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मुंबई. महाराष्ट्र में मराठवाड़ा, भुसावल, ठाणे सहित कई जिलों के हजारों किसान व आदिवासी ‘लोक संघर्ष मोर्चा’ के बैनर तले भूमि अधिकार, सूखा राहत जैसी विभिन्न मांगों के साथ गुरुवार को मुंबई के आजाद मैदान पहुंच गए. इस बीच, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने आदिवासी किसानों को आश्वासन दिया कि उनके वन भूमि अधिकारों के दावों का इस वर्ष दिसम्बर तक निपटारा कर दिया जायेगा.
किसानों की मांग है कि आदिवासियों की जमीन के मसले सुलझाए जाएं. लोड शेडिंग की समस्या, वनाधिकार कानून, सूखा से राहत, फसलों का मुआवजा, न्यूनतम समर्थन मूल्य, युवाओं को नौकरी, स्वामीनाथन रिपोर्ट जल्द लागू की जाए.
किसानों ने साफ कहा कि मांगें पूरी नहीं होने तक वे यहीं डटे रहेंगे. स्वराज अभियान के योगेंद्र यादव एवं मैग्सैसे पुरस्कार विजेता डॉ. राजेंद्र सिंह भी आंदोलन में शामिल होंगे. मोर्चा महासचिव प्रतिभा शिंदे ने कहा, हमारी मांगें पूरी नहीं हो रहीं, इसीलिए आंदोलन करना पड़ा. वहीं शिवसेना, आम आदमी पार्टी व जनता दल (एस) ने आंदोलन के समर्थन में उतरीं.
7,000 से अधिक किसान व आदिवासी अलग-अलग जिलों से इस बार आंदोलन के लिए मुंबई में जुटे हैं. 40,000 किसान मार्च में नासिक से मुंबई पहुंचे थे. तब हजारों लोग किसानों की मदद करने आगे आए थे. जुलाई में हजारों डेरी मालिक व किसान दूध उत्पादों की कीमतों में बढ़ोतरी के लिए सड़कों पर उतरे थे.
::/fulltext::भोपाल। मध्यप्रदेश कांग्रेस ने पुलिसकर्मियों के लिए बड़ी घोषणा की है। मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ ने पुलिसकर्मियों को विकली आफ देने का वादा किया है। पुलिसकर्मियों पर बड़ा दांव खेलते हुए कमलनाथ ने इस बात की घोषणा की है कि कांग्रेस की सरकार बनी तो पुलिसकर्मियों को सप्ताहिक अवकाश दिया जायेगा। ये दांव पुलिसकर्मियों को लुभा सकता है।
आपको बता दें कि कई राज्यों में पुलिसकर्मियों के सप्ताहिक अवकाश की मांग सालों से उठ रहे हैं। पिछले दिनों जब छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों में पुलिसकर्मियों के परिवार का प्रदर्शन हुआ था, तो उस दौरान भी सप्ताहिक अवकाश देने और ड्यूटी का घंटा कम किये जाने से जैसे कई मांगों को शामिल किया गया था।
आज कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा कि सरकार आयी तो मध्यप्रदेश में 50 हजार पुलिसकर्मियों की नियुक्ति की जायेगी, ताकि प्रदेश में पुलिसकर्मियों की कमियों को खत्म किया जा सके। वहीं पुलिसकर्मियों को सप्ताहिक अवकाश दिया जायेगा। उन्हें तनावमुक्त वातावरण दिया जायेगा। साथ ही कांग्रेस ने इस बात की घोषणा की है कि पुलिसकर्मियों के काम के वक्त में कटौती भी की जायेगी। वहीं आवास भत्ता को भी बढ़ाकर 5000 रुपये प्रतिमाह करने का वादा किया गया है।
कांग्रेस के इस लुभावने वादा का पुलिसकर्मियों पर व्यापक असर पड़ सकता है, क्योंकि ये पुलिसकर्मियों की बड़ी ही पुरानी मांगें है।
::/fulltext::नई दिल्ली: राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी में जबरदस्त टक्कर देखने को मिल रही है. हालांकि, यह भी हकीकत है कि टिकट बंटवारे के बाद दोनों पार्टियां अपने बागी नेताओं से जुझ रही हैं. मगर चुनाव से ठीक पहले राजस्थान बीजेपी ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के कैबिनेट में चार मंत्रियों सहित 11 वरिष्ठ नेताओं को निलंबित कर दिया है, जो पार्टी द्वारा चुने गए उम्मीदवारों के पक्ष में राजस्थान विधानसभा चुनावों के लिए नामांकन वापस लेने से इंकार कर रहे हैं. गुरुवार को पार्टी द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक, 11 बागियों को छह साल तक पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से हटा दिया गया है. इनमें से सुरेंद्र गोयल, लक्ष्मीनारायण दवे, राधेशम गंगानगर, हमीसिंह भदान, राजकुमार रिनावा, रामेश्वर भती, कुलदीप धनकड़, दीनदयाल कुमावत, किशनम नाई, धनसिंह रावत और अनिता कटारा हैं.
बताया जा रहा है कि पार्टी के कई बागियों ने 7 दिसंबर को होने वाले चुनावों के लिए अपना नामांकन दायर किया और कई विधायकों ने टिकट न मिलने के बाद पार्टी से इस्तीफा दे दिया. इस समय राजस्थान में वसुंधरा राजे की अगुआई वाली बीजेपी को भारी एंटी इनकंबेंसी माहौल का सामना करना पड़ रहा है.
बीजेपी के बागी विधायक मानवेंद्र सिंह, जो हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए हैं. बीजेपी छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए पूर्व विदेश मंत्री जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र को झालरापाटन से टिकट दिया है. पार्टी ने 2014 में जसवंत सिंह को टिकट नहीं दिया था. माना जाता है कि मानवेंद्र और उनके परिवार की मुख्यमंत्री राजे से रिश्ते अच्छे नहीं थे. मानवेंद्र ने अक्टूबर में बाड़मेर में ‘स्वाभिमान' रैली की और भाजपा से औपचारिक रूप से अलग हो गए. इसके बाद वह पिछले महीने कांग्रेस में शामिए हुए.
हालांकि, बीजेपी इकलौती पार्टी नहीं है जो बागियों की समस्या से जूझ रही है. बताया जा रहा है कि कांग्रेस के भी 40 से बागी नेता हैं, जिनमें चार तो मंत्री भी हैं, जो राज्य में जीत की संभावनाओं पर कहीं पानी भी फेर सकते हैं. बहरहाल, राज्य की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे जीत को लेकर आश्वस्त दिख रही हैं.
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