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बीजेपी नेता चौधरी लाल सिंह ने कश्मीरी पत्रकारों को 'अपनी हद में रहने की' चेतावनी दी है. उन्होंने कहा कि कठुआ रेप और वरिष्ठ पत्रकार शुजात बुखारी की हत्या की रिपोर्टिंग करते वक्त पत्रकारों को अपनी सीमा का ख्याल होना चाहिए.
सिंह ने शुक्रवार को मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, “मैं कश्मीरी पत्रकारों से कहना चाहूंगा कि पत्रकारिता करते वक्त अपनी हद में रहें.” सिंह ने कहा, “तो इसलिए अपनी हदें तय करें, ताकि भाईचारा और सद्भाव बना रहे.” बता दें कि राइजिंग कश्मीर के एडिटर-इन-चीफ शुजात बुखारी की तीन बाइक सवारों ने 14 जून को उनके ऑफिस के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी थी. यह पहली बार नहीं है जब सिंह ने विवादों को हवा दी है. पीडीपी-बीजेपी सरकार में वनमंत्री रहे लाल सिंह अप्रैल में कठुआ रेप-मर्डर के आरोपियों के समर्थन में हुई रैली में शामिल हुए थे. इसके बाद उनसे इस्तीफा ले लिया गया था. उनका नया बयान जम्मू में बीजेपी चीफ अमित शाह की रैली से एक दिन पहले आया है. पीडीपी से गठबंधन टूटने के बाद यह प्रदेश में उनकी पहली रैली होगी.
कश्मीर के पत्रकारों ने सिंह के खिलाफ राज्यपाल एनएन वोहरा से मुलाकात करने का फैसला किया है. पत्रकारों की मांग है कि बीजेपी नेता की खुलेआम धमकियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए. पत्रकारों ने कहा कि इससे पहले सिंह पत्रकारों पर आरोप लगा चुके हैं कि उनकी वजह से उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा. सिंह के इस बयान की नेताओं ने कड़ी आलोचना की है. जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया, “प्रिय पत्रकारों, आपके सहकर्मियों को अभी-अभी बीजेपी के विधायक ने धमकी दी है. ऐसा लग रहा है जैसे शुजात की मौत अब अन्य पत्रकारों को डराने के लिए गुंडों का हथियार बन चुकी है.”
कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, “क्या अमित शाह अपनी रैली में इस बात का जवाब देंगे कि क्या जम्मू-कश्मीर में हत्या से बचने के लिए पत्रकारों को झुकना होगा और क्या तभी भाईचारा सुनिश्चित होगा?” पैंथर्स पार्टी के नेता हर्ष देव सिंह ने कहा कि प्रदेश में सत्ता छिन जाने से बीजेपी बौखलाई हुई है. उन्होंने कहा, "सत्ता छिन जाने की वजह से बीजेपी पूरी तरह बौखलाई हुई है, क्योंकि उन्हें पता है कि राज्य में उनकी वापसी की संभावना हमेशा के लिए खत्म हो गई है. सिंह कश्मीर के पत्रकारों के लिए किस हद की बात कर रहे हैं? आपको ऐसे बयान देने से बचना चाहिए जिनके चलते आपका मज़ाक बने.”
::/fulltext::नई दिल्ली । आंतकियों पर अब मोदी सरकार अब बेहद सख्त फैसला लाने की तैयारी में है। आतंकियों के खिलाफ आपरेशन तेज करने के निर्देश तो दिये ही गयी है, अब केंद्र सरकार अपने आपरेशन प्लान में भी बदलाव करने की तैयारी में है, जिसके तक अब मारे गये बड़े आतंकियों के शव को परिजनों को नहीं सौंपा जायेगा, बल्कि उनके शव को अन मार्क ग्रेव में दफनाया जायेगा।
विचार यही चल रहा है कि ये आतंकियों के बड़े लीडरों के शवों को लेकर किया जायेगा। अब तक जैश व लश्कर व हिजबुल के बड़े आतंकियों के शव को परिजनों को सौंपे जाते थे। उनका शव परिवार तक भेजा जाता था। लेकिन ये शव उनके परिवार को नहीं जायेगा। इसके पीछे एक बड़ी वजह है। दरअसल शव जब परिवार के पास पहुंचता है, तो उनके जनाजे में युवा पहुंचते हैं और फिर वतन के खिलाफ भडकाऊ भाषणों का दौर चलता है, जिससे कई युवाओं के रास्ते भटक जाते हैं। इंटेलिजेंस ने भी जानकारी दी थी कि जनाजों के लिए जरिये बड़े पैमाने पर युवाओं का ब्रेन वाश किया जा रहा है और आतंकियों की भर्ती बड़ी ही तेजी हो रही है। इसी के मद्देनजर ये तैयारी की जा रही है।
वहीं पत्थरबाजों पर भी सेना को सख्त हिदायत दी गयी है। पत्थरबाजों पर मुकदमा किसी भी सूरत में नहीं हटाने के निर्देश जारी किये गये हैं। हालांकि ऐसे निर्देश मुफ्ती सरकार को भी केंद्र ने दिये थे, लेकिन वो इसे मानने को तैयार नहीं थी, जिसकी वजह से आये दिन हालात जम्मू-कश्मीर के बिगड़ रहे थे।
::/fulltext::मोदी केयर के नाम से मशहूर केंद्र सरकार के ‘आयुष्मान भारत’ कार्यक्रम पर यू-टर्न लेते हुए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने अपना समर्थन दिया है. एक हफ्ते पहले आईएमए ने कार्यक्रम की समीक्षा करने की मांग की थी. आईएमए ने इस संबंध में फंड की कमी और निजी बीमा कंपनियों की भागीदारी को लेकर कठोर शब्दों का प्रयोग करते हुए एक पत्र लिखा था. संस्थान की तरफ से कार्यक्रम में अवधारणा (कॉन्सेप्ट) की कमी और संचालन में खामी की बात कही गई थी.
शुक्रवार को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के प्रतिनिधि ने 'आयुष्मान भारत' कार्यक्रम के प्रभारी अधिकारी से मुलाकात की, जिसके बाद उन्होंने इस कार्यक्रम को बेहतर तरीके से लागू करने के संबंध में सहयोग देने का वायदा किया.
आईएमए के महासचिव आर एन टंडन ने बताया कि ‘आयुष्मान भारत’ कार्यक्रम के साथ जुड़कर आईएमए को गर्व होगा और वह विशेष तौर पर टायर-2 और टायर-3 शहरों में जागरूकता फैलाने और गुणवत्तापूर्ण सुविधाएं प्रदान करने हेतु बड़ा नेटवर्क विकसित करने के लिए इच्छुक हैं.
आईएमए के डिप्टी सीईओ दिनेश अरोड़ा ने न्यूज 18 से बात करते हुए कहा कि आईएमए ने शिकायत निवारण तंत्र का हिस्सा बनने के लिए कहा था, क्योंकि अधिकांश स्थानों पर इसकी शाखाएं हैं. उन्होंने कहा कि आईएमए सरकार के साथ भागीदारी करने को लेकर खुश थी. इस बीच एबीएनएचपीएम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी इंदु भूषण ने कहा कि आईएमए इस योजना का महत्वपूर्ण हिस्सा है क्योंकि स्वास्थ्य सेवाओं गुणवत्ता बढ़ाने के लिए निजी क्षेत्र की भूमिका महत्वपूर्ण है.
एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि मीटिंग में अस्पतालों को सही समय पर भुगतान, फीडबैक और शिकायत निवारण तंत्र, अस्पताल में कैशलेश लेन-देने के लिए आईटी की आधारभूत संरचना की स्थापना जैसे मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया और सुझाव दिए गए.
बता दें कि पिछले हफ्ते आईएमए चीफ ने कहा था कि ‘आयुष्मान भारत’ के अंतर्गत जिस दाम में सेवा प्रदान करने की बात कही जा रही है उसमें मरीज के जीवन को खतरे में डाले बिना कोई भी अस्पताल काम नहीं कर पाएगा. आईएमए ने मांग की थी कि लागत पारदर्शी सार्वजनिक डोमेन में हो. डॉक्टरों की संस्था ने कहा कि अगर प्रत्येक जिला अस्पताल पर 2 करोड़ रुपये खर्च कर दिए जाएं तो एबीएनएचपीएम को जो धन दिया जा रहा है उसका बेहतर इस्तेमाल हो सकता है.