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डॉ. भीमराव अम्बेडकर की 127 वीं जयंती को सामाजिक न्याय दिवस के रूप में मनाया गया।
::/introtext::रायपुर। शासन के निर्देशानुसार जिला मुख्यालय बेमेतरा में डॉ. भीमराव अम्बेडकर की 127 वीं जयंती को सामाजिक न्याय दिवस के रूप में मनाया गया। इस अवसर पर स्थानीय बेसिक स्कूल मैदान स्थित गांधी भवन में आयोजित कार्यक्रम में सहकारिता, संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री दयाल दास बघेल, विधायक अवधेश सिंह चंदेल और कलेक्टर महादेव कावरे में संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अम्बेडकर के तैलचित्र में माल्र्यापण कर कार्यक्रम की शुरूआत की।
मुख्य अतिथि की आसंदी से संबोधित करते हुए प्रदेश के सहकारिता, संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री दयाल दास बघेल ने कहा कि डॉ. भीमराव अम्बेडकर जाति, वर्गभेद, रूढि़वादी, अंधविश्वास की सोच से ऊपर उठकर राष्ट्र निर्माण के लिए अनेक उल्लेखनीय कार्य अपने जीवन काल में किए। उन्होंने आगे कहा कि डॉ अम्बेडकर शोषित वर्गों के उत्थान हेतु अपना सारा जीवन इन लोगों के लिए समर्पित कर दिया। उन्होंने 14 अपै्रल से 5 मई 2018 तक होने वाले ग्राम स्वराज अभियान के बारे में भी बताया। सहकारिता मंत्री बघेल ने डॉ. अम्बेडकर की जयंती को आगामी वर्शों में अत्यंत ही भव्य एवं व्यापक रूप में मनाने की अपील उपस्थित जनसमुदाय से भी की।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विधायक बेमेतरा अवधेश सिंह चंदेल ने डॉ. भीमराव अम्बेडकर की जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उन्होंने समाज के अंतिम पंक्ति के लोगों के लिए अपना सर्वस्व जीवन निछावर कर सामाजिक न्याय दिलाया। कलेक्टर महादेव कावरे द्वारा बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर के संविधान निर्माण से लेकर प्रथम श्रम मंत्री के रूप में किए गए कार्यों का विस्तृत विवरण दिया। कावरे ने कहा कि डॉ. अम्बेडकर द्वारा मानवता का संदेश देते हुए श्रमिकों के लिए कार्यदिवस 8 घंटे और महिलाओं के लिए मैटरनिटी छुट्टी का प्रावधान किया गया। कावरे ने यह भी कहा कि डॉ. अम्बेडकर विदेश जाकर उच्च शिक्षा ग्रहण कर देश में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, वित्त आयोग समेत अनेक संस्थाओं का गठन किया।
इस दौरान माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यक्रम को जांगला से प्रोजेक्टर के माध्यम से सीधा प्रसारित कर अतिथियों तथा उपस्थित जनसमुदाय को दिखाया गया। कार्यक्रम में स्कूली बच्चों के मध्य आयोजित प्रतियोगिता के विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कार देकर पुरस्कृत किया गया। साथ ही 25 हितग्राहियों को जाति प्रमाण पत्र वितरित किया गया। इस अवसर पर नगर पालिका बेमेतरा के अध्यक्ष श्री विजय सिन्हा, नगर पालिका बेमेतरा के उपाध्यक्ष श्री विजय सुखवानी, श्री राजेन्द्र शर्मा सहित अन्य गणमान्य नागरिक तथा अपर कलेक्टर एसआर महिलांग, जिला पंचायत बेमेतरा के सीईओ एस. आलोक, एसडीएम बेमेतरा डीएन कश्यप, डिप्टी कलेक्टर ध्रुव उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की अध्यक्षता में आज यहां मंत्रालय (महानदी भवन) में आयोजित मंत्रिपरिषद की बैठक में विभिन्न महत्वपूर्ण फैसलों के साथ वर्ष 2017-18 के चना उत्पादक किसानों को डेढ़ हजार रूपए प्रति एकड़ की दर से प्रोत्साहन राशि देने का भी निर्णय लिया गया। लगभग 120 करोड़ रूपए की प्रोत्साहन राशि का भुगतान किया जाएगा। प्रारंभिक आंकलन के अनुसार राज्य के चार लाख से ज्यादा किसानों को रमन सरकार के इस फैसले का फायदा मिलेगा। बैठक के बाद राजस्व और उच्च शिक्षा मंत्री श्री प्रेमप्रकाश पाण्डेय ने केबिनेट के फैसलों की जानकारी दी।
::/introtext::राजस्व मंत्री श्री पाण्डेय ने बताया कि प्रदेश में रबी वर्ष 2017-18 में धान के बदले दलहन-तिलहन लगाने के लिए प्रचार-प्रसार के जरिए किसानों को प्रोत्साहित किया गया। इसके फलस्वरूप करीब 40 लाख 64 हजार हेक्टेयर में रबी फसलों की खेती की गई। इसमें से लगभग आठ लाख हेक्टेयर में चना बोया गया। मंत्रिपरिषद ने आज की बैठक में निर्णय लिया कि वर्ष 2017-18 के राजस्व अभिलेखों में जिन किसानों का नाम चना उत्पादक के रूप में दर्ज किया गया है, उन्हीं किसानों को 1500 रूपए प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि की पात्रता होगी। इस प्रोत्साहन राशि की व्यवस्था कृषि विभाग द्वारा की जाएगी और इसका भुगतान संबंधित जिला कलेक्टरों के माध्यम से किसानों के बैंक खातों में किया जाएगा।
मंत्रिपरिषद की आज की बैठक में लिए गए एक अन्य महत्वपूर्ण फैसले के अनुसार सार्वजनिक वितरण प्रणाली की राशन दुकानों से चालू वित्तीय वर्ष 2018-19 में वितरण के लिए भारत सरकार की एजेंसी नाफेड की प्रस्तावित दर पर छत्तीसगढ़ राज्य नागरिक आपूर्ति की निविदा के नियमों और शर्तो के अनुसार कुल 61 हजार 272 मीटरिक टन चने की खरीदी की जाएगी। उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ खाद्य एवं पोषण सुरक्षा अधिनियम 2012 के तहत राज्य के सभी 85 आदिवासी विकासखण्डों में अन्त्योदय एवं प्राथमिकता वाले राशनकार्ड धारकों को हर महीने मात्र पांच रूपए प्रति किलो की दर से दो किलो ग्राम देशी चना दिया जा रहा है। इस योजना का नाम ’छत्तीसगढ़ स्वादिष्ट चना वितरण योजना’ है। योजना के तहत चने की वार्षिक आवश्यकता 60 हजार मीटरिक टन है। हर महीने पांच हजार मीटरिक टन चना आवंटित किया जाता है। चने की लागत दर और उपभोक्ता से प्राप्त राशि के अंतर की राशि राज्य सरकार द्वारा वहन की जाती है।
राजस्व मंत्री श्री पाण्डेय ने बताया कि मंत्रिपरिषद ने आवास एवं पर्यावरण विभाग के प्रस्ताव पर छत्तीसगढ़ मंत्रालयीन सेवा के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को आवास निर्माण के लिए सस्ती दरों पर राजधानी रायपुर के नजदीक सेरीखेड़ी में लगभग 7 हेक्टेयर जमीन उपलब्ध कराने का भी निर्णय लिया है। वहां पर कुल 700 भूखण्ड होंगे। इनमें से 464 भूखण्डों में ईडब्ल्यूएस श्रेणी के मकान बनेंगे। भू-खण्डों का आवंटन लॉटरी पद्धति से किया जाएगा।
स्टील उद्योगों को बिजली दरों में राहत
श्री पाण्डेय ने बताया कि राज्य शासन द्वारा औद्योगिक एवं आर्थिक मंदी के कारण स्टील एवं अन्य उद्योगों को प्रतिस्पर्धा में टिके रहने के लिए वित्तीय वर्ष 2017-18 में ऊर्जा प्रभार और विद्युत शुल्क में विशेष राहत पैकेज के रूप में जो रियायत दी गई थी, उसकी अवधि 31 मार्च 2018 को समाप्त हो गई है, जिसे आज मंत्रिपरिषद की बैठक में चालू वित्तीय वर्ष में एक अप्रैल 2018 से 31 मार्च 2019 तक अर्थात एक वर्ष और जारी रखने का भी निर्णय लिया। श्री पाण्डेय ने बताया कि राज्य के 400 से ज्यादा स्टील उद्योगों को इसका लाभ मिलेगा। इन उद्योगों को मिलने वाली रियायतों के फलस्वरूप वे बाजार की प्रतिस्पर्धा में टिके रहेंगे और उनके बंद होने की स्थिति नहीं आएगी। इससे श्रमिकों का रोजगार भी बना रहेगा। साथ ही छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कम्पनी को बिजली की मांग में वृद्धि की स्थिति बनाए रखने में मदद मिलेगी। उन्होंने बताया कि राज्य विद्युत वितरण कम्पनी और अन्य लायसेंसी से बिजली की सप्लाई प्राप्त कर रहे स्टील उद्योगों को विद्युत नियामक आयोग द्वारा अधिसूचित टैरिफ के अनुसार लागू ऊर्जा प्रभार में 50 पैसे प्रति यूनिट की छूट मिलेगी। रियायती दर पर उन्हें बिजली की सप्लाई करने पर राज्य शासन द्वारा विद्युत वितरण कम्पनी को 238 करोड़ रूपए का अनुदान दिया जाएगा। इसके अलावा जिन स्टील और अन्य उद्योगों को छह प्रतिशत के स्थान पर तीन प्रतिशत के मान से विद्युत शुल्क में रियायत तथा ऊर्जा प्रभार में 50 पैसे प्रति यूनिट की दी गई रियायत के कारण 400 से अधिक उपभोक्ताओं को चालू वित्तीय वर्ष 2018-19 में 57 करोड़ रूपए की बचत विद्युत शुल्क के मद से होगी। इससे स्टील उत्पादन के लागत में कमी आएगी और छत्तीसगढ़ के इस्पात उद्योग महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, ओड़िशा, तेलांगाना और आंध्रप्रदेश जैसे पड़ोसी राज्यों में स्टील उत्पाद की प्रतिस्पर्धा में बने रहेंगे और इन राज्यों में अपने उत्पादन को बेच सकेंगे।
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