Saturday, 12 July 2025

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पांच चीजें, जो आपकी सेहत को खराब कर सकती हैं। इन्हें भूलकर भी घर में न लाएं...... 

 

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त्योहार कोई भी हो अपने साथ खुशियां और उल्लास तो लाता है, लेकिन साथ में से जुड़े खतरे भी लेकर आता है। इसलिए इस रक्षाबंधन कुछ चीजों में सावधानी जरूर रखें ताकि खुशियों के रंग में भग न पड़े और रिश्तों की मिठास भी कायम रहे। खुशियों भरे माहौल में कहीं कुछ ऐसा भी है, जो आपको बीमार कर सकता है....जी हां, यह आपका बुरी तरही खराब कर सकता है... अगर नहीं जानते तो जरूर पढ़िए वह पांच चीजें, जो आपकी सेहत को खराब कर सकती हैं। इन्हें भूलकर भी घर में न लाएं -
 
1 मिठाई -
जी हां, आपने अब तक अधिक मिठाई खाने से होने वाले नुकसान के बारे में जरूर पढ़ा और सुना होगा, लेकिन त्योहार के वक्त बाजार में उपलब्ध नकली मिठाईयां आपको बुरी तरह बीमार कर सकती हैं। इन मिठाईयों में रंग से लेकर स्वाद तक सब कुछ नकली होता है, और इन्हें बनाने में जिन चीजों का प्रयोग किया जाता है, वे भी मिलावटी होते हैं। इससे होने वाले नुकसान से बचने के लिए घर की बनी मिठाईयों का प्रयोग करना ही बेहतर होगा।
 
2 मावा -
अगर घर पर ही मावा लाकर मिठाई बनाने के बारे में आपका कोई विचार है, तो पहले मावे की अच्छी तरह से जांच परख जरूर कर लें। क्योंकि नकली मावा आपकी सेहत को बिगाड़ सकता है। इसमें कास्टिक सोडे से लेकर, मिलावटी खाद्य पदार्थ तक का प्रयोग किया जा सकता है जो आपकी आंतों से लेकर पाचन तंत्र और अन्य अंगों को प्रभावित कर सकता है।
 
3 नकली घी -
जी हां, अगर आप त्योहारी सीजन में बाजार से घी लाकर मिठाई बना रहे हैं, तो इसे भी अच्छी तरह से जांच परख लें। क्योंकि असली और देसी घी देने का दावा करने वाले कई उत्पादक, घी बनाने में जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल करते हैं। इससे सतर्क रहने की बेह आवश्कता है।
 
4 मेटल की राखी -
राखी वैसे तो रेशम की डोरी का नाम है, लेकिन वर्तमान में फैशन ट्रेंड के अनुसार राखियों कर चलन बढ़ा है। ऐसे में कुछ मेटेलिक राखियां भी बाजार में उपलब्ध हैं।
 
लेकिन राखी में उपयोग की जाने वाली यह धातु, अधिक समय तक आपकी त्वचा के संपर्क में रहने के कारण आपकी त्वचा पर खतरनाक इंफेक्शन पैदा कर सकती है। इससे बचने के लिए सादी डोरी एवं मोतियों वाली राखी का उपयोग ही सही होगा।
 
5 बाजार का नमकीन -
जी हां, अगर आप बाजार से नमकीन या सेंव जैसे खाद्य पदार्थ लेने के बारे में सोच रहे हैं, तो रुक जाइए। यह नमकीन आपको उल्टी-दस्त जैसी बीमारियों का शिकार बना सकता है। त्योहार के समय इसे खस्ता और कुरकुरा बनाने के लिए कुछ डिटर्जेंट और अन्य हानिकारक पदार्थों को मिलाया जाता है। लेकिन आप इस गलतफहमी में मत रहिएगा, क्योंकि यह स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक हो सकता है।
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Onam  मलयाली हिन्‍दुओं का नव वर्ष है. यह एक कृषि पर्व है, जिसे हर समुदाय के लोग उत्‍साह और धूमधाम के साथ मनाते हैं......

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केरल राज्‍य के लिए ओणम (Onam) का विशेष महत्‍व है. यह राज्‍य में मनाए जाने वाले सभी त्‍योहारों में सबसे प्रमुख है. यह मुख्‍य रूप से कृषि पर्व है. ओणम का उत्‍सव 10 दिनों तक चलता है.

खास बातें

  1. ओणम केरल राज्‍य का प्रमुख त्‍योहार है
  2. यह एक कृषि पर्व है जो राजा बलि के स्‍वागत में मनाया जाता है
  3. यह पर्व 10 दिनों तक चलता है

नई दिल्‍ली: ओणम (Onam) केरल राज्‍य का प्रमुख त्‍योहार और मलयाली हिन्‍दुओं का नव वर्ष है. यह एक कृषि पर्व है, जिसे हर समुदाय के लोग उत्‍साह और धूमधाम के साथ मनाते हैं. यह उत्‍सव राजा बलि के स्‍वागत में हर साल मनाया जाता है, जो कि पूरे 10 दिन तक चलता है. हालांकि इस बार भीषण बाढ़ की त्रासदी झेल रहे केरल में ओणम की रौनक फीकी रहने वाली है. यही नहीं, बाढ़ के चलते सबरीमला मंदिर को भी बंद कर दिया है. आपको बता दें कि हर साल इस मंदिर में ओणम के दौरान विशेष पूजा-अर्चना होती है. 

ओणम कब है?

राज्य का कृषि पर्व कहलाने वाला ओणम मलयालम कैलेंडर के पहले माह चिंगम के शुरू में पड़ता है. ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार हर साल अगस्‍त-सितंबर में इस त्‍योहार को मनाया जाता है. वैसे तो ओणम का जश्‍न 10 दिनों तक मनाया जाता है, लेकिन इसमें पहले दो दिन सबसे महत्‍वपूर्ण होते हैं. ओणम के पहले दिन को उथ्रादम कहा जाता है, जबकि दूसरा दिन मुख्‍य ओणम यानी कि थिरूओणम कहलाता है. उथ्रादम के दिन घर की साफ-सफाई करने के बाद सजावट की जाती है. फिर थिरूओणम की सुबह पूजा की जाती है. मान्‍यता है कि थिरूओणम के दिन राजा बलि पधारते हैं. इस बार 24 अगस्‍त को उथाद्रम है जबकि 25 अगस्‍त को थिरूओणम मनाया जाएगा.

ओणम क्‍यों मनाया जाता है?

ओणम राजा बलि के स्‍वागत में मनाया जाता है. मान्‍यता है कि राजा बलि कश्‍यप ऋषि के पर पर पोते, हृणियाकश्‍यप के पर पोते और महान विष्‍णु भक्‍त प्रह्नाद के  पोते थे. वामन पुराण के अनुसार असुरों के राजा बलि ने अपने बल और पराक्रम से तीनों लोकों पर अधिकार कर लिया था. राजा बलि के आधिपत्‍य को देखकर इंद्र देवता घबराकर भगवान विष्‍णु के पास मदद मांगने पहुंचे. भगवान विष्‍णु ने वामन अवतार धारण किया और राजा बलि से भिक्षा मांगने पहुंच गए. वामन भगवान ने बलि से तीन पग भूमि मांगी. पहले और दूसरे पग में भगवान ने धरती और आकाश को नाप लिया. अब तीसरा पग रखने के लिए कुछ बचा नहीं थी तो राजा बलि ने कहा कि तीसरा पग उनके सिर पर रख दें. भगवान वामन ने ऐसा ही किया. इस तरह राजा बलि के आधिपत्‍य में जो कुछ भी था वह देवताओं को वापस मिल गया. 

वहीं, भगवान वामन ने राजा बलि को वरदान दिया कि वह साल में एक बार अपनी प्रजा और राज्‍य से मिलने जा सकता है. राजा बलि के इसी आगमन को ओणम त्‍योहार के रूप में मनाया जाता है. मान्‍यता है कि राजा बलि हर साल ओणम के दौरान अपनी प्रजा से मिलने आते हैं और लोग उनके आगमन पर उनका स्‍वागत करते हैं. 

ओणम कैसे मनाते हैं?

केरल राज्‍य के लिए ओणम का विशेष महत्‍व है. यह राज्‍य में मनाए जाने वाले सभी त्‍योहारों में सबसे प्रमुख है. यह मुख्‍य रूप से कृषि पर्व है. ओणम का उत्‍सव 10 दिनों तक चलता है. यह उत्‍सव केरल के इकलौते वामन मंदिर त्रिक्‍काकरा से शुरू होता है.  तरह-तरह के व्यंजन, लोकगीत, नृत्य और खेलों का आयोजन इस पर्व को अनूठी छटा दे देता है. ओणम के पहले दिन यानी कि उथ्रादम की रात घर को सजाया जाता है. फिर थिरूओणम के दिन सुबह पूजा होती है. घर पर ढेर सारे शाकाहारी पकवान बनाए जाते हैं. कहते हैं कि इन पकवानों की संख्‍या 20 से कम नहीं होनी चाहिए. ओणम की थाली को साध्‍या थाली कहा जाता है.

ओणम में हर घर के आंगन में फूलों की पंखुड़ियों से पूकलम यानी कि रंगोली बनाई जाती है. घर की लड़कियां रंगोली के चारों तरफ लोक नृत्‍य तिरुवाथिरा कलि करती हैं. पहले दिन यह पूकलम छोटी होती है, लेकिन हर रोज इसमें फूलों का एक और गोला बढ़ा दिया जाता है. इस तरह बढ़ते-बढ़ते 10वें दिन यानी कि तिरुवोनम तक यह पूकलम काफी बड़ी हो जाती है. इस पूकलम के बीच त्रिक्काकरप्पन (वामन अवतार में विष्णु), राजा महाबली और उसके अंग रक्षकों की प्रतिष्ठा होती है. ये मूर्तियां कच्ची मिट्टी से बनाई जाती हैं. 

ओणम के दौरान केरल में कई तरह की प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है. इनमें नौका दौड़ा, पूकलम (रंगोली),  पुलि कलि (टाइगर डांस) और कुम्‍मातीकलि (मास्‍क डांस) शामिल हैं.

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