Wednesday, 12 March 2025

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मोम की पॉलिश वाले Apple बेचने का मामला, अफसरों ने फल मंडियों पर रेड डाली, तो हुआ खुलासा.....

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अथॉरिटी ने जांच में पाया कि सेब पर जूते और कार की पॉलिश में इस्तेमाल किए जाने वाले मोम लगाए जा रहे हैं।

कोलकाता. सड़े हुए मांस की बिक्री के बाद अब कोलकाता में मोम की पॉलिश वाले सेब बेचने का मामला सामने आया है। डमडम इलाके के लोगों ने हाल ही में म्युनिसिपल अथॉरिटी को जरूरत से ज्यादा चमकदार सेब बेचे जाने की शिकायत की थी। इसके बाद बीधननगर और कोलकाता में म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन ने इन पर रोक लगाने के लिए फल मंडियों पर रेड डाली और इसका खुलासा हुआ।

- अथॉरिटी ने जांच में पाया कि सेब पर जूते और कार की पॉलिश में इस्तेमाल किए जाने वाले मोम लगाए जा रहे हैं। 
- बीधननगर म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के अफसर प्रणय रॉय का कहना है कि जो सैंपल हमने कलेक्ट किए हैं, वो सभी पॉलिश किए हुए हैं। कानून के तहत ये अपराध है। इसे लेकर हम पुलिस से बातचीत करेंगे और वाजिब एक्शन लेंगे। 
- अफसरों को शक है कि ऐसे ही सेब कोलकाता के बाकी हिस्सों में भी बेचे जा रहे हैं। इसके बाद से अलग-अलग नगरपालिका के अफसर लोगों को ऐसे फलों से बचाने के लिए फल की दुकानों और मंडियों में रेड डाल रहे हैं।
- वहीं, पुलिस का कहना है कि लोकल मार्केट में ज्यादातर फल थोक बाजार मेचुआ बाजार से आ रहे हैं। पुलिस भी कई दुकानों पर रेड डाल चुकी है और मोम वाले सेब बेचने के आरोप में दो दुकानदारों को कस्टडी में भी ले चुकी है।

सेहत पर लिए खतरनाक
फिजीशियन अरिंदम दासगुप्ता के मुताबिक, मोम की पालिश वाले फल और सब्जियां शरीर पर बहुत ही बुरा असर डालती हैं। इससे डाइडेस्टिव सिस्टम को नुकसान पहुंचता है। इसे लंबे वक्त तक खाने से अल्सर और इन्फेक्शन की समस्या से भी जूझना पड़ सकता है।

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बचपन में देंगे ऐसा आहार, तो उम्रभर बीमारियों से दूर रहेंगे बच्चे!....

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अक्सर जब बात आती है बच्चों के खाने से जुड़े सवालों की तो ज्यादातर माता-पिता की परेशानी एक ही होती है कि उनका बच्चा कुछ नहीं खाता. वह बस बाहर का खाना या अटरम-शटरम पसंद करता है. और यह बड़ी वजह है कि परिजन बच्चों की सेहत के लिए चिंतित रहते हैं. अक्सर माता-पिता इस बात को लेकर भी दुविधा में रहते हैं कि बच्चे को क्या दिया जाए जो उसकी ग्रोथ के लिए अच्छा हो. तो आज हम आपको बताते हैं कि कैसी हो आपके बच्चे की डाइट. क्या हो उसके आहार में शामिल और क्या है ऐसा जो आपको उसे नहीं खिलाना...

क्या खिलाएं- 

  1. बचपन का समय शरीर और इससे जुड़े कई बदलावों और जरूरतों का होता है. इस उम्र में शरीर का विकास होता है. इसलिए जरूरी है कि आप बच्चे के आहार में हरी सब्जियां, अंकुरित अनाज खाना ज्यादा ड़ालें. भले ही वे उन्हें पसंद नहीं करते हैं, लेकिन उनकी सेहत के बेहद जरूरी है. 
  2. बच्चों को खाना परोसते हुए उसे थोड़ा डेकोरेट करें. ताकि वे खाने में दिलचस्पी लें और खेल-खेल में ही अपना खाना पूरा खत्म कर दें. 
  3. हमारे घरों में गेहूं के आटे की रोटी बनते हैं. इस बात का नियम बनाएं कि आप इसे छान कर रोटी न बनाएं. आटे को चोकर के साथ ही गूथें. इसके अलावा दलिया, क्विन्वा या ब्राउन ब्रेड बच्चे को खिलाएं. चोकर या छिल्का युक्त अनाज विटामिन बी और फाइबर से भरपूर होते हैं, जो आपके बच्चे का पेट भरने के साथ ही उनके पाचन को सुधारने में भी मददगार होते हैं. 
  4. बच्चों को अंकुरित अनाज, सोयाबीन, चना भी खिलाएं.
  5. प्रोटीन ऊत्तकों का मरम्मत, हीमोग्लोबिन बनाने, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और मांसपेशियों को विकसित करने में मदद करता है. सी फूड, अंडे, लीन मीट, मुर्गी, फलियां, मटर, दूध, दाल, सोया आदि प्रोटीन के स्रोत होते हैं.
  6. बच्चों के आहार में फल और सब्जियां शामिल करने में अक्सर मां को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. अपने बच्चों को अलग-अलग फलों को खाने के लिए कहें. 
  7. फलों का जूस कभी-कभार ही दें, क्योंकि चोकर युक्त अनाज के फाइबर को ये शरीर से निकाल देते हैं और अगर जूस देना है तो बाजार में डिब्बाबंद जूस में ढेर सारा चीनी होता है, इसलिए घर पर बिना चीनी मिलाए जूस ही बच्चे को दें.
  8. सब्जियां खिलाएं, मटर, बीन्स, ब्रोकली, हरी पत्तेदार सब्जियां आपके बच्चे के सेहत के लिए काफी फायदेमंद हैं. ये विटामिन्स, मिनरल और आयरन से भरपूर होती हैं.
  9. कम वसा युक्त डेयरी उत्पाद जैसे दूध, दही, पनीर आदि कैल्शियम का अच्छा स्रोत होते हैं, जो शरीर की हड्डियों को मजबूत बनाते हैं. बच्चों के लिए गाय और बकरी के दूध का सेवन ज्यादा लाभदायक होता है.

क्या न खिलाएं- 
- बच्चों को एडिड शुगर वाली चीजों से दूर रखें. ऐसी चीजों की आदत पड़ जाती है, जो बाद में उनके स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेय साबित हो सकती है. प्रिजर्व्ड फूड, चॉकलेट्स, कैंडी, ब्राउन सुगर को लिमिटेड ही बच्चों के आहार में शामिल करें, क्योंकि इससे उनके दांतों में कैविटी होने की आशंका होती है और आगे चलकर सिर दर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं.

- संतृप्त और ट्रांस फैट वाले भोज्य पादार्थ सेहत के लिए हानिकारक हो सकते हैं, जैसे उच्च वसा वाले दूध, रेड मीट और मुर्गी आदि. संतृप्त वसा युक्त आहार के बजाय विटामिन ई और आवश्यक फैटी एसिड युक्त सब्जियों, नट ऑयल और सी फूड का सेवन करें. स्वास्थयपरक फैट नट्स, ऑलिव और एवोकैडो में पाए जाते हैं.

- गर्मियों में बच्चों को खूब तरल पदार्थो का सेवन कराएं, ताकि उनका शरीर हाइड्रेट रहे. उनके आहार में दही, पुदीना, खरबूज, तरबूज और गुलकंद शामिल करें.

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World Blood Donation Day: क्‍या होता है जब आप रक्‍तदान करते हैं?......


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क्या आपने कभी ब्‍लड डोनेट किया है? अगर हां तो ये बहुत अच्‍छी बात है। अगर आपको लगता है कि ब्‍लड डोनेट करने से साइड इफेक्‍ट होता है तो आप बहुत ही गलतफहमी में है। दरअसल, लोगों में कई तरह की भ्रांतियां हैं, जिस वजह से लोग रक्तदान करने से परहेज करते हैं। 14 जून यानी की आज ब्लड डोनर डे पर आज हम आपको उन भ्रांतियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके कारण लोग ब्लड डोनेट करने से बचते हैं जबकि इससे किसी की जिंदगी बचाई जा सकती है।  इस साल वर्ल्ड ब्लड डोनर डे पर WHO का स्लोगन है- 'किसी के लिए वहां मौजूद रहें, रक्त दें, जीवन बांटे।' इस स्लोगन का उद्देश्य ब्लड डोनेशन पर जोर देना। आइए ब्‍लड डोनेशन डे के मौके पर जानते है कि ब्‍लड डोनेट करते वक्‍त किन बातों का विशेष ध्‍यान रखना चाहिए और इसके क्‍या फायदें है।

1 ब्‍लड यूनिट से बचती है 3 जिंदगियां

कहते हैं जब एक व्यक्ति रक्तदान करता है तो उससे 3 जिंदगियां बचायी जा सकती हैं क्योंकि जब रक्तदान किया जाता है तो खून में मौजूद अलग-अलग कॉम्पोनेंट्स जैसे रेड ब्लड सेल्स, प्लेटलेट्स और प्लाज्मा का इस्तेमाल अलग-अलग बीमारियों और परेशानियों से जूझ रहे लोगों के इलाज में किया जाता है।

कौन कर सकता है ब्‍लड डोनेशन

वह व्यक्ति जिसे कोई संक्रामक रोग न हो, 18-60 साल की उम्र में 50 किलो से अधिक वजन का व्यक्ति। कम से कम ब्लड में हीमोग्लोबिन लेवल 12.5% होना चाहिए।

ये लोग नहीं कर सकते हैं ब्लड डोनेट

हाई बीपी, डायबिटीज के मरीज किडनी की बीमारी से जूझ रहे मरीज महिला मिसकैरिज के 6 महीने तक रक्तदान नहीं कर सकती मलेरिया के मरीज 3-4 महीने तक ब्लड डोनेट नहीं कर सकते किसी प्रकार का टीकाकरण कराने के 1 महीने बाद ही ब्लड डोनेट कर सकते हैं एल्कोहॉल का सेवन करने के बाद 24 घंटे तक ब्लड डोनेट नहीं कर सकते.

जरुरी ध्‍यान की बातें

ब्‍लड डोनेट करने से पहले और बाद में रखे इन बातों का ध्‍यानं। ब्लड डोनेट करने से पहले बीती रात को खूब पानी पिएं पानी के साथ-साथ फ्रूट जूस जरूर लें खाली पेट ब्लड डोनेट न करें। ब्लड डोनेट करने के 3 घंटे पहले कुछ खाएं आयरन से भरपूर चीजें खाएं हरी पत्तेदार सब्जियां और साइट्रस फलों का सेवन करें ब्लड डोनेट करने के तुरंत न उठें 15-20 मिनट का आराम जरूर करें ब्लड डोनेट करने के तुरंत बाद गाड़ी न चलाएं ब्लड डोनेट करने के 8 घंटे बाद तक एल्कोहल के सेवन से बचें ब्लड डोनेट करने के 24 घंटे बाद तक हेवी बॉडी वर्कआउट (जिम, डांस आदि) न करें रक्तदान करने पर शरीर से जो फ्लूड निकलता है वो 1-2 दिन के अंदर आपने जो ब्लड डोनेट किया होता है वह शरीर में वापस बन जाता है। ब्‍लड डोनेशन का आपका डेली रुटीन पर कोई असर नहीं पड़ता है। हालांकि जिस दिन आप ब्लड डोनेट करें उस दिन वजन उठाने या भारी काम करने से परहेज करें। अगले दिन आप फिर से अपनी रूटीन में वापस आ सकते हैं। ब्‍लड डोनेट करने के बाद पुरुषों को 3 महीनें और महिलाओं को 4 महीनें तक ब्‍लड डोनेट नहीं करना चाहिए।

ब्‍लड डोनेशन के फायदें

ब्लड डोनेट करने से लीवर पर अच्छा असर पड़ता है। लीवर का कार्य आयरन मेटाबॉलिज्म पर निर्भर करता है। ब्लड डोनेशन से शरीर में आयरन की मात्रा सही बनी रहती है और लीवर डैमेज होने से बचता है। इसलिए नियमित रूप से ब्लड डोनेट करने से लीवर कैंसर का जोखिम भी कम होता है।

वजन होता है कम

ब्लड डोनेट करने से 650-700 किलो कैलोरी घटा सकते हैं। क्योंकि वजन का लेना देना कैलोरी से होता है, और कैलोरी घटेगी तो वज़न भी घटेगा। हालांकि ब्लड डोनेट 3 महीने में एक बार ही करना चाहिए, यही सुरक्षित तरीका है।

कॉलेस्‍ट्रॉल और बीपी रहता है कंट्रोल

में ब्‍लड डोनेट करने से कॉलेस्‍ट्रॉल और ब्‍लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है। इ ससे ज्‍यादा कैलोरी और फैट बर्न होता है और नए सेल्‍स बनते है।

ब्‍लड ग्रुप से जुड़े फैक्‍ट

O+ ब्‍लड ग्रुप बहुत ही सामान्‍य ब्‍लड ग्रुप होता है जो आसानी से मिल जाता है। हर तीन में से एक व्‍यक्ति का ब्‍लड ग्रुप O+ होता है। वहीं O नेगेटिव ब्‍लड ग्रुप 15 में से एक व्‍यक्ति का होता है। सबसे ज्‍यादा O ब्‍लड ग्रुप की जरुरत ही होती है। A पॉजीटिव ब्‍लड ग्रुप 3 लोगों से एक ब्‍यक्ति का होता है, वहीं A नेगेटिव ब्‍लड ग्रुप 16 में से एक का होता है। B पॉजीटिव हर 12 में से एक व्‍यक्ति में पाया जाता है, वहीं B नेगेटिव 67 में से एक व्‍यक्ति का ब्‍लड ग्रुप होता है। AB पॉजीटिव हर 29 में से एक का ब्‍लड ग्रुप होता है, वहीं AB नेगेटिव ब्‍लड ग्रुप सबसे दुलर्भ ब्‍लड ग्रुप होता है ये 167 में से किसी एक एक ब्‍लड ग्रुप होता है।


 

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R.O.NO.13073/4 " B
RO No 13073/4 A
RO no 13129/5 D
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