Owner/Director : Anita Khare
Contact No. : 9009991052
Sampadak : Shashank Khare
Contact No. : 7987354738
Raipur C.G. 492007
City Office : In Front of Raj Talkies, Block B1, 2nd Floor, Bombey Market GE Road, Raipur C.G. 492001
देवी कालरात्रि माँ दुर्गा का सातवां स्वरुप मानी जाती हैं। माता का यह रूप अत्यंत भयंकर और शक्तिशाली है। दुष्टों का विनाश करने के लिए माँ आदिशक्ति ने यह रूप धारण किया था किन्तु अपने भक्तों पर ये सदैव ही अपनी कृपा बनाए रखती हैं। यही कारण है कि इन्हें शुम्भ्कारी भी कहते हैं।
बड़े से बड़े असुर, दैत्य, भूत, देवी कालरात्रि के भय से कांपते हैं। आइये विस्तार से जानते हैं कैसे माता ने अपने इस रूप में भक्तों का उद्धार किया था और देवी माँ से जुड़ी कुछ अन्य खास बातें।
पौराणिक कथाओं के अनुसार जब असुरों के राजा रक्तबीज और शुम्भ निशुम्भ नाम के दैत्यों के अत्यचार से चारों ओर हाहाकार मच गया था। तब देवी दुर्गा ने शुम्भ निशुम्भ का तो वध कर दिया लेकिन जैसे ही उन्होंने रक्तबीज को मारा उसका रक्त ज़मीन पर गिरा और उससे लाखों रक्तबीज उत्पन्न हो गए। तब माता ने अपने तेज से देवी कालरात्रि की उत्पत्ति की। माँ कालरात्रि ने रक्तबीज के रक्त को अपने मुख में भर लिया और उसका गला काट कर उसका वध कर दिया। इस प्रकार देवी माँ ने समस्त देवताओं और मनुष्यों को इन बुरी शक्तियों से मुक्त करवाया था।
माता का यह स्वरूप बहुत ही डरावना है। इस रूप में माता के तीन नेत्र हैं। इनके शरीर का रंग एकदम काली रात की तरह काला है जिसकी वजह से इन्हें कालरात्रि देवी कहा जाता है। माता के बाल एकदम बिखरे हुए है और इनके गले में विधुत की माला है। इनकी चार भुजाएं हैं जिनमें दो हाथों में देवी जी ने कटार और कांटा धारण किया हुआ है और दो हाथों में अभयमुद्रा और वरमुद्रा है। माता का यह रूप इतना शक्तिशाली है कि जब यह सांस लेती हैं तो उसमें से आग निकलती है। इन देवी का वाहन गधा है।
सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें, फिर कलश और नवग्रह की पूजा करें। इसके बाद हाथों में पुष्प और अक्षत लेकर देवी जी का ध्यान करें। माता को टीका लगाएं, लाल पुष्प अर्पित करें। घी का दीपक और धुप जलाएं। प्रसाद के रूप में माता को गुड़ का भोग लगाएं। ऐसी मान्यता है कि गुड़ का भोग लगाकर प्रसाद के रूप में ब्राह्मणों में वितरित करने से सभी रोगों का नाश होता है।
इन देवी की पूजा मध्य रात्रि के समय होती है। देवी कालरात्रि की पूजा तांत्रिक विधि से भी होती है जो बिना गुरू के संरक्षण और निर्देशों के नहीं की जा सकती नहीं तो इसका गलत परिणाम भुगतना पड़ता है। यही कारण है कि सप्तमी की रात को सिद्धि प्राप्ति की रात्रि भी कहा जाता है। इस दिन जो भी तांत्रिक विधि से पूजा करता है वह माता को मदिरा भी अर्पित करता है। गलत उद्देश्य से माँ कालरात्रि की पूजा कभी नहीं करनी चाहिए।
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥
माँ कालरात्रि की उपासना करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्ति होती है। साथ ही मनुष्य को किसी भी प्रकार का भय नहीं रहता। इसके अलावा किसी भी तरह की दुर्घटना से भी व्यक्ति बचा रहता है और उसके सभी रोगों का भी नाश होता है। इन देवी की आराधना से नकारात्मक ऊर्जा आपसे और आपके घर से हमेशा दूर रहती है।
देवी कालरात्रि का संबंध शनि ग्रह से है इसलिए यदि आपकी कुंडली में शनि की स्थिति शुभ नहीं है तो आप माँ कालरात्रि की उपासना ज़रूर करें। माता की कृपा से शनि के साढ़े साती का प्रभाव भी कम हो जाएगा और आपको शनि दोष से मुक्ति मिलेगी।
विशाखापत्तनम: धार्मिक त्योहारों के दौरान देश के मंदिरों की छवि अद्भुत और निराली होती है. मंदिरों की साज-सजावट अक्सर त्योहारों के समय चर्चा का बड़ा विषय होती है इसी कड़ी में नयी सुर्खियां आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम के एक मंदिर ने बटोरी हैं. नवरात्र के मौके पर इस मंदिर को बड़े ही अनोखे अंदाज में सजाया गया है.
आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में नवरात्र के मौके पर एक देवी मंदिर को 4 करोड़ रुपये कैश और 4 किलोग्राम सोने से इस मंदिर को सजाया गया है. विशाखापत्तनम में वासवी कन्यका परमेश्वरी मंदिर की सजावट लोगों को खूब आकर्षित कर रही है. दरअसल, मंदिर में मां की प्रतिमा को आभूषणों से सजाया गया है. इसमें 4 किलोग्राम सोने का इस्तेमाल किया गया है. वहीं प्रतिमा के पीछे और मंदिर परिसर की 4 करोड़ के कैश से सजावट की गई है.
बताया जाता है कि देवी का यह मंदिर करीब 130 साल पुराना है और नवरात्र के मौके पर यहां हर वर्ष देवी की प्रतिमा का खास शृंगार किया जाता है. इस मंदिर की सजावट को लेकर इस समय सोशल मीडिया पर भी खूब चर्चा हो रही है.