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रायपुर। हार से बौखलाई भाजपा अपनी खीझ अब पत्रकारों पर भी निकालना शुरु कर दी है. भाजपा कार्यालय के भीतर कार्यकर्ताओं ने एक पत्रकार के साथ मारपीट की है. मारपीट में पत्रकार को चोट आई है. घटना शनिवार दोपहर की है. एकात्म परिसर स्थित भाजपा कार्यालय में समीक्षा बैठक रखी गई थी. बैठक में पूर्व विधायक नंदे साहू भी पहुंचे थे. जिसे लेकर जिला अध्यक्ष राजीव अग्रवाल ने अपनी आपत्ति दर्ज की. जिसके बाद दोनों के बीच विवाद शुरु हो गया. विवाद इतना ज्यादा बढ़ गया कि तू-तू मैं-मैं से झूमा झटकी तक पहुंच गई. विवाद बढ़ता देख वरिष्ठ नेता बीच-बचाव करने पहुंचे. बैठक में विवाद होता देख एक न्यूज पोर्टल में कार्यरत पत्रकार सुमन पाण्डेय पूरे घटनाक्रम का वीडियो अपने मोबाइल में कैद कर रहे थे. जो कि भाजपा कार्यकर्ताओं को नागवार गुजरा. भाजपा कार्यकर्ताओं ने अपना गुस्सा सुमन पाण्डेय के ऊपर निकालना शुरु कर दिया. भाजपा कार्यकर्ताओं ने सुमन पाण्डेय के साथ हाथापाई करते हुए उनका मोबाइल छीनकर उसमें रिकॉर्ड किये गए “विवाद” का वीडियो डिलीट कर दिया. घटना की जानकारी लगने के बाद पत्रकारों में आक्रोश है. घटना से आक्रोशित पत्रकार भाजपा कार्यालय में धरने पर बैठ गए हैं.
::/fulltext::नई दिल्ली। सीबीआई के निदेशक को चुनने के लिए शुक्रवार को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली चयन समिति की बैठक में प्रस्तावित नामों को लेकर समिति के सदस्य कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे की आपत्ति के बावजूद केंद्र जल्द ही एजेंसी के अगले प्रमुख के नाम की घोषणा कर सकता है। अधिकारियों ने बताया कि समझा जाता है कि तीन सदस्यीय चयन समिति की दूसरी बैठक के दौरान सरकार ने ऐसे कुछ अधिकारियों के नाम सामने रखे, जिन्हें सीबीआई निदेशक पद पर नियुक्ति के योग्य माना गया है। उन्होंने बताया कि हालांकि इन नामों पर खड़गे ने ऐतराज जताया। समझा जाता है कि पद के लिए वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी जावेद अहमद, रजनीकांत मिश्रा, एसएस देसवाल और शिवानंद झा का नाम दौड़ में सबसे आगे है।
चयन समिति की बैठक का ब्यौरा दिए बिना एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया, बैठक के दौरान कोई फैसला नहीं हो पाया। इससे पहले दिन में, उच्चतम न्यायालय ने कहा कि वह अंतरिम सीबीआई निदेशक की नियुक्ति के खिलाफ नहीं है लेकिन केन्द्र को तत्काल केन्द्रीय जांच ब्यूरो के नियमित निदेशक की नियुक्ति करनी चाहिए। शीर्ष अदालत ने कहा कि सीबीआई निदेशक का पद संवेदनशील है और लंबे समय तक इस पद पर अंतरिम निदेशक को रखना अच्छी बात नहीं है।
पीठ ने इस टिप्पणी के साथ ही सरकार से जानना चाहा कि अभी तक इस पद पर नियुक्ति क्यों नहीं की गई। आलोक वर्मा को हटाए जाने के बाद से सीबीआई प्रमुख का पद 10 जनवरी से ही खाली है। भ्रष्टाचार के आरोपों पर गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना के साथ वर्मा का टकराव हुआ था। वर्मा और अस्थाना दोनों ने एक-दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। वर्मा के हटाए जाने के बाद से एम. नागेश्वर राव अंतरिम सीबीआई प्रमुख के तौर पर काम कर रहे हैं। शुक्रवार की बैठक प्रधानमंत्री के आवास पर हुई। यह बैठक एक घंटे से ज्यादा समय तक चली। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ओर कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे बैठक में शामिल हुए।
पद के लिए जिन अधिकारियों का नाम आगे चल रहा है उसमें अहमद उत्तरप्रदेश कैडर के 1984 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं जो वर्तमान में राष्ट्रीय अपराधशास्त्र एवं विधि विज्ञान संस्थान के प्रमुख हैं। उसी बैच के मिश्रा सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के प्रमुख हैं।
रायपुर। ई-टेंडर घोटाले मामले में ईओडब्ल्यू आईजी एसआरपी कल्लूरी ने टीम के साथ चिप्स कार्यालय में दबिश दी. टीम के साथ आईजी कल्लूरी को देखकर चिप्स के अफसरों में हड़कंप मच गया. ईओडब्ल्यू चिप्स में हुए टेंडर घोटाले की जांच कर रही है. इससे पहले गुरुवार को ईओडब्ल्यू ने चिप्स और पीडब्ल्यूडी में दबिश देकर कार्यालय से कई दस्तावेज औऱ महत्वपूर्ण फाइलों को अपने कब्जे में लिया था इसके अलावा कई कंप्यूटरों और इलेक्ट्रानिक डिवाइस भी टीम ने जब्त किया था.
रायपुर। चिप्स में चल रही EOW की जाँच अपनी गति से आगे बढ रही है। काग़ज़ी अभिलेखों से थोड़ा हटकर मामला डिजिटल अभिलेखों का है। दिलचस्प यह भी है कि तकनीक के हाईटेक होने के बावजूद अगर्चे कोई अपराध घटित हुआ है तो उसके निशान डिजिटल होने के बावजूद नुमाया है और जो नही है उसे तलाश करने का काम जारी है।
महालेखाकार ने अपनी रिपोर्ट में यह तथ्य दिया कि 17 विभागों मे 1921 जो टेंडर हुए उनमें गड़बड़ी हुई यह आँकड़ा महालेखा कार्यालय ने 4601 करोड़ का बताया है। विधानसभा के दौरान यह रिपोर्ट सामने आई, और अब तक के दिखते इतिहास से दूर भूपेश सरकार ने इस गड़बड़ी की जाँच के लिए जाँच EOW को सौंप दी।EOW के आईजी एसआरपी कल्लुरी के निर्देशन मे पुलिस अधिक्षक इंदिरा कल्याण एलिसेला इस जाँच के प्रमुख हैं।
जाँच जिस दिशा में चल रही है वो यह संकेत देती है कि जो कथित गड़बड़ी हुई है उसके अनुसार बडी रक़म जिनमें राशि चालीस करोड़ या कि उससे भी उपर है, जिसमें PWD शामिल है, उसके टेंडर एक ही मैक आईडी से भरे गए। याने कि,जिस कम्प्यूटर पर टेंडर की जानकारी दी गई थी उसी कम्प्यूटर से निविदा भर दी गई।जाँच दल यह संभावना या कि आशंका को जाँच के दायरे में रख रहा है कि, इतने बडे स्तर पर हुई यह गड़बड़ी चिप्स के सम्मिलन के बगैर कैसे कर संभव है।
EOW एसपी इंदिरा कल्याण एलिसेला और उनकी टीम इन्हीं डिजिटल अभिलेखों का अध्ययन कर रही है और उसे वरियता के आधार पर जाँच में लेते जा रही है। वह मॉड्यूल जिस पर टेंडर होते थे उसका नाम है ई प्रोक्यूरमेंट। जाँच दल की नज़रें इस पर ही टिक गई हैं। टेंडर घोटाले की जाँच कर रही EOW के मुखिया इंदिरा कल्याण ऐलीसेला ने जाँच को लेकर स्वाभाविक रुप से जानकारी नही दी पर उन्होने कहा-“हम इस मसले पर निचले नही उच्चतम स्तर तक जाएँगे” उन्होने आगे जोड़ा –“इस टेंडर घोटाले की जाँच की जद में तत्कालीन पीएस, सेक्रेट्री और सीईओ भी आएँगे”
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