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19 अक्टूबर (19 October) यानी शुक्रवार को दशहरा (Dussehra 2018) भारत में धूमधाम से मनाया जाएगा. इसी दिन भगवान श्रीराम ने रावण (Ravana) का वध कर बुराई पर अच्छाई की जीत हासिल की थी. मान्यता है कि नवरात्र के दसवें दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था, इसलिए इस विजयदशमी (VijayaDashami) मनाई जाती है.
श्रीलंका में आज भी रामायण (Ramayana) से जुड़े कई ऐतिहासिक स्थल मौजूद हैं, जिनके बारे में हर कोई जानना चाहता है. श्रीलंका में कई ऐसे स्थान हैं जो बीते हुए रामायण काल के इतिहास की गवाही देते हैं. बता दें, रिसर्च में श्रीलंका में 50 ऐसे स्थल खोजने का दावा किया गया है जिनका संबंध रामायण से है. इसी रिसर्च में निकलकर आया है कि रावण का शव एक गुफा में रखा गया था. जो श्रीलंका रैगला के जंगलों के बीच मौजूद है. श्रीलंका का इंटरनेशनल रामायण रिसर्च सेंटर और वहां के पर्यटन मंत्रालय ने मिलकर ये खोज की थी. आइए जानते हैं इस गुफा के बारे में..
इस बात को तो सभी जानते हैं कि जब भगवान श्रीराम और लंकाधिपति रावण के बीच युद्ध हुआ था, तब राम के हाथों रावण का वध हुआ था और यह भी जानते हैं कि रावण के अंतिम संस्कार के लिए उसके शव को रावण के भाई विभिषण को सौंपा गया था. विभिषण को लंकाधिपति रावण का शव सौंपे जाने के बाद रावण का अंतिम संस्कार हुआ भी था या नहीं इस बात को शायद कोई नहीं जानता है. दावा है कि यहां रावण की गुफा है, जहां उसने तपस्या की थी. कहा जाता है कि उसी गुफा में आज भी रावण का शव सुरक्षित रखा हुआ है. रैगला के इलाके में यह गुफा 8 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित है.
रावण ने यहां रखा था सीता को
मान्यताओं के मुताबिक, अशोक वाटिका वो जगह है जहां रावण ने माता सीता को रखा था. आज इस जगह को सेता एलीया के नाम से जाना जाता है, जो की नूवरा एलिया नामक जगह के पास स्थित है. यहां आज सीता का मंदिर है और पास ही एक झरना भी है. इस झरने के आसपास की चट्टानों पर हनुमान जी के पैरों के निशान भी मिलते हैं.
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आज यानी 17 अक्टूबर को नवरात्रि की अष्टमी तिथि है और आज माँ दुर्गा के आठवें स्वरुप देवी महागौरी की पूजा की जाती है। कहते हैं इन देवी की पूजा बहुत कल्याणकारी होती है। माता के आशीर्वाद से भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं। सुहागिन औरतें इनकी उपासना कर अखंड सौभाग्य का वरदान प्राप्त करती हैं। आइए जानते हैं क्या है इन देवी की कथा।
कहा जाता है जब माता महादेव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या कर रही थीं तब उनका पूरा शरीर धुल मिट्टी से ढक गया था जिसके कारण वे काली पड़ गयी थी। भोलेनाथ माता की तपस्या से प्रसन्न होकर उनके समक्ष प्रकट हुए और उनके शरीर पर गंगाजल डालकर उन्हें साफ़ किया।
गंगाजल पड़ते ही देवी महागौरी का शरीर बिजली के समान चमकने लगता है और माता अत्यंत कांतिमान गौर वर्ण की हो जाती हैं इसलिए इन्हें गौरी कहा जाता है। कहते हैं कि देवी सीता ने भी श्री राम की पत्नी बनने के लिए महागौरी की ही पूजा की थी।
माता का यह स्वरुप अत्यंत दिव्य और सुन्दर है। अपने इस रूप में देवी जी ने सफ़ेद वस्त्र धारण किए हुए हैं। इन देवी की चार भुजाएं हैं जिनमें हाथ में त्रिशूल, दूसरे हाथ में अभय मुद्रा है, तीसरे हाथ में माता ने डमरू पकड़ा हुआ है। माता का चौथा हाथ वर मुद्रा में है। देवी महागौरी का वाहन वृषभ(बैल) है।
देवी महागौरी को सौभाग्य की देवी भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि नवरात्रि में अष्टमी के दिन माता को लाल चुनरी चढ़ाना बहुत ही शुभ होता है। इससे देवी माँ प्रसन्न होती हैं और पति की लंबी आयु का आशीर्वाद प्रदान करती हैं। इसके अलावा कुँवारी कन्याएं भी मनचाहा वर प्राप्त करने के लिए महागौरी की पूजा कर सकती हैं।
देवी महागौरी को सफ़ेद रंग अत्यंत प्रिय है इसलिए इनकी पूजा में सफ़ेद रंग की चीज़ों का उपयोग करना बेहद अच्छा होता है जैसे सफ़ेद पुष्प। माता को चमेली की माला चढ़ाना भी बहुत शुभ होता है। प्रसाद के रूप में सफ़ेद मिठाई, खीर आदि का भोग लगा सकते हैं। ऐसी मान्यता है कि अष्टमी पर माता को नारियल चढ़ाने से व्यक्ति के समस्त दुखों का नाश हो जाता है और उसका जीवन सुखों से भर जाता है।
नवरात्रों में अष्टमी पर कुँवारी पूजन करना बेहद ज़रूरी होता है। कहते हैं इनकी पूजा के बिना आपके पूरे नौ दिनों की उपासना अधूरी रह जाती है। इस दिन 9 कुँवारी कन्याओं और एक बालक को भोजन कराया जाता है जिसके लिए लोग हलवा, पूरी, खीर आदि बनाते हैं।
माँ महागौरी को देवी अन्नपूर्णा का भी रूप माना जाता है इसलिए अष्टमी पर कुँवारी कन्याओं को भोजन कराने से घर से दरिद्रता दूर रहती है और कभी धन धान्य की कमी नहीं होती।
देवी गौरी की पूजा सफ़ेद या गुलाबी रंग के वस्त्र पहनकर करना चाहिए।
ज्योतिष में देवी महागौरी का संबंध शुक्र ग्रह से माना जाता है इसलिए इनकी उपासना से कुंडली में शुक्र मज़बूत होता है। इसके अलावा यदि किसी व्यक्ति के जीवन में विवाह से जुड़ी परेशानियां आ रही हैं तो इन देवी की पूजा से उसकी सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं।
श्वेते वृषे समारुढा श्वेताम्बरधरा शुचिः। महागौरी शुभं दघान्महादेवप्रमोददा।।
महागौरी के महामंत्र का जाप करने के पश्चात शुक्र के मूल मंत्र 'ॐ शुं शुक्राय नमः' का जाप करें।
अगर आप मधुमेह, आँखों के रोग या फिर हार्मोन्स की समस्या से पीड़ित हैं तो देवी महागौरी की पूजा आपके लिए रामबाण का काम करेगी।