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-इंग्लैंड 31 रनों से जीता, पाँच मैचों की सिरीज़ में 1-0 की बढ़त, -बेन स्टोक्स ने दूसरी पारी में चटकाए 4 विकेट, -इंग्लैंड: पहली पारी 287 रन, दूसरी पारी 180 रन, भारत: पहली पारी 274 रन, दूसरी पारी 162 रन.
इंग्लैंड के ख़िलाफ़ एजबेस्टन टेस्ट के चौथे दिन जब भारत बचे हुए पाँच विकेटों के साथ मैदान पर उतरा तो उसे इस बात का पक्का यकीन था कि जब तक कप्तान विराट कोहली के हाथ में बल्ला है, जीत उसकी मुट्ठी में है. एजबेस्टन का विकेट बेशक गेंदबाज़ों के मुफीद था. यही वजह थी कि मेज़बान कप्तान जो रूट और कोहली को छोड़कर दोनों टीमों का कोई भी धुरंधर बल्लेबाज़ गेंदबाज़ों के लिए सिरदर्द नहीं बन सका. वो कोहली ही थे जिन्होंने टेस्ट मैच की दोनों पारियों में खूंटा गाड़े रखा. पहली पारी में उन्होंने 149 रनों की आकर्षक पारी खेली थी, दूसरी पारी में भी हाफ़ सेंचुरी बनाने के बाद वो मजबूती के साथ डटे हुए थे.
लेकिन पारी के 47वें ओवर में बेन स्टोक्स की तीसरी गेंद जैसे ही कोहली के पाएं पैड पर टकराई, भारतीय खेमे में सन्नाटा पसर गया और यहीं पर भारत की शिकस्त तकरीबन तय हो गई थी. कोहली ने अंपायर के फ़ैसले पर रिव्यू भी लिया, लेकिन उनका ये दांव भी बेकार साबित हुआ.
कोहली एंड कंपनी की हार की ये रहे बड़े कारण
खराब शुरुआत- कप्तान को छोड़कर यूँ तो भारत का शीर्ष बल्लेबाज़ी क्रम पूरी तरह विफल रहा, लेकिन सलामी बल्लेबाज़ों ने पूरी तरह निराश किया. मुरली विजय दोनों पारियों में कुल जमा (20 और 6) 26 रन ही बना सके, जबकि बाएं हाथ के शिखर धवन (26 और 13) 39 रनों का योगदान ही दे सके.
वार्म अप की कमी- भारत ने टी-20 और वनडे सिरीज़ के बाद मिले खाली समय में अभ्यास मैच नहीं खेले, इसकी कमी बल्लेबाज़ों में साफ़ नज़र आई. अकेले कप्तान विराट कोहली की तैयारी ही पूरी थी. मुरली विजय, अजिंक्य रहाणे, दिनेश कार्तिक स्विंग गेंदबाज़ी के सामने लाचार नज़र आए. स्लिप एरिया में भारत की फील्डिंग बेहद ख़राब रही. क्षेत्ररक्षकों ने कई कैच टपकाए.
इंग्लैंड के पुछल्लों का दम- इंग्लैंड की दूसरी पारी में भारत के पास अंग्रेज़ टीम को सस्ते में समेटने का मौका था. सात बल्लेबाज़ 87 रन पर पैवेलियन लौट चुके थे, लेकिन इसके बाद आखिरी क्रम के बल्लेबाज़ों ने भारतीय गेंदबाज़ों को खूब छकाया और टीम का स्कोर 180 रन तक पहुँचाया. बाएं हाथ के बल्लेबाज़ सैम करन ने आठवें विकेट के लिए आदिल रशीद के साथ 78 रनों की और फिर नौवें विकेट के लिए स्टुअर्ट ब्रॉड के साथ 41 रनों की अहम साझेदारी की. करन ने 65 रनों पर दो छक्कों और 9 चौकों की मदद से 63 रन की पारी खेली. रशीद ने 16 और स्टुअर्ट ब्रॉड ने 11 रनों का योगदान दिया.
तकनीकी खामी: आउटस्विंग गेंदों के साथ छेड़छाड़ करने की भारतीय बल्लेबाज़ों की पुरानी आदत का खामियाजा भारत को हार के रूप में चुकाना पड़ा. दिनेश कार्तिक हों या हार्दिक पाँड्या उन्होंने ऐसी गेंदों पर शॉट खेले, जिन पर कोई शॉट्स नहीं खेलना ही बेहतर माना जाता है. विराट कोहली ने अपनी लंबी पारी में ऑफ़ स्टंप के बाहर जाती कई गेंदों को छोड़ा.
छुपे हथियार: भारतीय टीम को बाएं हाथ के मध्यम तेज़ गेंदबाज़ सैम करन के बारे में ख़ास कुछ पता नहीं था. यही वजह थी कि उन्होंने कई भारतीय बल्लेबाज़ों को परेशान किया. करन ने पहली पारी में चार विकेट चटकाए और दूसरी पारी में एक विकेट लिया. सैम करन को उनके बेहतरीन प्रदर्शन के लिए मैन ऑफ़ द मैच चुना गया.
::/fulltext::बर्मिघम (वीएनएस/आईएएनएस)| भारतीय कप्तान विराट कोहली ने एक बार फिर साबित किया है कि वो इस समय विश्व के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में शुमार क्यों हैं। रनों के भूखे कोहली ने इंग्लैंड के खिलाफ यहां खेले जा रहे पहले टेस्ट मैच के दूसरे दिन गुरुवार को विकेटों की पतझड़ के बीच एक छोर संभाले रखा और अपनी टीम को 274 रनों के स्कोर तक पहुंचाया। यह स्कोर हालांकि इंग्लैंड की पहली पारी के स्कोर 287 रनों से 13 रन कम रहा। इंग्लैंड ने पहली पारी के लिहाज से 13 रनों की बढ़त ले ली थी। दिन का अंत होने तक उसने अपनी दूसरी पारी में एक विकेट खोकर नौ रन बना लिए हैं और अपनी बढ़त को 22 रनों तक पहुंचा दिया।
स्टम्प्स तक सलामी बल्लेबाज केटन जेनिंग्स पांच रन बनाकर खेल रहे हैं। रविचंद्रन अश्विन ने चौथे ओवर की चौथी गेंद पर एलिस्टर कुक (0) को बेहतरीन गेंद पर बोल्ड कर इंग्लैंड को पहला झटका दिया और इसी के साथ दिन का खेल समाप्ति की घोषणा कर दी गई।
एजबेस्टन क्रिकेट ग्राउंड पर खेले जा रहे इस मैच में हालांकि कोहली को तीन जीवनदान मिले जिसका भारतीय कप्तान ने बखूबी फायदा उठाया और इंग्लैंड की सरजमीं पर अपना पहला टेस्ट शतक जमाया। इससे पहले कोहली का इंग्लैंड में टेस्ट में सर्वोच्च स्कोर 39 रन था, लेकिन इस बार कोहली ने जुझारूपन और दृढ़ता से इंग्लैंड की घातक गेंदबाजी का सामना किया और 225 गेंदों में 22 चौकों तथा एक छक्के की मदद से बेहतरीन शतकीय पारी खेली।
अपनी पहली पारी खेलने उतरी भारतीय टीम ने 50 रनों तक कोई विकेट नहीं खोया था, लेकिन सैम कुरैन ने पहले मुरली विजय (20), फिर लोकेश राहुल (4) और फिर शिखर धवन (26) को अपने दो ओवरों में आउट कर भारत का स्कोर तीन विकेट पर 59 रन कर दिया।
यहां कोहली ने कदम रखा और विकेट पर काफी परेशानियों के बीच खड़े रहे। पहले सत्र का खेल खत्म होने कोहली के साथ उप-कप्तान अजिंक्य (15) ने मिलकर भारत को कोई और झटका नहीं लगने दिया। हालांकि दूसरे सत्र में स्टोक्स ने पहले रहाणे और फिर दिनेश कार्तिक (0) को आउट पर कोहली को एक बार फिर अकेला सा कर दिया। दोनों के विकेट 100 के कुल स्कोर पर गिरे।
हार्दिक पांड्या (22) ने कोहली का साथ देने की कोशिश की और कप्तान के साथ मिलकर छठे विकेट के लिए 48 रनों की साझेदारी की, लेकिन कुरैन ने पांड्या को निपटा कोहली को एक बार फिर साथ के लिए तरसा दिया। इस बीच रविचंद्र अश्विन (10), मोहम्मद शमी (2) और ईशांत शर्मा (5) कोहली का साथ छोड़ जा चुके थे। अब तक कोहली ने अपने पैर जमा लिए थे। यहां से इंग्लैंड के गेंदबाज उन्हें ज्यादा परेशान नहीं कर पाए और कप्तान अपने शॉट्स खेलते रहे। गेंद पर अच्छे से आंखे जमा चुके कोहली ने स्टोक्स द्वारा फेंके गए 65वें ओवर की पांचवीं गेंद पर चौका मार इंग्लैंड में अपने शतकों का खाता खोला।
शतक लगान के बाद से कोहली आक्रामक रुख अपना चुके थे और उनका लक्ष्य अपनी टीम को जल्दी से जल्दी इंग्लैंड के स्कोर के पार ले जाना था। ईशांत के जान के बाद कोहली ने उमेश यादव के साथ 10वें विकेट के लिए 57 रनों की साझेदारी की जिसमें से सिर्फ एक रन उमेश का था। कोहली लेग स्पिनर आदिल राशिद की गेंद पर ब्रॉड को कैच दे बैठे और इसी के साथ भारतीय पारी का अंत हो गया। उमेश यादव नाबाद रहे। इंग्लैंड के लिए सैम कुरैन ने सर्वाधिक चार विकेट लिए। स्टोक्स, एंडरसन और राशिद को दो-दो सफलताएं मिलीं।
::/fulltext::लंदन (वीएनएस/आईएएनएस)| आयरलैंड ने गुरुवार देर रात वैली हॉकी एंड टेनिस सेंटर पर खेले गए बेहद रोमांचक मैच में भारत को शूट आउट में 3-1 से मात देते हुए महिला हॉकी विश्व कप के सेमीफाइनल में प्रवेश कर लिया। दोनों टीमों के बीच खेला गया यह क्वार्टर फाइनल मैच तय समय में गोलरहित रहा और मैच शूटआउट में गया। जहां आयरलैंड के लिए अपटन रोइसन, मीके एलिसन, वाटकिंस चोले ने आखिरी तीन प्रयासों में गोल किए। भारत के लिए एक मात्र गोल रीना खोखर ने किया। आयरलैंड की गोलकीपर आयेशा मैक्फारेन दीवर की तरह भारतीय खिलाड़ियों के सामने खड़ी रहीं।
सेमीफाइनल में आयरलैंड का सामना स्पेन से होगा। इस हार के साथ भारत को दूसरी बार सेमीफाइनल खेलने का सपना टूट गया। वह विश्व कप के पहले संस्करण में 1974 में पहली बार सेमीफाइनल खेली थी। इसके बाद भारत कभी भी अंतिम-4 में नहीं पहुंच पाया।
इस मैच में दोनों टीमें किसी को जल्दी मौके नहीं देना चाहती थीं और इसलिए अपने-अपने हाफ में खेली। आयरलैंड ने हालांकि भारत पर दबाव बनाने की कोशिश की जो असफल रही। भारतीय डिफेंस मजबूती से खड़ा रहा।
इस बीच सातवें मिनट में वंदना कटारिया ने बाएं फ्लैंक से आयरलैंड के घेरे में घुसने की कोशिश की जहां वो गेंद को अपने पास नहीं रख पाईं। इस बीच आयरलैंड की टीम भारत को हावी होने लगी थी। 10वें मिनट में वाटकिंस ने भारत को परेशान किया हालांकि भारतीय रक्षापंक्ति को वो भेद नहीं पाई। काफी प्रयासों के बाद पहला क्वार्टर गोलरहित रहा।
दूसरे हाफ में डिएरडिरे ड्यूक और वाटकिंस ने मिलकर कुछ अच्छे मूव बनाए। आयरलैंड आक्रामक हो गई थी और भारतीय महिलाएं अपनी लय खोती दिख रही थीं। 21वें मिनट में नेहा गोयला को रफ खेल के लिए ग्रीन कार्ड दिया गया। दो मिनट बाद मैच में पहली बार भारतीय गोलकीपर सविता की परीक्षा हुई जिसमें वो सफल रहीं। 23वें मिनट में कैथरीन मुलन ने गोलपोस्ट पर बेहतरीन शॉट दागा जिसे सविता बचा ले गई। आयरलैंड के खेल में स्थिरता और तालमेल अच्छा दिख रहा था लेकिन किसी तरह भारतीय डिफेंस ने उन्हें दूसरे क्वार्टर में भी गोल से महरूम रखा।
दूसरे क्वार्टर का खेल हो चुका था और दोनों टीमों के हिस्से एक भी पेनाल्टी कॉर्नर नहीं आया था। आयरलैंड ने तीसरे क्वार्टर में और आक्रामकता दिखाई। भारतीय आक्रामण पंक्ति ने भी मौके बनाने की कोशिश की लेकिन उनके पास सही जगह पहुंचे नहीं। ऐसा ही एक मौका 37वें मिनट में आया जब वंदना ने काउंटर पर मूव बनाया लेकिन वह अकेली पड़ गई।
दो मिनट बाद कप्तान रानी ने मौका देख उदिता को गेंद दी जो शॉट को सही से ले नहीं पाईं। तीसरे क्वार्टर में भी दोनों टीमें गोल का सूखा नहीं खत्म कर पाईं। चौथे क्वार्टर में दोनों टीमों ने आक्रामक खेल खेला। 48वें मिनट में भारत वीडियो रैफरल के माध्यम से पेनाल्टी कॉर्नर लेने में कामयाब रहा, लेकिन आयरलैंड की गोलकीपर ने गोल नहीं होने दिया। यहां से भारतीय महिलाएं हावी होने की कोशिश में थीं और आयरलैंड के बॉक्स में अधिक समय बिता रही थीं लेकिन गेंद पर सही नियंत्रण ने होने के कारण वो गेंद को नेट में नहीं डाल पाईं। चौथे क्वार्टर की समाप्ति तक दोनों टीमें गोल नहीं कर पाईं और मैच शूटआउट में निकला।
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