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Kajli Teej 2018: कजरी तीज को कजली तीज या बड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि बड़ी तीज के दिन सभी देवी-देवता शिव-पार्वती की पूजा करते हैं.
खास बातें
नई दिल्ली: Kajri Teej 2018: हिन्दू धर्म में तीज (Teej) पर्व का विशेष स्थान है. यह पर्व पति-पत्नी के प्रेम का प्रतीक है. कहते हैं कि इस दिन व्रत करने से पति-पत्नी के बीच प्यार बढ़ता है और जनम-जनम तक उनका साथ बना रहता है. इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए दिन-भर निर्जला उपवास रखती हैं. अच्छे पति की कामना के लिए अविवाहित लड़कियां भी इस व्रत को रखती हैं. साल भर में कुल चार तीज मनाई जाती हैं, जिनमें कजरी तीज (Kajri Teej) का विशेष महत्व है. यह त्योहार मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और राजस्थान में मनाया जाता है.
कजरी तीज कब मनाई जाती है?
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद यानी कि भादो माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया को कजरी तीज मनाई जाती है. इस बार 29 अगस्त को कजरी तीज मनाई जाएगी.
सतुदी तीज के दिन उसकी पत्नी अपनी सास से कहती है कि वह आज नीम के पेड़ की जगह उसकी टहनी तोड़कर पूजा करेगी. जब वह पूजा करती है तब साहूकार के छह बेटे अचानक आ जाते हैं, लेकिन वे किसी को दिखाई नहीं देते. तब वह अपनी जेठानियों से नीम की टहनी की पूजा करने के लिए कहती है. तब वे सब बोलती हैं कि उनके पति जिंदा नहीं हैं इसलिए वे पूजा नहीं कर सकतीं. यह सुनकर छोटी बहू कहती है कि आप सबके पति जिंदा हैं. सभी महिलाएं प्रसन्न होकर अपने पति के साथ पूजा करती हैं. इसके बाद यह बात सब जगह फैल गई कि इस तीज पर नीम के पेड़ की नहीं बल्कि उसकी टहनी की पूजा करनी चाहिए.
केरल राज्य के लिए ओणम (Onam) का विशेष महत्व है. यह राज्य में मनाए जाने वाले सभी त्योहारों में सबसे प्रमुख है. यह मुख्य रूप से कृषि पर्व है. ओणम का उत्सव 10 दिनों तक चलता है.
खास बातें
नई दिल्ली: ओणम (Onam) केरल राज्य का प्रमुख त्योहार और मलयाली हिन्दुओं का नव वर्ष है. यह एक कृषि पर्व है, जिसे हर समुदाय के लोग उत्साह और धूमधाम के साथ मनाते हैं. यह उत्सव राजा बलि के स्वागत में हर साल मनाया जाता है, जो कि पूरे 10 दिन तक चलता है. हालांकि इस बार भीषण बाढ़ की त्रासदी झेल रहे केरल में ओणम की रौनक फीकी रहने वाली है. यही नहीं, बाढ़ के चलते सबरीमला मंदिर को भी बंद कर दिया है. आपको बता दें कि हर साल इस मंदिर में ओणम के दौरान विशेष पूजा-अर्चना होती है.
ओणम कब है?
राज्य का कृषि पर्व कहलाने वाला ओणम मलयालम कैलेंडर के पहले माह चिंगम के शुरू में पड़ता है. ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार हर साल अगस्त-सितंबर में इस त्योहार को मनाया जाता है. वैसे तो ओणम का जश्न 10 दिनों तक मनाया जाता है, लेकिन इसमें पहले दो दिन सबसे महत्वपूर्ण होते हैं. ओणम के पहले दिन को उथ्रादम कहा जाता है, जबकि दूसरा दिन मुख्य ओणम यानी कि थिरूओणम कहलाता है. उथ्रादम के दिन घर की साफ-सफाई करने के बाद सजावट की जाती है. फिर थिरूओणम की सुबह पूजा की जाती है. मान्यता है कि थिरूओणम के दिन राजा बलि पधारते हैं. इस बार 24 अगस्त को उथाद्रम है जबकि 25 अगस्त को थिरूओणम मनाया जाएगा.
ओणम क्यों मनाया जाता है?
ओणम राजा बलि के स्वागत में मनाया जाता है. मान्यता है कि राजा बलि कश्यप ऋषि के पर पर पोते, हृणियाकश्यप के पर पोते और महान विष्णु भक्त प्रह्नाद के पोते थे. वामन पुराण के अनुसार असुरों के राजा बलि ने अपने बल और पराक्रम से तीनों लोकों पर अधिकार कर लिया था. राजा बलि के आधिपत्य को देखकर इंद्र देवता घबराकर भगवान विष्णु के पास मदद मांगने पहुंचे. भगवान विष्णु ने वामन अवतार धारण किया और राजा बलि से भिक्षा मांगने पहुंच गए. वामन भगवान ने बलि से तीन पग भूमि मांगी. पहले और दूसरे पग में भगवान ने धरती और आकाश को नाप लिया. अब तीसरा पग रखने के लिए कुछ बचा नहीं थी तो राजा बलि ने कहा कि तीसरा पग उनके सिर पर रख दें. भगवान वामन ने ऐसा ही किया. इस तरह राजा बलि के आधिपत्य में जो कुछ भी था वह देवताओं को वापस मिल गया.
केरल राज्य के लिए ओणम का विशेष महत्व है. यह राज्य में मनाए जाने वाले सभी त्योहारों में सबसे प्रमुख है. यह मुख्य रूप से कृषि पर्व है. ओणम का उत्सव 10 दिनों तक चलता है. यह उत्सव केरल के इकलौते वामन मंदिर त्रिक्काकरा से शुरू होता है. तरह-तरह के व्यंजन, लोकगीत, नृत्य और खेलों का आयोजन इस पर्व को अनूठी छटा दे देता है. ओणम के पहले दिन यानी कि उथ्रादम की रात घर को सजाया जाता है. फिर थिरूओणम के दिन सुबह पूजा होती है. घर पर ढेर सारे शाकाहारी पकवान बनाए जाते हैं. कहते हैं कि इन पकवानों की संख्या 20 से कम नहीं होनी चाहिए. ओणम की थाली को साध्या थाली कहा जाता है.
ओणम में हर घर के आंगन में फूलों की पंखुड़ियों से पूकलम यानी कि रंगोली बनाई जाती है. घर की लड़कियां रंगोली के चारों तरफ लोक नृत्य तिरुवाथिरा कलि करती हैं. पहले दिन यह पूकलम छोटी होती है, लेकिन हर रोज इसमें फूलों का एक और गोला बढ़ा दिया जाता है. इस तरह बढ़ते-बढ़ते 10वें दिन यानी कि तिरुवोनम तक यह पूकलम काफी बड़ी हो जाती है. इस पूकलम के बीच त्रिक्काकरप्पन (वामन अवतार में विष्णु), राजा महाबली और उसके अंग रक्षकों की प्रतिष्ठा होती है. ये मूर्तियां कच्ची मिट्टी से बनाई जाती हैं.
ओणम के दौरान केरल में कई तरह की प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है. इनमें नौका दौड़ा, पूकलम (रंगोली), पुलि कलि (टाइगर डांस) और कुम्मातीकलि (मास्क डांस) शामिल हैं.