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नशे में ड्राइविंग के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए महाराष्ट्र सरकार शराब की होम डिलेवरी की योजना बना रही थी लेकिन सामाजिक कार्यककर्ताओं की कड़ी प्रतिक्रियाओं के बाद रविवार को महाराष्ट्र सरकार शराब की होम डिलेवरी की अपनी योजना से पीछे हट गई।
रिपोर्ट के अनुसार राज्य के मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि यह कदम शराब इंडस्ट्री के लिए 'गेम चेंजर' हो सकता है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से ई कॉमर्स कंपनियां देश में काम करती हैं शराब की होम डिलेवरी का तंत्र भी उसी तरह काम करेगा। चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा, "जिस तरह से लोगों को ग्रॉसरीऔर सब्जियां घर पर मिलती हैं उसी तरह शराब भी मिलेगी।" हालांकि इस खबर पर सामाजिक कार्यकर्ताओं की कड़ी प्रतिक्रिया आई जिसके बाद चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा है कि सरकार की ऐसी कोई योजना नहीं है।
खबर के अनुसार इससे पहले बावनकुले ने कहा था कि यह सुनिश्चित करने के लिए भी कदम उठाए जाएंगे कि जिन्होंने शराब ऑर्डर की है वह शराब पीने के लिए न्यूनतम आयु की शर्त को पूरा करते हैं। शराब विक्रेता को आधार नंबर के जरिए खरीददार की पहचान करनी होगी। रिपोर्ट के अनुसार मंत्री ने यह भी कहा कि बोतलों पर जियो टैग (किसी वस्तु के स्थान का पता लगाने के लिए तंत्र) किया जाएगा। बावनकुले ने कहा, "टैगिंग बोतल के ढक्कन पर की जाएगी। हम मैन्युफैक्चरर से लेकर ग्राहक तक बोतल को ट्रैक कर सकते हैं। यह नकली शराब और तस्करी की बिक्री को रोकने में मदद करेगा।"
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2015 में सभी सड़क दुर्घटनाओं में से 1।5% के लिए नशे में ड्राइविंग जिम्मेदार थी। ऐसी घटनाओं में मौत की भी सबसे ज्यादा संख्या थी। तेजी और लापरवाही से वाहन चलाने में हुई दुर्घटनाओं में जहां 30% और 33% लोगों की मौत हुई वहीं नेश में ड्राइविंग में हुई दुर्घटना में 42% की मौत हुई थी।
खास बातें
नई दिल्ली: सर्दी का मौसम आते ही दिल्ली सहित समूचे एनसीआर पर प्रदूषण की काली छाया पड़ने लगी है. पिछले साल भी एनसीआर में प्रदूषण का मामला सुर्खियों में रहा था. इस साल भी कुछ ऐसे ही हालात पैदा हो रहे हैं. लिहाजा प्रदूषण की रोकथाम के लिए कवायदे भी शुरू हो चुकीं हैं. प्रदूषण(Pollution) को रोकने की दिशा में नगर निगमों ने सख्त कदम उठाना शुरू किया है. दक्षिणी दिल्ली नगर निगम(SDMC) ने प्रगति मैदान स्थित परियोजना स्थल पर सभी तरह के निर्माण एवं तोड़-फोड़ की गतिविधियों को “तत्काल रोकने” को कहा है. एसडीएमसी ने कहा कि शहर में लगातार गिर रही वायु गुणवत्ता को देखते हुए उसने पिछले एक हफ्ते में कई कदम उठाए हैं। नगर निकाय ने एक बयान में कहा, “एसडीएमसी ने खुले इलाकों में पानी के छिड़काव के लिए रविवार को 22 अतिरिक्त पानी की टंकियों से काम लिया जिसके साथ ही ऐसे टैंकरों की संख्या 62 पहुंच गई है। एनबीसीसी द्वारा एसडीएमसी की ओर से एनजीटी के दिशा-निर्देशों का अनुपालन करने का आग्रह नजरअंदाज करने के बाद उससे प्रगति मैदान में सभी निर्माण एवं तोड़-फोड़ के कार्य तत्काल रोकने को कहा गया है।” एनबीसीसी प्रगति मैदान में विश्व स्तरीय सम्मेलन सह प्रदर्शनी केंद्र का निर्माण कर रहा है।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने आठ अक्टूबर को केन्द्र के राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) को अधिसूचित करने की प्रस्तावना पर आयी एक समाचार पत्र की रिपोर्ट के बाद संज्ञान लेते हुए केन्द्र और राज्य सरकारों को मिलकर तय समय-सीमा के भीतर योजना बनाकर पूरे देश में वायु प्रदूषण को राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानक के अंदर लाने के लिये कहा है। ग्रीनपीस इंडिया उम्मीद करती है कि एनजीटी के इस आदेश के बाद जल्द ही एनसीएपी को अधिसूचित किया जाएगा। ग्रीनपीस इंडिया के सीनियर कैंपेनर सुनील दहिया कहते हैं, "यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अदालत को योजना बनाने से लेकर उसे लागू करने तक हर कदम पर हस्तक्षेप करके यह सुनिश्चित करना पड़ रहा है कि लोगों के हितों की रक्षा हो। क्या यह सरकार की जिम्मेदारी नहीं है कि वह कोर्ट के हस्तक्षेप के बिना नीतियों को लागू करे?"
सुनील कहते हैं, "हम लोग देख रहे हैं कि सरकार लगातार पर्यावरण से जुड़े कानून कमजोर करके और प्रदूषण फैलाने वाली कंपनियों के हित में नीतियों में बदलाव कर रही है।"जनता और मीडिया के दबाव के बाद पर्यावरण मंत्रालय ने अप्रैल में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के ड्राफ्ट को लोगों की प्रतिक्रिया के लिये अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक किया था। लेकिन पांच महीने बीत जाने के बावजूद अभी तक कार्यक्रम को लागू नहीं किया जा सका है। वायु प्रदूषण की खराब स्थिति पर सवाल उठाने पर राज्य और केन्द्र सरकार एक-दूसरे पर उंगली उठाने लगते हैं। दूसरी तरफ पर्यावरण मंत्रालय और ऊर्जा मंत्रालय दोनों ही प्रदूषण फैलाने वाली औद्योगिक ईकाईयों और थर्मल पावर प्लांट के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। दोनों ने मिलकर थर्मल पावर प्लांट के लिए जारी उत्सर्जन मानकों को लागू करने की समय सीमा को पांच साल और बढ़ाने की अनुमति दे दी।
एनजीटी ने आठ अक्टूबर 2018 को अपने आदेश में कहा कि एनसीएपी को अंतिम प्रारूप देने में थोड़ी प्रगति हुई है, लेकिन अभी भी वर्तमान वायु प्रदूषण की स्थिति को देखते हुए इस कार्यक्रम को लागू करने की गति बेहद धीमी है। एनजीटी ने ऑब्जर्व किया है कि 102 शहरों में से सिर्फ 73 शहरों की कार्ययोजना ही जमा हो सकी है। इसमें से भी 36 शहरों की ही कार्ययोजना तैयार है, 37 शहरों की योजना अभी भी अपूर्ण है और 29 शहरों ने अभी तक अपनी कार्ययोजना जमा ही नहीं की है। (सितंबर 2018 तक)। एनजीटी ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा है कि वाहनों की संख्या को, औद्योगिक ईकाईयों के प्रदूषण को नियंत्रित करने और वायु गुणवत्ता को मानकों के भीतर लाने की तत्काल जरुरत है।
सुनील कहते हैं, "यह जानना सुखद है कि पर्यावरण मंत्री वायु प्रदूषण की वजह से देश की अंतर्राष्ट्रीय छवि खराब होने को लेकर चिंतित हैं लेकिन यह चिंता तब तक ठोस नहीं मानी जाएगी जब तक कि एनसीएपी को योजनाबद्ध तरीके से तत्काल लागू नहीं किया जाए । यह निराशाजनक है कि पर्यावरण मंत्री आराम से अपनी जिम्मेदारी राज्य सरकार पर डाल दे रहे हैं और राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम को लागू करने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। उनके दावों के हिसाब से एनसीएपी को बहुत पहले लागू हो जाना चाहिए था।"
अब केन्द्र सरकार को एनसीएपी में सारे राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों द्वारा तैयार कार्ययोजना को मिलाकर उसे लागू करना होगा। इसके लिये पर्याप्त बजट भी आंवटित करना होगा। ग्रीनपीस इंडिया उम्मीद करती है कि एनजीटी के हस्तक्षेप के बाद जल्द ही केन्द्र सरकार इस कार्यक्रम को लागू करने की दिशा में पहल करेगी और देशभर में वायु प्रदूषण की वजह से लोगों के स्वास्थ्य पर उतपन्न खतरा कम होगा।
बहराइच: गुजरात में उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों से मारपीट कर उन्हें भगाने के मामले से चर्चा में आए कांग्रेस विधायक अल्पेश ठाकोर का सिर कलम कर लाने वाले को एक करोड़ रुपये का ईनाम देने का एलान किया गया है. ‘महारानी पद्मावती यूथ ब्रिगेड’ नामक संगठन ने ठाकोर का सिर कलम करने वाले को एक करोड़ रुपये का इनाम देने संबंधी पोस्टर बहराइच के सार्वजनिक स्थानों पर चस्पा किए हैं. हालांकि पुलिस ने सभी थानों को ऐसे पोस्टर तत्काल हटाकर अशांति फैलाने वाले असामाजिक तत्वों के खिलाफ कार्यवाही की बात कही है. खुद को ब्रिगेड का राष्ट्रीय अध्यक्ष बताने वाले भवानी ठाकुर ने बताया कि ठाकोर और उनके साथी राक्षसी प्रकृति के हैं जो दबे-कुचले गरीब मजदूरों से मारपीट कर कायरता दिखा रहे हैं. ये लोग देश तोड़ने का काम कर रहे हैं और इसके विरोध में सभी को एकजुट हो जाना चाहिए.
भवानी ठाकुर ने कहा कि उन्होंने ठाकोर के सिर पर एक करोड़ रुपये का इनाम रखा है और जगह जगह इसके पोस्टर लगाए हैं. अगर ठाकोर गुजरात से बाहर नहीं निकलेंगे तो लोग गुजरात पहुंच कर उनका सिर काट लाएंगे. इस संबंध में अपर पुलिस अधीक्षक अजय प्रताप सिंह ने बताया कि बहराइच में ऐसे पोस्टर चस्पा होने की बात सोशल मीडिया पर आ रही है, जिसे गम्भीरता से लिया गया है. असामाजिक तथा उपद्रवी तत्वों को अशांति फैलाने से रोकने को हम कटिबद्ध हैं. सिंह ने कहा कि ठाकोर के संबंध में की जा रही ऐसी टिप्पणी किसी भी तरह वैधानिक नहीं कही जा सकती. समाज में वैमनस्यता न फैलने पाए, इसलिए सभी थानों से ऐसे पोस्टर हटाने को कहा गया है. साथ ही पोस्टर लगाने वालों को रोककर उनसे पूछताछ करने के निर्देश दिए गए हैं.
::/fulltext::भोपाल। मध्यप्रदेश में दो दिन के दौरे पर आए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने रविवार देर रात तक भोपाल में पार्टी के प्रदेश कार्यालय में वरिष्ठ नेताओं के साथ मिलकर चुनाव रणनीति पर मंथन किया। 3 घंटे से अधिक समय तक चली बैठक में शाह ने वरिष्ठ नेताओं के साथ टिकटों को लेकर भी मंथन किया है।
बैठक में अमित शाह के सामने पार्टी के टिकट को लेकर कराए गए अब तक की तीन सर्वे रिपोर्ट और मंत्रियों की परफॉर्मेंस रिपोर्ट भी रखी गई। बैठक में पार्टी के लिए इस बार खतरे में पड़ने वाली सीटों पर विशेष मंथन हुआ। बैठक में मंत्री और विधायकों की उन सीटों पर विशेष चर्चा हुई जिनका फीडबैक सर्वे रिपोर्ट में सही नही मिला है।
बैठक में ये भी तय हुआ कि जिन सीटों पर ज्यादा एंटी इन्कम्बेंसी है वहां की जिम्मेदारी वरिष्ठ नेता संभालें। पार्टी के सूत्र बताते हैं कि शाह के सामने पार्टी के पास जो तीन अलग-अलग सर्वे आए, उसकी पूरी रिपोर्ट रखी गई। सर्वे रिपोर्ट में करीब 70 से 80 विधायकों के साथ-साथ आठ से दस मंत्रियों की रिपोर्ट नेगेटिव मिली है। इन नेताओं के बारे में पार्टी को जो फीडबैक मिला है, उसके मुताबिक, अगर इन नेताओं पर फिर से दांव लगाया गया तो ये सीट खतरे में पड़ जाएगी।
वहीं पिछले विधानसभा चुनाव में मामूली अंतर से जीते हुए मंत्रियों की सर्वे रिपोर्ट अलग से पेश की गई। सूत्रों के हवाले से खबर है कि बैठक में अमित शाह ने ऐसे किसी भी विधायक को टिकट न देने के स्पष्ट निर्देश दिए, जिससे पार्टी को चुनाव में सीट का नुकसान न हो जाए, वहीं बैठक में चुनावी रणनीति को अंतिम रूप दिया गया। अमित शाह ने करीब तीन घंटे चली बैठक के दौरान 11 चुनाव समितियों और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ चर्चा की।