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सोमवार को 12 बज कर 03 मिनट पर डॉलर ने भारतीय रुपये को फिर धक्का दिया है. इस समय पर रुपये का भाव ऐतिहासिक रूप से नीचे चला गया. एक डॉलर 72 रुपये 55 पैसे का हो गया. वाकई अब श्री श्री रविशंकर से कहना होगा कि वे आएं और कुछ भभूत-वभूत छिड़कें ताकि डॉलर का नशा उतर जाए. ध्यान रहे कि यहां एक डॉलर अमरीकी मुद्रा है और एक डॉलर गंजी अंडरवियर का भारतीय ब्रांड. इस डॉलर को कुछ नहीं होना चाहिए.
रामदेव के अनुसार मोदी जी के आने पर पेट्रोल 35 रुपया लीटर होने वाला था. महाराष्ट्र के एक शहर में पेट्रोल 89.97 रुपया लीटर हो गया है. डीज़ल 77.92 रुपया लीटर हो गया है. जनवरी से लेकर अब तक पेट्रोल 10 रुपया महंगा हो चुका है. बढ़ती कीमतों के बीच अमित शाह ने कहा है कि बीजेपी 50 साल तक सत्ता में रहेगी. यह बात कहते हुए स्पष्ट किया है कि अहंकार में नहीं कह रहे बल्कि काम के दम पर 50 साल सत्ता में रहेंगे.
कमबख़्त अंतर्राष्ट्रीय परिस्थितियों ने किस जनम का बदला निकाला है, पता नहीं. प्रधानमंत्री ने ठीक कहा है कि विपक्ष फेल हो गया है. इसका मतलब तो यही हुआ कि सरकार पास ही पास है. मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के निदेशक केतन देसाई का केस याद नहीं ही होगा. वे आठ साल पहले निदेशक थे. इनके ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार के बहुत से आरोप लगे. मगर जांच की अनुमति नहीं दिए जाने के कारण एक एक करके सारे आरोप ख़ारिज होते जा रहे हैं. दिल्ली के पटियाला कोर्ट में एक मामले में चार्जशीट दायर करते हुए सीबीआई ने कहा कि गुजरात सरकार ने इस केस में मुकदमा दायर करने की अनुमति नहीं दी है.
गुजरात सरकार ने मुकदमा करने की अनुमति क्यों नहीं दी, इस पर ज़्यादा दिमाग़ लगाने की ज़रूरत नहीं है. हो सकता है यह भी एक तरीका हो भ्रष्टाचार से लड़ने का. मुकदमा या जांच की अनुमति ही न दो तो साबित ही नहीं होगा. फिर ख़बर लिखी जाएगी कि भ्रष्टाचार है कहां. जबकि इसी मामले में चार अन्य के खिलाफ मामला चल रहा है.
केतन देसाई पर मेहरबानी की वजह क्या हो सकती है? कौन है जो उन पर मुकदमा चलाने की अनुमति नहीं दे रहा है? भ्रष्टाचार को लेकर तो ज़ीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई गई है फिर अनुमति क्यों नहीं दी जा रही है. इस बार के चुनावों में देखिएगा, नोट कैसे पानी की तरह बहेगा और झूठ बोलने वाला सबसे ज़्यादा झूठ बोलेगा.
इस बीच ख़बर आई है कि नीरव मोदी ने जालिया फर्म बना कर बैंकों का 576 करोड़ रुपया अमरीका टपा दिया है. आप जानते हैं कि नीरव और ‘हमारे मेहुल भाई’ ने पंजाब नेशनल बैंक को 13,500 करोड़ का चूना लगाया है. नीरव मोदी पर आरोप है कि उसने 6519 करोड़ का लोन लिया. उसमें से 4000 करोड़ बाहर के देशों में टपा दिया. इतना पैसा कैसे टप गया, कोई पूछता भी है तो कोई बताता नहीं है. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार नीरव मोदी टपाने का यह खेल 2009-10 से कर रहा था जो 2015-16 तक जारी रहा.
प्रत्यर्पण निदेशालय का आरोप है कि इंटरपोल ही मेहुल चौकसी को सारी सूचनाएं दे रहा है. ‘हमारे मेहुल भाई’ ने भारत की नागरिकता छोड़ एंटिगुआ की नागरिकता ले ली है.
केतन देसाई, नीरव मोदी, मेहुल भाई. आप तीनों चिन्ता न करें. आप लोगों का टाइम अच्छा चल रहा है और अभी पचास साल और चलेगा.
मुरैना के देवरी गांव में एक डिप्टी रेंजर सूबेदार सिंह कुशवाह को अवैध खनन में लगे एक ट्रैक्टर ने कुचल दिया. मौके पर ही मौत हो गई. माफियाओं ने आधा दर्जन अधिकारियों को मार दिया है. 2012 में एक आईपीएस अफसर नरेंद्र कुमार को भी मार दिया था. हाल ही में अलकेश चौहान नाम के पुलिसकर्मी को भी माफियाओं ने कुचल दिया था.
केंद्रीय खनन मंत्रालय ने लोकसभा में माना है कि अवैध खनन के मामले में मध्य प्रदेश नंबर दो पर है. 2016-17 में मध्य प्रदेश में अवैध खनन के 13000 से अधिक मामले आए लेकिन एफआईआर सिर्फ 516 में दर्ज हुई. पहले नंबर पर महाराष्ट्र है और तीसरे पर आंध्र प्रदेश.
आप चिन्ता न करें. बिहार में सृजन घोटाले में भी दाएं बाएं हो रहा है. कई हज़ार घोटाला का आज तक पता नहीं चला. बीच बीच में छापे की ही खबर आती है काम की नहीं. कौन कौन बच गया इस सवाल को छोड़ कर सभी हिन्दू एक रहें. मोहन भागवत ने कहा है कि हिन्दू एक नहीं होते हैं. शेर अकेला होता है तो कुत्ते भेड़िये हमला कर देते हैं. नौकरी नहीं मिली तो कोई नहीं. लेकिन 89 रुपये लीटर तेल भराकर उफ्फ तक न करने वाले हिन्दुओं का ऐसा अनादर होगा उम्मीद नहीं थी. वे चुप ही तो हैं. उनके चुप रहने के बाद भी भागवत कह रहे हैं कि कुत्ते भेड़िए शेर पर हमला करने वाले हैं. जबकि सारे लोग चुपचाप शेर के पीछे खड़े हैं ताकि उन्हें कोई कुत्ता भेड़िया न कहे. वैसे मैं समझ नहीं सका कि वे एक होने के लिए किसे कह रहे हैं. शेर को एक होने के लिए कह रहे हैं या कुत्ते भेड़ियों को एक होने के लिए कह रहे हैं.
ज़्यादा टेंशन न लें. जो कहा गया है उसे समझें. विचार करें. उम्मीद है आप समझ गए हैं मगर कमेंट समझने से पहले कीजिएगा. आईटी सेल काफी सक्रिय है. वो जो कहे वही मान लीजिएगा.
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) :इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.
सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद अब ओडिशा की पहली ट्रांसजेंडर सरकारी अफसर ऐश्वर्या रितुपर्णा प्रधान ने घोषणा की है कि वह अब शादी करने जा रही हैं. उनका कहना है कि इस फैसले के बाद वह आजाद महसूस कर रही हैं.
नई दिल्ली . सुप्रीम कोर्ट ने धारा 377 के अंतर्गत अब समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया है. इसका सबसे बड़ा फायदा उन लोगों को मिलने जा रहा है कि इस वजह से अब तक अपराधियों की तरह रह रहे थे. सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद अब ओडिशा की पहली ट्रांसजेंडर सरकारी अफसर ऐश्वर्या रितुपर्णा प्रधान ने घोषणा की है कि वह अब शादी करने जा रही हैं. उनका कहना है कि इस फैसले के बाद वह आजाद महसूस कर रही हैं.
34 वर्षीय ऐश्वर्या ओडिशा फाइनेंस सर्विस में अधिकारी हैं. वह उस समय चर्चा में आई थीं, जब वह ओडिशा की पहली ट्रांसजेंडर अधिकारी बनीं थीं. 2014 में जब सुप्रीम कोर्ट ने थर्ड जेंडर को बाकायदा पहचान दी, तब उन्होंने अपने आपको पुरुष से थर्ड जेंडर के रूप में दिखाया. इसके बाद ओडिशा सरकार ने बाकायदा नोटिफिकेशन जारी कर उनकी पहचान को मान्यता दी.
ऐश्वर्या का कहना है कि मेरे जीवन में कुछ भी छिपा नहीं है. मैं अपने पार्टनर के साथ दो साल से लिव इन में रह रही हूं. अब हम जल्द शादी करने जा रहे हैं. उनका कहना है कि अगर कानून ने इजाजत दी तो वह एक बच्चा भी गोद लेना चाहेंगीं.
संघर्षो से भरा रहा ऐश्वर्या का जीवन
थर्ड जेंडर से होने के कारण ऐश्वर्या का जीवन संघर्ष से भरा रहा है. उनका कहना है कि जब मैं पढ़ती थी, तो मुझ पर मेरे साथी ही भद्दे मजाक बनाते थे. कॉलेज के दिनों में मेरे साथी मेरे कपड़े उतार देते थे ताकि वह मेरी जेंडर आइडेंटिटी जान सकें. यूनिवर्सिटी में भी ये सिलसिला रुका नहीं. वहां तो मुझे शारीरिक यातनाओं को भी झेलना पड़ा, लेकिन मैंने इन सबके बावजूद अपनी पढ़ाई को बीच में नहीं छोड़ा. ऐश्वर्या ने ओडिशा के धेनकनाल से जर्नलिज्म की डिगी ली.
लेकिन उन्होंने जर्नलिज्म को करियर के तौर पर नहीं लिया. 2010 में उन्होंने ओडिशा सिविल सर्विसेज एग्जामिनेशन पास कर लिया. 2016 से उनकी दोस्ती एक ऐसे शख्स से हुई, जो खुद का अपना बिजनेस करते हैं. अब एश्वर्या का कहना है कि अब तक हमारा रिश्ता पर्दे के पीछे था. क्योंकि अब तक कानून के हिसाब से ये अपराध की श्रेणी में था. लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने हमारे पक्ष में फैसला सुनाया है तो अब हमें आजादी मिल गई है. अब मैं गर्व से कह सकती हूं कि मैं अपना परिवार अगले साल से शुरू कर सकती हूं.
::/fulltext::कौन है यह IAS अफसर जो पहचान छिपाकर दिन-रात बाढ़ पीड़ितों के लिए करता रहा काम.
कुछ दिन पहले कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री जी परमेश्वरा द्वारा अपने गनमैन से अपनी पैंट पर लगी कीचड़ साफ करवाने की खबर पढ़कर बहुत गुस्सा आया था कि लोग अपने ओहदे का किस प्रकार दुरुपयोग करते हैं, लेकिन आज एक IAS अफसर की सच्ची नि:स्वार्थ सेवा की खबर पढ़कर मन खुश हो गया। सोशल मीडिया पर एक खबर वायरल हो रही है कि IAS अफसर कन्नन गोपीनाथन ने अपनी पहचान छुपाकर आठ दिनों तक केरल में बाढ़ पीड़ितों की मदद की।
कन्नन गोपीनाथन 2012 बैच के आईएएस अधिकारी हैं और इस वक्त वो दादरा एवं नागर हवेली में कलेक्टर के पद पर तैनात हैं। मूल रूप से वह केरल के कोट्टयम के रहने वाले हैं। गोपीनाथ 26 अगस्त को केरल मुख्यमंत्री राहत कोष में देने के लिए दादरा नगर हवेली की ओर से एक करोड़ रुपए का चेक देने केरल पहुँचे थे। लेकिन चेक सौंपने के बाद वापस लौटने की बजाय 32 वर्षीय कन्नन ने वहीं रुककर अपने लोगों की मदद करने का फैसला किया। यहाँ कन्नन अलग-अलग राहत शिविरों में सेवा देते रहे। इस दौरान उन्होंने किसी को जाहिर नहीं होने दिया कि वह दादरा नगर हवेली के जिला कलक्टर हैं।
एक IAS अफसर होते हुए भी कन्नन ने लोगों के घर की सफाई तक में मदद की। कई लोगों को उनके घर तक पहुँचाया। उन्होंने इस दौरान राहत सामग्रियों को पीठ पर लादकर खुद ही ट्रकों पर चढ़ाया और उतारा भी। वो अपनी पहचान उजागर न करते हुए पिछले 8 दिनों से राहत शिविरों में काम कर रहे थे। लेकिन एक दिन जब एर्नाकुलम के कलेक्टर ने केबीपीएस प्रेस सेंटर का दौरा किया तो उन्होंने शिविरों में काम कर रहे कन्नन को पहचान लिया। तब जाकर उनकी पहचान उजागर हुई कि वो एक आईएएस अधिकारी हैं। इसके बाद वहां मौजूद सभी लोग कन्नन की पहचान उजागर होते ही हैरान हो गए।
कन्नन के इस सराहनीय काम के लिए लोग उनकी खूब तारीफ कर रहे हैं। इसके अलावा आईएएस एसोसिएशन ने भी कन्नन की सराहना की है। कन्नन ने पहचान उजागर होने के बाद अफसोस जताते हुए कहा कि यह दुखद है कि लोग पता चलते ही उन्हें हीरो की तरह बर्ताव करने लगे। गोपीनाथ इसके बाद बिना किसी को बताए राहत शिविर से चले गए।
कई बार लड़के अपनी जेब या पर्स में ही कॉन्डम स्टोर करके रखते हैं ताकि अचानक ज़रूरत पड़ने पर उन्हें भागना ना पड़े। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि इस तरह पर्स और जेब में कॉन्डम स्टोर करके रखना सुरक्षित होता भी है या नहीं है?
शोधकर्ताओं की मानें तो ये बात साबित हो चुकी है कि जेब या पर्स में कॉन्डम रखना किसी बिना प्रयोग की गयी कॉन्डम के बराबर ही है। आप भले ही सुरक्षा के लिहाज़ से इमरजेंसी के लिए कॉन्डम साथ रखते हों लेकिन जेब या पर्स में रखकर आप इसके असर को अनजाने में ही कम कर देते हैं।