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महिलाएं अपनी प्रेग्नेंसी के दौरान माता-पिता बनने के बारे में सोच कर काफी खुश रहती है। लेकिन अचानक ही काफी लॉ फील करने लगती हैं। उन्हें कुछ भी अच्छा नहीं लगता है। प्रेग्नेंसी के दौरान ये बातें काफी आम होती हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक हार्मोनल बदलाव, सही से नींद न आना, पहले के डिप्रेशन केस जैसे कई कारक प्रेग्नेंसी में आपके मेंटल हेल्थ को अफेक्ट कर सकते हैं। प्रेग्नेंसी के 9 महीने हर महिला के लिए जीतने खास होते हैं, उतना ही तनावपूर्ण भी रहते है। लेकिन प्रेग्नेंसी के समय महिला को अपने मेंटल हेल्थ का ध्यान रखने की बहुत जरुरत होती है। प्रेग्नेंट महिला के मेंटल हेल्थ का सीधा असर उनके गर्भ में पल रहे बच्चे के स्वास्थ्य पर पड़ता है। लेकिन अगर महिलाएं प्रेग्नेंसी के दौरान गंभीर मेंटल हेल्थ का सामना कर रही है तो अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें। लेकिन अगर आप मूड स्विंग या कम तनाव महसूस कर रही हैं तो इन टिप्स को फॉलो कर अपने मेंटल हेल्थ को बेहतर रख सकती हैं।
प्रेग्नेंसी के दौरान तनाव को कम करने के लिए महिलाएं पॉजिटिव सेल्फ टॉक करने की कोशिश करें। अक्सर प्रेग्नेंसी में महिलाएं मोटी हो जाती है, हार्मोनल बदलाव के कारण चेहरे पर पिंपल निकलने लगते हैं जो आपकी खूबसूरती को थोड़ा कम कर देता है। अपनी प्रेग्नेंसी को वो कैसे हेंडल करेंगी इस बात को लेकर भी अक्सर वो तनाव में रहती हैं। ऐसे में महिलाएं अपने दिन की शुरुआत खुद का सेल्फ कॉन्फिडेंश बढ़ाकर करें। आप खुद से कहें की "मैं स्ट्रॉन्ग हूं", 'मैं खूबसूरत हूं"। इस तरह की बातें खुद से करने पर आपका कॉन्फिडेंश बढ़ेगा और आप तनाव मुक्त बनेंगी।
प्रेंग्नेंसी के दौरान आपके मूड को बनाए रखने में मदद करने के लिए टॉक थेरेपी एक शक्तिशाली उपाय है। टॉक थेरेपी में आप अपने डॉक्टर, किसी खास दोस्त या रिश्तेदार जिस पर आप विश्वास कर सकती हैं, उनसे अपने दिल की बातें कहें। उनसे अपने बचपन की बातें शेयर करें, ऐसी बाते करें जिन्हें करने से आपको अच्छा फील हो। ताकि आप अपने तनाव को दूर करके खुश रह सकें।
प्रेग्नेंसी के समय महिलाएं ज्यादा बिजी रह सकती हैं। लेकिन इस समय आप अपनी लाइफ के महत्वपूर्ण लोगों से जुड़े रहने की कोशिश करें। प्रेग्नेंसी के दौरान अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से रिश्ते नजदीकियां बनाएं रखें। अपने खास लोगों से मिलने पर आपका तनाव मिनटों में दूर हो सकता है। ऐसे में अगर आप भी प्रेग्नेंसी के दौरान किसी भी तरह का तनाव महसूस कर रही हैं तो अपने खास लोगों से मिलने का प्लान जरूर बनाएं।
4. अपने पार्टनर से करें दिल खोल कर बातें
प्रेग्नेंसी को लेकर जितनी एक्साइटेड महिलाएं होती हैं उतने ही पुरुष भी होते हैं, लेकिन कई बार वो अपनी एक्साइटमेंट खुलकर दिखा नहीं पाते हैं। ऐसे में आप कोशिश करें की अपने पार्टनर के साथ खुलकर बात करें। ऐसा करने से आप अपने पार्टनर की फिलिंग भी समझ पाएंगी और उनके मन की बातें भी जान पाएंगी। प्रेग्नेंसी के दौरान तनावमुक्त होने के लिए ये सबसे अच्छा विकल्प साबित हो सकता है।
तनाव को कम करने में योग एक पावरफूल तरीका है। कुछ रिसर्च में ये पाया गया है कि पेरेंटल योग प्रेग्नेंसी के दौरान भी आपके मूड को अच्छा रखने में मदद करता है। लेकिन ये योग शुरू करने से पहले आप अपने डॉक्टर से सलाह जरूर ले लें। इतना ही नहीं तनाव के साथ बेहतर नींद के लिए भी पेरेंटल योग काफी फायदेमंद है।
थायराइड एक छोटी, तितली के आकार की ग्रंथि होती है जो थायराइड हार्मोन बनाती है, और यह आपकी गर्दन में पाई जाती है। थायराइड आपके शरीर के हर अंग को प्रभावित करता है, खासकर गर्भावस्था के दौरान बच्चे के मेंटल हेल्थ और नर्वस सिस्टम के विकास पर इसका असर पड़ता है। गर्भावस्था के शुरुआती 3 महीनों के दौरान, बच्चा नाल के माध्यम से आने वाले थायराइड हार्मोन की आपूर्ति पर निर्भर करता है। लेकिन गर्भावस्था के दौरान थायराइड की समस्या, खासकर हाइपोथायरायडिज्म आम हो जाती है।
यहां, थायराइड बहुत ज्यादा सक्रिय होता है जो अत्यधिक थायराइड हार्मोन के कारण होता है, जिसके परिणामस्वरूप शरीर की ग्रंथियां तेजी से काम करने लगती हैं।
यहां, थायरॉयड अंडरएक्टिव है जो थायराइड हार्मोन की कमी के कारण होता है, इसके परिणामस्वरूप शरीर की ग्रंथियां बहुत धीमी गति से काम करने लगता है।
गर्भावस्था और थायरॉइड डिसऑर्डर दोनों में होने वाले अन्य लक्षणों के साथ-साथ थायराइड हार्मोन के हाई लेवल के कारण थायराइड की समस्याओं का पता लगाना मुश्किल हो जाता है। अगर गर्भावस्था के दौरान थायराइड के किसी भी लक्षण या थायराइड के असंतुलन का अनुभव होता है, तो आपको अपनी डाइट में बदलाव करने की जरूरत होती है।
प्रेग्नेंसी में थायराइड कंट्रोल करने के लिए डाइट
थायराइड हार्मोन बनाने के लिए थायराइड बड़ी मात्रा में आयोडीन का उपयोग करता है। इसलिए आयोडीन मां के लिए एक जरूरी खनिज बन जाता है। गर्भावस्था के दौरान, बढ़ते हुए बच्चे को मां के आहार से आयोडीन मिलता है। इसलिए अगर मां को थायरॉइड की समस्या है तो आप उन्हें एक अच्छी डाइट देकर बच्चे की सुरक्षा कर सकते हैं।
हाइपोथायरायडिज्म में कई बार मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। ऐसे में मछली, अंडे, मांस जैसे प्रोटीन युक्त डाइट आपकी हड्डियों को मजबूत करने में मदद करते हैं। इस तरह की डाइट आपके एनर्जी लेवल को बढ़ाने का भी काम करता है।
2. डेयरी उत्पाद
पनीर, नारियल का दूध, काजू का दूध, दही, जैसे डेयरी प्रोडक्ट्स आप अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। यह डेयरी उत्पाद कैल्शियम से भरपूर होते हैं जो प्रेग्नेंसी में आपके हाइपोथायरायडिज्म को कंट्रोल करने में मदद करता है।
3. आयोडीन युक्त खाद्य पदार्थ
आयोडीन के अच्छे स्रोतों में डेयरी खाद्य पदार्थ, सी फूड्स, अंडे, मांस, आयोडीन युक्त नमक शामिल होता है। यह थायराइड हार्मोन बनाने के लिए जरूरी खनिज है। आयोडीन की कमी से प्रेग्नेंट महिलाओं को हाइपोथायरायडिज्म हो सकता है। प्रेग्नेंसी के बाद भी महिलाओं को स्तनपान के दौरान भी आयोडीन की जरूरत होती है क्योंकि बच्चे को दूध से आयोडीन मिलता है।
4. मैग्नीशियम युक्त खाद्य पदार्थ
प्रेग्नेंट महिलाओं को अपनी डाइट में साग, गाजर, मिर्च, पालक, मशरूम जैसी डाइट शामिल करना चाहिए। यह खाद्य पदार्थ मैग्नीशियम से भरपूर होते है जो थायराइड की समस्या से आपको सुरक्षित रखने में मदद करते हैं और आपके हार्मोन को कंट्रोल में रखते हैं।
फलों में विटामिन और एंटीऑक्सीडेंट के गुण मौजूद होते हैं। इसलिए, प्रेग्नेंसी के दौरान प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए सेब, केला, अंगूर, अनानास जैसे फलों को अपनी डाइट में शामिल करें।
पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में बीमारियों का खतरा ज्यादा बना रहता है। महिलाओं में प्रेग्नेंसी, पीरियड्स और हार्मोनल बदलावों के कारण महिलाओं को कई तरह के स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ता है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के मुताबिक 40 फीसदी प्रेग्नेंट महिलाओं में खून की कमी पाई जाती है। एक सर्वे के मुताबिक प्रेग्नेंसी के दौरान रोजाना दुनियाभर में 810 महिलाओं की मौत होती है। इसी तरह महिलाएं अन्य कई बीमारियों का सामना करती हैं। जिससे निपटने के लिए महिलाएं डॉक्टर भी महिलाओं को हेल्दी डाइट लेने की सलाह देते हैं। भारत अपने आयुर्वेदिक जड़ी बुटियों के लिए जाना जाता है। आयुर्वेद में महिलाओं के लिए ऐसी कई जड़ी बूटियां हैं, जिसका सेवन करने से महिलाओं को स्वास्थ्य फायद मिलते हैं। ऐसे में आइए आपको बताते हैं महिलाओं के लिए कुछ ऐसी ही खास जड़ी बूटियों के बारे में जिसका सेवन करने से महिलाओं को स्वास्थ्य संंबंधी कई तरह की बीमारियों से छुटकारा मिल सकता है।
1. शतपुष्पा का पौधा
शतपुष्पा का पौधा जीरे के पौधे की तरह दिखता है। इस पौधे में कई औषधीय गुण मौजूद होते हैं, जो कई तरह की बीमारियों से राहत दिलाने में मदद करता है। शतपुष्पा का पौधा कई रोगों को ठीक करने के लिए उपयोग किया जाता है। इस पौधे के सेवन से महिलाओं को होने वाली कब्ज की समस्या, हड्डियों में कमजोरी को दूर करने और इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में मददगार है।
2. शतावरी
शतावरी बेल या झाड़ जैसी दिखने वाली एक जड़ी-बूटी है। आयुर्वेद में इसका उपयोग दवाओं को बनाने और कई बीमारियों के इलाज में किया जाता है। महिलाओं में होने वाले तनाव, मूड स्विंग, हार्मोन बदलाव जैसी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए भी ये जड़ी बूटी काफी कारगर साबित हुआ है।
मंजिष्ठा का पौधा जंगली झाड़ की तरह दिखता है। ये पौधा आपको किसी भी जंगल या पार्क में आसानी से मिल जाएगा। आयुर्वेद में इस जड़ी बूटी के इस्तेमाल से खून साफ करने, इन्फ्लामेशन से लड़ने और स्किन से जुड़ी कई समस्याओं से लड़ने में लाभकारी बताया गया है। जिसके सेवन से महिलाओं को काफी ताकत मिलती है।
4. अशोक का पेड़
अशोक का पेड़ एक ऐसा पेड़ है, जो आपको किसी भी जगह आसानी से मिल जाएगा। इस पेड़ पर लाल रंग के फूल आते हैं, इस फूल को आयुर्वेद में महिलाओं के हेल्थ के लिए काफी लाभकारी माना जाता है। यह पेड़ महिलाओं में मेंस्ट्रुअल फ्लो को कम करने में मदद करता है, स्किन के लिए भी काफी फायदेमंद होता है। इतना ही नहीं ये फीमेल होर्मोन को बैलेंस करने में भी काफी मदद करता है।
कई बार आप किसी वजहों से ये सोंचती हैं कि आपकी पीरियड की डेट पहले हो जाए या फिर आगे बढ़ जाए। अगर आपकी शादी है, और पीरियड की डेट नजदीक है तो आपको टेंशन हो जाती है। या फिर आपको वॉकेशन पर किसी सी बीच स्पॉट पर जाना है और उस वक्त आपके पीरियड भी आने वाले हों तो आपके मन में झल्लाहट मचने लगती है। मासिक धर्म के दौरान महिलाओं में कई तरह के शारीरिक और मानसिक परेशानियां भी होती हैं। हंलाकि महिलाएं अपने पीरियड कुछ दवाओं के जरीये अपने पीरियड की डेट आगे कर लेती हैं, जो महिलाओं के शरीर पर बुरा प्रभाव डालती हैं। इससे कई तरह की बीमारियां भी जन्म लेने लग जाती हैं। यहां हम आपको कुछ ऐसा टिप्स देंगे जिससे आप बिना किसी दवा और परेशानी के अपने आने वाले पीरयड की डेट को आगे बढ़ा सकती हैं
पीरियड्स टालने के टिप्स
करें नींबू का सेवन
पीरियड्स की डेट को आगे बढ़ाने के लिए आप नींबू का सेवन कर सकती हैं। नींबू ब्लड फ्लो को कंट्रोल करने में हेल्प करता है। जब आपको अपने पीरियड आगे बढ़ाने हो तो पहले से ही नींबू का इनटेक बढ़ा लें। आप गुनगुने पानी में नींबू का रस मिलाकर पीएं। इससे आपके पीरियड थोड़े रूक कर होंगे।
एप्पल साइडर विनेगर
मेन्सुरल साइकिल में देरी के लिए आप एप्पल साइडर विनेगर को यूज कर सकती हैं। एक गिलास पानी में एप्पल साइडर विनेगर मिलाकर पीएं। एप्पल साइडर वेनेगर के इससे हटकर भी कई स्वास्थ्य लाभ है, जो आपके शरीर को नुकसान नहीं पहुंचाता है। इससे मासिक धर्म कुछ दिन के लिए लेट हो सकता है।
मसालेदार खाना
अगर आपको पीरियड्स डेट को कुछ दिन के लिए आगे बढ़ाना है तो मसालेदार खाना रोक दें। मिर्च-मसालेदार खाना ना खाएं। क्योंकि मसालेदार खाना आपके शरीर में गर्मी पैदा कर देता है, जिससे शरीर में ब्लड फ्लो बढ़ने की संभावना होती है और जिससे आपतको पीरियड आ सकते हैं। इसलिए पीरियड्स होने की डेट से पहले मसालेदार खाना मत खाएं, अगर खाती हैं तो कम करें।