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वॉशिंगटन। तकनीक के क्षेत्र में दुनिया में सबसे अमीर शख्स कहे जाने वाले वारेन बफेट को पीछे छोड़ फेसबुक के सह संस्थापक मार्क जकरबर्ग दुनिया के तीसरे सबसे अमीर शख्स बन गए हैं।
::/introtext::हालांकि जुकरबर्ग अभी भी तीसरे स्थान पर हैं क्योंकि एमेजॉन के संस्थापक जेफ बेजोस और माइक्रोसॉफ्ट कॉर्प के सह संस्थापक बिल गेट्स क्रमश: पहले और दूसरे स्थान पर हैं। ब्लूमबर्ग बिलिनायर्स इंडेक्स के अनुसार ये ताजा जानकारी सामने आई हैं।
यह पहली बार है जब दुनिया के तीन सबसे धनी शख्स तकनीक के क्षेत्र से हैं। 34 वर्षीय जुकरबर्ग आज 81.6 अरब डॉलर के मालिक हैं, जिनकी कुल संपत्ति बर्कशेयर हैथवे के मुख्य कार्यकारी अध्यक्ष 87 वर्षीय बफेट से 373 मिलियन डॉलर अधिक है।
बताया जाता है कि सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक में लगातार निवेश के कारण जकरबर्ग की संपत्ति में इतना इजाफा हुआ है। हाल ही में फेसबुक के ऊपर डेटा चोरी का बड़ा आरोप लगा था जिससे कंपनी को वैश्विक स्तर पर काफी आलोचना का शिकार होना पड़ा था।
इस दौरान जकरबर्ग को काफी झटका लगा था इतना ही नहीं इन्हें खुद सामने आकर अपनी सफाई पेश करनी पड़ी थी। इस घटना के बाद फेसबुक के शेयर को भी काफी घाटा हुआ था।
आपको बता दें कि ब्लूमबर्ग इंडेक्स की रैंकिंग में दुनिया के 500 अमीर लोगों को शामिल किया गया। न्यूयॉर्क में शुक्रवार को 203.23 डॉलर के रिकॉर्ड पर स्टॉक क्लोज होने के बाद की ये रिपोर्ट सामने आई है।
बफेट जो कभी दुनिया के सबसे धनी शख्स कहे जाते थे, उन्होंने बर्कशायर हैथवे के शेयर का 290 मिलियन चैरिटी में दान कर दिया था। इनमें सबसे ज्यादा उन्होंने बिल गेट्स के चैरिटी फाउंडेशन को दान किया।
ब्लूमबर्ग के द्वारा जारी किए गए डेटा के अनुसार, उनके वे शेयर आज 50 अरब डॉलर के हैं। वहीं दूसरी तरफ जकरबर्ग ने अपने जीवनकाल में फेसबुक के 99 प्रतिशत संपत्ति को दान में देने का फैसला किया है।
::/fulltext::टोक्यो। जापान के पश्चिमी और और मध्य क्षेत्रों में जारी मूसलधार बारिश से 49 लोगों की मौत हो गई है और 48 लापता हैं। शनिवार को सरकारी मीडिया ने यह जानकारी दी।
::/introtext::16 लाख से ज्यादा लोगों को उनके घरों से निकाला गया है। जापान के मौसम विभाग ने मुख्य द्वीप होनशु में तीन प्रांतों के लिए विशेष चेतावनी जारी की है।
मौसम विभाग ने भूस्खलन, नदियों का जलस्तर बढ़ने और तेज हवा चलने की आशंका जताई है। हेलीकॉप्टर फुटेज में कुराशिकी में लोगों को अपने छत पर होने और मदद मांगते हुए देखा गया है।
राजधानी टोक्यो से करीब 600 किलोमीटर की दूरी पर शिकोकु द्वीप पर स्थित मोटोयामा शहर में शुक्रवार से शनिवार सुबह तक 583 मिमी वर्षा हुई है।
मौसम का यह रुख हालांकि पश्चिम और पूर्वी जापान के बीच बना हुआ है फिर भी भारी बारिश जारी रहने का खतरा है। इसका कारण यह है कि आगे की ओर गर्म हवा चल रही है।
अग्नि एवं आपदा प्रबंधन एजेंसी ने कहा कि बाढ़ और भूस्खलन के खतरे को ध्यान में रखते हुए शनिवार सुबह तक 16 लाख से ज्यादा लोगों को उनके घरों से निकाला गया। 31 लाख और लोगों को घर छोड़ने की सलाह दी गई है।
::/fulltext::नई दिल्ली: जापान की राजधानी टोक्यो के सबवे में जानलेवा सरीन गैस हमले के दोषी डूम्सडे पंथ के नेता शोको असहारा और उसके छह समर्थकों को शुक्रवार को फांसी पर लटका दिया गया. शोको अमु शिनरीक्यिो संप्रदाय से था. 63 वर्षीय असहारा अपने को शिव का अवतार बताता था. जिससे प्रभावित होकर हजारों लोग उसके अनुयायी बन गए थे. शोको ने 1980 में धार्मिक संप्रदाय की स्थापना की. उसकी छवि ऐसे करिश्माई नेता की थी जिससे प्रभावित हो कर शिक्षित लोग यहां तक कि डॉक्टर और वैज्ञानिक तक उसके पंथ में शामिल हो गए थे.
::/introtext::हालांकि उसके धार्मिक संप्रदाय को हमेशा से ही जापान में संदेह की नजरों से देखा जाता था. 20 मार्च 1995 को असहारा के समर्थकों ने टोक्यो के सब-वे में जानलेवा सरीन गैस छोड़ दी थी. इस घटना में 13 लोग मारे गए थे और हजारों की संख्या में लोग इससे प्रभावित हुए थे. बताया जाता है कि आश्रमों को छापेमारी से बचाने और सरकार का ध्यान भटकाने के लिए शोको ने इस घटना को अंजाम दिया था.
शोको को 2004 में मौत की सजा सुनाई गई थी. लेकिन अन्य आरोपियों के दोषी साबित नहीं होने की वजह से शोको को सजा मिलने में देरी हुई. नर्व एजेंट हमला मामले में फांसी की यह पहली सजा दी गई है अभी इस पंथ के छह और सदस्यों को मौत की सजा देना बाकी है. 1995 में हुए भीषण हमले से प्रभावित लोगों ने दोषियों को फांसी दिए जाने की खबर का स्वागत किया.
कौन था शोको
शोको दृष्टि हीन है और 1980 में उसने डूम्सडे पंथ की स्थापना की. उसकी छवि ऐसे करिश्माई नेता की थी जिससे प्रभावित हो कर पढ़े-लिखे लोग यहां तक कि डॉक्टर और वैज्ञानिक तक उसके पंथ में शामिल हो गए थे. हालांकि इस पंथ को ले कर हमेशा से ही देश में शंका थी. लेकिन इस हमले के बाद पंथ के हेडक्वार्टर पर कड़ी कार्रवाई हुई और शोको समेत उसके समर्थकों को गिरफ्तार कर लिया गया था. शोको असहारा को 2004 में को मौत की सजा सुनाई गई थी.
शोको का गरीब परिवार से था संबंध
असहारा के सात भाई-बहन थे. घर में गरीबी के होने की वजह से खाने की कमी थी. शोको को एक आंख से कम दिखता था. शोको को अवैध दवा बेचने के आरोप में गिरफ्तार भी किया गया था.
अंधविश्वास का मकड़जाल
शोको खुद को शिव का अवतार बताता था और लोगों से कहता था कि मैंने हिमालय में तपस्या भी की है. वह कहता था कि बुद्ध के बाद उसे ज्ञान की प्राप्ति हुई है. हिंदुओं को जोड़ने के लिए शोको खुद को शिव का अवतार बताता था. ईसाई धर्म के लोगों को प्रभावित करने के लिए खुद को ईसा मसीह भी कहता था.
शोको असहारा ने हिंदू-बौद्ध मान्यताओं से बनाया 'ओम शिनरीक्यो' संप्रदाय
शोको असहारा का जन्म 1955 में क्यूशू द्वीप में हुआ जिसका नाम चिजुओ मात्सुमोतो रखा गया. शोको की कम उम्र में ही उसकी आंखों की रोशनी चली गई. चिजुओ मात्सुमोतो बाद में नाम बदलकर अपना धार्मिक साम्राज्य स्थापित करना शुरू किया. उसने शुरूआत में योग शिक्षक को का काम काम. 1980 में हिंदू और बौद्ध मान्यताओं को मिलाकर एक आध्यात्मिक समूह के रूप में ओम शिनरीक्यो संप्रदाय शुरू किया. बाद में शोको ने सर्वनाश से जुड़ी भविष्यवाणी का ईसाई विचार भी इसमें शामिल कर लिया. ओम शिनरीक्यो का शाब्दिक अर्थ है 'सर्वोच्च सत्य'
शोको असहारा ने खुद को बताया दूसरा 'बुद्ध'
1989 में शोको असहारा द्वारा शुरू किए गए धार्मिक संप्रदाय को जापान में औपचारिक मान्यता मिल गई. शोको के 30 हजार से अधिक समर्थक अकेले रूस में थे. इस संप्रदाय की लोकप्रियता इतनी फैली कि शोको ने खुद को ईसा और बुद्ध के बाद दूसरा बुद्ध घोषित कर दिया. समूह ने बाद में दावा किया कि एक विश्व युद्ध में समूची दुनिया ख़त्म होने वाली है और केवल उनके संप्रदाय के लोग ही जीवित बचेंगे. 1995 हमले के बाद संप्रदाय भूमिगत हो गया, लेकिन ग़ायब नहीं हुआ और उसने नाम बदलकर उसने ‘एलेफ’ और ‘हिकारी नो वा’ नामक दो संगठनों बना लिए.
क्या होता है सरीन
नर्व एजेंट कहे जाने वाले पदार्थों में से एक सरीन रंगहीन, स्वादहीन तरल और साफ पदार्थ होता है. वाष्प के संपर्क में आते ही सरीन लोगों की जान पर भारी पड़ जाता है. इससे मनुष्य का श्वसन तंत्र तुरंत बंद हो जाता है. साथ ही शरीर में ऐंठन और मरोड़ होने लगती है. इसे सायनाइड से भी खतरनाक जहर माना जाता है.
लंदन. दुनिया में पहली बार किसी देश ने अकेलेपन की समस्या से निपटने के लिए लोनलीनेस मिनिस्ट्री बनाई गई है। 42 साल की ट्रेसी क्राउच को मंत्रालय का जिम्मा सौंपा गया है। ब्रिटेन की 14% आबादी यानी 90 लाख लोग अकेलेपन के शिकार माने जाते हैं। अकेलेपन से सेहत को रोजाना 15 सिगरेट पीने जितना खतरा रहता है। इस अनोखे मंत्रालय का प्रभार मिलने के बाद से ट्रेसी का ईमेल अकाउंट सवालों से भरा रहता है। उनका फोन लगातार बजता रहता है। अप्वाॅइंटमेंट्स की भी लंबी लिस्ट है।
ब्रिटेन की सांसद जो. कॉक्स ने एक बार अकेलेपन से जुड़ी समस्या पर रिसर्च साझा की थी। इसी रिसर्च के बाद अकेलेपन मामलों का मंत्रालय बनाने की प्रेरणा मिली। कॉक्स की 2016 में यूके ब्रेक्जिट रेफरेंडम कैम्पेन के दौरान हत्या कर दी गई थी। ट्रेसी के लोनलीनेस मिनिस्ट्री संभालने के बाद से अलग-अलग देशों के मंत्री और प्रतिनिधि इस खास मंत्रालय के कामकाज को समझने और सीखने ब्रिटेन आ रहे हैं। इनमें नॉर्वे, डेनमार्क, कनाडा, यूएई, स्वीडन, आईसलैंड, न्यूजीलैंड, जापान और जर्मनी शामिल हैं।
सोशल मीडिया की वजह से अकेलापन, यही इसका हल भी : ब्रिटेन की मंत्री ट्रेसी के मुताबिक, यूके में 16 से 24 साल के युवा सबसे ज्यादा अकेलापन महसूस करते हैं। अकेलेपन का बड़ा कारण सोशल मीडिया है। डिजिटल माध्यमों से जुड़ी पीढ़ी में अकेलापन बढ़ता दिखाई दे रहा है। युवाओं को लगता है उनके पास इंस्टाग्राम और फेसबुक पर 200 दोस्त हैं, लेकिन असल में वे दोस्त नहीं होते। हालांकि, डिजिटल प्लेटफॉर्म ही इसका सॉल्यूशन भी है। बुजुर्गों को कम्प्यूटर सिखाकर उन्हें फेसबुक और इंस्टाग्राम के जरिए देश के दूसरे कोनों में बैठे युवाओं से जोड़ा जा सकता है।
देर से शादी भी अकेलेपन की वजह : ट्रेसी का कहना है कि अकेलेपन का दूसरा कारण देर से शादी और सिंगल रहना भी है। यूरोपीय यूनियन में सबसे ज्यादा सिंगल रहते हैं। कम आय वाले लोगों को अकेलेपन से बचाने के लिए अलग-अलग जगहों पर सेंटर खोले गए हैं। रेडियोक्लब और सीनियर सिटिजन का फोन पर संपर्क काफी कारगर साबित हो रहा है। लोनलीनेस मंत्रालय इसके लिए 182 करोड़ रुपए खर्च कर चुका है।
मंत्री को मेल करके समस्या बता रहे लोग
1) करीब 30 साल की एक युवती ने मंत्री ट्रेसी को ईमेल पर लिखा कि वह जॉब के सिलसिले में लंदन आई थी। नौकरी बहुत अच्छी चल रही है लेकिन वह अकेलापन महसूस करती है। सुबह उठती है। काम पर जाती है और जब लौटकर आती है तो अकेली रह जाती है। दोस्त और परिवारवाले देश के दूसरे कोनों में हैं। लंदन जैसे शहर में भी वह अकेली है, क्योंकि उसे क्लब और बार जाना पसंद नहीं।
2) एक वृद्ध के मुताबिक, वे अपनी पत्नी के फुलटाइम केयरटेकर थे। कुछ साल पहले पत्नी की मौत हो गई। वे अब काफी खालीपन महसूस करते हैं। अब इस समस्या का मंत्रालय बनने के बाद वे किसी ऐसे प्रोजेक्ट से जुड़ना चाहते हैं, जो लोगों में अकेलेपन की भावना दूर करे।
अकेलापन गंभीर बीमारी :अमेरिका की एक रिसर्च के मुताबिक, अकेलेपन से सेहत को उतना ही नुकसान होता है, जितना 15 सिगरेट रोज पीने से। अमेरिकी विशेषज्ञों के मुताबिक, सबसे आम बीमारी हृदय रोग और डायबिटीज नहीं, बल्कि अकेलापन की है। हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी सिगना के सर्वे में पाया गया कि अकेलापन अमेरिका में महामारी के स्तर पर पहुंच गया है। 46% लोग बताते हैं कि वे हमेशा या कभी-कभी अकेलापन महसूस करते हैं। 18 से 22 साल के युवाओं में यह समस्या सबसे ज्यादा है। यही दिक्कत जापान में भी है। वहां अकेलेपन से बुजुर्गों की मौत हो रही है। इसे कोडोकुशी कहते हैं।
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