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रायपुर। गणेश चतुर्थी के दिन विघ्नहर्ता भगवान गणेश की प्रतिमाओं को लोग अपने घरों में हर्षोल्लास के साथ विराजमान करते हैं. 10 दिनों तक लगातर गणेशजी की पूजन-भक्ति करते हैं ताकि उनकी कृपा भक्तों पर बनीं रहे. 11 वें दिन अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान की प्रतिमा को विसर्जित किया जाता है. हर वर्ष अनंत चतुर्दशी का दिन गणपति के भक्तों के लिए बहुत ही खास होता हैं . अगर आप अनंत चतुर्दशी को भगवान गणेश की प्रतिमा का विसर्जन करने जा रहे है तो जान लें गणपति विसर्जन से जुड़ी खास बातें और नियम विधि.
विसर्जन करते समय इन बातों का रखें ध्यान
विसर्जन का शुभ मुहूर्त-
अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश जी की प्रतिमाओं का विसर्जन कर दिया जाता है. यूं तो इस दिन कभी भी किसी भी समय गणेश जी की मूर्ति का विसर्जन किया जा सकता है लेकिन पंडितों के अनुसार, इस बार सुबह 6 से 7 बजे और दोपहर 1:30 से 3 बजे तक का समय प्रतिमा विसर्जन के लिए ठीक नहीं है. इसके अलावा आप किसी भी समय विसर्जन कर सकते हैं.
::/fulltext::मुहर्रम मातम मनाने और हजरत इमाम हुसैन की शहादत को याद करने का दिन है.
खास बातें
नई दिल्ली: मुहर्रम इस्लामी महीना है और इससे इस्लाम धर्म के नए साल की शुरुआत होती है. लेकिन 10वें मुहर्रम को हजरत इमाम हुसैन की याद में मुस्लिम मातम मनाते हैं. मान्यता है कि इस महीने की 10 तारीख को इमाम हुसैन की शहादत हुई थी, जिसके चलते इस दिन को रोज-ए-आशुरा (Roz-e-Ashura) कहते हैं. मुहर्रम का यह सबसे अहम दिन माना गया है. इस दिन जुलूस निकालकर हुसैन की शहादत को याद किया जाता है. 10वें मुहर्रम पर रोज़ा रखने की भी परंपरा है.
कब है मुहर्रम?
इस बार मुहर्रम का महीना 01 सितंबर से 28 सितंबर तक है. लेकिन 10वां मुहर्रम सबसे खास है. मान्यता है कि 10वें मोहर्रम के दिन ही इस्लाम की रक्षा के लिए हजरत इमाम हुसैन ने अपने प्राण त्याग दिए थे. वैसे तो मुहर्रम इस्लामी कैलेंडर का महीना है लेकिन आमतौर पर लोग 10वें मोहर्रम को सबसे ज्यादा तरीजह देते हैं. इस बार 10वां मोहर्रम 10 सितंबर को है.
क्यों मनाया जाता है मुहर्रम?
इस्लामी मान्यताओं के अनुसार इराक में यजीद नाम का जालिम बादशाह इंसानियत का दुश्मन था. यजीद खुद को खलीफा मानता था, लेकिन अल्लाह पर उसका कोई विश्वास नहीं था. वह चाहता था कि हजरत इमाम हुसैन उसके खेमे में शामिल हो जाएं. लेकिन हुसैन को यह मंजूर नहीं था और उन्होंने यजीद के विरुद्ध जंग का ऐलान कर दिया था. पैगंबर-ए इस्लाम हजरत मोहम्मद के नवासे हजरत इमाम हुसैन को कर्बला में परिवार और दोस्तों के साथ शहीद कर दिया गया था. जिस महीने हुसैन और उनके परिवार को शहीद किया गया था वह मुहर्रम का ही महीना था.
मुहर्रम मातम मनाने और धर्म की रक्षा करने वाले हजरत इमाम हुसैन की शहादत को याद करने का दिन है. मुहर्रम के महीने में मुसलमान शोक मनाते हैं और अपनी हर खुशी का त्याग कर देते हैं. मान्यताओं के अनुसार बादशाह यजीद ने अपनी सत्ता कायम करने के लिए हुसैन और उनके परिवार वालों पर जुल्म किया और 10 मुहर्रम को उन्हें बेदर्दी से मौत के घाट उतार दिया. हुसैन का मकसद खुद को मिटाकर भी इस्लाम और इंसानियत को जिंदा रखना था. यह धर्म युद्ध इतिहास के पन्नों पर हमेशा-हमेशा के लिए दर्ज हो गया. मुहर्रम कोई त्योहार नहीं बल्कि यह वह दिन है जो अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक है.
कर्बला की जंग
वर्तमान में कर्बला इराक का प्रमुख शहर है जो राधानी बगदाद से 120 किलोमीटर दूर है. मक्का-मदीना के बाद कर्बला मुस्लिम धर्म के अनुयायियों के लिए प्रमुख स्थान है. इस्लाम की मान्यताओं के अनुसार हजरत इमाम हुसैन अपने परिवार और साथियों के साथ 2 मोहर्रम को कर्बला पहुंचे थे. उनके काफिले में छोटे-छोटे बच्चे, औरतें और बूढ़े भी थे. यजीद ने हुसैन को मजबूर करने के लिए 7 मोहर्रम को उनके लिए पानी बंद कर दिया था. 9 मोहर्रम की रात हुसैन ने रोशनी बुझा दी और कहने लगे, 'यजीद की सेना बड़ी है और उसके पास एक से बढ़कर एक हथियार हैं. ऐसे में बचना मुश्किल है. मैं तुम्हें यहां से चले जाने की इजाजत देता हूं. मुझे कोई आपत्ति नहीं है.' जब कुछ देर बाद फिर से रोशनी की गई तो सभी साथी वहीं बैठे थे. कोई हुसैन को छोड़कर नहीं गया.
10 मुहर्रम की सुबह हुसैन ने नमाज पढ़ाई. तभी यजीद की सेना ने तीरों की बारिश कर दी. सभी साथी हुसैन को घेरकर खड़े हो गए और वह नमाज पूरी करते रहे. इसके बाद दिन ढलने तक हुसैन के 72 लोग शहीद हो गए, जिनमें उनके छह महीने का बेटा अली असगर और 18 साल का बेटा अली अकबर भी शामिल था. बताया जाता है कि यजीद की ओर से पानी बंद किए जाने की वजह से हुसैन के लोगों का प्यास के मारे बुरा हाल था. प्यास की वजह से उनका सबसे छोटा बेटा अली असगर बेहोश हो गया. वह अपने बेटे को लेकर दरिया के पास गए. उन्होंने बादशाह की सेना से बच्चे के लिए पानी मांगा, जिसे अनसुना कर दिया गया. यजीद ने हुर्मल नाम के शख्स को हुसैन के बेटे का कत्ल करने का फरमान दिया. देखते ही देखते उसने तीन नोक वाले तीर से बच्चे की गर्दन को लहूलुहान कर दिया. नन्हे बच्चे ने वहीं दम तोड़ दिया. इसके बाद यजीद ने शिम्र नाम के शख्स से हुसैन की भी गर्दन कटवा दी. कहते हैं कि हुसैन की गर्दन जब जमीन पर गिरी तो वह सजदे की अवस्था में थी.
कर्बला की जंग में हुसैन के बेटे जैनुअल आबेदीन को छोड़कर पूरा परिवार शहीद हो गया था. जैनुअल आबेदीन इसलिए बच गए थे क्योंकि वह बीमार थे और इस वजह से जंग में शरीक नहीं हो पाए थे. उस दिन 10 तारीख थी. मुहर्रम महीने के 10वें दिन को आशुरा कहते हैं. इस घटना के बाद इस्लाम धर्म के लोगों ने इस्लामी कैलेंडर का नया साल मनाना छोड़ दिया. बाद में मुहर्रम का महीना गम और दुख के महीने में बदल गया.
कैसे मनाया जाता है मुहर्रम?
मुहर्रम खुशियों का त्योहार नहीं बल्कि मातम और आंसू बहाने का महीना है. शिया समुदाय के लोग 10 मुहर्रम के दिन काले कपड़े पहनकर हुसैन और उनके परिवार की शहादत को याद करते हैं. हुसैन की शहादत को याद करते हुए सड़कों पर जुलूस निकाला जाता है और मातम मनाया जाता है. मुहर्रम की नौ और 10 तारीख को मुसलमान रोजे रखते हैं और मस्जिदों-घरों में इबादत की जाती है. वहीं सुन्नी समुदाय के लोग मुहर्रम के महीने में 10 दिन तक रोजे रखते हैं. कहा जाता है कि मुहर्रम के एक रोजे का सबाब 30 रोजों के बराबर मिलता है.
गणेश मूर्ति को घर में लाने से पहले कुछ विशेष बातों का ध्यान रखा जाता है.
गणेश चतुर्थी यानी गणपति का सबसे बड़ा उत्सव आ चुका है. इस साल गणेशोत्सव 2 सितंबर से 12 सितंबर तक मनाया जाएगा. गणेश पूजन से पहले श्रद्धालु घर में भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना करते हैं. लेकिन गणेश मूर्ति को घर में लाने से पहले कुछ विशेष बातों का ध्यान रखा जाता है. आइए आपको इसके बारे में विस्तार से जानकारी देते हैं.
गणेश की अलग-अलग मूर्तियों का महत्व
गणेशजी की अलग अलग मूर्तियां अलग अलग-तरह के परिणाम देती हैं. सबसे ज्यादा पीले रंग की और रक्त वर्ण की मूर्ति की उपासना शुभ होती है. नीले रंग के गणेश जी को "उच्छिष्ट गणपति" कहते हैं, इनकी उपासना विशेष दशाओं में ही की जाती है. हल्दी से बनी हुई या हल्दी का लेपन की हुई मूर्ति "हरिद्रा गणपति" कहलाती है. यह कुछ विशेष मनोकामनाओं के लिए शुभ मानी जाती है.
एकदंत गणपति, श्यामवर्ण के होते हैं. इनकी उपासना से अदभुत पराक्रम की प्राप्ति होती है. सफेद रंग के गणपति को ऋणमोचन गणपति कहते हैं. इनकी उपासना से ऋणों से मुक्ति मिलती है. चार भुजाओं वाले रक्त-वर्ण के गणपति को "संकष्टहरण गणपति" कहते हैं, इनकी उपासना से संकटों का नाश होता है. त्रिनेत्रधारी,रक्तवर्ण और दस भुजाधारी गणेश "महागणपति" कहलाते हैं. इनके अन्दर समस्त गणपति समाहित होते हैं. सामान्यतः पीले रंग की या रक्त वर्ण की प्रतिमा जिसका आकार मध्यम हो, घर में स्थापित करनी चाहिए.
कैसे करें मूर्ति की स्थापना
गणेश जी की प्रतिमा की स्थापना दोपहर के समय करें , कलश भी स्थापित करें. लकड़ी की चौकी पर पीले रंग का वस्त्र बिछाकर मूर्ति की स्थापना करें. दिनभर जलीय आहार ग्रहण करें अथवा केवल फलाहार करें. सायंकाल गणेश जी की यथा शक्ति पूजा करें. घी का दीपक जलाएं.
जितनी आपकी उम्र है उतने ही लड्डुओं का भोग लगाएं, साथ ही दूब भी अर्पित करें. अपनी इच्छाअनुसार गणेश जी के मन्त्रों का जाप करें. चन्द्रमा को नीची दृष्टि से अर्घ्य दें. अन्यथा आपको अपयश मिल सकता है. अगर चन्द्र दर्शन हो ही गया है तो उसके दोष का उपचार कर लें. प्रसाद का वितरण करें तथा अन्न-वस्त्र का दान करें.
गणेश चतुर्थी के पर्व में क्या सावधानियां बरतें?
- चतुर्थी के दिन अथवा पूजा के समय पीले अथवा सफेद वस्त्र धारण करें, काले बिल्कुल नहीं.
- गणेश जी की प्रतिमा अगर घर मैं स्थापित करते हैं तो वह बहुत बड़ी नहीं होनी चाहिए.
- अगर स्वयं नदी की मिट्टी से प्रतिमा बनाएं तो उसका फल सर्वश्रेष्ठ होगा.
- बिना चन्द्रमा को अर्घ्य दिए हुए व्रत का समापन न करें , नज़र नीची रखकर अर्घ्य दें.
- गणेश जी को कभी भी तुलसी दल न चढाएं.
- क्रोध न करें,वाणी पर नियंत्रण रखें और सात्विकता बनाये रखें.
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