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नई दिल्ली: कर्नाटक में चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा की गई भविष्यवाणी सही साबित हुई है. पीएम मोदी ने कर्नाटक के गडग में रैली के दौरान कहा था कि, 15 मई को नतीजे घोषित होने के बाद कांग्रेस सिर्फ 'पीपीपी कांग्रेस' यानी पंजाब, पुडुचेरी और परिवार कांग्रेस रह जाएगी. पीएम मोदी की यह भविष्यवाणी सही साबित हुई है. कांग्रेस के हाथ से कर्नाटक फिसल गया है. हालांकि मतगणना से पहले तक कांग्रेस दावा कर रही थी कि, हर सूरत में सरकार वही बनाएगी, लेकिन रुझान इसके ठीक विपरीत हैं. कर्नाटक के चुनाव प्रचार में पीएम मोदी ने यह भविष्यवाणी भी की थी कि राज्य में सत्तारुढ़ कांग्रेस इस चुनाव में मटियामेट हो जाएगी.अब स्थिति कुछ ऐसी ही है.
दूसरी तरफ, कर्नाटक चुनाव से पहले कहा जा रहा था कि अगर कांग्रेस जीतती है तो यह उसके वापसी की शुरुआत होगी. पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने तो पिछले दिनों यह भी कहा था कि, अगर मौका मिलेगा तो वे प्रधानमंत्री बनने के लिए तैयार हैं. कर्नाटक चुनाव के नतीजों के बाद कांग्रेस और राहुल गांधी की उम्मीदों को तगड़ा झटका लगा है. कर्नाटक में कांग्रेस की हार के साथ ही भाजपा और पीएम मोदी का 'कांग्रेस मुक्त भारत' भारत का नारा एक कदम और बढ़ गया है. आपको बता दें कि 222 सीटों के लिए हुए चुनाव में बीजेपी 108, कांग्रेस-72 जेडीएस-40 सीटों पर आगे हैं.
कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने में अब 24 घंटे से भी कम समय बचा है. हालांकि नतीजों से त्रिशंकु विधानसभा की अटकलों के बीच मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की तरफ से उछाली गई दलित सीएम की थ्योरी ने राज्य की सियासी में दिलचस्प मोड़ ला दिया है.
दरअसल सिद्धारमैया ने रविवार को खुद कहा कि कांग्रेस अगर उनकी जगह किसी दलित को मुख्यमंत्री बनाने की सोचती है, तो वह इसके लिए तैयार हैं. सिद्धारमैया ने कहा था, 'दलित सीएम बनाने में कोई खराबी नहीं. मैं इसके लिए तैयार हूं.' इससे पहले कर्नाटक के दिग्गज कांग्रेसी नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी कहा था कि वह खुद सीएम पोस्ट की रेस में हैं. खड़गे ने न्यूज18 से बातचीत में कहा था, 'मैं मुख्यमंत्री का पद इसलिए नहीं चाहता कि मैं दलित हूं. मैं पार्टी का वरिष्ठ नेता हूं और इस नाते मेरे नाम पर विचार होना चाहिए.'
वहीं कांग्रेस के ही दो अन्य दलित नेता पीडब्ल्यूडी मंत्री एचसी महादेवप्पा और सात बार से कोल्लार के सांसद रहे केएच मुनियप्पा भी सीएम पद की रेस में बताए जा रहे हैं. कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, त्रिशंकु विधानसभा होने की स्थिति में जेडीएस सुप्रीमो एचडी देवगौड़ा लोकसभा चुनाव से पहले दलित वोटरों को लुभाने के लिए महादेवप्पा या मुनियप्पा के नाम पर समर्थन दे सकते हैं. उधर देवगौड़ा के बेटे और पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी कांग्रेस नहीं, बल्कि बीजेपी के साथ जाने के मूड में हैं. वहीं जेडीएस से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी के साथ सौदेबाजी के लिए ही वह सिंगापुर गए हैं. ऐसे में कांग्रेस के कुछ नेताओं का कहना है कि जेडीएस को बीजेपी के साथ जाने से रोकने के लिए ही पार्टी दलित सीएम की थ्योरी उछाल रही है. हालांकि त्रिशंकु विधानसभा और दलित मुख्यमंत्री को लेकर जारी इस चर्चा से बीजेपी से सीएम उम्मीदवार बीएस येदियुरप्पा बेफिक्र दिखते हैं. उन्होंने पहले ही इन अटकलों का खारिज करते हुए दावा किया वह 17 मई की शाम को सीएम पद की शपथ लेगें. उधर कांग्रेस पर आधिकारिक रूप से तो यही कह रही है कि वह पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में वापसी कर रही है, हालांकि पार्टी के ही कुछ नेताओं के त्रिशंकु विधानसभा की आशंका सता रही है. वहीं गौड़ा परिवार सिद्धारमैया और येदियुरप्पा दोनों से ही खफा बताया जाता है. ऐसे में उम्मीद है कि कुमारस्वामी को सीएम की कुर्सी देने पर रजामंदी नहीं बनी, तो वह बीजेपी और कांग्रेस दोनों को ही सीएम पद के लिए नए नाम पर विचार करने को कह सकती है.
रायपुर: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी के रोड शो को लेकर भी पार्टी और प्रशासन के बीच विवाद गहराता जा रहा है। पार्टी ने अपने केंद्रीय अध्यक्ष के रोड शो के लिए दुर्ग से रायपुर एअरपोर्ट तक का रूट मैप तैयार कर, प्रशासन से अनुमति मांगी थी। प्रशासन ने रायपुर के कुछ मार्गों को प्रतिबंधित बताकर यहाँ रोड शो की अनुमति नहीं दी। अब कांग्रेसी नेता इसे सरकारी तंत्र के दबाव में आकर उठाया गया कदम बताकर प्रशासन के फैसले का विरोध कर रहे हैं।
18 मई को राहुल गाँधी दुर्ग से रायपुर एयर पोर्ट तक रोड शो करेंगे। इसके लिए पार्टी ने मार्ग निर्धारित किया था। इसके तहत राजधानी में रोड शो के लिए टाटीबंध से शहर में आमापारा चौक, शास्त्री चौक, जय स्तम्भ चौक होते हुए एयरपोर्ट जाना था। पार्टी ने प्रशासन से जब अनुमति मांगी तब कुछ प्रतिबंधित मार्गों से रोड शो की अनुमति नहीं दी गई। कांग्रेसी नेता मानते हैं कि राहुल का कार्यक्रम कोई रैली या प्रदर्शन नहीं है। ऐसे में महज किसी को रोड में आने—जाने से किस आधार पर रोक सकते हैं। कांग्रेसियों का आरोप है कि सरकार में बैठे लोगों के इशारे पर प्रशासन रोड़े अटकाने का काम कर रही है।
ऐसा लग रहा है कि राहुल के दौरे और विवादों का चोली दामन का साथ हो गया है। पहले रायपुर में सभा स्थल को लेकर फिर पेंड्रा में मैदान को लेकर और अब रोड शो में प्रशासन का ब्रेकर। देखना होगा कांग्रेस विवाद को गरमाती है या फिर वैकल्पिक मार्ग से रोड शो के लिए राजी हो जाती है।
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