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हिंदू धर्म में पूर्णिमा का काफी महत्त्व है लेकिन इन सब में सबसे ज़्यादा लोकप्रिय शरद पूर्णिमा है। कहते हैं शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा संपूर्ण और सोलह कलाओं से युक्त होता है और धरती पर अमृत की वर्षा करता है। अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है। शरद पूर्णिमा को 'कोजागर पूर्णिमा' और 'रास पूर्णिमा' भी कहते हैं। इस दिन से शरद ऋतु की भी शुरुआत हो जाती है।
इस दिन चंद्र देव के साथ साथ माता लक्ष्मी और विष्णु जी की भी पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा पर जो भी भक्त सच्चे मन से पूजा करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। आइए जानते हैं शरद पूर्णिमा की पूजा कैसे की जाती है और इससे जुड़ी कुछ अन्य ख़ास बातें।
16 कलाओं के साथ हुआ था श्री कृष्ण का जन्म
कहते हैं 16 कलाओं वाला पुरुष ही सर्वोत्तम पुरुष होता है। भगवान श्री कृष्ण का जन्म भी 16 कलाओं के साथ हुआ था। वहीं दूसरी ओर श्री राम का जन्म केवल 12 कलाओं के साथ ही हुआ था।
खीर बनाने की परंपरा
शरद पूर्णिमा पर खीर बनाने की विशेष परंपरा है। इस दिन लोग खीर बनाकर उसे अपने घर की छत पर खुले आकाश के नीचे रखते हैं। माना जाता है कि इस दिन आकाश से अमृत बरसता है। साथ ही चंद्रमा के प्रकाश में कुछ औषधीय गुण मौजूद होते हैं जो बड़े बड़े रोगों का नाश कर मनुष्य को स्वस्थ बनाते हैं।
संतान प्राप्ति के लिए स्त्रियां करती हैं व्रत और पूजन
शरद पूर्णिमा के व्रत को 'कौमुदी व्रत' भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजन करने से व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाली महिलाएं भी इस दिन ज़रूर पूजा और व्रत रखती हैं। इतना ही नहीं अपनी बच्चों की कुशलता और लंबी आयु के लिए भी माताएं शरद पूर्णिमा के दिन पूरे विधि विधान से पूजा करती हैं।
कुँवारी कन्याएं भी मनचाहा वर पाने के लिए इस दिन व्रत और पूजा कर सकती हैं।
सबसे पहले सुबह उठकर स्नान आदि कर लें फिर अपने इष्ट देव का ध्यान कर व्रत का संकल्प लें। उसके बाद घर में बने पूजा के स्थान पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करें। घी का दीपक, धुप जलाएं, पुष्प अर्पित करें। शाम को दोबारा माता लक्ष्मी और विष्णु जी की पूजा करें। फिर चंद्रदेव को अर्घ दें और प्रसाद चढ़ाएं।
पूजा के बाद अपना व्रत खोलें। खीर बनाकर छत पर रखें। रात बारह बजे के बाद उसे ग्रहण करें और परिजनों के बीच प्रसाद के रूप में वितरित करें।
शरद पूर्णिमा की तिथि और शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 23 अक्टूबर 2018 रात 10 बजकर 36 मिनट
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 24 अक्टूबर 2018 रात 10 बजकर 14 मिनट
शरद पूर्णिमा व्रत कथा
एक कथा के अनुसार एक साहूकार की दो बेटियां थी। दोनों हर पूर्णिमा पर व्रत और पूजन करती थी किन्तु साहूकार की छोटी बेटी हर पूर्णिमा पर अपनी पूजा अधूरी ही छोड़ देती थी जिसके परिणामस्वरूप उसके विवाह के पश्चात उसकी संतानें पैदा होती ही मर जाती थी।
इस बात से दुखी उसने अपनी समस्या का समाधान किसी पंडित से पूछा। पंडित ने उसे बताया कि पूर्णिमा पर उसने अपनी पूजा अधूरी छोड़ दी थी इसलिए उसके साथ ऐसा हो रहा है। इसके बाद उसने विधिपूर्वक पूर्णिमा पर व्रत और पूजन किया किन्तु फिर भी उसके पुत्र की जन्म के बाद मृत्यु हो गयी। बच्चे की मृत्यु के बाद उसके शव को एक पीढ़े पर लिटाकर कपड़े से ढक दिया गया। इतने में उसकी बड़ी बहन वहां आ गयी। छोटी बहन ने उसे वही पीड़ा बैठने के लिए दे दिया तभी उसका घाघरा बच्चे को छु गया और वह ज़ोर ज़ोर से रोने लगा।
बड़ी बहन क्रोधित हो गयी और अपनी छोटी बहन से कहने लगी कि वह उसे कलंकित करना चाहती थी इसलिए उसने ऐसा किया। इस पर छोटी बहन ने उसे बताया कि उसका पुत्र पहले से ही मृत था वह उसके भाग्य से जीवित हुआ है। इसके बाद उसने पूरे नगर में पूर्णिमा का व्रत करने की घोषणा करवा दी।
नई दिल्ली: केरल का सबरीमाला मंदिर के कपाट पांच दिन की पूजा के बाद सोमवार रात 10 बजे बंद कर दिए जाएंगे. मंदिर के कपाट 18 अक्टूबर को खोले गए थे, और सुप्रीम कोर्ट द्वारा सभी आयु की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दिए जाने के बाद मंदिर के कपाट खोले जाने का यह पहला अवसर था. पिछले चार दिन के दौरान सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों ने 10-50 वर्ष आयुवर्ग की नौ महिलाओं को मंदिर में प्रवेश करने से रोका. रविवार को 47-वर्षीय एक महिला घबराहट का शिकार हो गई थी, जब प्रदर्शनकारियों ने मंदिर के प्रवेश द्वार पर उन्हें घेर लिया. पाम्बा से रिपोर्टिंग कर रहे पत्रकारों को भी पुलिस ने इलाके से दूर चले जाने के लिए कहा है, क्योंकि उनके पास मौजूद सूचनाओं के मुताबिक, मीडिया को हमलों का निशाना बनाया जा सकता है.
मंदिर प्रशासन ने सरकार को लिखा है कि यदि कोई परम्परा तोड़ी गई, तो वे मंदिर में ताला लगा देंगे, और सभी रस्मों को रोक देंगे. मंदिर प्रशासन के अनुसार, अब चिंताजनक बात यह है कि मंदिर के भीतर 1,000 से भी ज़्यादा पुरुष कैम्प किए बैठे हैं, जो 50 वर्ष से कम आयु की महिलाओं को प्रवेश से रोकने के लिए कानून को अपने हाथ में ले सकते हैं. भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने इन आरोपों का खंडन किया है कि विरोध प्रदर्शनों को तेज़ करने के लिए उसने अपने कार्यकर्ताओं को मंदिर में तैनात किया है.
पार्टी ने केंद्र सरकार से दखल देने का आग्रह करने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र आहूत करने की मांग की है, जबकि कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को टालने के लिए केंद्र सरकार से अध्यादेश लाए जाने की मांग की है. दोनों पार्टियों का आरोप है कि राज्य में सत्तासीन CPM-नीत सरकार मंदिर की पवित्रता को नष्ट करने की चेष्टा कर रही है. BJP की प्रदेश इकाई ने रविवार को फैसला किया कि राज्यभर में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरुद्ध प्रदर्शन किए जाएंगे. प्रदेश BJP के महासचिव के. सुरेंद्रन ने बताया, "पूरे माह का सबरीमाला अय्यप्पा संरक्षणाय अभियान चलाया जाएगा... BJP कार्यकर्ता घर-घर जाकर मंदिर की पवित्रता को अक्षुण्ण बनाए रखने की महत्ता के बारे में समझाएंगे..."
::/fulltext::पूरे देश में नवरात्रि की लहर चल रही है। नवरात्रि के 9 दिन बाद दसवें दिन दशहरा मनाया जाएगा। जब श्रीराम लंकापति रावण का वध करते है। रामायण के इस प्रसंग को बुराई पर अच्छाई की जीत के तौर पर देखा जाता है। समय चाहे कितना ही क्यों न बदल जाएं, लोगों की आस्था और दिलचस्पी रामायण के प्रसंगों के प्रति हमेशा रहेगी और ये आने वाले समय में भी कम नहीं होगी।
श्रीलंका में आज भी रामायण से जुड़े कई ऐतिहासिक स्थल मौजूद हैं, जिनके बारे में हर कोई जानना चाहता है। ये जगहें रामायण काल के इतिहास की सच्चाई बयां करते है।
बता दें, रिसर्च में श्रीलंका में 50 ऐसे स्थल खोजने का दावा किया गया है जिनका संबंध रामायण से है। इसी रिसर्च में दावा किया गया है कि रावण का शव एक गुफा में रखा गया था। जो श्रीलंका रैगला के जंगलों के बीच किसी गुफा में मौजूद है। श्रीलंका का इंटरनेशनल रामायण रिसर्च सेंटर और वहां के पर्यटन मंत्रालय ने मिलकर ये खोज की थी। आइए जानते हैं इस गुफा के बारे में और जानते है कि रावण की वध के बाद कैसे रावण का शव इस गुफा में पहुंचा?
श्रीलंका के रैगला में
जहां कुछ लोग मत हैं कि उसका अंतिम संस्कार हो चुका है। तो वहीं श्रीलंका की सरकार और वहां के लोगों आज भी रावण को धरती पर मौजूद मानते हैं। बताया जाता है कि श्रीलंका के रैगला के घने जंगलों में रावण का शव ममी के रुप आज भी सुरक्षित रखा गया है, जिसकी रखवाली भयंकर नाग और खुंखार जानवर करते हैं।
रैगला के घने जंगलों में 8 हज़ार फुट की ऊंचाई पर एक गुफा मौजूद है, जहां रावण ने तपस्या की थी। कहा जाता है कि इसी गुफा में रावण की ममी मौजूद है। रावण का शव जिस ताबुत में रखा गया है, उसपर एक खास किस्म का लेप लगा है, जिससे वो ताबुत हज़ारों साल से जस का तस है। इस ताबुत की लंबाई 18 फीट और चौड़ाई 5 फीट है और इसी ताबुत के नीचे रावण का बेशकीमती खज़ाना दबा हुआ है।
इस बात को तो सभी जानते हैं कि जब भगवान श्रीराम और लंकाधिपति रावण के बीच युद्ध हुआ था, तब राम के हाथों रावण का वध हुआ था और यह भी जानते हैं कि रावण के अंतिम संस्कार के लिए उसके शव को रावण के भाई विभिषण को सौंपा गया था। राम ने विभिषण से सम्मानपूर्वक रावण का अंतिम संस्कार करने को कहा था। कहा जाता है कि राजगद्दी संभालने की जल्दी में विभिषण ने रावण के शव को वैसे ही छोड़ दिया था। जिसके बाद रावण के शव को नागकुल के लोग अपने साथ ले गए थे।
नागकुल के लोगों को यकीन था कि रावण की मौत क्षणिक है वो फिर से जीवित हो जाएगा। उन्होंने रावण को फिर से जीवित करने की कई बार कोशिश भी की लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिली। जिसके बाद उन्होंने रावण के शव को सुरक्षित रखने के लिए विभिन्न रसायनों का इस्तेमाल किया और उसे ममी के रुप में रख दिया।
इन 50 स्थलों में से जहां अशोक वाटिका, भगवान हनुमान के पैरो के निशान और रावण के पुष्पक विमान के उतरने के स्थान को भी खोजने का दावा किया गया है। श्रीलंका सरकार ने 'रामायण' में आए लंका प्रकरण से जुड़े तमाम स्थलों पर शोध करवाकर उनकी ऐतिहासिकता सिद्ध कर इन स्थानों को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा।