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रायपुर,11 अगस्त 2018। माओवादियों की दक्षिण बस्तर कमेटी की ओर से हस्तलिखित पर्चा जारी हुआ है जिसमें माओवादियों ने सुकमा मुठभेड़ को फ़र्ज़ी बताते हुए इसके विरोध में आगामी 13 अगस्त को सुकमा बंद का ऐलान किया है। सुकमा के नुलकतोंग गाँव से करीब ढाई किलोमीटर दूर सुकमा पुलिस ने मुठभेड़ का दावा करते हुए पंद्रह नक्सलियो के मारे जाने का दावा किया था। उस मुठभेड़ को नक्सलियो ने फ़र्ज़ी क़रार दिया है। माओवादियों की ओर से जारी विज्ञप्ति में जो विभिन्न माध्यमों से मीडिया तक पहुँचाई गई है उसमें इस मुठभेड़ को लेकर किए गए पुलिस के हर दावे को ख़ारिज किया गया है।
माओवादियों की ओर से जारी विज्ञप्ति में आरोप लगाया गया है कि, मुठभेड़ के नाम पर निर्दोष ग्रामीणों की हत्या की गई,कुछ लोग अभी भी पुलिस के क़ब्ज़े में है और कई लापता हैं।माओवादियों की यह विज्ञप्ति दावा करती है पुलिस और सशस्त्र बलों ने नुलकातोंग बेलपोस्सा गोमपाड किंदेमपाड कनाईपाड से एक दिन पहले करीब साठ ग्रामीणों को अपने साथ ले गए और अगले दिन सुबह नुलगातोंग पहाड़ी के पास ले जाकर पंद्रह ग्रामीणों की हत्या कर दी। विज्ञप्ति में दावा है कि मेट्टागूडा की तीन महिलाओं से सामूहिक अनाचार भी किया गया है।
माओवादियों की ओर से जारी यह हस्तलिखित विज्ञप्ति में आगामी तेरह अगस्त को सुकमा बंद का एलान किया गया है।
इधर इस विज्ञप्ति में किए दावों और आरोपो को सुकमा पुलिस ने सिरे से ख़ारिज करते हुए इसे माओवाद के छद्म युद्ध का एक तरीक़ा बताते हुए इसे पुलिस का मनोबल तोड़ने की असफल कोशिश क़रार दिया है। सुकमा एसपी अभिषेक मीणा ने कहा “नक्सलियो की ओर से जारी पर्चा झूठ के अलावा कुछ नही है,उसमें दिया ब्यौरा गलत है, यह मुठभेड़ थी और मिलिशिया से मुठभेड़ थी,हमारे पास पूरे तथ्य हैं, बलात्कार जैसे आरोपो में कोई सच्चाई नही है”
माओवादियों ने दो पन्ने की विज्ञप्ति में मृतक पंद्रह लोगो के नाम सार्वजनिक करते हुए दावा किया है कि ये सभी विशुद्ध ग्रामीण थे और इनका माओवाद से संपर्क नही था, सुकमा पुलिस ने जारी नाम को सही बताया है लेकिन इस बात को ख़ारिज किया है कि इनका नक्सलियो से कोई संबंध नही था, सुकमा पुलिस का दावा है कि मारे गए लोग मिलिशिया के सदस्य थे और उनके अपराधिक रिकॉर्ड हैं।
::/fulltext::रायपुर. मरवाही विधायक अमित जोगी ने छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना और मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना के लिए अनुबंधित बीमा कंपनी यूनाइटेड इंडिया इंश्योरंस कंपनी लिमिटेड के 31 जुलाई 2018 के पत्र का हवाला देते हुए बताया है कि राज्य सरकार ने 30 सितम्बर 2018 तक इस कंपनी से स्मार्ट कार्ड के बीमे का अनुबंध किया था लेकिन 19 जुलाई 2018 को राज्य सरकार ने इस कंपनी का अनुबंध 14 अगस्त 2018 से ही समाप्त करने का निर्णय ले लिया है।
इस फैसले पर सरकार को आड़े हाथों लेते हुए जोगी ने कहा कि एक तरफ मुख्यमंत्री स्मार्ट कार्ड की बीमा राशि 30000 से बढ़ा कर 50000 करने का दंभ भरते हैं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 लाख की आयुष्मान योजना के बड़े बड़े दावे करते हैं वहीँ दूसरी तरफ हकीकत यह है कि स्मार्ट कार्ड के बीमा कंपनी का अनुबंध 47 दिन पूर्व समाप्त कर सरकार ने मरीजों को मझधार में छोड़ दिया है।
बीमा कंपनी द्वारा बाकायदा अस्पतालों को पत्र लिख कर स्मार्ट कार्ड के सभी मरीजों को 14 अगस्त तक अस्पताल से डिस्चार्ज करने कहा गया है। ऐसे में अस्पताल में भर्ती जिन मरीजों को 14 अगस्त के बाद बीच इलाज की आवश्यकता है उनका क्या होगा? क्या उन्हें जबरदस्ती अस्पताल से छुट्टी दे दी जायेगी? अमित जोगी ने कहा कि रमन सरकार सिर्फ जुमलेबाजी में व्यस्त है। अब जनता ने मन बना लिया है कि 3 महीने बाद इस सरकार को उखाड़ फेंकेगी।
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