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जगदलपुर। नक्सलियों के अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क पर प्रहार करते हुए बस्तर पुलिस ने तकनीकी तौर पर दक्ष शहरी नक्सली अभय देवदास नायक उर्फ़ लोड्डा को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की है। अभय अपने ब्लॉग के माध्यम से विज्ञप्ति जारी करने सहित नक्सल विचारधारा के प्रचार-प्रसार का काम करता था। यह नक्सली 15 से भी ज्यादा देशों की यात्रा कर चुका है। बस्तर आईजी विवेकानंद सिंहा एवं एसपी डी श्रवण ने बताया कि कर्नाटक के बेंगलुरू में महाविद्यालयीन शिक्षा ग्रहण करने के दौरान कॉमरेड साकेत राजन से प्रभावित 34 वर्षीय अभय, साकेत राजन की मृत्यु के पश्चात माओवादी साहित्य तैयार करने, विज्ञप्ति जारी करने और सोशल मीडिया के माध्यम से युवाओं को सरकार विरोधी गतिविधियों से जोडऩे का काम करता रहा है। वह इंडिया माईक्रो फ़ायनेंस के नाम से अपना ब्लॉग संचालित करता था। अभय अंतर्राष्ट्रीय आतंकी संस्थाओं के बीच समन्वय स्थापित करने का भी काम करता था।
अभय आधुनिक तकनीक उपयोग करते हुए अपनी गोपनीयता एवं पहचान को छुपाये रखकर ब्लॉग एवं सोशल मीडिया के माध्यम से सक्रिय रूप से लगातार नक्सली विचारधारा का प्रचार-प्रसार, प्रेस विज्ञप्तियों एवं लेख के माध्यम से करता रहा साथ ही सरकार एवं पुलिस विरोधी प्रोपोगंडा सामाग्री तैयार कर प्रचार-प्रसार के माध्यम से युवाओं को अपनी ओर आकर्षित करने का उपक्रम करता रहा। बस्तर पुलिस पिछले डेढ़ साल से अभय की संपूर्ण गतिविधियों पर नजर रखी हुई थी। वर्ष 2005 में अभय ने अपना ब्लाग प्रारंभ किया था। अभय तकनीकी रूप से दक्ष है, वह माओवादी प्रवक्ता आजाद के नाम से प्रेस विज्ञप्ति जारी करता रहा है।
अधिकारियों ने बताया कि अभय के कब्जे से लैपटाप, हार्ड डिस्क, पैन ड्राईव, नक्सली साहित्य एवं अनेक डायरियां जब्त की गई हंै। उक्त दस्तावेजों से यह प्रमाणित होता है कि अभय का संबंध देश-विदेश के बड़े नक्सली नेताओं एवं प्रतिबंधित संगठन से सहानुभूति रखने वालों से था। अभय से पूछताछ में इस बात का भी खुलासा हुआ कि उसके द्वारा प्रतिबंधित और गैर कानूनी गतिविधियों को छिपाने के लिये 2008 में माइक्रो फायनेंस कंपनी प्रारंभ की गई थी। वह अन्य ब्लागों का भी संचालन करता था। ऐसा प्रतीत होता है कि यह ब्लाग फंड व्यवस्था को बनाये रखने के लिय शुरू किये गये थे। अभय को उक्त प्रतिबंधित गतिविधियों के संचालन हेतु फंडिंग भी की जाती थी। अभय के सभी बैंक खातों में विगत वर्षों में बड़ी मात्रा में ट्रांजेक्शन हुआ है। अभय प्रतिबंधित माओवादी संगठन के ओव्हर ग्राउंड नेटवर्क का महत्वपूर्ण केडर है। उसके द्वारा नेटवर्क से जुड़े कई लोगों के नामों का खुलासा हुआ है। अभय की गिरफ्तारी माओवादियों के अर्बन नेटवर्क को खत्म करने में महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
::/fulltext::रायपुर: प्रदेश के एक बड़े शिक्षण संस्थान में लापवाही का मामला उजागर हुआ है। मामला कुम्हारी स्थित रावतपुर सरकार इंस्टिट्यूट ऑफ फार्मेसी का है, जहां नियमों को ताक में रखकर छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है। ऐसा करने वाले कोई और नहीं बल्कि विभागीय एचओडी और प्रोफेसर है। बता दें कि यह कॉलेज छत्तीसगढ़ के इकलौते टेक्नीकल यूनिवर्सिटी सीएसवीटीयू (CSVTU) से मान्यता प्राप्त है। इस विश्वविद्यालय में पहले भी इस प्रकार के मामले उजागर हो चुके हैं।
दरअसल मामला ऐसा है कि बीते दिनों आयोजित डी फार्मा की परीक्षा में प्रोफेसरों ने चहेते छात्रों को प्रेक्टिकल परीक्षा में अधिक नंबर और अन्य छात्रों को न्यूनतम नंबर दिए। जबकि प्रोफेसरों के चहेते छात्र साल भर कॉलेज से नदारद रहे, बावजूद इसके प्रिंसिपल से पहचान होने के चलते उन्हें अधिक नंबर दिया गया। इस संबंध में जब छात्रों ने विभागीय एचओडी से बात की गई तो वे भी प्रबंधन के दबाव के चलते कोई उचित जवाब देने से मना कर दिया। फिलहाल मामले को लेकर पीड़ित छात्रों ने कुलपति की अनुपथिति में रजिष्ट्रार को ज्ञापन सौंपकर उचित कार्रवाई की मांग की है। मामले को लेकर भावेश निर्मलकर, डेविड साहू, कार्तिक साहू, साहील खान, महेंद्र चंद्राकर, चैनसुख साहू और भावेश द्विवेदी ने ज्ञापन सौंपा है। इन छात्रों ने प्रबंधन को उचित कार्रवाई नहीं किए जाने पर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने की बात भी कही है।
पीड़ित छात्र भावेश निर्मलकर और डेविड साहू ने बताया कि हम सालभर कक्षा में अपस्थिति दर्ज कराए, सभी प्रोजेक्ट वर्क को भी समय पर पूरा किया। बावजूद इसके हमें प्रेक्टिकल परीक्षा में पासींग मार्क दिया गया जबकि जो छात्र सालभर क्लास में नहीं आए उन्हें फूल नंबर दिया गया है। शिकायत किए जाने पर प्रोफेसरों का कहना है कि हमने प्रबंधन के कहने पर ही आप लोगों को ऐसा नंबर दिया है। कॉलेज की सेशनल इंचार्ज मालती साव से इस संबंध में पूछताछ किए जाने पर उन्होंने प्रबंधन का हवाला देते हुए कोई भी जवाब देने से इनकार कर दिया है।
::/fulltext::बालोद: जिले के ग्राम सोरर गांव में रहने वाले दो छात्रों ने प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश का नाम रोशन किया है। दरअसल इन बच्चों ने नेपाल में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय योग प्रतियोगिता में गोल्ड और ब्रांज मेडल हासिल किया है। इन बच्चों का चयन अंडर 16 और अंडर 14 वर्ग के लिए किया गया था। इन बच्चों ने अपनी कामयाबी का श्रेय गुरूजनों और माता-पिता को दिया है।
इंसान कितना भी कुछ कर लेकिन अगर आर्थिक स्थिति कमजोर हो तो कामयाबी की राह कठिन हो जाती है। ऐसे ही बालोद जिले के सोरर गांव के दो बच्चों ने आर्थिक तंगी को चुनौती देते हुए कामयाबी हासिल की है। सोरर निवासी लिलेश्वर और पुष्पेंद्र का चयन बीते दिनों नेपाल में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय योग प्रतियोगिता के लिए किया गया था, जिसमें दोनों बच्चों ने गोल्ड और ब्रांज मेडल जीतकर इस बात को साबित कर दिया कि मेहनत से इंसान सब कुछ हासिल कर सकता है। लिलेश्वर ने बताया कि उसे नेपाल में गोल्ड मिला है। इससे पहले भी योग प्रतियोगिता अंडर 16 के लिए नेपाल जाने का मौका मिला था, लेकिन परिवार की माली हालत ठिक नहीं होने के चलते नहीं जा पाया। पुष्पेंद्र ने बताया कि अतर्राष्ट्रीय योग प्रतियोगिता अंडर 14 के लिए मेरा चयन किया गया था, जिसमें मैने कांस्य पदक हासिल किया है। मेरे परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के बावजूद मेरे माता पिता ने मुझे इस प्रतियोगिता के लिए कर्ज लेकर नेपाल भेजा था।
::/fulltext::राजनांदगांव: जिला शिक्षा विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है। दरअसल मामला आरटीई में गोलामल का है। शिक्षा विभाग के अफसरों ने निजी स्कूल प्रबंधन से मिलीभगत कर सीट रिक्त नहीं होने का हवाला देकर बच्चों को एडमिशन देने से मना कर दिया, वहीं नोडल अधिकारी भी आरटीई पार्टल में गलत जानकारी अपलोड किए जाने की बात कह रहे हैं। बच्चों को प्रवेश नहीं मिलने से गुस्साए पालकों ने मामले की जानकारी छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल को दी। अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल ने जिला कलेक्टर भीम सिंह को ज्ञापन सौंपकर उचित कार्रवाई की मांग की है।
गौरतलब है कि सरकार ने शिक्षा गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए प्रदेश के सभी निजी स्कूलों की सीट का एक निश्चित प्रतिशत गरीब बच्चों के लिए आरक्षित किया है। आरटीई के तहत उन्हीं बच्चों को स्कूल में प्रवेश दिया जाता है जो गरीबी रेखा या उससे निचे की श्रेणी में आते हैं। इसी के तहत जिले के स्कूलों प्रवेश मिलना था। आरटीई की विभागीय पोर्टल में 4300 सीट दिखा रहा है, जिसके लिए 4650 बच्चों के आवेदन पत्र प्राप्त हुए हैं। आरटीई तहत भर्ती के लिए कुछ महीने पूर्व प्राईवेट स्कूलों से रिक्त सीटों की जानकारी मंगवाई गई और रिक्त सीटों की जानकारी वेब पोर्टल में अपलोड किया गया। पालकों ने अपने निवास स्थान के अनुसार प्राईवेट स्कूलों में अपने बच्चों के लिये ऑन लाईन फार्म भरा था, जिसका उनके पास प्रमाण भी हैं। पूरे जिले में नर्सरी, केजी-1 और कक्षा-1 में प्रवेश देने संबंधी जानकारी वेब पोर्टल में अपलोड किया गया था। सोमवार 11 जून को दोपहर 11 बजे से 2 बजे नोडल अधिकारियों के स्कूलों में पालकों के समक्ष लॉटरी निकाला जाना था, लेकिन नोडल अधिकारियों ने सब पालकों को यह जानकारी देकर चौंका दिया कि शिक्षा का अधिकार के अंतर्गत सिर्फ नर्सरी में प्रवेश दिये जाने संबधी आदेश आया है इसलिये बांकी कक्षाओं में प्रवेश निरस्त कर दिया गया है।
जिला कलेक्टर भिम सिंह ने मामले की गंभीरता को लेते हुए जिला शिक्षा अधिकारी को कारण नोटिस जारी किया गया। वहीं पीड़ित पालकों से कहा कि गलती हुई है, मैं आप लोगों के साथ हूं, अन्याय नहीं होने दूंगा। बंध में जिला शिक्षा अधिकारी एसके भरतद्वाज ने कहा कि संचालनालय से गलती हुई है। उनके द्वारा गलत जानकारी अपलोड किया गया, जिसकी जानकारी मुझे नहीं थी। क्लास-1 में प्रवेश नहीं लेना है।
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