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भारत में तीज का व्रत विशेष महत्व रखता है। इस पर्व के लिए खासतौर से महिलाएं पूरे साल इंतजार करती हैं। तीज उत्सव की रौनक उत्तर भारत में देखने को मिलती है। श्रावण महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन ये पर्व मनाया जाता है। इस वजह से इसे श्रावणी तीज भी कहा जाता है। इस दिन महिलाएं माता पार्वती और महादेव की पूजा करती हैं। उनसे अपने सुहाग की लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं और सुखद वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद मांगती हैं। हरियाली तीज के दिन इससे जुड़ी व्रत कथा का पठन अथवा श्रवण जरुर किया जाता है। इस लेख के माध्यम से जरुर जानें हरियाली तीज व्रत की पौराणिक कथा के बारे में।
हरियाली तीज की कथा:
हरियाली तीज की प्रचलित कथा के मुताबिक, एक बार भगवान भोलेनाथ ने पार्वतीजी को उनके पूर्वजन्म का स्मरण कराने के लिए तीज की कथा सुनाई थी। महादेव कहते हैं- हे पार्वती तुमने हिमालय पर मुझे वर के रूप में पाने के लिए घोर तप किया था। अन्न-जल त्याग दिया, पत्ते खाए। सर्दी-गर्मी, बरसात हर मौसम में कष्ट सहे। इस बात से तुम्हारे पिता दुःखी थे।
पर्वतराज बड़ी ही प्रसन्नता से तुम्हारा विवाह विष्णुजी से करने को तैयार हो गए। नारदजी ने विष्णुजी को यह शुभ समाचार सुना दिया। मगर जब तुम्हें पता चला तो बड़ा दु.ख हुआ। तुम मुझे मन से अपना पति मान चुकी थीं। तुमने अपने मन की बात सहेली को बताई और उसने सहायता भी की।
भोलेनाथ ने आगे पार्वतीजी से कहा- तुम्हारे पिता ने तुम्हारी खोज में धरती-पाताल को एक कर दिया मगर तुम न मिली। तुम गुफा में ही रेत से शिवलिंग बनाकर मेरी आराधना में लीन थी। प्रसन्न होकर मैंने मनोकामना पूरी करने का वचन दिया। तुम्हारे पिता खोजते हुए गुफा तक पहुंचे।
हिन्दू धर्म के अनुसार, प्रदोष व्रत कलियुग में अति मंगलकारी और शिव कृपा प्रदान करनेवाला होता है। मान्यता है कि प्रदोष के समय महादेव कैलाश पर्वत के रजत भवन में नृत्य करते हैं और देवता उनके गुणगान करते हैं। हर माह में दो बार प्रदोष व्रत पड़ता है। एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष में।
श्रावण, कृष्ण त्रयोदशी प्रारम्भ - 25 जुलाई, 04:15 PM
श्रावण, कृष्ण त्रयोदशी समाप्त - 26 जुलाई 06:46 PM
प्रदोष काल- 07:17 PM से 09:21 PM
शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत
श्रावण, शुक्ल त्रयोदशी प्रारम्भ - 09 अगस्त 05:45 PM
श्रावण, शुक्ल त्रयोदशी समाप्त - 10 अगस्त 02:15 PM
प्रदोष काल- 07:06 PM से 09:14 PM
सावन 2022 का पहला प्रदोष व्रत सावन के दूसरे सोमवार यानि 25 जुलाई को है। इस दिन शश और हंस राजयोग के साथ ही बुधादित्य, सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग का शुभ संयोग बन रहा है। ऐसा माना जाता है कि सावन सोम प्रदोष के दिन रावण विरचित शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं।
क्या है प्रदोष काल
प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष काल में ही पूजा करने का विशेष महत्व माना गया है। प्रदोष काल सूर्यास्त से लगभग 45 मिनट पहले शुरू हो जाता है। कहा जाता है कि जो जातक प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करता है उसे शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
प्रदोष व्रत का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सप्ताह के सातों दिन के प्रदोष व्रत का अपना विशेष महत्व होता है। इस व्रत को करने से भगवान शंकर और माता पार्वती की विशेष कृपा प्राप्त होती है। प्रदोष व्रत करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है।
अबीर, गुलाल, चंदन, अक्षत, फूल, धतूरा, बिल्वपत्र, जनेऊ, कलावा, दीपक, कपूर, अगरबत्ती, फल
प्रदोष व्रत पूजा- विधि
प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठें और नित्य क्रियाकर्म से निवृत होकर साफ- स्वच्छ वस्त्र पहन लें। फिर घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। और भगवान भोलेनाथ का गंगा जल से अभिषेक करें। फिर चंदन लगाकर पुष्प अर्पित करें। इस दिन ना सिर्फ भोलेनाथ की बल्कि उनके पूरे परिवार यानि माता पार्वती और भगवान गणेश की भी विधिवत पूजा करें। फिर सच्चे मन से भगवान का ध्यान करके सात्विक भोग लगाएं। इसके बाद भगवान शिव की आरती करें ।
सावन मास हिंदू कैलेंडर का पांचवां महीना है। इसे पूरे साल का सबसे शुभ महीना माना जाता है। जिस दौरान भक्तगण भगवान शिव की विशेष कृपा पाने के लिए ना केवल पूजा-पाठ करते हैं, बल्कि इस माह सोमवार के दिन अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए व्रत रखने की विशेष मान्यता है। सावन के महीने में सोमवार के दिन रखे जाने वाले व्रत को सावन सोमवार व्रत के रूप में जाना जाता है। जहां कुछ लोग इस दिन निर्जला व्रत रखते हैं तो कुछ लोग दिन भर हल्का सात्विक भोजन करते हैं।
हालांकि, व्रत के दौरान खानपान को लेकर अतिरिक्त सजगता बरतने की आवश्यकता होती है। दरअसल, सावन के सोमवार व्रत के दौरान कुछ खाद्य पदार्थों को खाने की मनाही है, जबकि आप कुछ चीजों को व्रत में आसानी से खा सकते हैं। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको सावन सोमवार व्रत से जुड़े खान-पान के कुछ नियमों के बारे में बता रहे हैं-
साबूदाना
सावन के सोमवार के व्रत में साबूदाने का सेवन करना अच्छा माना जाता है। व्रत के दौरान यह आपको एनर्जी प्रदान करेगा। आप व्रत के दौरान साबूदाने को कई अलग-अलग तरीकों से बना सकते हैं। मसलन, साबूदाने की खीर से लेकर खिचड़ी और साबूदाना वड़ा बनाया जा सकता है।
सावन के महीने में आप मौसमी फलों को अवश्य खाएं। विटामिन और मिनरल युक्त यह फल आपको कई तरह के पोषक तत्व प्रदान करेंगे। जिससे आपको किसी भी तरह की थकान, एनर्जी में कमी व अन्य समस्या नहीं होगी। इस दौरान आप आम, केला, सेब आदि मौसमी फल हम खा सकते हैं, लेकिन सोमवार के व्रत में तरबूज और खरबूजे का सेवन करने से बचने की सलाह दी जाती है। आप चाहें तो फलों का रस निकालकर पी सकते हैं या फिर फ्रूट चाट भी बनाई जा सकती है।
उबले आलू
सावन के सोमवार के व्रत के दौरान उबले हुए आलू का सेवन करना सबसे अच्छा माना जाता है। यह आपको फिलिंग अहसास करवाने के साथ-साथ एनर्जी भी प्रदन करते हैं। आपको बस कुछ आलू उबालने हैं, थोड़ा नमक मिला है और इसे जीरा के साथ तड़का देना है और यह तैयार हो जाएगा। वहीं, अगर आप कुछ अच्छा खाना चाहते हैं और अपने टेस्ट बड को भी शांत करना चाहते हैं तो उबले आलू की मदद से टिक्की व अन्य भी कई डिशेज बनाई जा सकती हैं।
व्रत के दौरान दही खाना काफी अच्छा माना जाता है। यह ना केवल खाने में टेस्टी होती है, बल्कि आपके पेट को डिटॉक्सीफाई करने के लिए भी मददगार है। आप व्रत के दौरान दही का सेवन करके अपने शरीर के तापमान को बनाए रख सकते हैं। हालांकि, दही के अलावा पनीर खाना भी काफी अच्छा विचार हो सकता है।
मेवे
यदि आप भरपेट भोजन नहीं करना चाहते हैं, या आप उपवास के दौरान कुछ पकाना नहीं चाहते हैं, तो ऐसे में सूखे मेवे का सेवन करें। वे ऊर्जा का एक बड़ा स्रोत हैं, जिन्हें सावन के महीने में उपवास के दौरान खाया जा सकता है।
खाएं यह आटा
व्रत के दौरान गेंहू के आटे का सेवन करने की मनाही होती है। लेकिन आप आलू की क्लासिक सब्जी के साथ चपाती, थालीपीठ या पूरी बनाने के लिए कुट्टू, राजगिरा, सिंघारा जैसे आटे का इस्तेमाल कर सकते हैं।
• कुछ लोग श्रावण काल के दौरान पूरी तरह से नमक से परहेज करते हैं, जबकि अन्य अपने भोजन में सेंधा नमक का उपयोग करते हैं। अगर आपने व्रत रखा है तो आपको रेग्युलर सॉल्ट, एप्सम नमक या पिंक सॉल्ट आदि से निश्चित रूप से बचना चाहिए।
• अगर आप सावन में सोमवार का व्रत रख रहे हैं तो आपको लहसुन और प्याज को बिल्कुल भी नहीं खाना चाहिए। दरअसल, व्रत के दौरान सात्विक भोजन करने की सलाह दी जाती है। सात्विक भोजन का पालन करने का एक स्पष्ट तरीका है कि इन दोनों इंग्रीडिएंट से पूरी तरह से परहेज किया जाए।
• यदि आप श्रावण का व्रत कर रहे हैं तो आपको रेड मीट से लेकर अंडे तक से दूरी बनानी चाहिए। सात्विक आहार के दौरान मांसाहारी भोजन पर पूरी तरह से प्रतिबंध है।
• शराब का सेवन प्रकृति में तामसिक माना जाता है जिसका अर्थ है कि आप इसका सेवन व्रत के दौरान नहीं कर सकते हैं।
र्ष 2019 के बाद पहली बार सऊदी अरब विदेशी हज तीर्थयात्रियों का एक बार फिर स्वागत कर रहा है। जबकि कोरोना महामारी की वजह से साल 2020 और 2021 में सिर्फ सऊदी अरब निवासियों को ही हज यात्रा की अनुमति थी। यहां हम आपको हज यात्रा शुरू होने की तारीख, इसके ऐतिहासिक महत्व और इस यात्रा के दौरान निभाई जाने वाली रस्मों के बारे में बता रहे है।
इस साल कुल 79,237 भारतीय यात्री हज में शामिल होने की अनुमति मिली है। हज 2022 की शुरुआत 7 जुलाई से होगी जो 12 जुलाई तक चलेगी, क्योंकि मुस्लिम धुल-हिज्जा महीने (इस्लामिक कैलेंडर वर्ष के 12वें महीने) के आठवें और 13वें दिन के बीच हज की यात्रा पूरी करते हैं। अधिकांश इस्लामिक देशों में ईद-उल-अदहा 9 जुलाई 2022 को मनाए जाने की उम्मीद है।
हज कमेटी के अनुसार हज की अवधि 8वें जिल-हिज्जा (7वें जिल-हिज्जा की मगरिब की नमाज से) शुरू होगी। मोआल्लिम बसें तीर्थयात्रियों को लेकर मक्का से मीना जाती है जो हरम शरीफ से 7-8 किलोमीटर की दूरी पर है।
सऊदी अरब ने जारी की गाइडलाइन
सऊदी अरब ने इस बार हज यात्रियों के लिए जो दिशानिर्देश जारी किए हैं, उसके अनुसार, हज के लिए सिर्फ वहीं व्यक्ति सऊदी अरब के मक्का की यात्रा कर सकते हैं जिनकी उम्र 65 साल से कम की है। कोरोना की दोनों वैक्सीन के साथ-साथ सऊदी अरब में प्रवेश के 72 घंटे पहले की आरटीपीसीआर रिपोर्ट दिखानी भी अनिवार्य है। इसके अलावा फेसमास्क लगाना जरुरी है। महिलाओं के हज यात्रा के लिए भी सऊदी अरब ने नियम बनाए हैं। अगर कोई महिला बिना किसी पुरुष रिश्तेदार के हज यात्रा करना चाहती है तो इसके लिए उसकी उम्र 45 साल से अधिक होनी चाहिए। साथ ही महिला को चार अन्य महिलाओं का साथ होना जरूरी है जिनकी उम्र भी 45 से अधिक हो।
हज यात्रा जरूरी क्यों?
- मुस्लिमों के लिए हज यात्रा बेहद जरूरी मानी जाती है। क्यूंकि ये इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है। इस्लाम में कुल पांच स्तंभ हैं- कलमा पढ़ना, नमाज पढ़ना, रोजा रखना, जकात देना और हज पर जाना।
- हज सऊदी अरब के मक्का शहर में होता है, क्योंकि काबा मक्का में है. काबा वो इमारत है, जिसकी ओर मुंह करके मुसलमान नमाज पढ़ते हैं. काबा को अल्लाह का घर भी कहा जाता है. इस वजह से ये मुसलमानों का तीर्थ स्थल है।
-हज यात्रा के पहले चरण में इहराम बांधना होता है. ये बिना सिला हुआ कपड़ा होता है, जिसे शरीर से लपेटना होता है। इहराम बांधने के बाद कुरान की आयतें पढ़ते रहना होता है।
- इहराम के बाद काबा पहुंचना होता है. यहां नमाज पढ़नी होती है। काबा का तवाफ (परिक्रमा) करना होता है। काबा की तरफ रुख करके दुनियाभर के देशों से आए हाजी नमाज पढ़ते हैं।
- इसके बाद सफा और मरवा नाम की दो पहाड़ियों के बीच में 7 चक्कर लगाने होते हैं. माना जाता है कि यही वो जगह है जहां हजरत इब्राहिम की पत्नी अपने बेटे इस्माइल के लिए पानी की तलाश करने पहुंची थीं.
- फिर मक्का से करीब 5 किलोमीटर दूर मीना जगह पर सारे हाजी इकट्ठा होते हैं और शाम तक नमाज पढ़ते हैं. अगले दिन अराफात नाम की जगह पर पहुंचते हैं और अल्लाह से दुआ मांगते हैं।
- इसके बाद मीना में लौटकर आते हैं और यहां शैतान को कंकड़-पत्थर मारते हैं. शैतान को दिखाते हुए यहां तीन खंभे बनाए गए हैं, जहां हाजी 7-7 पत्थर मारते हैं।