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Sawan Month 2023- सावन माह और सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है। इसलिए सावन में पड़ने वाले सोमवार का विशेष महत्व होता है। इस दिन भक्तजन दूध से भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कच्चे दूध से दुग्धाभिषेक करते हैं। सावन के सोमवार को शिवलिंग पर जल के अलावा दूध, घी, शहद, दही आदि क्यों अर्पित किए जाते हैं? इसके पीछे पौराणिक के साथ वैज्ञानिक वजह भी है। आइए जानिए।
सावन 2023 कब होगा शुरू?
इस साल सावन का महीना 4 जुलाई को शुरू होगा और 17 जुलाई तक रहेगा। इसके बाद 18 जुलाई से 16 अगस्त तक अधिकमास यानि मलमास रहेगा। फिर 17 अगस्त से दोबारा सावन का महीना शुरू हो जाएगा और 31 अगस्त को समाप्त होगा.जुलाई तक रहेगा। हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल सावन का महीना 59 दिनों का होगा और इसे दो चरणों में मनाया जाएगा।
सावन सोमवार व्रत की लिस्ट
10 जुलाई 2023: सावन का पहला सोमवार
17 जुलाई 2023: सावन का दूसरा सोमवार
24 जुलाई 2023: सावन का तीसरा सोमवार
31 जुलाई 2023: सावन का चौथा सोमवार
7 अगस्त 2023: सावन का पांचवा सोमवार
14 अगस्त 2023: सावन का छठा सोमवार
21 अगस्त 2023: सावन का सातवां सोमवार
28 अगस्त 2023: सावन का आठवां सोमवार
पौराणिक कारण
पौराणिक कथा के अनुसार जब समुद्र मंथन हुआ तो सबसे पहले उसमें से विष निकला। इस विष से संपूर्ण संसार को बचाने के लिए भगवान शिव ने संसार के कल्याण के लिए बिना किसी देरी के संपूर्ण विष को अपने कंठ में धारण कर लिया। विष का तीखापन और ताप इतना ज्यादा था कि भोले बाबा का कंठ नीला हो गया और उनका शरीर ताप से जलने लगा।
जब विष का घातक प्रभाव शिव और शिव की जटा में विराजमान देवी गंगा पर पड़ने लगा तो उन्हें शांत करने के लिए जल की शीतलता कम पड़ने लगी।उस वक्त सभी देवताओं ने भगवान शिव का जलाभिेषेक करने के साथ ही उन्हें दूध ग्रहण करने का आग्रह किया ताकि विष का प्रभाव कम हो सके। सभी के कहने से भगवान शिव ने दूध ग्रहण किया और उनका दूध से अभिषेक भी किया गया
वैज्ञानिक कारण
कहते हैं कि शिवलिंग एक विशेष प्रकार का पत्थर होता है। इस पत्थर को क्षरण से बचाने के लिए ही इस पर दूध, घी, शहद जैसे चिकने और ठंडे पादार्थ अर्पित किए जाते हैं। अगर शिवलिंग पर आप कुछ वसायुक्त या तैलीय सामग्री अर्पित नहीं करते हैं तो समय के साथ वे भंगुर होकर टूट सकते हैं, परंतु यदि उन्हें हमेशा गीला रखा जाता है तो वह हजारों वर्षों तक ऐसे के ऐसे ही बने रहते हैं। क्योंकि शिवलिंग का पत्थर उपरोक्त पदार्थों को एब्जॉर्ब कर लेता है जो एक प्रकार से उसका भोजन ही होता है।
- दूध को सकारात्मक ऊर्जा के सबसे अच्छे संवाहकों में से एक माना जाता है और जब दूध को शिवलिंग पर चढ़ाया जाता है, तो शिवलिंग की तरफ सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह केंद्रित होने लगता है और भक्त भगवान के करीब आने के लिए उस प्रवाह का पात्र बन जाता है।
भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा 20 जून से शुरु हो गई है। जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ जी गुंडिचा मंदिर में नौ दिन विश्राम करने बाद वापस अपने मुख्य मंदिर लौट आते हैं। इस दौरान कई परांपराएं निभाई जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर गुंडिचा मंदिर में ही क्यों विश्राम करते हैं जगन्नाथ जी? तो आइए जानते हैं कि इसके पीछे छिपी पौराणिक कथा के बारे में?
गुड़िचा मंदिर में क्यों रुकते हैं जगन्नाथ जी?
बता दें कि जगन्नाथ मंदिर से करीब तीन किलोमीटर की दूरी पर गुंडिचा मंदिर स्थित है जो कि कलिंग वास्तुकला के आधार पर बनाया गया है। पौराणिक कथाओं के अनुसार गुंडिचा भगवान जगन्नाथ की मौसी थी और जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ जी अपनी मौसी के घर 9 दिनों तक रुकते हैं। यहां वह अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ आते हैं।
राजा इन्द्रध्युम्र की पत्नी का नाम महारानी गुंडिचा है। इन्हें ही भगवान जगन्नाथ की मौसी माना जाता है। जगन्नाथ जी के विग्रह प्रकट होने के बाद यहां अश्वमेघ यज्ञ किया गया था। इसलिए कहा जाता है कि जगन्नाथ रथ यात्रा के दर्शन करना 1000 अश्वमेघ यज्ञ के बराबर होता है। मौसी के घर उनका पूरे आदर-सत्कार किया जाता है। गुंडिचा मंदिर में मौसी उनको पादोपीठा खिलाकर स्वागत करती हैं। यहां उनके लिए भिन्न-भिन्न प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और आज भी इसका पूरी तरह से पालन किया जाता है।
सुहागिन महिलाओं के लिए वट सावित्री का व्रत बहुत महत्व रखता है। मगर ऐसे में यदि पीरियड्स शुरू हो जाए तो वो असमंजस में पड़ जाती हैं। उन्हें ये दुविधा रहती है कि मासिक धर्म में वट सावित्री व्रत किया जाए या फिर नहीं। सबसे पहली बात आपको ये समझनी चाहिए कि पीरियड्स का आना एक प्राकृतिक नियम है। इसे आप शुभ या अशुभ के साथ जोड़कर न देखें। इस बार वट सावित्री का व्रत 19 मई को रखा जा रहा है।
पहले भी रख चुकी हैं व्रत
यदि आप वट सावित्री का व्रत पहले भी कर चुकी हैं और इस बार आपको पीरियड्स आ गए हैं तो व्रत वाले दिन बाल धोकर स्नान कर लें। आप पूजा पाठ की किसी भी वस्तु को हाथ न लगाएं। इस दिन आप किसी दूसरी महिला से आप पूजा करवा लें। इस दिन वट सावित्री व्रत की कथा सुनने की प्रथा है। आप थोड़ी दूरी में बैठकर इस व्रत कथा को सुनें।
इस दिन सुहागिनें अपने पति के पैर धोती हैं। आप यह काम कर सकती हैं। महिला द्वारा पूजा के बाद जो जल बच जाये उससे आप अपने पति के पैर धो सकती हैं। आप उन्हें रक्षासूत्र बाँध कर टीका भी लगा सकती हैं। मगर भगवान के पूजा पाठ से जुड़ा कोई भी सामान आप न छुएं। साथ ही दूरी बनाकर रखें।
नारद मुनि का नाम सुनते ही मन में एक तस्वीर उभर आती है- सर पर बालों को लपेटकर बनाए गए जुड़े के साथ नारायण नारायण कहते एक ऋषि प्रकट होते हैं, जिन्हें तमाम लोको में क्या क्या हो रहा है इसकी पूरी जानकारी होती है और वो जानकारी समय की आवश्यकता के अनुसार सबको बांटते हैं।
नार का मतलब है जल और द का मतलब है दान। नारद मुनी जलदान यानी तर्पण करवाने में अत्यंत निपुण ज्ञानी ब्राह्मण हैं। हो भी क्यूँ नहीं? ये अपने पिछले जन्म में एक गंधर्व थे और हरि भक्ति के प्रभाव से ब्रह्मा के मानस पुत्र के रूप में फिर से जन्म हुआ था। इस कारण इनके पास असीम ज्ञान है, सभी वेदों पुराणों की जानकारी है, श्राद्ध और तर्पण कराने में ये सर्वश्रेष्ठ ब्राह्मण हैं।
इनकी लिखी पुस्तक नारद पुराण से मोक्ष प्राप्त करने लायक ज्ञान मिलता है। कहने का मतलब ये है कि नारद मुनी सिर्फ सूचना का सम्प्रेषण करने वाले एक पत्रकार और देवता ही नहीं, ज्ञान का भण्डार भी हैं।
इनकी लिखी नारद पुराण के अनुसार ये रहे वो बहुत महत्वपूर्ण दान जिनके देने से व्यक्ति को स्वर्ग में स्थान मिलता है। ये दान कभी भी किये जा सकते हैं लेकिन अगर नारद जयंती के दिन किया जाए तो विशेष फल प्राप्त होता है।
दूध का दान करना
अन्न के बाद जो सबसे महत्वपूर्ण दान है वो है दूध, दही और घी। ख़ासतौर पर गाय के दूध से बने उत्पाद का दान किया जाए तो भगवान् विष्णु बहुत प्रसन्न होते हैं और स्वर्ग में स्थान देते हैं।
शालिग्राम का दान करना
शालिग्राम में विष्णु निवास करते हैं और शिव लिंग में शिव जी निवास करते हैं। शिव को विष्णु प्रिय हैं और विष्णु को शिव। इसलिए जो शालिग्राम और शिवलिंग दान करता है उस पर दोनों की कृपा होती है और उसे स्वर्ग में स्थान मिलता है।
पान का दान
पान भगवान् विष्णु को बहुत प्रिय है। पान का दान करने से विष्णु प्रसन्न होकर सुख और समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। साथ ही अगर विष्णु प्रसन्न हो तो लक्ष्मी का प्रसन्न होना स्वाभाविक है इसलिए धन भी प्राप्त होता है।
गुड़ का दान
क्षीरसागर में विष्णु निवास करते हैं और गुड़ इनको बहुत प्रिय है। ईख के रस की तुलना क्षीरसागर से की जाती है इसलिए ईख का रस या ईख के रस से बने गुड का दान किया जाए तो विष्णु प्रसन्न होते हैं।