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श्रीनगर: इस वर्ष पिछले 16 दिनों में लगभग दो लाख श्रद्धालुओं ने अमरनाथ यात्रा की है, जो पहले पखवाड़े में पिछले चार साल में सर्वाधिक है. अधिकारिकयों ने यह जानकारी दी. बुधवार को जम्मू से 4,584 श्रद्धालुओं का एक और जत्था रवाना हुआ. श्री अमरनाथ जी श्राइन बोर्ड के अधिकारियों ने कहा कि एक जुलाई को यात्रा शुरू होने के बाद से अब तक 16 दिनों में 2,05,083 श्रद्धालुओं ने समुद्र तल से 3,888 मीटर ऊंचाई पर स्थित पवित्र शिवलिंग के दर्शन कर लिए हैं.
अमरनाथ यात्रा के एक अधिकारी ने कहा, "पिछले चार साल में पहले पखवाड़े में अमरनाथ यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं की यह सर्वाधिक संख्या है."
पुलिस ने आज यहां कहा कि 3,967 यत्रियों का एक और जत्था आज सुबह घाटी के लिए दो सुरक्षा काफिले में रवाना हुआ. पुलिस ने आगे बताया, "भगवती नगर यात्री निवास से इनमें से 1,972 यात्री बालटाल आधार शिविर जा रहे हैं जबकि 2,612 यात्री पहलगाम आधार शिविर जा रहे हैं."
एसएएसबी के अधिकारियों के अनुसार, प्राकृतिक कारणों से अब तक 16 तीर्थयात्रियों की मौत हो चुकी है. श्रद्धालुओं के अनुसार, अमरनाथ गुफा में बर्फ की विशाल संरचना बनती है जो भगवान शिव की पौराणिक शक्तियों की प्रतीक है. तीर्थयात्री पवित्र गुफा तक जाने के लिए या तो अपेक्षाकृत छोटे 14 किलोमीटर लंबे बालटाल मार्ग से जाते हैं या 45 किलोमीटर लंबे पहलगाम मार्ग से जाते हैं. बालटाल मार्ग से लौटने वाले श्रद्धालु दर्शन करने वाले दिन ही आधार शिविर लौट आते हैं. दोनों आधार शिविरों पर हालांकि तीर्थ यात्रियों के लिए हैलीकॉप्टर की भी सेवाएं हैं.
स्थानीय मुस्लिमों ने भी हिंदू तीर्थयात्रियों की सुविधा और आसानी से यात्रा सुनिश्चित कराने के लिए बढ़-चढ़कर सहायता की है. पवित्र गुफा की खोज सन 1850 में एक मुस्लिम चरवाहा बूटा मलिक ने की थी. किवदंतियों के अनुसार, एक सूफी संत ने चरवाहे को कोयले से भरा एक बैग दिया था, बाद में कोयला सोने में बदल गया था. लगभग 150 सालों से चरवाहे के वंशजों को पवित्र गुफा पर आने वाले चड़ावे का कुछ भाग दिया जाता है. इस साल 45 दिवसीय अमरनाथ यात्रा का समापन 15 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा के साथ होगा.
::/fulltext::नई दिल्ली: 16 जुलाई को गुरु पूर्णिमा मनाई जा रही है और इसी दिन चंद्र ग्रहण भी है. एक तरफ जहां देशभर में गुरु पूर्णिमा का उत्सव बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाएगा. वहीं, चंद्र ग्रहण के कारण पूजा-पाठ सूतक काल से पहले की जाएंगी. बता दें, हिंदू मान्यता के अनुसार गुरु पूर्णिमा के दिन महाभारत के रचयिता और चार वेदों के व्याख्याता महर्षि कृष्ण द्वैपायन व्यास यानी कि महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था. इसलिए गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. यहां जानिए चंद्र ग्रहण के कारण लगते वाले सूतक काल के समय और गुरु पूर्णिमा की पूजा-विधि को.
ग्रहण के दौरान सूतक काल का समय
गुरु पूर्णिमा की पूजा विधि
हिन्दू धर्म में गुरु को भगवान से ऊपर दर्जा दिया गया है. गुरु के जरिए ही ईश्वर तक पहुंचा जा सकता है. ऐसे में गुरु की पूजा भी भगवान की तरह ही होनी चाहिए. गुरु पूर्णिमा के दिन आप इस तरह अपने गुरु की पूजा कर सकते हैं:
- गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह-सवेरे उठकर स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
- फिर घर के मंदिर में किसी चौकी पर सफेद कपड़ा बिछाकर उस पर 12-12 रेखाएं बनाकर व्यास-पीठ बनाएं.
- इसके बाद इस मंत्र का उच्चारण करें- 'गुरुपरंपरासिद्धयर्थं व्यासपूजां करिष्ये'.
- पूजा के बाद अपने गुरु या उनके फोटो की पूजा करें.
- अगर गुरु सामने ही हैं तो सबसे पहले उनके चरण धोएं. उन्हें तिलक लगाएं और फूल अर्पण करें.
- अब उन्हें भोजन कराएं.
- इसके बाद दक्षिण दें और पैर छूकर विदा करें.
- इस दिन आप ऐसे किसी भी इंसान की पूजा कर सकते हैं जिसे आप अपना गुरु मानते हों. फिर चाहे वह ऑफिस के बॉस हों, सास-ससुर, भाई-बहन, माता-पिता या दोस्त ही क्यों न हों.
- अगर आपके गुरु का निधन हो गया है तो आप उनकी फोटो की विधिवत् पूजा कर सकते हैं.