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क्या आपने कभी इस बारे में सोचा की दिन रात मेहनत करने के बावजूद आपको सफलता क्यों नहीं मिल पा रही है? कभी इस बात पर हैरानी हुई की हमारे बूढ़े-बुज़ुर्ग हमेशा घर साफ़-सुथरा रखने के लिए क्यों कहा करते हैं? कई लोग अपना तन मन धन सब कुछ लगा देते हैं लेकिन उसके बावजूद क्यों उन्हें कामयाबी नहीं मिल पाती है?
हमारे घर के छोटे-बड़े हर सामान के साथ कोई न कोई ऊर्जा छिपी हुई है। हम कुछ चीज़ों के साथ जुड़ी मान्यताओं पर आज बात करेंगे जो घर में नकारात्मकता लाती है।
काला दरवाज़ा
आप अपने घर को थोड़ा अलग लुक देने की चाहत में दरवाज़ों को काले रंग का रंगवाने का सोच रहे होंगे। मगर वास्तु शास्त्र के अनुसार काले दरवाज़े नकारात्मकता का प्रतीक हैं। बेडरूम में काले रंग के दरवाज़ों की वजह से कलह पैदा हो सकता है। अगर धन-सम्पत्ति रखने वाले कमरे का दरवाज़ा काला है तो ये पैसों की हानि कर सकता है। अगर दरवाज़े का मुख उत्तर दिशा में है तो ये अपशकुन नहीं है।
शायद ही आपने सुना हो की आईना बुरी किस्मत का कारण बन सकता है, लेकिन ये सच है। वैसे हमने ये तो सुना है की घर में कांच और आईने का टूटना अशुभ होता है और इसकी वजह से परिवार के सदस्यों के बीच लड़ाई होती है। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि आईने को हमेशा ढक कर रखना चाहिए, खासतौर से यदि घर में हाल फ़िलहाल में किसी की मृत्यु हुई है। ये मान्यता है की आईने आत्माओं को आकर्षित करने की क्षमता रखते हैं।
कई बार लोग इस ओर धयान ही नहीं देते की कैलेंडर और घड़ी उन्हें गलत दिन और वक़्त बता रहा है। लेकिन इस चीज़ को कभी नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए। दरअसल, कैलेंडर का सही दिन के बजाय गलत दिन दिखाना अशुभ माना जाता है। ये बुरे वक़्त को आकर्षित करता है। ये बुरे वक़्त को ना तो जाने देता है और ना ही अच्छे समय को आने देता है। ठीक इसी तरह, बंद या गलत समय दिखाने वाली घड़ी भी अशुभ मानी जाती है।
इस बात से सभी इत्तेफ़ाक़ रखेंगे की घर में इस्तेमाल होने वाले बर्तन व्यक्ति की आर्थिक स्थिति दर्शाते हैं। यहां एक और बात हम आपको बताना चाहते हैं कि टूटे हुए बर्तन में खाना और पीना अच्छा नहीं माना जाता है। ये दुर्भाग्य को आमंत्रित करता है। ये खराब वित्तीय हालात की तरफ इशारा करता है और इससे बेवजह धन की हानि होती है इसलिए घर के लिए बर्तन लेते समय और उनका इस्तेमाल करते वक़्त इन चीज़ों का ख़ास ख्याल रखें।
काँटों वाले पौधे परिवार में सदस्यों के बीच लड़ाई का कारण बनते हैं। इस तरह के पौधे घर में बिल्कुल ना रखें। हां, आप फूलों के साथ काँटे हैं तो वो पौधा रख सकते हैं। कई बार हम घर के बाहर रखे नन्हे पौधों को पानी देना भूल जाते हैं और वो सुख जाते हैं। मुरझाये हुए पौधे घर में नकारात्मकता को बढ़ाते हैं इसलिए ऐसे पौधों को जल्द से जल्द घर से दूर करें। इससे बचने का सबसे सरल उपाय है कि आप पौधों को समय समय पर पानी देते रहें और उन्हें मुरझाने न दें।
ठग्स (Thugs) शब्द सुनकर हमारे दिमाग में अकसर चोर, डकैत, लुटेरे, खून करने वाले इत्यादि आता है. लेकिन सच कुछ और है जिसे जानकार आप भी हैरान हो जाएँगे. आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं कि हिन्दुस्तान के ठग्स कौन थे, क्यों इनको लुटेरा, डकैत, खूनी इत्यादि कहा जाता है.
“ठग्स ऑफ हिन्दोस्तान” कौन थे?
भारत में एक आदिवासी जाति घने जंगलों में रहती थी और काली मां की पूजा करती थी, उनका नाम था ठग. ये कोई चोर, लुटेरे, डकैत, डाकू नहीं थे. क्या आप जानते हैं कि जब भारत पर अंग्रेजों ने धीरे-धीरे अपना कब्जा जमाना शुरू किया था तो ये ठग ही थे, जिन्होनें अंग्रेजों का पूरी ताकत के साथ विरोध किया था. क्योंकि अंग्रेज अपना साम्राज्यवाद बढ़ाने के लिए जंगलों को खत्म कर रहे थे, जिनमें ठग की पीढियां रह रही थीं. ये आप जानते ही हैं कि अगर कोई किसी के घर को खत्म करने की कोशिश करेगा तो प्रतिरोध उत्पन्न होना सामान्य है.
आइये अब अध्ययन करते हैं कि ठग पंथ आखिर बदनाम कैसे हुआ?
अंग्रेज़ ठगों की जमीन पर कब्जा करना चाहते थे जिसके लिए उन्होंने एक चाल चली और इनकी छवि खराब करने के लिए ऐसी किताबें छापी, जिसमें इन्हें डकैत, लुटेरे और हत्यारा बताया गया. यानी अंग्रेजों ने साहित्य मतलब किताबों के माध्यम से ठगों की बुरी छवि प्रोजेक्ट करने की कोशिश की. इस तरह के साहित्य को Atrocity Literature कहते हैं. इन्हीं किताबों में से एक किताब का नाम “Confessions of a Thug” है, जिसे 1839 में फिलीप मेडोज टेलर ने लिखा था जिसमें ठग्स को कुख्यात लुटेरा, हत्यारा और डकैत बताया गया है. इसे आज तक ठग जाती से जुड़े ऐतिहासिक संदर्भो से जोड़कर देखा जाता है.
इतना ही नहीं ब्रिटिश संसद ने 1871 में आपराधिक जनजाति अधिनियम (Criminals Tribe Act) पारित किया. जिसके तहत भारत की कुछ चिन्हित आदिवासी जनजातियों को सामूहिक रूप से मारने का अधिकार अंग्रेजों को दिया गया. इन जनजातियों को अपराधी घोषित करते हुए प्रत्येक सदस्यों को यहां तक कि नवजात शिशुओं को अपराधी के रूप में घोषित किया गया था. इसी एक्ट के तहत ठग के अलावा कई आदिवासी जनजातियों पर जमकर जुल्म ढाए. हैना हैरान करने वाली बात! बड़े पैमाने पर इनकी सामूहिक हत्या की गई. अंग्रेजों ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि ये आदिवासी अपनी जमीन छोड़ने के लिए तैयार नहीं थे और अंग्रेजों की नज़र में अपराधी थे. इसलिए इन जनजातियों को खत्म करने के लिए मनमाने कानून बनाए और भारत पर कब्जा करने की मंशा को पूरा किया.
अपनी चालों को सही साबित करने के लिए अंग्रेजों ने बहुत सारे विश्वविद्यालयों को फण्ड दिया ताकि वे कुछ ऐसी किताबों को लिख सके जिनमें ठगों की गलत छवि को प्रकट किया जा सके. यानी इस सामूहिक हत्याओं को सही साबित करने के लिए ब्रिटिश संसद ने कई लेखकों को आर्थिक सहयोग दिया, ताकी वे ठगों के खिलाफ किताबों को लिख सकें, उनको बदनाम कर सकें ताकि समाज इन लोगों को कभी अपना ही न सके. इसी कारण से आज ठगों की छवि दुनिया के सामने गलत बन चुकी है. इन्हें हिंसा और अपराध के साथ ही जोड़कर देखा जाता है. जबकि इतिहास को अगर खंगोला जाए तो सच्चाई कुछ और ही सामने आएगी.
तो अब आप जान गए होंगें कि “ठग्स ऑफ हिन्दोस्तान” कौन थे और कैसे अंग्रेजों ने इन्हें बदनाम किया था.
::/fulltext::वॉशिंगटन। अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने बुधवार को एक विधेयक पारित किया, जिसके तहत इंसानों के भोजन के लिए कुत्तों और बिल्लियों के वध पर रोक लगाई जाएगी। कुत्ता एवं बिल्ली मांस व्यापार निषेध कानून 2018 का उल्लंघन करने पर 5000 अमेरिकी डॉलर (3,50,000 से अधिक रुपए) का जुर्माना लगाया जाएगा।
एक अन्य प्रस्ताव में सदन ने चीन, दक्षिण कोरिया और भारत सहित सभी देशों से कुत्तों और बिल्लियों के मांस का व्यापार बंद करने का अनुरोध किया। कांग्रेस सदस्य क्लाउडिया टेनी ने कहा, कुत्ते और बिल्ली साथी और मनोरंजन के लिए होते हैं। दुर्भाग्य से, चीन में हर साल इंसान के भोजन के लिए एक करोड़ से अधिक कुत्तों को मार दिया जाता है।
उन्होंने कहा, इन चीजों के लिए हमारे करुणामय समाज में कोई स्थान नहीं है। यह विधेयक अमेरिका के मूल्यों को परिलक्षित करता है और सभी देशों को एक सख्त संदेश देता है कि हम इस अमानवीय और क्रूर बर्ताव का साथ नहीं देंगे। प्रस्ताव में चीन, दक्षिण कोरिया, वियतनाम, थाइलैंड, फिलिपीन, इंडोनेशिया, कंबोडिया, लाओस, भारत और अन्य देशों की सरकारों से कुत्तों और बिल्लियों के मांस के व्यापार पर प्रतिबंध लगाने वाले कानूनों को अपनाने और उसे लागू करने का अनुरोध किया गया है।