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नई दिल्ली: महिलाओं के साथ बढ़ती आपराधिक घटनाओं को लेकर विरोध करने और जागरुकता फैलाने का सबका अपना-अपना तरीका है. ऐसा ही कुछ उत्तराखंड के देहरादून की लड़कियों का 'Womenia Band' भी कर रहा है. इस बैंड ने रेप पीड़िताओं को श्रद्धांजलि देते हुए 18 अप्रैल को 'ऐ खुदा तू गुम है कहां' गाना रिलीज किया और इसके जरिये महिला सुरक्षा को लेकर अपनी आवाज बुलंद की. इस गाने को बैंड की सिंगर स्वाति सिंह ने गाया है, और यह बहुत ही मार्मिक सॉन्ग है और बहुत ही सार्थक ढंग से इस विषय को लेकर आवाज भी बुलंद करता है.
एएनआई ने इस महिला बैंड को लेकर एक ट्वीट किया है जिसमें इस बैंड की सदस्यों ने कहा हैः "अपने म्यूजिक के जरिये हम प्रशासन को बताना को चाहते हैं कि महिलाओं के खिलाफ किसी भी तरह के अपराध पर त्वरित कार्रवाई होनी चाहिए और उन्हें जल्द से जल्द सुलझाया जाना चाहिए."
'ऐ खुदा तू गुम है कहां' सॉन्ग को इस बैंड ने अपने यूट्यूब चैनल पर लॉन्च किया है और इसके साथ लिखा हैः यह गाना सभी रेप (धर्म, जाति और समुदाय से परे) पीड़िताओं को ट्रिब्यूट है. उनका कहना एकदम सही भी है, क्योंकि पिछले दिनों कठुआ रेप केस को लेकर जिस तरह की ब्यानबाजी हुई थी, उसे लेकर काफी आलोचना भी हुई थी, और यह रेप केस सुर्खियों में भी रहा था.
::/fulltext::नई दिल्ली: 'नच बलिये' और 'इंडियाट'ज गॉट टैलेंट' में अपने डांस और हिम्मत के जौहर दिखा चुके दिव्यांग डांसर विनोद ठाकुर की रविवार को हालत बिगड़ गई और उनकी हालत खराब होने की वजह से उन्हें आईसीयू में भर्ती कराया गया है. विनोद की तबियत उस समय खराब हुई जब वे गेटवे ऑफ इंडिया की ओर जा रहे थे. वे रविवार तड़के मलाड़ से गेटवे ऑफ इंडिया जा रहे थे. विनोद को तुरंत रक्षा अस्पताल में भर्ती कराया गया. इस बात की जानकारी नवादा पुटमैन फाउंडेशन के नवादा पुटमैन ने दी. जिनका एनजीओ विनोद ठाकुर की इंडिया गेट से गेटवे ऑफ इंडिया की यात्रा को हैंडल कर रहा है. विनोद ठाकुर व्हीलचेयर पर इस सफर को पूरा कर रहे थे. उनकी किस्मत ने उनका साथ उस समय छोड़ा जब वे अपने लक्ष्य के बेहद करीब थे.
विनोद ठाकुर ने 18 मार्च को दिल्ली के इंडिया गेट से अपना सफर शुरू किया था और 40 दिन के अंदर उन्हें 1,500 किमी का सफर तय किया. उन्हें 30 अप्रैल को मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया पहुंचना था. विनोद का इलाज कर रहे रक्षा अस्पताल के डॉक्टर डॉ. प्रणव काबरा ने बताया कि उनके शरीर में पानी की कमी है, हार्टबीट भी नॉर्मल नहीं थी, बीपी भी लो था. इसकी वजह उनके 1,500 किमी के सफर को बताया. विनोद ठाकुर, डांसर, परफॉर्मर और स्टंट मास्टर हैं और वे व्हीलचेयर क्रिकेट भी खेलते हैं. विनोद ठाकुर व्हीलचेयर सबसे लंबी यात्रा करके गिनेज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाना चाहते थे. खबर थी कि ठाकुर बिग बॉस के अगले सेशल में नजर आ सकते हैं. लेकिन उनके पब्लिसिस्ट फ्लिन रेमेडियोज ने इस बात से इनकार किया है. हालांकि अभी विनोद को कुछ दिन अस्पताल में ही रहना पड़ेगा..
चेन्नै
हिम्मत, जज्बे और कभी ना टूटने वाले हौसले से भरी है तमिलनाडु के तंजावुर निवासी एम. शिवागुरू प्रभाकरन की कहानी, जो देश की सबसे प्रतिष्ठित और कठिन मानी जाने वाली सिविल सर्विसेज परीक्षा में आईएएस के लिए चुने गए हैं। 2004 में पैसे की कमी की वजह से इंजिनियरिंग करने का उनका सपना अधूरा रह गया था। इसके बाद आईएएस बनने की उनकी कहानी बेहद प्रेरणादायक है।
तंजावुर जिले के पट्टुकोट्टई में मेलाओत्तान्काडू गांव के निवासी प्रभाकरन की दुनिया शराबी पिता और रेलवे स्टेशन के प्लैटफॉर्म और आईआईटी मद्रास के गलियारों से गुजरते हुए अब जल्द ही प्रतिष्ठित सेंट जॉर्ज फोर्ट के परिसर में टहलते हुए पाए जाएंगे। शुक्रवार को आए यूपीएससी 2017 के नतीजों में शिवागुरू प्रभाकरन ने कुल 990 चयनित स्टूडेंट्स में से 101वीं रैंक हासिल की। शिवागुरू के अलावा तमिलनाडु से वी. कीर्ति वासन (29), एल. मधुबालन (71) और एस. बालाचंदर (129) ने भी सिविल सर्विस परीक्षा में परचम लहराया है।
टीओआई से हुई बातचीत में प्रभाकरन ने बताया, 'मैं 12वीं क्लास के बाद फैमिली की आर्थिक हालात की वजह से अपनी पढ़ाई जारी नहीं रख सका। पिता के शराबी होने की वजह से परिवार की जिम्मेदारियों का भार मेरे कंधों पर आ गया। मैंने 2 साल तक आरा मशीन में लकड़ी काटने और खेतों में मजदूरी करने का काम किया। मैं किसी भी कीमत पर अपने सपनों को मरने नहीं देना चाहता था।'
2008 में प्रभाकरन ने छोटे भाई के इंजिनियरिंग करने के सपने को पूरा करने में मदद की और बहन की शादी भी करा दी। इसके बाद वह आईआईटी एंट्रेस का सपना आंखों में पाले चेन्नै पहुंच गए। यहां दिन में पढ़ाई करने के बाद वह अपनी रातें सेंट थॉमस माउंट रेलवे स्टेशन के प्लैटफॉर्म पर काटा करते थे। मेहनत की बदौलत प्रभाकरन ने आईआईटी-मद्रास में प्रवेश लिया और 2014 में एम.टेक के नतीजों में टॉप रैंक हासिल किया। इसके बाद प्रभाकरन ने चौथे प्रयास में यूपीएससी परीक्षा में सफलता अर्जित की। वह प्रदेश के गृह विभाग के सचिव जे. राधाकृष्णन को अपना प्रेरणास्त्रोत मानते हैं, जो तंजावुर में कलेक्टर के पद पर अपनी सेवा दे चुके हैं।
गौरतलब है कि यूपीएससी के लिए चुने गए कुल 990 प्रतियोगियों में हैदराबाद में रहने वाले अनुदीप डुरीशेट्टी ने टॉप किया है। वहीं, हरियाणा की अनु कुमारी दूसरे स्थान पर रहीं। इसमें जनरल कैटिगरी के 476, ओबीसी कैटिगरी के 275, एससी के 165 और एसटी के 74 स्टूडेंट पास हुए हैं। टॉपर ओबीसी कैटिगरी के हैं। यह लगातार दूसरा मौका है, जब टॉपर इस कैटिगरी के हैं।
कृषक पिता की बेटी अंकिता को 203 वीं रैंक
दुर्ग के विद्युत नगर में रहकर अपनी प्रारंभिक शिक्षा सेंट जेवियर्स स्कूल से ग्रहण करने वाली 27 वर्षीय अंकिता शर्मा शुक्ला का सलेक्शन यूपीएससी में हुआ है। उनका 203वां रैंक लगा है। अंकिता के पिता राकेश शर्मा मूल रूप से कृषक हैं। अंकिता पिछले करीब 1 साल से दिल्ली में रहकर यूपीएससी में सलेक्शन के लिए पढ़ाई कर रही थी। शुक्रवार को परिणाम की घोषणा के बाद उनके पिता ने दैनिक भास्कर को इसकी जानकारी दी। अंकिता के पति विवेकानंद शुक्ला आर्मी में कैप्टन हैं। वर्तमान में उनकी पोस्टिंग जम्मू के अखनूर में हैं। विवेकानंद शुक्ला का परिवार सेक्टर-7 भिलाई में निवास करता है।
अंकिता के पिता राकेश शर्मा ने बताया कि अंकिता शुरू से ही पढ़ने में तेज थी। दुर्ग में रहकर 12 वीं तक पढ़ाई करने के बाद उसने शंकराचार्य कॉलेज से एमबीए की पढ़ाई की। उसके बाद से उसने केवल एक लक्ष्य बनाकर यूपीएससी की तैयारी की। रोजाना 8 से 12 घंटे तक केवल वह पढ़ती थी। शादी के बाद भी उसका लक्ष्य को लेकर यह जुनून बरकरार रहा। अंकिता की छोटी बहन निकिता सीए की तैयारी कर रही, वहीं उससे छोटी युक्ति इस वर्ष बीकॉम फाइनल में है। राकेश शर्मा पिछले कुछ समय से राजनीति से जुड़े हुए हैं ।
राजधानी के देवेश को पांचवीं बार में 47वां रैंक
रायपुर के पचपेड़ी नाका स्थित आम्रपाली सोसायटी में रहने वाले देवेश कुमार ध्रुव को यूपीएससी में 47वां रैंक मिला है। देवेश आईआईटी खड़गपुर से 2012 के पासआउट हैं। देवेश ने बताया कि उन्हें पांचवें अटैम्प्ट में ये सफलता मिली है। शुरुआत में दो बार उन्होंने कुछ विषयों के लिए कोचिंग ली। इसके बाद तीन बार सेल्फ स्टडी की और एग्जाम की तैयारी की। इस दौरान उन्हें फैमिली का पूरा सपोर्ट मिला। देवेश का कहना है उन्हें आईएएस मिलने की संभावना है। देवेश के पिता तोरलाल ध्रुव और माता पद्मावती ध्रुव हैं। उनकी दो बहनें लीना और अंजलि ध्रुव डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहीं हैं।
कलेक्टर ने कहा था, यूपीएससी क्रैक करो...
यूपीएससी क्रैक करने वाले उमेश कुमार गुप्ता को जो रैंक मिली है उससे वे आईपीएस बन सकते हैं। लेकिप उनकी पसंद आईआरएस है। सरगुजा के छोटे से गांव मानपुर के रहने वाले उमेश को यूपीएससी में 179 वीं रैंक मिली है। उनका कहना है कि कोई भी परीक्षा हो, सफलता नहीं बल्कि खुद का परिश्रम ही इकलौता रास्ता है। प्रारंभिक पढ़ाई मानपुर में करने के बाद उमेश ने बारहवीं अंबिकापुर से पास की। तब तत्कालीन कलेक्टर सरगुजा रोहित यादव से मुलाकात हुई। उन्होंने ही यूपीएससी की राह सुझाई। उनके पिता रामसेवक गुप्ता एसईसीएल में पंप ऑपरेटर हैं, मां गृहिणी हैं। उमेश ने 2017 में जून में प्रीलिम्स दिया था। अक्टूबर में मेन्स उमेश ने आईआईटी बीएचयू से इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग की और कोल इंडिया में कैंपस सलेक्शन भी हुआ। इसके बाद यूपीएससी में ऑल इंडिया इंजीनियरिंग सर्विस की परीक्षा दी और रेलवे में सलेक्शन हो गया। और इसी 13 अप्रैल को इंटरव्यू दिया।
पॉवरग्रिड में काम करते एग्जाम की तैयारी की
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने सिविल सर्विस परीक्षा 2017 का परिणाम घोषित कर दिया है। जून महीने में हुई इस परीक्षा में शहर के वर्णित नेगी ने 504 रैंक हासिल किया है। वर्णित ने यह रैंक दूसरे अटेंप्ट में हासिल किया है। नेहरू नगर के वर्णित ने कर्नाटक सूरत से बीटेक किया। वहीं से उनका प्लेसमेंट पावरग्रिड कंपनी में हो गया। डेढ़ साल नौकरी करने के बाद वर्णित ने यूपीएससी की तैयारी करनी शुरू की। वर्णित 2016 में नौकरी छोड़कर यूपीएससी की तैयारी शुरू की। पहले अटेंप्ट में इंटरव्यू तक नहीं पहुंच पाए थे। वर्णित के पिता प्राचार्य बीएन नेगी और माता तखतपुर कॉलेज में असि. प्रोफेसर डॉ. सीमा नेगी हैं।
वर्णित के भाई अंकित नेगी दिल्ली में डॉक्टर हैं।
28 अक्टूबर से 3 नवंबर 2017 के बीच यूपीएससी ने सिविल सर्विस का फाइनल एग्जाम करवाया था। परीक्षा में कुल 990 उम्मीदवार शामिल हुए थे। इनमें 750 पुरुष और 240 महिलाएं थीं। इस परीक्षा के जरिए भारतीय पुलिस सेवा, भारतीय विदेश सेवा और अन्य केंद्रीय सेवाओं ग्रुप ए और ग्रुप बी के लिए चयन किया जाता है। वहीं फरवरी 2018 में उम्मीदवारों का पर्सनालिटी टेस्ट हुआ था।
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