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रायपुर में एम्स और उसके पहले बालोद में मोतियाबिंद की सर्जरी के बाद मरीजों की आंखों की रौशनी जा चुकी है।
रायपुर.राज्यभर में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद आंखों की रौशनी जाने के केस लगातार बढ़ते जा रहे हैं। बिलासपुर और रायपुर में केस सामने आने के बाद गरियाबंद के देवभाेग में 7 मरीजों की एक आंख की रौशनी चली जाने का केस सामने आया है। गरियाबंद जिला प्रशासन ने रायपुर में केस सामने आने के बाद जांच करवायी। प्रारंभिक जांच में ही 7 मरीज मिल गए। इनमें कुछ की आंखों की रौशनी पूरी तरह जा चुकी है।
जिला प्रशासन ने जांच के बाद स्वास्थ्य संचालनालय को रिपोर्ट भेज दी है। उसके बाद से स्वास्थ्य विभाग अलर्ट हो गया है। स्वास्थ्य संचालक रानू साहू ने आनन-फानन में सभी अस्पतालों को चिट्ठी जारी कर मरीजों का फालोअप निर्धारित समय में करने का निर्देश दिया है। मरीजों की आंखों की रौशनी जाने के कारणों की भी जांच के निर्देश भी दे दिए गए हैं।
गरियाबंद में मामला सामने आने के बाद पूरा अमला हरकत में
रायपुर में एम्स और उसके पहले बालोद में मोतियाबिंद की सर्जरी के बाद मरीजों की आंखों की रौशनी जा चुकी है। इसी वजह से गरियाबंद में मोतियाबिंद के बाद आंखों की रौशनी जाने का केस सामने आने से पूरा अमला हरकत में आ गया है। गरियाबंद जिला प्रशासन ने भी अपने स्तर पर पिछले दो साल में जितने भी मरीजों के आंखों की सर्जरी हुई, उन सभी की जांच करवाने के निर्देश दिए। जिला प्रशासन की प्रारंभिक जांच में ही 7 मरीजों की आंखों में किसी न किसी तरह का इंफेक्शन निकला। दो आंखों की रौशनी तो पूरी तरह जा चुकी है। उनका अंबेडकर अस्पताल में इलाज चल रहा है। कुछ मरीज अभी वहीं हैं। खबर है कि कुछ मरीज तो इलाज करवाने ओडिशा जा चुके हैं। उनका रिकार्ड यहां नहीं है। स्वास्थ्य संचालक ने उस इलाके के सभी प्राइवेट अस्पतालों से जानकारी मांगी है उन्होंने कितने मरीजों का इलाज किया और कितनी बार उन्हें फालोअप के लिए बुलवाया।
स्मार्ट कार्ड में ज्यादा लापरवाही
देवभोग में अभी तक जिन मरीजों की आंखों की राैशनी जाने की बात सामने आई है, उन सभी का इलाज स्मार्ट कार्ड से किया गया है, लेकिन मरीजों को अस्पताल का नाम ही नहीं मालूम। वे नहीं जानते कि उन्हें किस अस्पताल में ले जाया गया था। मरीजों के पास अस्पताल की डिस्चार्ज टिकट या कोई पर्ची नहीं है, जबकि उनकी सर्जरी स्मार्ट कार्ड से हुई है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से स्मार्ट कार्ड का संचालन करने वाली नोडल एजेंसी को जानकारी भेजी गई है। एजेंसी के माध्यम से पता चल जाएगा कि किस मरीज का इलाज किस प्राइवेट अस्पताल में हुआ है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग की ओर से गरियाबंद क्षेत्र के कुछ अस्पतालों को नोटिस भेजकर जानकारी मांगी गई है कि उनके अस्पताल में किन मरीजों की कब मोतियाबिंद सर्जरी की गई है।
शिकायतों के बाद करवायी जांच- कलेक्टर गरियाबंद
गरियाबंद के कलेक्टर श्याम धावड़े का कहना है कि अभी तक 7 मरीज ऐसे हैं, जिनकी आंखों में इंफेक्शन मिला है। दो को रायपुर के अंबेडकर अस्पताल इलाज के लिए भेजा गया है। बाकी मरीजों का ट्रीटमेंट अभी यहीं चल रहा है। स्वास्थ्य विभाग को पूरी रिपोर्ट भेज दी गई है।
ऐसे चल रहा रैकेट
रायपुर.पीलिया से राजधानी में 26 मार्च को कांपा की महिला की मृत्यु हुई, उसके बाद एक माह के भीतर एक-एक करके सात लोगों की जान गई और 200 से ज्यादा बीमार पड़ गए। पहली मौत के 10 दिन के भीतर निगम के सर्वे में ही खुलासा हो गया कि नालियों में डूबी 50 किमी पाइपलाइनें सड़क चुकी हैं। इन्हीं से पीलिया घरों तक पहुंच रहा है, इसलिए इन्हें तुरंत बदलना होगा।
पाइप लाइन के लिए फंड ट्रांसफर नहीं
दो दिन के भीतर नगर निगम ने 21 करोड़ रुपए का प्रस्ताव बनाकर शासन को भेज दिया। पीलिया यहीं फैला है, निगम से लेकर शासन तक के सारे मुख्यालय इसी शहर में हैं, इसके बावजूद दो महीने बीत गए लेकिन इस मद से एक भी पाइप लाइन बदलनी नहीं गई है। इसी शहर में मंजूरी के लिए भटकती फाइल दो हफ्ते पहले मंजूर हो गई लेकिन फंड ट्रांसफर नहीं हुआ है। पाइप बदलने के लिए टेंडर जारी होंगे, फिर काम शुरू होगा। इसमें एक माह और लगने की आशंका है और पीलिया की दहशत थमने के बजाय बढ़ती जा रही है।
लगातार बढ़ रहे पीलिया के मरीज
सात मौतें और दो सौ से ज्यादा लोगों को अपनी चपेट में ले चुका पीलिया राजधानी में अब भी महामारी की तरह फैला है। मरीज लगातार बढ़ रहे हैं। मोवा से यह बीमारी शहर के चंगोराभाठा, गुढ़ियारी, पंचशील नगर, कोटा सहित कई इलाकों तक फैल गई है लगातार बढ़ती ही जा रही थी। सर्वे से पता चला कि पीलिया कि वर्षों पुरानी पाइपलाइनें जो नालियों में डूबी हुई हैं। वहीं से नाली का गंदा पानी घरों तक पहुंच रहा है। इससे लोग पीलिया की चपेट में आ रहे हैं और सात जानें चली गई हैं। फिर भी, 50 किमी पाइपलाइनें बदलने के लिए एक ही शहर में फाइलों का मूवमेंट थम नहीं रहा है। कुछ दिन पहले तक फंड मंजूर करने के लिए फाइलें दौड़ती रहीं, अब टेंडर की प्रक्रिया पूरी करने में हफ्तों लगने वाले हैं।
गुस्से में शहर, खतरे में जानें फिर भी नहीं करते आउट ऑफ वे...
रायपुरा के अरुण कुमार ने बताया कि सरकारी प्रक्रियाएं घातक हो चली हैं। बहुत सारे मुद्दों पर आउट ऑफ वे... जाकर काम होता है। जीवन खतरे में है, फिर भी मामला उलझा है।
लाखे नगर के विजय कुमार ने बताया कि हाईकोर्ट ने कहा - बस्ती के 35 हजार लोगों को शिफ्ट करो। कारण बताना चाहिए कि सरकारी एजेंसियां दो माह से फाइलें क्यों दौड़ा रही हैं।
डीडी नगर के शशि चंद्राकर ने बताया कि मनोरंजन और स्मार्ट बनाने के लिए एजेंसियों के पास करोड़ों रुपए हैं। लोगों की जान बचाने के लिए थोड़े फंड में आखिर रुकावट क्या है?
ज्वलंत समस्या नहीं माना
नगर निगम को शहरी सरकार माना जाता है। शहरी क्षेत्र में पीलिया, महामारी या ऐसी ही कोई गंभीर मुद्दा उत्पन्न होने पर नगर निगम की विशेष सामान्य सभा बुलाकर समस्या को जल्द सुलझाने पर निर्णय लिया जाता है। महापौर खुद या एक चौथाई पार्षद मिलकर विशेष सभा बुला सकते हैं। अगर सभापति सभा न बुलाए तो 15 दिन में निगम कमिश्नर सभा बुलाने का अधिकार रखते हैं।
बदल सकते थे लोन लेकर
50 किमी की पाइपलाइन बदलने निगम महीनेभर शासन की मंजूरी का इंतजार किया। 21 करोड़ की व्यवस्था निगम खुद ही करके पाइपलाइन बदलने का काम कर सकता है। तात्यापारा चौड़ीकरण के लिए निगम ने लोन लेकर मुआवजा बांटा। अपनी गुडविल का उपयोग कर निगम खुद अपने सोर्स से पैसे की व्यवस्था कर सकता था। शासन की मंजूरी में वक्त नहीं लगता।
राजनीति और सरकारी प्रक्रिया से नहीं उबर पाए
रायपुर के मेयर प्रमोद दुबे ने कहा कि यह बड़ी विडंबना है कि अपना ही पैसा शासन से मांगना पड़ता है। राजनीति से ऊपर उठकर ऐसे कार्यों पर तो उदारता दिखानी ही चाहिए।
निगम के सभापति प्रफुल्ल विश्वकर्मा ने बताया कि पीलिया एक ज्वलंत और आकस्मिक विषय था, जिसपर विशेष सामान्य सभा बुलाई जानी थी। मेरे पास ऐसा कोई प्रस्ताव ही नहीं आया।
निगम कमिश्नर रजत बंसल ने बताया कि पाइपलाइन का टेंडर जारी कर रहे हैं। मंजूरी मिलते ही काम शुरू कर देंगे। जोन स्तर पर थोड़ा बहुत काम तो पहले ही शुरू कर चुके हैं।
जल चेयरमैन नागभूषण राव यादव ने बताया कि पाइपलाइनें बदलने के लिए 21 करोड़ चाहिए। शासन से ही मंजूरी में विलंब हुआ है। फंड मंजूर हो गया तो टेंडर में कुछ वक्त लगेगा।
नई दिल्ली 16 मई 2018. सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट फेसबुक ने पिछले तीन महीनों में 58.3 करोड़ से अधिक ऐसे फर्जी अकाउंट को बंद किया है जो कि सेक्स और हेट स्पीच को बढ़ावा देते थे। इन अकाउंट्स को बंद करने के लिए फेसबुक लंबे समय से काम कर रहा था, जिससे वो अपने बिजनेस करने के तरीके को ज्यादा पारदर्शी बना सके।
इसके साथ ही कंपनी ने अपने प्लेटफॉर्म पर मौजूद 200 से अधिक ऐप्स के लिंक को हटा दिया है। कंपनी ने कहा कि यह ऐप्स यूजर्स के निजी डाटा का गलत तरीके से इस्तेमाल कर रहे थे। फेसबुक के प्रोडक्ट पार्टनरशिप वाईस प्रेसिडेंट इमी आर्कबोंग ने जानकारी देते हुए बताया है कि फिलहाल इस मामले की जांच चल रही है और हमारे एक्सपर्ट्स इन ऐप्स की जांच कर रहे हैं।
बिना किसी अलर्ट के किया डिलीट
जानकारी के मुताबिक, फेसबुक ने करीब 19 लाख ऐसी पोस्ट्स के खिलाफ कार्रवाई की जो आतंकी विचारों को बढ़ावा देने वाली थी। कंपनी के मुताबिक, इन सबको बिना किसी अलर्ट के डिलीट कर दिया गया जिसका श्रेय कंपनी ने बेहतर हुई फोटो डिटेक्शन टेक्नोलॉजी को दिया।