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रायपुर। सोशल मीडिया में अब 500 रुपए के नोट को लेकर अफवाहों का दौर गरमाने लगा है। बताया जा रहा है कि कुछ व्यापारिक क्षेत्रों में 500 रुपए के नोट को लेकर मतभेद है तथा वापस लौटाए जा रहे हैं। सोशल मीडिया में आ रहे मैसेज में स्पष्ट रूप से यह लिखा आ रहा है कि हरी पट्टी आरबीआई गवर्नर के हस्ताक्षर के पास है, वह नोट असली है और ग्राहक इस नोट को ही लें।
::/introtext::इसके साथ ही जिसमें हरी पट्टी गांधी जी के नजदीक बनी है, वह नकली है। सोशल मीडिया में इस प्रकार से चल रही अफवाहों पर बैंक अधिकारियों का कहना है कि ऐसा कुछ नहीं है। 500 रुपए के नोट में किसी भी प्रकार से कोई नकली नोट नहीं आ रहे हैं।
सोशल मीडिया में बेकार ही भ्रामक समाचार फैलाए जा रहे हैं। उपभोक्ताओं को चाहिए कि इस प्रकार से अफवाहों पर ध्यान न दें। आरबीआई द्वारा अभी तक किसी भी प्रकार से अलर्ट जारी नहीं किया गया है। गौरतलब है कि सोशल मीडिया में इस प्रकार से 10 रुपए के सिक्के को लेकर भी अफवाह चली, जिसका असर यह हुआ कि राजधानी में 10 रुपए के सिक्कों का चलन ही बंद हो गया है।
रायपुर। कांग्रेस के आईटी सेल का अध्यक्ष सोमवार को बदल दिया गया। प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल ने राजेंद्र सिंह परिहार को आईटी सेल के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाया, तो नेता-प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने परिहार को अपना प्रतिनिधि बना लिया। इस कारण आईटी सेल के प्रदेश अध्यक्ष के बदले जाने को लेकर पार्टी के भीतर चर्चा शुरू हो गई। बघेल ने आईटी सेल की कमान जयवर्धन बिस्सा को सौंपी है।
::/introtext::कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के बीच समर्थकों को लेकर टकराव की स्थिति पहले भी बनती रही है। इस बार आईटी का प्रदेश अध्यक्ष का पद कारण बना है, जबकि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी पार्टी को सोशल मीडिया में मजबूत और आक्रामक बनाने में लगे हैं। अलग से सोशल मीडिया सेल का गठन किया गया है।
पार्टी के नेताओं का कहना है कि गुजरात में कांग्रेस सोशल मीडिया में ही कैम्पेन चलाकर भाजपा का पसीना निकाल दिया था। राष्ट्रीय नेतृत्व चाहता है कि छत्तीसगढ़ में भी गुजरात की तरह सोशल मीडिया पर कैम्पेन चले। इस कारण पिछले माह यहां विशेषज्ञों ने गुजरात में चले कैम्पेन की जानकारी दी थी।
पीसीसी अध्यक्ष के समर्थकों का कहना है कि परिहार के नेतृत्व में आईटी सेल ने ट्रेनिंग के बाद खास काम नहीं किया, जबकि पार्टी के कुछ नेता बता रहे हैं कि सोशल मीडिया का काम पहले बघेल के करीबी विनोद वर्मा देखते थे, उनके और परिहार के बीच टकराव की स्थिति थी। इस कारण परिहार को हटाया गया।
सोशल मीडिया के नए प्रदेश अध्यक्ष जयवर्धन बिस्सा पार्षद चुनाव हारे हुए हैं और प्रदेश प्रवक्ता राजेश बिस्सा के रिश्तेदार हैं। पार्टी के नेताओं का यह भी कहना है कि जयवर्धन की नियुक्ति संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी की पसंद पर की गई है।
डेढ़ घंटे बाद सिंहदेव ने दी जिम्मेदारी
परिहार को नेता-प्रतिपक्ष सिंहदेव का करीबी माना जाता है। इस कारण आईटी सेल से हटाए जाने के डेढ़ घंटे बाद ही सिंहदेव ने परिहार को अपने मीडिया समन्वयक, सोशल मीडिया व जनसंपर्क की जिम्मेदारी दे दी।
::/fulltext::बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर से लगी नगर पंचायत सकरी निवासी संध्या बग्गा कॉमर्स में ग्रेजुएट है। शहर जाकर नौकरी कर सकती थीं। सभी रास्ते खुले हुए थे। प्राइवेट जॉब्स के बेहतर विकल्प मौजूद थे, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छता से जुड़े विचारों का ऐसा असर हुआ कि संध्या ने स्वच्छता दूत बनना पसंद किया।
::/introtext::स्वसहायता समूह से जुड़ गांव की सफाई का जिम्मा संभाल रही हैं। 24 साल की संध्या गांव में ही सफाईकर्मी का काम बखूब पूरा कर रही हैं। स्वसहायता समूह की ओर से महीने के पांच हजार रुपए ही मिलते हैं, लेकिन वह इससे अधिक अपने काम से संतुष्ट हैं।
संध्या ने घर-घर से कचरा उठाकर अपने गांव को स्वच्छ रखने का बीड़ा उठाया है। रिक्शे पर कचरा ढोती हैं। पहली बार रिक्शा चलाया तो जख्मी भी हुई, लोगों ने मजाक भी खूब उड़ाया, लेकिन पीएम मोदी से प्रेरित संध्या ने किसी बात की परवाह नहीं की।
संध्या का कहना है कि कुछ अलग करने और परिवार की जिम्मेदारियों में पिता का हाथ बंटाने की चाह मन में हमेशा से थी। शहर में प्राइवेट जॉब के भी ऑफर थे। लेकिन गांव में रहकर कुछ सार्थक करने का मन बनाया।
स्वसहायता समूह मणीकांचन केंद्र की संतोषी दीदी संपर्क में थी। उन्होंने इस सार्थक काम की राह दिखाई। पहली बार रिक्शा थामा तो मन में थोड़ा संकोच था, लेकिन धीरे-धीरे लोगों का सहयोग मिलता गया तो इरादा और भी पा हो गया। संध्या पिछले छह महीने से इस काम को अंजाम दे रही हैं।
संध्या बताया हैं कि शुरू में समाज और परिवार के ताने मिले। सभी ने कहा कि पढ़ी-लिखी हो, क्या इसके अलावा कोई और ढंग का काम नहीं मिला। कुछ लोगों ने यहां तक कहा कि ऐसे में कौन तुम्हें अपने घ्ार की बहू बनाना चाहेगा। तानों की परवाह किए बिना इस कार्य को कर रहीं संध्या कहती हैं, काम छोटा या बड़ा नहीं होता है। सिर्फ सोच बड़ी-छोटी होती है। पहले पिता की नाराजगी थी।
वे सामाजिक व लोक मर्यादा के डर से इस काम के पक्ष में नहीं थे, लेकिन मेहनत और हौसला देखकर वे भी बिटिया के पक्ष में आ खड़े हुए। स्वच्छता को लेकर संध्या का कहना है कि यह सबसे ज्यादा पुनीत कार्य है।
यदि यह छोटा काम होता तो गांधीजी से लेकर हमारे पीएम मोदी तक, सभी स्वच्छता अभियान नहीं चलाते। स्वच्छता ने ही हमें स्मार्ट शहरों की सूची में स्थान दिलाया। इस वजह से जीवनभर स्वच्छता प्रहरी बनकर ही काम करती रहूंगी। वह शाम को गांव में चौपाल लगाकर महिलाओं को सफाई के प्रति जागरूक भी करती है।
::/fulltext::रायपुर। सोशल मीडिया ने लोगों के बीच की दूरियों को कम किया। बूढ़े माता-पिता सोशल मीडिया के जरिए हर रोज विदेश या शहर से बाहर रहने वाले अपने बच्चों से बात कर अपना अकेलापन दूर कर रहे हैं। शहर की कई घरेलू महिलाएं सोशल मीडिया की वजह से ही आज सामाजिक कार्यों में सहभागिता कर पा रही हैं।
::/introtext::कई लोगों की जिंदगी को बदलने में सोशल मीडिया ने एक अहम भूमिका निभाई है, वहीं सभी वर्ग के लोगों को एक वर्चुअल वर्ल्ड से जोड़ने वाले सोशल मीडिया ने आज कई जिंदगियों को बर्बाद भी कर दिया है।
कल तक पति-पत्नी के बीच झगड़े के कई कारण होते थे, लेकिन आज एक प्रमुख कारण सोशल मीडिया है। पहले लोगों ने स्मार्टफोन को समझने के लिए अपना वक्त दिया और आज स्मार्टफोन के लिए अपने हर रिश्ते को दांव पर लगा रहे लोग अपनी जिम्मेदारियों को ही नहीं समझ रहे हैं।
रोजाना आधे घंटे से ज्यादा मोबाइल यूज करने से बन रहे एडिक्ट
- शुरुआती तौर पर घरेलू महिलाएं आधे घंटे हर रोज मोबाइल को समझने में दे रहीं थी, लेकिन अब यही महिलाएं वॉट्सएप, फेसबुक में रोज अपने 3-4 घंटे दे रही हैं। इसके साथ ही ऑनलाइन गेमिंग के जरिए भी मोबाइल का लगातार यूज कर रही हैं। स्मार्टफोन के साथ लगभग 6 घंटे बिताने वाली महिलाएं इस दौरान अपनी जिम्मेदारियों को भूलती जा रही हैं।
- सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा समय इन दिनों कॉलेज गोइंग गर्ल्स और हाउस वाइफ बिता रही हैं। 40 फीसदी घरेलू महिलाएं सोशल मीडिया पर रहती हैं एक्टिव।
- सोशल मीडिया का लगातार यूज महिलाओं और युवाओं को एडिक्ट बना रहा है।
- 10% पुरुष रोजाना दिन में एक बार अपना फेसबुक अकाउंट चेक करते हैं, 30% पुरुष हफ्ते में एक बार टाइम मिलने पर अपना फेसबुक अकाउंट देखते हैं।
- पिछले तीन सालों में पति-पत्नी के बीच झगड़े की वजह वर्चुअल वर्ल्ड से लगाव यानी सोशल मीडिया बन रहा है। परिवार परामर्श केन्द्र में 70% तक इससे जुड़े मामले दर्ज हुए हैं।
- सोशल मीडिया पर फोटो, स्टेटस अपलोड करने के बाद बेहतर रिस्पॉन्स लाइक्स और कमेंट्स न मिलने से डिप्रेशन में जाने वालों की संख्या भी बढ़ी है। इससे मेंटल डिसऑर्डर बढ़ा है।
सोशल मीडिया यहां बना बेहतर प्लेटफॉर्म
- बुजुर्गों को अपनों से बात करने का बना बेहतर विकल्प।
- अपनों से बढ़ी नजदीकियां, सोशल मीडिया ने दूर-दराज में रहने वाले रिश्तेदारों और दोस्तों के बीच की दूरियों को कम किया। वॉट्स एप चैटिंग, वीडियो कॉलिंग और सोशल अकाउंट्स में मिल रही अपडेट्स से सभी एक-दूसरे के संपर्क में बने हुए हैं। प्रमोशन के लिए ये अच्छा प्लेटफॉर्म है।
70 फीसदी बढ़े घरेलू झगड़े
परिवार परामर्श केन्द्र में पति-पत्नी के बीच झगड़े की वजह शक है। सोशल मीडिया में बने फ्रेंड्स से लगातार चैटिंग करना ही उनके बीच में कलह का कारण बन रहा है। इसके चलते महिलाएं अपनी अन्य जिम्मेदारियों को नहीं समझ पा रही हैं। इतना ही नहीं स्मार्टफोन से इतना लगाव हो गया है कि महिलाएं तलाक देने को भी तैयार हैं। इसके अलावा घरों में बच्चों के घंटों फोन पर सक्रिय रहना भी कलह का कारण बन रहा है।
स्मार्टफोन का इस्तेमाल लिमिटेड टाइम के लिए करने से इसके साइड इफेक्ट्स नहीं हैं, बल्कि जरुरत से ज्यादा इसका इस्तेमाल करने से एडिक्शन बन गया है। खास तौर से उन लोगों के लिए जो फोटो अपलोड कर ज्यादा लाइक्स और कमेंट्स की कामना करते हैं। ऐसा नहीं होने पर डिप्रेशन में जाते हैं। ये अपने आप में मेंटल डिस्ऑर्डर है। - डॉ.अनिता पुरी सिंह, मनोचिकित्सक
- सोशल मीडिया से जहां रिश्तों की डोर टूट रही हैं, वहीं इससे अपराध भी बढ़े हैं। हर चीज के दो पहलू होते हैं। इसका अच्छा यूज भी है, लेकिन आज की युवा पीढ़ी इसका गलत इस्तेमाल कर रही हैं। सोशल मीडिया से यदि रिश्ते जुड़ रहे हैं, तो उतनी ही तेजी से ये खत्म भी हो रहे हैं। 70 फीसदी मामलों में झगड़े की वजह है सोशल मीडिया। - डॉ. विनय मिश्रा, मनोचिकित्सक
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