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गरियाबंद: जिले में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, मामले को जानकर आपके भी पैरों तले जमीन खिसक जाएगी। प्यार करने की ऐसी सजा मिलेगी किसी ने सोचा भी नहीं रहा होगा। दरअसल मामला जिले के कोसमबुडा का है, जहां एक प्रेमी युगल को अंतरजातीय विवाह करने पर ग्रामीणों ने सामाजिक नियमों का हवाला देते हुए उन्हें गांव से 6 महीने के लिए बहिष्कृत कर दिया गया। 6 महिने बाद जब दोनों पत—पत्नी गांव वापस पहुंचे तो ग्रामीणों ने उनके घर को ही आग लगा दिया। मामले को लेकर जब पीड़ित परिवार थाने पहुंचा तो उन्होंने ने भी गांव में ही मामला सुलझाने की सलाह देकर वापस भेज दिया।
गौरतलब है कि कोसमबुडा गांव निवासी चंद्रसिंह गांव की ही एक युवती से प्रेम करता था और बीती दिवाली दोनों ने विवाह कर लिया। विवाह की बात गांव वालों को नगावार गुजरी और उसे गांव से 6 महीने के लिए बहिष्कृत कर गांव छोड़ने का फरमान जारी कर दिया। नव दंपति पंच परमेश्वर के फरमान को मानकर गांव छोड़कर चले गए। सजा पूरी होने के बाद जब दोनों गांव वापस लौटे तो उसी रात ग्रामीणों ने उनके घर को आग के हवाले कर दिया। आग लगने से किसी की जान नहीं गई लेकिन घर का पूरा सामान जलकर खाक हो गया। मामले को लेकर पीड़ित परिवार कई बार थाने में लिखित सूचना दे चुके हैं लेकिन अधिकारी कोई भी कार्रवाई करने को तैयार नहीं है।
अंतरजातीय विवाह करने पर सरकार देती है ढाई लाख रुपए
बता दें कि सरकार ने अंतरजातीय विवाह को बढ़ावा देने के लिए दंपती को ढाई लाख रुपए देने का प्रावधान बनाया है। पहले यह राशि 50 हजार रुपए थी लेकिन अंतरजातीय विवाह को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने इसे ढाई लाख कर दिया है। अस्पृश्यता निवारणार्थ अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना नियम 1978 के तहत अब 2 लाख 50 हजार रुपए हर दंपती को दिए जाने अधिसूचना आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग मंत्रालय रायपुर ने जारी की है।
बलौदाबाजार 14 मई 2018। ….बलौदाबाजार में एक इश्क की कहानी मौत की चौखट पर जाकर खत्म हुई। इश्क की कहानी का नायक सरोज अब इस दुनिया में नहीं रहा और नायिका फूलबाई अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रही है। सरोज और फूलबाई का इश्क ही ऐसा था, जो समाज कभी कबूल नहीं करता, लेकिन कबूल ना करने के इस खौफ में दोनों मौत को लगाने का फैसला ले लेंगे, ये किसी ने भी नहीं सोचा नहीं था।
मामला कसडोल के बैगनडबरी गांव का है, जहां 24 साल के सरोज को 38 साल की फूलबाई से इश्क हो गया। सरोज कुंवारा है और फूलबाई शादी शुदा और छह बच्चों की मां है। सरोज बाहर रहकर काम करता है और कुछ दिन पहले ही अपने गांव लौटा था, गांव लौटते ही फूलबाई और सरोज की नजरें लड़ी और दोनों एक-दूसरे को दिल दे बैठे। दोनों का ये बेमेल इश्क पूरे परवान था, इसी दौरान दोनों के बीच नजायज ताल्लुकात भी बनते रहे। सरोज घर पर अकेला रहता था, उसके मां-पिताजी कोलकाता में काम करते हैं, जबकि दो भाई भी बाहर में ही कर काम करते हैं। सरोज घर पर अकेला रहता, तो फूलबाई को घर आने-जाने में कोई दिक्कत भी नहीं होती। सरोज के घर पर फूलबाई के साथ उसके कई बार आना-जाना होने लगा।
कल रात भी फूलबाई अपने प्रेमी सरोज के घर पहुंच गयी। घर में दोनों के बीच बातचीत होने के बाद दोनों ने जहर पी लिया और पैदल चलते हुए सड़क की तरफ बढ़ने लगे। लेकिन मेन रोड पर आने से पहले ही दोनों बेहोश होकर गिर पड़े। इसी दौरान कोटवार की नजर दोनों पर पड़ी और फिर दोनों को तत्काल अस्पताल पहुंचाया गया, जहां युवक की मौत हो गयी, तो वहीं फूलबाई की स्थिति गंभीर बनी हुई है। फूलबाई का इलाज अभी जिला अस्पताल में कराया जा रहा है।
::/fulltext::श्रीनगर। आतंकियों ने पिछले कुछ महीनों में कई बैंकों को लूट लिया है। इस अरसे में उन्होंने एक कैश वैन को लूटने की कोशिश में उन्होंने 7 सुरक्षाकर्मियों को मार डाला था लेकिन पैसा हाथ नहीं आया था। लेकिन वे अपने साथ पुलिस वालों के हथियार ले जाने में कामयाब हुए थे। पिछले कुछ अरसे में उन्होंने कई पुलिसकर्मियों से हथियार भी छीन लिए।
मुंबई के आईपीएस ऑफिसर हिमांशु रॉय ने शु्क्रवार को कथित रूप से अपने घर में खुदकुशी कर ली. बताया जा रहा था कि कैंसर से पीड़ित हिमांशु रॉय ने असहनीय दर्द के चलते खुदकुशी की. इसी के साथ यह भी बताया जा रहा था कि हिंमाशु रॉय के पूरे शरीर में कैंसर फैल चुका था और उसका दर्द वो सहन नहीं कर पा रहे थे इसलिए उन्होंने आत्महत्या की है. लेकिन अब मिड डे की रिपोर्ट में उनकी मौत को लेकर एक ऐसा खुलासा सामने आया है, जिसने इस पूरे मामले में एक नया मोड़ ला दिया है.
रिपोर्ट के मुताबिक, हिमांशु रॉय ने कैंसर के कारण आत्महत्या नहीं की थी. इस बात का खुलासा नासिक के डॉक्टर राज नागरकर ने किया है. ये वही डॉक्टर हैं जो हिमांशु रॉय का इलाज कर रहे थे. उन्होंने बताया कि 30 अप्रैल को हिमांशु रॉय के पीईटी (PET) स्कैन में कैंसर का कोई अंश नहीं मिला था. वो इस बीमारी से ठीक हो गए थे. इसलिए ये कहना गलत होगा कि उन्होंने कैंसर के चलते खुदकुशी की.
डॉक्टर नागरकर ने हिमांशु रॉय के इलाज से जुड़ी कुछ बातों को साझा करते हुए कहा कि फरवरी 2016 में हिमांशु रॉय को बोन कैंसर हो गया था. उन पर कौन सी दवाई काम करेगी, ये जानने के लिए हमने उनके कुछ टेस्ट किए थे. हमने उनको एक थेरेपी का सुझाव दिया था जो दवाई और इंजेक्शन के जरिए उन्हें दी जाती थी. वो ये थेरेपी पुणे में डॉक्टरों की एक टीम से लिया करते थे. डॉक्टर ने बताया कि उस समय रॉय के शरीर में 44 ट्यूमर का इलाज चल रहा था. सबसे पहला ट्यूमर उन्हें किडनी में 2002 में हुआ था.
1 महीने पहले बहुत खुश थे रॉय