओं का नाक-कान छिदवा कर उनमें तरह-तरह के गहने/छल्ले पहनना न केवल उनकी सुदंरता को बढ़ाता है बल्कि उनकी अच्छी शारीरिक सेहत के लिए भी मददगार होता है। इसी तरह लड़कों का कान छिदवाना भी उनके लिए कई तरह से फायदेमंद होता है।
यहाँ कान और नाक छिदवाने के अलग-अलग फायदे बताए गए हैं। पहले जानें कान छिदवाना कैसे आपके लिए फायदेमंद है-
कन-छेदन एक तरह के एक्यूपंचर का काम करता है। कान के एक खास हिस्से पर छेद करते ही यहां की नसें सक्रिय हो जाती हैं जिनका सीधा संबंध हमारी आंखो से होता है। इनके दबने से हमारी आंखो की रोशनी बेहतर अच्छी बनी रहती है।
वैज्ञानिकों की मानें तो कन-छेदन से दिमाग में रक्त का प्रवाह बेहतर हो जाता है जिससे हमारी ध्यान लगाने की क्षमता बढ़ती है। इसीलिए पहले समय में बच्चों को गुरुकुल भेजने से पहले से उनके कान छेदने की परंपरा थी क्योंकि यह बेहतर ज्ञान हालिस करने में मदद करता था।
कान के जिस खास बिन्दु पर छेद किया जाता है वह शरीर की पाचन प्रणाली से संबंधित होता है जिसकी वजह से हाजमा दुरूस्त रहता है और वजन बढ़ने की संभावना कम होती है।
कन-छेदन में कान की नसों पर पड़ने वाला दबाब मानसिक अवसाद की बीमारी जैसे ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर (किसी भी बात की जरुरत से ज्यादा चिंता करना), उलझन/घबराहट जैसी तकलीफों को दूर रखने में मददगार होता है।
हिन्दू रीति-रिवाजों के अनुसार महिलाओं को नाक में लौंग या नथ पहनने की परंपरा बहुत पुरानी हैं और यह शादीशुदा महिलाओं के लिए सौभाग्य का प्रतीक है। नथ माता पार्वती को सम्मान देने के लिए भी पहनी जाती है। नथ पहनना आपके चेहरे की सुंदरता तो बढ़ाता ही है पर वैज्ञानिक रूप से भी नथ पहनने की कई वजहें बताई गई हैं।
आर्युवेद में बताया गया है कि नाक छेदन के समय एक खास हिस्से पर छेद किया जाना महिलओं को मासिकधर्म के समय होने वाले दर्द में राहत देता है। नाक छेदन में महिला के नाक के बांई ओर छेद किया जाता है, जहाँ मौजूद नसों का सीधा संबंध गर्भाशय से होता है। ऐसा किया जाना मासिक धर्म के दर्द के साथ प्रसव के दौरान होने वाले दर्द में भी राहत देता है।
महिलाओं का शरीर बड़ा कोमल और संवेदनशील होता है जिसकी वजह से मौसम में होने वाले छोटे-छोटे बदलाव भी महिलओं के शरीर पर असर करते हैं। नाक छेदन से महिलाओं के शरीर में बीमारी और संक्रमण से लड़ने की ताकत बढ़ती है और कफ, सर्दी जुकाम जैसे रोगों से लड़ने में मदद मिलती हैं।
लौंग और नथ पेट को ठीक रखने में मदद करते हैं तथा इसे पहनने से श्वसन तंत्र सुचारू रूप से काम करता है।
हिन्दू शास्त्रों में लड़कियों को नाक एंव कान दोनों का छेदन जरूरी बताया गया है परंतु लड़कों के लिए नाक छिदवाने को लेकर ऐसा उल्लेख नहीं मिलता। नाक-कान छेदन कम उम्र में कराया जाना ठीक रहता है क्योंकि इस समय बच्चों की त्वचा कोमल होती है और यह आसानी से किया जा सकता है।
बच्चे के जन्म के कुछ महीनों बाद से पैरेंट्स बच्चे के आहार को लेकर काफी सोचने लगते हैं। हालांकि 6 महीने तक बच्चा ठोस आहार नहीं लेता और मां के दूध पर ही निर्भर रहता है। लेकिन ठोस आहार शुरू होने के बाद से अभिभावक बच्चे को ज्यादा से ज्यादा खिलाने के चक्कर में ऐसी कई गलतियां करते हैं, जिनसे उन्हें बचना चाहिए। इसी कड़ी में एक बड़ी गलती है बच्चे को मीठा खिलाना। दरअसल भारत में हर शुभ काम में मीठा खाने व खिलाने को अच्छा माना जाता है। बच्चे का अन्नप्राशन भी खीर खिलाकर किया जाता है। कई बार जब बच्चा खाना नहीं खाता है, तो पैरेंट्स उसे मीठे का लालच देकर खाना खिलवाते हैं. जो गलत है। चीनी का अधिक सेवन बच्चे को कई तरह से नुकसान पहुंचा सकता है।
छोटी उम्र में बच्चों को शहद देना तो फायदेमंद होता है, लेकिन कई पैरेंट्स मान लेते हैं कि शहद मीठा है और अगर इससे फायदा होता है तो अन्य मीठी चीजें भी शिशु को लाभ पहुंचाएंगे। इस तरह वह अपने बच्चे को अधिक से अधिक मीठा देने लगते हैं। मीठा कुछ हद तक तो लाभ पहुंचाता है, लेकिन 1 साल तक के बच्चों के लिए इसका थोड़ा सा भी अधिक सेवन हानि पहुंचाएगा। हालांकि आप बच्चे को मीठे के लिए ऐसे फल खिला सकते हैं, जिनमें प्राकृतिक रूप से मिठास होती है और किसी तरह के केमिकल का सहारा नहीं लिया जाता है।
ज्यादा मीठा खाने से बच्चे को होने वाले नुकसान
किसी भी ऐसी चीज का सेवन बच्चों को नुकसान पहुंचा सकता है, जिनमें कृत्रिम मीठा डाला जाता है। यही वजह है कि डॉक्टर भी 1 साल तक के बच्चों को ज्यादा मीठा देने से मना करते हैं। आइए जानते हैं अधिक मीठे से होने वाले नुकसान के बारे में। यहाँ जानें...
मोटापा – मीठे के अधिक सेवन से बच्चे के शरीर में कैलोरी की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे वह मोटापे का शिकार हो सकता है।
टेढ़े मेढ़े दांत – कई रिसर्च में ये बात सामने आई है कि अधिक मीठा खाने वाले बच्चों के दांत टेढ़े मेढ़े निकलते हैं।
संक्रमण – मीठा अधिक खाने वाले बच्चों के दांतों में कैबिटी बनने पर बैक्टीरिया अधिक पनपते हैं। इससे मुंह में संक्रमण व मसूड़ों में दर्द की समस्या होती है।
ध्यान केंद्रित ना कर पाने की समस्या – चीनी के अधिक सेवन करने वाले बच्चों को आगे जाकर ध्यान केंद्रीत करने में समस्या आती है।
मीठे में कई तरह के केमिकल मिलते होते हैं, जो बच्चों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। कई शोधों में ये बात सामने आई है कि छोटे बच्चों को ज्यादा मीठा देने से भविष्य में उन्हें कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं आती हैं। अमेरिकन हार्ड असोसिएशन ने कुछ समय पहले अपनी एक रिपोर्ट में बच्चों को एक दिन में 6 चम्मच से ज्यादा चीनी न देने की सलाह दी थी। उन्होंने यह सलाह 0-2 साल के बच्चों के अलावा 18 साल के युवाओं के लिए भी दी थी। आइए जानते हैं कुछ बड़ी समस्याओं के बारे में।
दिल की बीमारी (Heart Disease) - रिसर्च के अनुसार, बच्चों को अधिक मीठा खिलाने से उनमें आगे जाकर दिल की बीमारी का जोखिम बढ़ जाता है।
इम्यूनिटी सिस्टम खराब (Weak Immunity) – अधिक मीठा खाने से बच्चे का इम्यून सिस्टम भी प्रभावित होता है। इससे उसमें इंफेक्शन और कई बीमारियां होने का खतरा रहता है।
मधुमेह (Diabetes) – अधिक मीठा खाने से बच्चे को भविष्य में मधुमेह की बीमारी भी हो सकती है। इसलिए उसे अधिक चीनी न दें।
एनीमिया (Anemia) – अधिक मीठा खाने वाले बच्चे ठीक से खाना नहीं खाते। ऐसे में पौष्टिक आहार न मिलने व अधिक मीठे की वजह से उन्हें एनीमिया भी हो सकता है।
किडनी की समस्या (Kidney Problems) – अधिक मीठा खाना आपके बच्चे की किडनी पर भी असर डाल सकता है।