Owner/Director : Anita Khare
Contact No. : 9009991052
Sampadak : Shashank Khare
Contact No. : 7987354738
Raipur C.G. 492007
City Office : In Front of Raj Talkies, Block B1, 2nd Floor, Bombey Market GE Road, Raipur C.G. 492001
नई दिल्ली: करवा चौथ (Karwa Chauth) के व्रत में छलनी का बेहद महत्व है. इस दिन पूजा की थाली में महिलाएं सभी सामानों के साथ-साथ छलनी भी रखती है. करवा चौथ की रात महिलाएं अपना व्रत पति को इसी छलनी में से देखकर पूरा करती हैं. शादी-शुदा महिलाएं इस छलनी में पहले दीपक रख चांद को देखती हैं और फिर अपने पति को निहारती हैं. इसके बाद पति उन्हें पानी पिलाकर व्रत पूरा करवाते हैं. लेकिन कभी सोचा है पति और चांद दोनों को छलनी से ही क्यों देखा जाता है? इसके पीछे की आखिर वजह क्या है?
हिंदू मान्यताओं के मुताबिक चंद्रमा को भगवान ब्रह्मा का रूप माना जाता है और चांद को लंबी आयु का वरदान मिला हुआ है. चांद में सुंदरता, शीतलता, प्रेम, प्रसिद्धि और लंबी आयु जैसे गुण पाए जाते हैं. इसीलिए सभी महिलाएं चांद को देखकर ये कामना करती हैं कि ये सभी गुण उनके पति में आ जाएं.
वहीं, छलनी को लेकर एक और पौराणिक कथा के मुताबिक एक साहूकार के सात लड़के और एक बेटी थे. बेटी ने अपने पति की लंबी आयु के लिए करवा चौथ का व्रत रखा था. रात के समय जब सभी भाई भोजन करने लगे तो उन्होंने अपनी बहन को भी खाने के लिए आंमत्रित किया. लेकिन बहन ने कहा - "भाई! अभी चांद नहीं निकला है, उसके निकलने पर अर्घ्य देकर भोजन करूंगी." बहन की इस बात को सुन भाइयों ने बहन को खाना खिलाने की योजना बनाई.
भाइयों दूर कहीं एक दिया रखा और बहन के पास छलनी ले जाकर उसे प्रकाश दिखाते हुए कहा कि - बहन! चांद निकल आया है. अर्घ्य देकर भोजन कर लो. इस प्रकार छल से उसका व्रत भंग हुआ और पति बहुत बीमार हुआ. ऐसा छल किसी और शादीशुदा महिला के साथ ना हो इसीलिए छलनी में ही दिया रख चांद को देखने की प्रथा शुरू हुई.
::/fulltext::नई दिल्ली: कोजागरी पूर्णिमा (Kojagiri or Kojagara Purnima), 'महारास' या 'रास पूर्णिमा' (Maha Raas Leela or Raas Purnima), 'कौमुदी व्रत' (Kamudi Vrat) और 'कुमार पूर्णिमा' (Kumar Purnima) के नाम से प्रसिद्ध है शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima). इस दिन रात को खास खीर बनाकर चांद के नीचे रखे की परपंरा है. मान्यताओं की मानें तो इस खीर के कई सेहत से जुड़े फायदे होते हैं. वहीं, इसे एक खास मुहूर्त पर खुले आसमान में रखा जाता है. अगर आप भी शरद पूर्णिमा की रात खीर को बाहर रखने का सोच रही हैं तो यहां जाने सही वक्त और रखने का तरीका.
शरद पूर्णिमा की खीर को बाहर रखने का शुभ मुहूर्त और तरीका :
1. 24 अक्टूबर को चांद निकलने का समय है शाम 05.58. इसी वक्त खीर बनाकर खुले आसमान में रखें.
2. अगर आपके पास खुले आसमान की व्यवस्था नहीं है तो खीर ऐसी जगह रखें जहां चांद की रोशनी खीर पर आए.
3. खीर को मिट्टी या चांदी के बर्तन में ही बाहर रखें.
4. साथ ही ध्यान दें कि खीर को सुरक्षित स्थान पर रखें, इसे कोई जानवर झूठा ना कर सके.
5. खीर रात 12 बजने के बाद उठा लें और फिर प्रसाद के तौर पर खीर को बांटें और खाएं.
दूध में भरपूर मात्रा में लैक्टिक एसिड होता है, जो चांद की तेज़ रोशनी में दूध के और अच्छे बैक्टिरिया को बनाने में सहायक होता है. वहीं, चावलों में मौजूद स्टार्च इस काम को और आसान बनाने में सहायक होता है. वहीं, चांदी के बर्तन में रोग-प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा होती है. मान्यता के अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन चांद की रोशनी सबसे तेज़ होती है. इन्हीं सब कारणों की वजह से शरद पूर्णिमा की रात बाहर खुले आसमान में रखी खीर फायदेमंद बताई जाती है.
::/fulltext::