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आतंक का पर्याय रहे दो खूंखार डाकू अब भिंड की राजनीति में अहम भूमिका निभा रहे हैं.
खास बातें
भिंड: कभी चंबल के बीहड़ों में आतंक का पर्याय रहे दो खूंखार डाकूअब भिंड की राजनीति में अहम भूमिका निभा रहे हैं. मलखान सिंह जहां बीजेपी के मंच से वोट मांग रहे हैं, तो वहीं मोहर सिंह की पक्के कांग्रेसी के तौर पर इलाके में पहचान है. 80 के दशक में चंबल को गोलियों से दहलाने वाले डाकू मलखान सिंह अब तालियों से भिंड की राजनीति को हिला रहे हैं. 1983 तक बीहड़ों में डकैत के तौर पर सक्रिय और दर्जनों हत्या और लूट के मामले झेल चुके मलखान सिंह आज कांग्रेसी नेताओं को कोस रहे हैं. वह कहते हैं कि हमने डकैतगीरी नहीं की. जो डाकूगीरी करते हैं वे नष्ट हो जाते हैं और उनका कोई नामलेवा नहीं है. मलखान का तो बार नाम लिया जाता है. डाकू के नाम से लोग सम्मान देते हैं. आपको बता दें कि इलाके में मामा के नाम मशहूर डाकू मलखान सिंह का नाम भिंड, शिवपुरी और मुरैना में एक ब्रांड के तौर पर जाना जाता है. यही वजह है कि बड़ी मूंछ और लंबा लाल टीका लगाकर वह बीजेपी नेताओं के साथ आगे की कतार में बैठे नजर आते हैं. मलखान सिंह ने जहां बीजेपी का दामन थाम रखा है, वहीं उनसे पहले चंबल के दुर्दांत डाकू के तौर पर कुख्यात रहे डाकू मोहर सिंह कांग्रेस के पाले में खड़े हैं.
मोहर सिंह अपनी पुरानी फोटो दिखाते हैं, जिसमें शत्रुघ्न सिन्हा और मौसमी चटर्जी के साथ उनके साथी डाकू तहसीलदार सिंह व सरूप सिंह भी मौजूद हैं. ये अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों के साथ रहे हैं. कभी सौ हथियारबंद डाकुओं के सरदार रहे मोहर सिंह कांग्रेस से जिला पंचायत अध्यक्ष भी रह चुके हैं. अब उनकी उम्र भले ही नब्बे साल की हो, लेकिन तमाम प्रलोभन के बावजूद न तो कांग्रेस का साथ छोड़ा और न ही पुलिस को बताया कि सत्तर के दशक में ये अत्याधुनिक बंदूकें उन्हें कहां से मिली. मोहर सिंह कहते हैं कि हम आज जिंदा है तो इंदिरा गांधी की वजह से. इसीलिए शुरू से अब तक कांग्रेस के साथ ही रहे और कभी दल नहीं बदला. ये दल बदलू किसी के नहीं हैं. कभी जिन नेताओं ने इन डाकुओं को आत्मसमर्पण के लिए तैयार किया था, अब नेताओं को ही इन पूर्व डाकुओं के सहारे की जरुरत है. कभी बीहड़ों में सक्रिय रहे डाकूओं की गोलियों से भिंड की राजनीति तय होती थी, लेकिन आज कुछ हद तक इनकी बोलियों से तय होती है.
दिल्ली प्रदूषण की मार.
खास बातें
नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता (Delhi-NCR Pollution) अभी बेहत खराब बनी हुई है. बुधवार को जारी एयर क्वालिटी इंडेक्स के मुताबिक लोधी कॉलोनी पीएम 2.5 273 पाया गया. जो बेहद खराब स्तर पर है. जबकि पीएम 10 भी 266 आंका गया है. दिल्ली और एनसीआर में सुबह से ही धुंध छाई थी. वहीं हवा की गुणवत्ता (Air Quality in Delhi) आनंद विहार में सबसे ज्यादा खराब 339 आंकी गई है. जिसे बेहत खतरनाक स्तर का बताया गया है. जबकि सबसे राजधानी में हवा की सबसे बेहतर गुणवत्ता (Delhi-NCR Pollution) पूर्वी दिल्ली (216) में आंकी गई है.
गौरतलब है कि हवा की गुणवत्ता 0-50 को अच्छा माना जाता है, 51-100 को संतोषजनक, 101-200 को ठीक-ठाक, 201-300 खराब, 301-400 बहुत खराब और 401 से 500 को बहुत ही खऱाब माना जाता है. मंगलवार को राजधानी दिल्ली में हवा की गुणवत्ता बहुत ही खरीब आंकी गई है. मंगलवार को भी दिल्ली में धूंध की चादर देखने को मिली थी. गौरतलब है कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बढ़ते स्तर को देखते हुए अधिकारी इस सप्ताह कृत्रिम बारिश कराने की योजना बना रहे हैं. पिछले तीन सप्ताह में दिल्ली की हवा की गुणवत्ता बिगड़ी है, वह अब 'खतरनाक' स्तर पर पहुंच गई है.
महाराष्ट्र की सड़कों पर फिर उतरे किसान.
मुंबई: महाराष्ट्र में एक बार फिर से बड़ी संख्या में किसान सड़क पर उतर चुके हैं. महाराष्ट्र के हज़ारों किसान मुंबई कूच के लिए तैयार हैं. मुंबई की ओर लॉन्ग मार्च के लिए किसान ठाणे के आनंद नगर में मंगलवार की रात से ही जमा होने लगे. उत्तरी महाराष्ट्र से हज़ारों किसान ठाणे पहुंचे हैं. ये किसान गुरुवार को मुंबई पहुंचेंगे. ये किसान स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के साथ ही MSP पर कानून लाने जैसी कई मांगे कर रहे हैं. किसान नेताओं का दावा है कि महाराष्ट्र सरकार ने 6 महीने बीत जाने के बाद भी अब तक कोई वादा पूरा नहीं किया है.
स्वराज अभियान के मुखिया और आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता योगेंद्र यादव और संरक्षणवादी डॉ राजेंद्र सिंह इस किसान मार्च का नेतृत्व कर रहे हैं. दरअसल, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और पंजाब में बीते 6 महीने से लगातार अपनी मांगों को लेकर और सरकार के खिलाफ किसान प्रदर्शन कर रहे हैं.