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आपका स्मार्टफ़ोन कभी भी गर्म हो सकता है. ऐसा तब भी हो सकता है, जब आपने इसकी उम्मीद न की हो.
ऐसे में आप क्या करते हैं? अपना फ़ोन जेब से निकाल लेते हैं... अपने कान से हटा लेते हैं... आप इससे फ़ासला बना लेते हैं क्योंकि वो जल रहा होता है. ये भी मुमकिन है कि आपने अभी-अभी फ़ोन हाथ में लिया हो और अचानक ही बिना किसी वजह के ये गर्म हो जाए या फिर स्लो हो जाए या स्क्रीन पर कोई एरर मैसेज दिखने लगे. ऐसे में ये सवाल उठता है कि मोबाइल फ़ोन का गर्म होना क्या एक सामान्य बात है? जवाब है, हां. लेकिन इसकी कई वजहें हो सकती हैं. इनमें से एक कारण हार्डवेयर हो सकता है. वही हार्डवेयर जिसे आपके स्मार्टफोन का ब्रेन कहा जाता है. दूसरा कारण आपके डिवाइस से बाहर का है.
हम आपको बताते हैं कि इनमें से कॉमन चीज़ें क्या-क्या हैं.
1. आराम की ज़रूरत है...
स्मार्टफ़ोन के गर्म होने के लिए जिम्मेदार कारणों में से एक तो ये है कि आप इसका बहुत ज़्यादा इस्तेमाल करते हैं. मुमकिन है कि आपने अपना फोन किसी बाहरी डिवाइस से कनेक्ट किया हो जैसे कि स्पीकर, वाई-फ़ाई सिग्नल या ब्लूटूथ से लंबे समय से जोड़ रखा हो. ये भी हो सकता है कि कई घंटों से अपने स्मार्टफोन पर कोई गेम खेल रहे हों या फिर किसी ऐप पर काम कर रहे हों. लगातार तस्वीरें लेना या वीडियो शूट करना भी आपके फोन को हीट कर सकता है. कभी-कभी तो 20 मिनट का अर्सा भी बहुत लंबा हो जाता है. कैसे बचें?: अगर आप फोन के एक ही ऐप लंबे समय से इस्तेमाल कर रहे हों तो थोड़ी देर के लिए सुस्ता लें. आपके फोन को एक ब्रेक के ज़रूरत है. शायद आपको भी ब्रेक चाहिए होगा. जिस ऐप का आप इस्तेमाल नहीं कर रहे हों, उसे बंद करना भी एक अच्छा उपाय है. मोबाइल स्क्रीन की ब्राइटनेस को सबसे तेज़ रखने से बचना भी एक कारगर उपाय हो सकता है.
2. बहुत ज़्यादा गर्मी या सर्दी
दूसरी वजहों के लिए आपका स्मार्टफ़ोन जिम्मेदार नहीं है.
क्या आपने अपना स्मार्टफ़ोन धूप में कभी लंबे समय के लिए छोड़कर देखा है या फिर सर्दी में?
आपका स्मार्टफ़ोन स्मार्ट ज़रूर है लेकिन बहुत ज़्यादा गर्मी या सर्दी के लिए ये तैयार नहीं रहता.
कैसे बचें?: अपने फोन को हमेशा ही बहुत ज़्यादा गर्मी या सर्दी से बचाएं. इसे हमेशा छाया में रखें. सीधे धूप में रखने से बचें. आर्द्र मौसम भी इसे नुक़सान पहुंचा सकता है. अगर आप का मोबाइल फोन गर्म हो गया हो तो इसे किसी पंखे की मदद से भी ठंडा कर सकते हैं. लेकिन इसे कभी फ्रिज में रखने की गलत मत कीजिएगा! कॉमन सेंस का इस्तेमाल करें, अपना दिमाग लगाएं.
फोन के गर्म होने की एक वजह इसमें वायरस भी हो सकता है
3. फोन में वायरस
मुमकिन है कि आपने अपने फोन में कोई ऐसा ऐप इंस्टॉल कर लिया हो जो हकीकत में किसी वायरस का ठिकाना हो. इसमें कोई अचरज की बात नहीं है कि बहुत सारे ऐप डेवेलेपर्स की दिलचस्पी आपने फोन की सेहत में नहीं बल्कि उसके डेटा में होती है.
कैसे बचें?: अनजाने स्रोतों से कभी भी ऐप डाउनलोड न करें. आप अपने फोन की सेटिंग्स में जाकर 'अननोन सोर्सेज' से आने वाले ऐप के डाउनलोड होने का दरवाजा कभी भी बंद कर सकते हैं. अगर आपको ये लगता है कि ये सब करने के लिए काफी देर हो चुकी है तो अपने फोन की सफ़ाई करें यानी उसे 'रिसेट' कर दें.
4. फ़ोन का कवर
स्मार्टफ़ोन की हिफाजत के लिए आप जो कवर लगाते हैं, मुमकिन है कि आपके फ़ोन का उसमें दम घुंटता हो. आपने भले ही ये सोचा हो कि इससे फ़ोन सुरक्षित रहेगा लेकिन हकीकत में ये समाधान से ज़्यादा समस्याएं पैदा कर सकता है.
कैसे बचें?: थोड़े समय के लिए ही सही मोबाइल फ़ोन का सुरक्षा कवर हटा कर देखें कि कहीं इसके गर्म होने का कारण यही तो नहीं था. कुछ भी हो, ये आपके फोन को ठंडा करने में मदद ज़रूर करता है.
अपने मोबाइल फ़ोन की बैटरी 100 फीसदी तक चार्ज़ करने से बचें
5. बैटरी में भी खामी हो सकती है
लीथियम बैटरियां बेहद नाजुक होती हैं. आपके फोन के गर्म होने का एक कारण उसकी बैटरी की स्थिति हो सकता है. कुछ मामलों में तो फोन में आग लगने की घटनाएं सामने आती हैं, और इसकी वजह कमजोर बैटरी ही होती है. कैसे बचें?: बैटरी को ज़रूरत से ज़्यादा चार्ज़ करने से बचें. 100 फीसदी चार्ज़िंग से कहीं बेहतर है 80-90 फीसदी का चार्ज़ स्टेटस. अच्छी क्वॉलिटी के चार्ज़िंग केबल यूज़ करें. कभी-कभी ख़राब क्वॉलिटी के केबल से चार्ज़ करना भी नुक़सानदेह साबित हो सकता है.
::/fulltext::वोडाफ़ोन और आइडिया के विलय के बाद अब 40 करोड़ से भी ज़्यादा ग्राहकों के साथ यह देश की सबसे बड़ी मोबाइल फ़ोन कंपनी बन गई है. एयरटेल अब देश की दूसरी सबसे बड़ी मोबाइल फ़ोन कंपनी है. टेलीकॉम सेक्टर में हो रहे इस बदलाव से 100 करोड़ से ज़्यादा ग्राहक प्रभावित होंगे. पिछले दो साल में मोबाइल पर कॉल और डेटा के लिए जो कीमतों में मारकाट मची थी, अब उसके दूसरे चरण की शुरुआत हो सकती है. कुछ लोगों का मानना है कि अब तीन सबसे बड़ी कंपनियों में पोस्टपेड ग्राहकों को लेकर होड़ मच सकती है. अब तक जिओ सस्ती कॉल दे कर ग्राहकों को बटोरने की कोशिश कर रहा था. लेकिन दूसरे दौर में अब वो पोस्टपेड ग्राहकों को अपनी लुभावनी स्कीम देकर अपनी ओर खींचने की कोशिश कर सकता है.
कुछ महीने पहले जिओ ने अपनी पोस्टपेड स्कीम को भी लॉन्च किया था.
प्रीपेड Vs पोस्टपेड ग्राहक
लेकिन पोस्टपेड ग्राहकों के लिए होड़ में विज्ञापनों का सहारा नहीं लिया जाएगा. उसके लिए बड़ी कंपनियों को लुभावने ऑफ़र दिए जाएंगे और उनके सभी ग्राहक एकमुश्त नए मोबाइल फ़ोन ऑपरेटर के साथ जुड़ सकते हैं. बिज़नेस की दुनिया में ऐसा होना कोई नई बात नहीं है.आम तौर पर माना जाता है कि पोस्टपेड ग्राहक अपने महीने के फ़ोन के बिल की चिंता नहीं करते हैं और अक्सर उनकी कंपनी उनके बिल के पैसे देती है. इसलिए महीने के अंत में प्रीपेड ग्राहक के मुकाबले उनका बिल भी कहीं ज़्यादा होता है. देश के 100 करोड़ से कुछ ज़्यादा मोबाइल फ़ोन ग्राहक में से क़रीब 90 फ़ीसदी प्रीपेड ग्राहक हैं.
अपने फ़ोन को रिचार्ज करने के लिए, औसतन ये लोग हर महीने 150 रुपये से भी कुछ कम खर्च करते हैं. सितम्बर 2016 में जब जिओ ने अपनी सर्विस लॉन्च की थी तो ऐसे ही ग्राहकों को अपनी सस्ती से सस्ती सर्विस बेचने की कोशिश की थी.
जिओ और एयरटेल की आगे की योजना
टेलीकॉम कंपनियों की संख्या कम होने के कारण कुछ नौकरियां ज़रूर कम हो सकती हैं. फ़िलहाल वोडाफ़ोन और आइडिया दोनों के अपने ब्रांड और स्टोर देश भर में दिखाई देंगे. लेकिन जैसे-जैसे ये विलय सफल होता जाएगा, दोनों कंपनियां दो अलग-अलग ब्रांड पर पैसे खर्च करना बंद कर देगी. जैसे ही दोनों कंपनियां एक ब्रांड पर काम करेंगी, कुछ नौकरियां ख़त्म हो सकती हैं. लेकिन इनकी संख्या कुछ हज़ार से ज़्यादा नहीं होगी.
जिओ अब बहुत तेज़ी से फ़िक्स्ड लाइन ब्रॉडबैंड के धंधे में भी अपनी सर्विस शुरू कर रहा है. इस सर्विस के लिए देश भर में उसकी टक्कर एयरटेल से होगी क्योंकि वोडाफ़ोन और आइडिया ये सर्विस नहीं देते हैं. जिओ की कोशिश है कि स्मार्ट टेलीविज़न के लिए सभी तरह की फ़िल्म और ब्रॉडबैंड पर कंटेंट घरों तक पहुंचाए. जैसा कि मोबाइल सर्विस के साथ जिओ ने किया था, सस्ती ब्रॉडबैंड सर्विस की मदद से वो करोड़ों घरों तक पहुँचने की कोशिश कर रहा है.
देश के बड़े शहरों में ब्रॉडबैंड सर्विस देने वाली सैकड़ों छोटी कंपनियां हैं. उनके लिए जिओ और एयरटेल जितनी सस्ती सर्विस देना मुश्किल हो सकता है. अगर आप उसकी सर्विस ही लेना चाहेंगे तो उन्हें क़ीमतें कम करने को भी कह सकते हैं. जिओ के मुफ्त कॉल देने के साल भर के अंदर ही आइडिया और वोडाफ़ोन पर कुछ ऐसा असर हुआ कि दोनों कंपनियों ने एक दूसरे के साथ विलय करने का फ़ैसला कर लिया.
जिओ के लॉन्च होने के बाद चारों कंपनियों के बीच सस्ती से सस्ती दरों पर कॉल और डाटा सर्विस देने के लिए होड़ मची हुई थी. मोबाइल और फिक्स्ड लाइन ब्रॉडबैंड के इस घमासान में जब एक या दो कंपनी दूसरों से आगे निकल जाएगी तो उसके बाद क़ीमतें ऊपर जाने की उम्मीद की जा सकती है. लेकिन अगले तीन से चार साल में इसकी संभावना कम लगती है.
एक बात तो साफ़ है - अगर आप मोबाइल पर डेटा इस्तेमाल करते हैं तो अब भी बहुत सस्ती सर्विस की उम्मीद कर सकते हैं. जब तक ब्रॉडबैंड ओर मोबाइल डेटा का बाज़ार बढ़ रहा है तब तक कंपनियों से ऐसी रेवड़ी की उम्मीद की जा सकती है.
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