Tuesday, 11 March 2025

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World No Tobacco Day: सिगरेट का एक कश लेने से शरीर में पहुंचते हैं 7000 से ज्यादा केमिकल्स....

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धूम्रपान करने वालों पर 7,000 से अधिक रसायनों का असर. धूम्रपान नहीं करने वालों की अपेक्षा धूम्रपान करने वालों को सीओपीडी होने का तीन गुणा ज्यादा खतरा रहता है. धूम्रपान करने वाले 40 फीसदी लोगों को स्थायी ब्रांकाइटिस हो जाता है और उनमें से आधे (20 फीसदी) लोग सीओपीडी के शिकार हो जाते है. 

नई दिल्ली: धूम्रपान करने वाले हर व्यक्ति के शरीर में एक साथ 7000 से ज्यादा हानिकारक केमिकल्स का असर पड़ता है. इसमें से 250 से ज्यादा केमिकल बहुत ज्यादा खतरनाक और 69 केमिकल कैंसर का कारण बनते हैं. जी हां यह बात एक रिसर्च में सामने आई है. इन्हीं हानिकारक केमिकल्स की वजह से भारत में सबसे ज्यादा मौतें तंबाकू से होती हैं. धूम्रपान और तंबाकू से क्रोनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डीजीज (सीओपीडी), हृदयधमनी रोग (सीवीडी) और फेफड़े के कैंसर होता है. सीओपीडी का एकलौता इलाज है धूम्रपान बंद करना. इसी के साथ यह मायोकार्डियल इन्फाक्रशन फेफड़े का कैंसर का खतरा कम करने का भी सबसे असरदार तरीका है. भारत में कैंसर के सभी मामलों में 30 फीसदी से ज्यादा मुंह और फेफड़ों के कैंसर के मामले हैं. भारत में मुंह के कैंसर के लगभग एक-चैथाई मामलों के पीछे तम्बाकू के इस्तेमाल का हाथ है.

तम्बाकू के धुएं में 40 से अधिक रसायनों को कैंसरकारी पाया गया है. धूम्रपान से आपके फेफड़े और श्वसन तंत्र के अन्य हिस्से भी क्षतिग्रस्त होते हैं, आपका ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है और आपके शरीर में आक्सीजन की कमी हो जाती है. यह तम्बाकू के महज कुछ हानिकारक प्रभाव हैं. धूम्रपान करने से क्रोनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) का सबसे बड़ा खतरा रहता है. लगातार धूम्रपान करने वाले हर चार में से कम से कम एक व्यक्ति को सीओपीडी होने का खतरा रहता है. दमा और सीओपीडी, दोनों में फेफड़ों की कार्यशीलता में तेजी से गिरावट होती है.  धूम्रपान नहीं करने वालों की अपेक्षा धूम्रपान करने वालों को सीओपीडी होने का तीन गुणा ज्यादा खतरा रहता है. धूम्रपान करने वाले 40 फीसदी लोगों को स्थायी ब्रांकाइटिस हो जाता है और उनमें से आधे (20 फीसदी) लोग सीओपीडी के शिकार हो जाते है. आजीवन धूम्रपान करने वालों को अपने जीवनकाल में सीओपीडी होने की 50 फीसदी संभावना रहती है. 

 

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सिक्क बिल्डिंग सिंड्रोम : 12 पौधे अगर घर के भीतर रखे जाएं तो छुटकारा पाया जा सकता है.....

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12 पौधे अगर घर के भीतर रखे जाएं तो सिक्क बिल्डिंग सिंड्रोम से छुटकारा पाया जा सकता है।

अब आपकी सेहत का ख्याल पौधे रखेंगे। ये न केवल आपको तंदुरुस्त रखेंगे बल्कि घर के भीतर पैदा होने वाली हानिकारक गैसों को भी सोख लेंगे। सुनने में आपको यह जरूर अटपटा लगेगा लेकिन यह सौ फीसद सच है। यह संभव हुआ है पालमपुर स्थित काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च-इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बायो रिसोर्स टेक्नोलॉजी (सीएसआइआर-आइएचबीटी) के वैज्ञानिकों की बदौलत। सीएसआइआर-आइएचबीटी पालमपुर ने अब तक ऐसे 12 पौधों का पता लगाया है और इनमें एलोवेरा, एरिका पाम, बारवटन-डेजी (जरबेरा डेजी), बोस्टोन-फरन, गुलदाउदी, फिलोडेनड्रोन, इंग्लिश-आइवी, पीस लिली, रबर प्लांट, स्नेक प्लांट, लघु सेंसेवेरिया व वीपिंग फिग शामिल हैं वैज्ञानिकों के अनुसार, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इस बात को माना है कि घर की दीवारों के रंग, रेफ्रिजरेटर, माइक्रोवेव, डयोड्रेंट, बूट पॉलिस, अगरबत्ती, गैस, परफ्यूम, बिल्डिंग मैटीरियल, हीटर, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों व सिगरेट के धुएं से हानिकारक गैसें कार्बन डाइऑक्साइड, बैनजीन, ट्राइक्लोरो थाइलीन, जाइलीन, टॉयलीन व कार्बन मोनोऑक्साइड आदि पैदा होती हैं। इन सभी गैसों को वोलाटाइल ऑगे्रनिक कंपाउंड (वीओसी) नाम दिया गया है। इन गैसों से लोग आंखों की जलन, जुकाम, गले में दर्द, दमा व निमोनिया आदि बीमारियों की चपेट में आते हैं।

वैज्ञानिकों ने इन बीमारियों को सिक्क बिल्डिंग सिंड्रोम नाम दिया है। यदि उपरोक्त 12 पौधे अगर घर के भीतर रखे जाएं तो सिक्क बिल्डिंग सिंड्रोम से छुटकारा पाया जा सकता है। हानिकारक गैसें सोखने के बाद भी इन पौधों के स्वरूप में कोई बदलाव नहीं आता है।  अगर पौधों की सही देखरेख हो तो ये लंबे समय तक रखे जा सकते हैं। इन पौधों की उपयोगिता अस्पताल, ऑफिस, स्कूल व इंडस्ट्रियल इकाइयों में काफी अधिक है। इन पौधों की खेती कर लोग आर्थिक स्थिति भी मजबूत कर सकते हैं।  

पौधे ऐसे सोखेंगे गैसें

वैज्ञानिकों के अनुसार, ये पौधे पत्तों में मौजूद स्टोमेटा के माध्यम से गैसों को अवशोषित करते हैं और उन्हें जड़ों की सहायता से मिट्टी में डाल देते हैं। इस प्रक्रिया को फाइटो रेमिडिएशन कहा जाता है। हालांकि यह तय नहीं हो पाया कि कौन सा पौधा कितनी गैस सोखता है और कितने पौधे कमरे में रखने चाहिए। इस पर अभी शोध चल रहा है। वैज्ञानिकों के अनुसार 32 फीसद लोग अर्बन एरिया में रहते हैं। इनमें 90 प्रतिशत लोग घरों के अंदर ही कार्य करते हैं। वैज्ञानिक विभिन्न कार्यालयों व घरों का माहौल तैयार कर इन पौधों को कमरों में रखकर समय-समय पर कमरों के वातावरण में बदलाव की जांच करते हैं। कार्यालय में लंच टाइम, छुट्टी व घर में मौजूद सदस्यों का भी ध्यान में रखा जाता है।

 यूं किया जा रहा है शोध

‘ऐसे मित्र पौधे मौजूद हैं, जो कि घर के अंदर की हानिकारक गैसों को सोखकर इंसान को बीमारियों से बचाते हैं। सीएसआइआर-आइएचबीटी के वैज्ञानिक ऐसे 12 पौधों पर रिसर्च कर रहे हैं। ये पौधे व्यापारिक व खेती की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं और आय का साधन बन सकते हैं।’ 

 

 

 

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यह 2 चीजें साथ में ना खाएं भूलकर, वरना होगा जहरीला असर......

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वैसे तो सेहत के लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद होते हैं, लेकिन कुछ मामलों में यही फल आपके लिए घातक भी साबित हो सकते हैं। जी हां, कुछ फल ऐसे भी हैं, जिनका एक साथ सेवन करने पर ये आपके एवं खास तौर से बच्चों के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकते हैं। अगर आप बचना चाहते हैं इनके से, तो जानिए कौन से हैं वे फल जिन्हें एक साथ मिक्स करके खाना, हो सकता है खतरनाक -
 
संतरा और गाजर - वैसे तो संतरा और गाजर का मिक्स जूस बाजार में कई जगह आपको पीने को मिल सकता है और पसंद भी किया जाता है। लेकिन यह मेल सेहत के लिए अमृत नहीं जहर का काम करता है। इसका सेवन करने पर शुरुआती समस्याओं में आप सीने में जलन महसूस कर सकते हैं और पित्त की अधिकता भी हो सकती है। इतना ही नहीं यह आपके गुर्दों को भी क्षतिग्रस्त करता है, जिसके कई गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
 
अमरूद और केला - अमरूद और केला, ये दोनों ही फल गैस और अम्लरक्तता बढ़ाने का काम करते हैं, जिनका एक साथ सेवन करने पर आप कुछ अजीब भारीपन, अरूचिकर महसूस करते हैं और सिरदर्द एवं पेटदर्द भी महसूस कर सकते हैं
दूध और अनानास - दूध और अनानास को एक साथ मिक्स न करें ना ही एक समय में दोनों का सेवन करें। इसमें ब्रोमेलेन की उपस्थिति शरीर में नशा या आलस पैदा करती है और आपको गैस, जी मिचलाना, सिरदर्द, पेटदर्द के अलावा इंफेक्शन या डायरिया भी हो सकता है।

नींबू और पपीता - अगर आप स्वाद के लिए पपीते पर नींबू निचोड़कर खाते हैं, तो यह आपको एनीमिया का मरीज बना सकता है। इतना ही नहीं, यह हीमोग्लोबिन संबंधी समस्या भी पैदा कर सकता है। किसी भी कीमत पर इसका प्रयोग न करें। खास तौर से बच्चों के लिए यह बेहद खतरनाक है।
 
दूध और संतरा - अगर आप दूध से तैयार किए गए आहार या फिर दूध के साथ आरेंज जूस का सेवन करते हैं तो रुक जाइए, यह खतरनाक हो सकता है। इन दोनों का मिश्रण पाचन में तो समस्या पैदा करेगा ही, ओट्स या दलिया के साथ इसका सेवन, आहार में उपस्थित स्टार्च को भी निष्क्रिय कर देता है।
 
फल और सब्जियां - फलों और सब्जियों का एक साथ सेवन हमेशा नुकसानदायक होता है। फलों में शर्करा की मात्रा अधिक होती है, लेकिन सब्ज‍ि यों में ऐसा नहीं होता। दोनों का एक साथ सेवन करने पर फल जो जल्दी पच जाते हैं, लेकिन सब्जियों की प्रक्रिया तब तक अधूरी होती है, जब तक फल पूरी तरी पच न जाए। ऐसे में पेट संबंधी कई समस्या जन्म ले सकती हैं जैसे पेटदर्द, इंफेक्शन,सिरदर्द आदि।
 
केला और पुडिंग - यह मिश्रण पेट में भारीपन पैदा करता है और दिमाग की सक्रियता को कम करने के साथ ही विषैले तत्वों के निर्माण को बढ़ाता है।
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