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रायपुर - मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने आज कांकेर जिले के पखान्जूर इलाके में ग्राम छोटे बेठिया के पास नक्सलियों द्वारा किए गए आईईडी विस्फोट में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के दो जवानों की शहादत पर गहरा दुःख व्यक्त किया है। उन्होंने शहीद जवानों के शोक संतप्त परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट की है। मुख्यमंत्री ने इस नक्सल हमले की कठोर शब्दों में निन्दा की है। उन्होंने इस हिंसक वारदात को नक्सलियों की कायरतापूर्ण हरकत बताते हुए कहा है कि सभी लोगों को एक स्वर से इस घटना की निन्दा करनी चाहिए।
::/fulltext::मुख्यमंत्री-श्रम मंत्री की विशेष पहल पर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने राष्ट्रीय आरोग्य निधि से की 14 लाख रूपए की मदद ऑपरेशन के बाद होने वाला दस लाख रूपए का खर्च वहन करेंगे श्रम मंत्री श्री राजवाड़े.
रायपुर- मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और श्रम मंत्री श्री भईयालाल राजवाड़े की विशेष पहल तथा केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री जे.पी. नड्डा से मिली 14 लाख रूपए की मदद के फलस्वरूप कोरिया जिले के ग्राम रामपुर (पटना) निवासी एक गरीब श्रमिक परिवार के चार वर्षीय नन्हें बच्चे आश्विन को नया जीवन मिल गया है।
इस नन्हें बच्चे का लीवर प्रत्यारोपण आज नई दिल्ली के इंस्टीट्यूट ऑफ लीवर एण्ड बिलयारी सांईस में सफलतापूर्वक किया गया। उसकी मां ने अपने जिगर के टुकडे को बचाने के लिए स्वयं का एक लीवर प्रत्यारोपण के लिए दिया। बच्चे के माता-पिता श्रीमती सुनीता साहू और श्री राजपाल साहू गांव में रोजी-मजदूरी करके जीवन-यापन करते हैं। अपनी आंखों के तारे को स्वस्थ देखकर आज वे काफी प्रसन्न हैं। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री ने श्री जे.पी. नड्डा को पत्र लिखकर इस बच्चे का निःशुल्क इलाज करवाने का आग्रह किया था।
श्री नड्डा के निर्देश पर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा बच्चे के लीवर प्रत्यारोपण के लिए राष्ट्रीय आरोग्य निधि से 14 लाख रूपए (चौदह लाख रूपए) की धन राशि तत्काल मंजूर कर दी गई और यह राशि अस्पताल को दी गई। अपने जिगर के टुकडे की जिन्दगी बचाने के लिए उसकी मां श्रीमती सुनीता साहू ने अपना लीवर दिया, जिसका डॉक्टरों ने सफल प्रत्यारोपण किया।
नन्हें बालक के माता-पिता - श्रीमती सुनीता साहू और श्री राजपाल साहू काफी गरीबी की हालत में गांव में जीवन-यापन कर रहे थे। बच्चे को जन्म से ही लीवर की बीमारी थी। डॉक्टरों ने जब उनके बेटे के लीवर ट्रांसप्लांट की जरूरत बताई तो भारी भरकम खर्च को लेकर वे काफी चिंतित हो गए। दिल्ली और लखनऊ के चक्कर लगाकर उनकी रही-सही पूंजी भी खत्म हो गई।
इस बीच मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह कुछ महीने पहले जब कोरिया जिले के प्रवास पर थे, तो इस गरीब माता-पिता ने अपने बच्चे की जान बचाने के लिए उनसे मुलाकात की। मुख्यमंत्री ने संजीवनी कोष से बच्चे की प्रारंभिक डॉक्टरी जांच के लिए तत्काल एक लाख 50 हजार रूपए मंजूर कर दिए। डॉ. रमन सिंह ने बच्चे के लीवर प्रत्यारोपण में मदद के लिए केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री जे.पी. नड्डा को तुरंत चिट्ठी लिखी। साथ ही उन्होंने श्रम मंत्री और बैकुण्ठपुर के विधायक श्री भईयालाल राजवाड़े को बच्चे के इलाज के लिए आगे की कार्रवाई पूर्ण करने की जिम्मेदारी दी।
श्री राजवाड़े ने अपनी ओर से सक्रिय पहल करते हुए इस गरीब परिवार को दिल्ली में इलाज के लिए रहने की सुविधा दिलायी। श्रीमती सुनीता और श्री राजपाल साहू अपने बच्चे के इलाज के लिए दिल्ली के बसंत कुंज में किराए के मकान में लगभग ढाई महीने से निवास कर रहे हैं। आज हुए सफल ऑपरेशन पर मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और श्रम मंत्री श्री राजवाड़े ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए बच्चे के स्वस्थ और सुखी जीवन की कामना की है। डॉक्टरों के अनुसार लीवर प्रत्यारोपण के बाद बच्चे की दवाईयों आदि पर लगभग दस लाख रूपए का खर्च संभावित है। श्रम मंत्री श्री राजवाड़े ने यह खर्च अपनी ओर से वहन करने का आश्वासन दिया है।
::/fulltext::रायपुर। चारों ओर हो रही अलोचना के बाद खुद की साख बचाने के लिए पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय प्रशासन ने आनन-फानन में बैठक बुलाकर खिलाड़ियों के हित में फैसला लिया है। 10 से 12 अगस्त तक शॉलनॉक हंगरी में आयोजित वर्ल्ड यूनिवर्सिटी कनो स्प्रींट चैंपियनशिप के लिए चयनित दोनों खिलाड़ियों का पूरा खर्च पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय उठाएगा।
::/introtext::सोमवार को विवि ने दोनों खिलाड़ियों के नाम चार लाख 32 हजार का बैंकड्रॉप जमा कर दिया है। कयाकिंग एंड केनोइंग गेम में भारतीय दल में आठ खिलाड़ियों का चयन किया गया है। रविवि से चयनित खिलाड़ी कौशल नंदिनी ठाकुर और स्वाति साहू मंगलवार 10 जुलाई की सुबह चंडीगढ़ में आयोजित कैंप में शामिल होने रवाना होंगी।
वर्ल्ड यूनिवर्सिटी चैंपियनशिप के पूर्व देशभर से चयनित खिलाड़ियों के लिए विशेष कैंप आयोजित है। उल्लेखनीय है फंड की कमी बताकर विवि ने खिलाड़ियों को वर्ल्ड चैंपियनशिप में भेजने से इनकार कर दिया था। 'नईदुनिया' ने सोमवार को प्रकाशित अंक में रविवि की पोल खोल दी। पोल खुलते ही विवि ने खिलाड़ियों को भेजने का निर्णय लिया।
कुलपति ने बैठक में लगाई फटकार
पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति केएल वर्मा ने विवि शारीरिक शिक्षा विभाग की बैठक बुलाई। बैठक में कुलपति ने जमकर फटकार लगाई। कुलपति ने बैठक में क्रीड़ा फंड को लेकर चर्चा की।
जिसमें बताया गया कि विवि खेल विकास निधि के लिए एक करोड़ की राशि सुनिश्चित है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार खेल विकास निधि के पैसे को दूसरे मत में खर्च कर दिया गया है। जिसकी वजह से शरीरिक शिक्षा विभाग ने फंड की कमी बताकर हाथ खड़े कर लिए थे।
खिलाड़ियों के हित में आए लोग
महापौर प्रमोद दुबे ने विवि के रवैये को लेकर नारजगी व्यक्त करते हुए दोनों खिलाड़ियों से मुलाकात कर उन्हें वर्ल्ड चैंपियनशिप में आने वाले खर्च को देने आश्वासन दिया। वहीं खिलाड़ियों कांग्रेस स्पोर्ट्स सेल के अध्यक्ष प्रवीण जैन सहित अन्य पदाधिकारियों ने विवि के खिलाफ आक्रोश जाहिर किया। सोमवार को सभी कुलपति से मिलने पहुंचे। इसके बाद विवि ने खिलाड़ियों का खर्च उठाने की बात कही। छत्तीसगढ़ छात्र संगठन ने विवि के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
कौशल नंदिनी और स्वाति दोनों के नाम दो-दो गोल्डः
अखिल भारतीय विश्वविद्यालय केनो प्रतियोगिता में कौशल नंदिनी ठाकुर और स्वाति साहू ने अलग-अलग इवेंट में दो-दो गोल्ड मेडल जीते। वहीं नंदिनी ने तीन सिल्वर और एक कांस्य पदक पर कब्जा जमाया। स्वाति दो गोल्ड के साथ एक सिल्वर जीता।
खिलाड़ियों ने कहा-टूट गया था सपना :
वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए चयनित खिलाड़ी कौशल नंदिनी ठाकुर ने कहा कि विवि के मना करने के बाद खेलने का सपना टूट गया था। जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा था हौसला भी टूटने लगा था। लेकिन सभी का सहयोग मिला तो विवि ने अंतिम समय में खर्च उठाने का फैसला लिया। विवि के इस फैसले ने एक बार फिर सपनों को पंख दे दिए हैं। अब बारी है उड़ान भरने की। वर्ल्ड चैंपियनशिप में रविवि और प्रदेश के नाम का परचम दुनिया भर में लहराएंगे।
विवि उठाएगा खर्च
सोमवार को हुई बैठक में विश्वविद्यालय के खेल विभाग और विवि प्रशासन ने खिलाड़ियों को प्राथमिकता देते हुए आने वाले खर्च को उठाने की जिम्मेदारी ली है। यह विवि के गर्व की बात है। - विपिन शर्मा, संचालक, शारीरिक शिक्षा, रविवि
::/fulltext::रायपुर। डॉ. भीमराव आंबेडकर अस्पताल के नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. पुनीत गुप्ता और उनकी टीम ने मेडिकल साइंस में एक बड़ा प्रयोग किया है। इससे किडनी मरीजों के डायलिसिस का खर्च बचेगा। इस खोज का नाम है 'मेक-डी', जो जैकेटनुमा डायलिसिस किट है।
::/introtext::साल 2015 में यह मशीन बनाई गई, इसके बाद दुर्ग अंजोरा के वेटनरी कॉलेज में इसका पशुओं पर ट्रायल हुआ, जो सफल रहा। जांच के लिए इसे बेंगलुरू स्थित गुड प्रैक्टिसिंग लैब (जीपीएल) भेजा गया, जहां लैब में जांच कर ये देखा गया कि यह ह्यूमन ट्रायल के लिए उपयुक्त है या नहीं।
रिपोर्ट पॉजीटिव थी, उपयुक्त पाई गई। डॉ. गुप्ता ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर अनुमति मांगी है। ह्यूमन ट्रायल से यह स्पष्ट होगा कि यह मेक-डी मरीज के संपर्क में आने के बाद मरीज के अन्य किसी अंग में साइड इफेक्ट तो नहीं हो रहा है। इस मशीन का अमेरिका में प्रजेटेंशन हो चुका है। डॉ. गुप्ता इसे पेटेंट करवाने के लिए भी आवेदन दे चुके हैं।
35 हजार रुपए लागत
जानकारी के मुताबिक इस जैकेट को बनाने में लागत करीब 35 हजार रुपए आई है, जो अस्पताल में पांच बार डायलिसिस के खर्च के बराबर है।
अभी होता है 15-20 हजार खर्च
किडनी मरीजों के लिए यह जैकेट वरदान साबित हो सकती है, क्योंकि इससे इलाज का खर्च काफी कम हो जाएगा। अभी एक डायलिसिस का खर्च ही 5-7 हजार है, तो महीने में तीन डायलिसिस यानी 15-20 हजार रुपये। इस मशीन से 70 फीसद राशि बचेगी।
मरीज इसे आसानी से खुद ही ऑपरेट कर सकता है। ऐसे सेंसर लगे हुए हैं जो प्रक्रिया पूरी होने पर सिग्नल देते हैं। अगर यह मशीन बाजार में आती है तो सरकारी अस्पतालों में डायलिसिस के लिए लगने वाली कतार कम हो जाएगी।
जानिए क्या है मेक डी
मार्च 2015 में बनाई गई मैक-डी डायलिसिस मशीन की खास बात यह है कि इस जैकेटनुमा मशीन को पहनकर खुद ही डायलिसिस कर सकते हैं। 'मेक-डी' का वजन 10 किलोग्राम से कम है। इसमें लगे जीपीएस सिस्टम के जरिए मरीज द्वारा डायलिसिस किए जाने से संबंधित हर एक जानकारी डॉक्टर्स के पास होगी। इसके लिए मरीज को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसे पहनकर मरीज घर, बाहर आ-जा सकता है, उसे कोई परेशानी नहीं होगी।
कुत्तों पर हो चुका है सफल प्रयोग
मेक-डी का इससे पहले डॉक्टरों ने कुत्तों पर प्रयोग किया था, जो सफल रहा। उस दौरान 8 कुत्तों पर इसका प्रयोग करके देखा गया था। प्रयोग में सामने आया था कि कुत्तों में 23 फीसदी से लेकर 33 फीसदी तक की रिकवरी किडनी फंक्शन में हुई थी।
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