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हरतालिका तीज (Hartalika Teej) का व्रत बेहद कठिन है. मान्यता है कि अगर इस व्रत को पूरे विधि-विधान से न किया जाए तो व्रत का फल नहीं मिलता है.
खास बातें
नई दिल्ली: हरतालिका तीज (Hartalika Teej) भादो माह की शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाई जाती है. इस बार यह पर्व 12 सितंबर को है. हिन्दू धर्म में इस व्रत का बड़ा महात्म्य है. माना जाता है कि इस व्रत को करने से माता गौरी और भगवान शंकर प्रसन्न होते हैं. मान्यता है कि इस व्रत के प्रताप से अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है. यहां तक कि पुराणों और लोक कथाओं में भी इस व्रत की महिमा गुणगान मिलता है. यह व्रत जितना फलदायी है उतने ही कठिन इसके नियम हैं. हरतालिका तीज का व्रत बेहद कठिन है. इस व्रत के नियम हरियाली तीज और कजरी तीज के व्रत से भी ज्यादा कठोर हैं. यहां पर हम आपको इस व्रत के नियम और पूजा विधान के बारे में बता रहे हैं.
हरतालिका तीज का व्रत कैसे करें?
हरतालिका तीज का व्रत अत्यंत कठिन माना जाता है. यह निर्जला व्रत है यानी कि व्रत के पारण से पहले पानी की एक बूंद भी ग्रहण करना वर्जित है. व्रत के दिन सुबह-सवेरे स्नान करने के बाद "उमामहेश्वरसायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रतमहं करिष्ये" मंत्र का उच्चारण करते हुए व्रत का संकल्प लिया जाता है.
हरतालिका तीज के व्रत के नियम
- इस व्रत को सुहागिन महिलाएं और कुंवारी कन्याएं रखती हैं. लेकिन एक बार व्रत रखने के बाद जीवन भर इस व्रत को रखना पड़ता है.
- अगर महिला ज्यादा बीमार है तो उसके बदले घर की अन्य महिला या फिर पति भी इस व्रत को रख सकता है.
- व्रत करने वाली महिला को किसी पर भी गुस्सा नहीं करना चाहिए. यही वजह है कि इस दिन महिलाएं मेहंदी लगाती हैं.
- व्रत करने वाली महिला को पति के साथ क्लेश नहीं करना चाहिए. मान्यता है कि ऐसा करने से व्रत अधूरा रह जाता है.
- अगर आप इस व्रत को रख रही हैं तो किसी बुजुर्ग का अपमान न करें. मान्यता है कि ऐसा करने से व्रत का प्रताप नहीं मिलता है.
- इस व्रत में सोने की मनाही है. यहां तक कि रात को भी सोना वर्जित है. रात के वक्त भजन-कीर्तन किया जाता है. मान्यता है कि इस दिन व्रत करने वाली महिला अगर रात को सो जाए तो वह अगले जन्म में अजगर बनती है.
- मान्यता है कि अगर व्रत करने वाली महिला इस दिन गलती से भी कुछ खा-पी ले तो वह अगले जन्म में बंदर बनती है.
- मान्यता है कि अगर व्रत करने वाली महिला इस दिन दूध पी ले तो वह अगले जन्म में सर्प योनि में पैदा होती है.
- व्रत अगले दिन सूर्योदय के बाद माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाने के बाद ही तोड़ा जाता है.
हरतालिका तीज की पूजन विधि
हरतालिका तीज की पूजा प्रदोष काल में की जाती है. प्रदोष काल यानी कि दिन-रात के मिलने का समय. हरतालिका तीज के दिन इस प्रकार शिव-पार्वती की पूजा की जाती है:
- संध्या के समय फिर से स्नान कर साफ और सुंदर वस्त्र धारण करें. इस दिन सुहागिन महिलाएं नए कपड़े पहनती हैं और सोलह श्रृंगार करती हैं.
- इसके बाद गीली मिट्टी से शिव-पार्वती और गणेश की प्रतिमा बनाएं.
- दूध, दही, चीनी, शहद और घी से पंचामृत बनाएं.
- सुहाग की सामग्री को अच्छी तरह सजाकर मां पार्वती को अर्पित करें.
- शिवजी को वस्त्र अर्पित करें.
- अब हरतालिका व्रत की कथा सुनें.
- इसके बाद सबसे पहले गणेश जी और फिर शिवजी व माता पार्वती की आरती उतारें.
- अब भगवान की परिक्रमा करें.
- रात को जागरण करें. सुबह स्नान करने के बाद माता पार्वती का पूजन करें और उन्हें सिंदूर चढ़ाएं.
- फिर ककड़ी और हल्वे का भोग लगाएं. भोग लगाने के बाद ककड़ी खाकर व्रत का पारण करें.
- सभी पूजन सामग्री को एकत्र कर किसी सुहागिन महिला को दान दें.
गणेश चतुर्थी के उत्सव में अब कुछ ही दिन बचे हैं। इस वक़्त सभी बाज़ार भगवन गणेश की अलग अलग मूर्तियों से सजे हुए हैं। ये खूबसूरत और अलग अलग रंगों की मूर्तियां गणेश भक्तों को आकर्षित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं और वो इस दुविधा में हैं की इस बार पूजा के लिए कौन सी मूर्ति को साथ ले जाया जाए।
गणेश चतुर्थी का पर्व हिंदू धर्म में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। दस दिनों तक चलने वाले इस त्योहार के लिए लोग कोई कमी नहीं छोड़ना चाहते हैं। गणेश जी की मूर्ति की स्थापना घर में की जाती है और दस दिनों तक इनकी पूजा अर्चना होती है और उसके बाद इनका विसर्जन किया जाता है। इस साल ये त्योहार 13 सितंबर, 2018 को मनाया जाएगा। जानते हैं की उनकी मूर्ति का चयन करने के दौरान कौन सी अहम बातों को ध्यान में रखना ज़रूरी है।
गणेश जी की बैठी या खड़ी मूर्ति
इस वक़्त मार्केट में गणेश मूर्ति की वैरायटी की भरमार है। वहीं दुकानदार आपको हर मूर्ति के सकारात्मक प्रभाव बताते हुए दिख जाएंगे। बहरहाल, अगर आप घर में गणेश जी की स्थापना करना चाहते हैं तो उनकी बैठी हुई मूर्ति चुनें। गणेश भगवान की खड़ी मूर्ति कार्यस्थल के लिए चुनना बेहतर है। गणेश जी की बैठी हुई प्रतिमा आर्थिक स्थिरता लाती है और साथ ही धन के गलत इस्तेमाल को रोकती है। वहीं कार्यस्थल में उनकी खड़ी मूर्ति व्यवसायिक उन्नति में मदद करती है।
किस दिशा में होनी चाहिए गणेश जी की सूंड
गणेश जी की मूर्ति खरीदते वक़्त लोगों को गणेश जी की सूंड की दिशा को लेकर असमंजस रहता है। वैसे तो दोनों ही गणेश जी अच्छे लगते हैं लेकिन दोनों का इस्तेमाल पूजा के लिए नहीं किया जा सकता है। जिस मूर्ति में सूंड बाईं तरफ हो सिर्फ उसका ही प्रयोग किया जाना चाहिए। ये पूजा के लिए काफी शुभ माने जाते हैं।
भगवान गणेश नन्हे मूषक यानि चूहे के साथ ही नज़र आते हैं। ये मूषक गणेश जी की सवारी है। कई कलाकृतियों में ये मूषक गणपति के चरणों के पास मोदक खाता हुआ नज़र आता है। मोदक शिव और पार्वती के पुत्र गणेश को भी बेहद प्रिय है। आप ऐसी मूर्ति का चुनाव करें जिसमें गणेश जी के साथ मूषक और मोदक दोनों हो।
किस चीज़ की बनी होनी चाहिए उनकी मूर्ति
ऐसी मूर्ति आप चुनें जो मिटटी, प्लास्टर ऑफ पेरिस या ऐसे किसी मेटेरियल से तैयार किया गया हो जिसका विसर्जन आसानी से हो और पर्यावरण को भी नुकसान न पहुंचाए। ध्यान रहे मूर्ति तैयार करने में केमिकल का इस्तेमाल ना किया गया हो। वैसे आप घर पर ही चिकनी मिट्टी और मिट्टी का प्रयोग करके भी अपनी मूर्ति तैयार कर सकते हैं। ऐसा कहा जाता है की लकड़ी से बनी हुई गणेश मूर्ति का उपयोग पूजा के लिए नहीं करना चाहिए। इसे पूजा के कमरे में भी ना रखें तो बेहतर होगा।
उत्सव के दौरान मूर्ति का रंग भी काफी मायने रखता है। आप सिंदूरी रंग के गणेश मूर्ति का चयन कर सकते हैं। सफ़ेद रंग का भी प्रयोग अच्छा रहेगा। इस रंग की मूर्ति घर में शांति बनाये रखने में मदद करती है। ऐसा माना जाता है की यदि इन रंगों से तैयार मूर्ति को गणेश चतुर्थी की पूजा के लिए चुना जाता है तो ये जल्दी मनोकामनाएं पूरी करता है।
मथुरा. आरक्षण को लेकर जहां सवर्णों में खासा गुस्सा है. वहीं, अब साधु संत भी इसके खिलाफ मैदान में उतर आए हैं. शंकराचार्य स्वामी स्वरुपानंद सरस्वती ने कहा कि आरक्षण को पूरी तरह खत्म कर दिया जाना चाहिए.
आरक्षण को खत्म करने की वकालत करते हुए शंकराचार्य ने कहा कि आरक्षण के बजाय सरकार को समाज के सभी वर्गों को तरक्की के समान अवसर देते हुए सबकी भलाई औऱ विकास के प्रयास किए जाने चाहिए.
सरकार द्वारा नए लागू किए गए एससी-एसटी एक्ट के दुरुपयोग पर चिंता जताते हुए शंकराचार्य ने कहा कि जिनको हर जगह विशेष सुविधा मिल रही हो उनको कोई क्या सताएगा. उन्होंने नेताओं की तुष्टीकरण की नीति का विरोध करते हुए कहा कि उनको हर वर्ग की तरक्की के लिए काम करना चाहिए न कि किसी वर्ग विशेष की.
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