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स्मार्ट फोन आपके मासूम बच्चे के ब्रेन के डेवलपमेंट को प्रभावित करता है।अपने बच्चों को अपने मोबाइल फोन से दूर रखना एक कठिन काम हो जाता है, लेकिन अगर आप उनसे मोबाइल फोन से दूरी नहीं बनाकर रखती तो भोजन की कमी के साथ और भी कई तरह की परेशानियों से आप जूझ सकती हैं। यहां बताए जा रही टिप्स की मदद से आप अपने टोडलर से मोबाइल फोन दूर रख सकते है।
स्मार्ट फोन आपके बच्चों के लिए अच्छा क्यों नहीं है?
आप जिस डिजिटल युग में रह रहे हैं, उसे ध्यान में रखते हुए, बच्चे को गैजेट से अलग करना कई बार मुश्किल होता है, हालांकि, इससे पहले कि आप अपने बच्चे की स्मार्ट फोन की मांगों को मान लें, यहां तीन महत्वपूर्ण फैक्ट हैं जिन्हें आपको जानना आवश्यक है।
स्मार्ट फोन बच्चे के ब्रेन के डेवलपमेंट को प्रभावित करता है। स्मार्ट फोन मस्तिष्क के विकास को धीमा करके और अन्य तरह की परेशानियां क्रिएट करना शुरू कर देता है। कुछ मामलों में स्मार्ट फोन का अत्यधिक यूज भी कॉगनेटिव डिले का कारण बनता है
जब आपका बच्चा मोबाइल पर गेम खेल रहा होता है, तो वो बाहर के खेल में शामिल नहीं होता है जिसके परिणामस्वरूप शारीरिक व्यायाम की कमी और बच्चे की एक्टिविटी में कमी देखी जाती है। जो मोटापे का कारण बनती है।
सोशल डेवलपमेंट में देरी: स्मार्ट फोन या टैबलेट पर खेलने से भी सोशल स्किल में देरी होती है क्योंकि बच्चा हमेशा गैजेट्स पर व्यस्त रहता है और ज्यादा बात नहीं करता है।
यहां कुछ टिप्स लिस्टेड हैं जिन्हें आप आजमा सकती हैं-
अपने बच्चे के सामने मोबाइल फोन का यूज करने से बचें: आप पेरेंट्स हैं जो आपके बच्चे को फोन और अन्य गैजेट्स पेश करने के लिए जिम्मेदार हैं, इसलिए अगर आपका बच्चा ध्यान आकर्षित करना चाहता है तो उसे फोन को हाथ न लगाने दें। उसको दूसरे कामों में बिजी करने की कोशिश करें।
वीडियो के बजाय ऑडियो चलाएं: वीडियो दिखाने के बजाय आप ऑडियो सीडी खरीद सकते हैं और उन्हें अपने बच्चे को चला सकते हैं। इस तरह वह चमकीले रंगों से विचलित नहीं होंगे। और ऑडियो वाली राइम्स का भी मजा लेंगे क्योंकि वे जो कुछ भी करना चाहते हैं, करते रहेंगे। दूसरा तरीका है मां या पिता के लिए बच्चे को कविताएं सुनाना
माता-पिता को बच्चे को मोबाइल के बजाय पर्याप्त समय देना चाहिए। मोबाइल फोन से खेलने के बजाय आपको अपने बच्चों के साथ खेलना चाहिए, उनसे बात करनी चाहिए, उन्हें नेचर की सैर पर ले जाना चाहिए। पर्यावरण का पता लगाने देना चाहिए। अपने बच्चे के साथ एक मजबूत माता-पिता-बच्चे का बंधन बनाने का यह सबसे अच्छा समय है। आप अपने बच्चे के साथ-साथ अच्छी आदतें और शिष्टाचार सिखा सकते हैं। सोचिए जब मोबाइल नहीं थे तब बच्चे कैसे बड़े होते थे?
एक अच्छा रोल मॉडल बनें: याद रखें कि आपका बच्चा वही सीखेगा जो वह आपको करते हुए देखता है, इसलिए अगर आप जो उसे बता रहे हैं उसका अभ्यास कर रहे हैं तो संभावना है कि आपका बच्चा मैसेज को तेजी से समझेगा करेगा और उसे भी इसकी लत नहीं लगेगी।
प्रेगनेंसी के दौरान, मोम-टू-बी के मन में कई सारे सवाल होते हैं। लेकिन उनमें से कई सवाल सिर्फ अंधविश्वास और मिथक से जुड़े हुए हैं। जैसै प्रेगनेंसी के दौरानकॉफी पीने से बच्चे के शरीर पर भूरे धब्बे हो जाएंगे। ऐसे ही कई सारे सवाल महिलाओं के मन में रहते हैं। गर्भावस्था के बारे में मिथक, अंधविश्वास की कहानियां लाजिमी हैं। जिनमें से कई आश्चर्यजनक रूप से भ्रामक हैं और अभी भी मानी जाती हैं।
जब महिलाएं गर्भवती होती हैं, तो डॉक्टर और आस-पास के सभी लोग उन्हें करवट लेकर सोने के लिए कहते हैं। जब आप गर्भवती हों, विशेष रूप से अंतिम तिमाही के दौरान, यह सोने के लिए सबसे सुरक्षित स्थिति होती है। अगर आप अपनी पीठ के बल सोती हैं, तो उठना और अपनी पीठ के निचले हिस्से पर बहुत ज्यादा दबाव डालना मुश्किल हो जाता है।
मिथक 2: गर्म पानी से नहाने से बच्चा भी धुल जाएगा!
शोध के अनुसार, गर्भवती महिलाएं जो विशेष रूप से गर्भावस्था की पहली तिमाही के दौरान गर्म पानी से नहाती हैं, उनमें गर्भपात की संभावना ज्यादा होती है। इसलिए, अगर आप गर्म पानी से नहाती हैं, तो 10 मिनट या उससे कम समय तक रखें।
विसंगति लड़कियों की तुलना में जन्म के समय साढ़े तीन औंस से ज्यादा वजन वाले लड़कों के कारण हो सकती है। इसके अलावा, 2003 के एक छोटे से अध्ययन में पाया गया कि लड़कों को ले जाने वाली महिलाएं गर्भावस्था के दौरान अधिक कैलोरी का उपभोग करती हैं, यह सुझाव देते हुए कि पुरुष बच्चे जन्म से पहले ही कुछ अधिक मांग कर रहे हैं।
मिथक 4: प्रेगनेंसी में घर के दरवाजे पर नहीं बैठना चाहिए!
पीरियड्स एक ऐसी चीज है जिसका सामना दुनिया की हर महिला करती हैं। किसी के लिए ये वरदान को किसी के लिए अभिशाप भी साबित हो सकता है। किसी को पीरियड्स में खून के बड़े धब्बे, तो किसी को लंबे समय तक बेहिसाब दर्द का सामना करना पड़ता है। कुछ ऐसी महिला भी है जिन्हें इस समय दर्द का पता भी नहीं चलता है। लेकिन कई लोगों को ऐसे दर्द का सामना करना पड़ता है कि उनसे बेड से उठा भी नहीं जाता है। जिसके कारण वो गर्म पानी या अन्य किसी चीज पर निर्भर रहते हैं। इस समय आप बिना किसी कारण तनाव में, चिड़चिड़े, और उदास रहते हैं। लेकिन कुछ ऐसे तरीके हैं जिनकी मदद से आप पीरियड पैन से आरम पा सकते हैं। इस दर्द से छुटकारा पाने में अदरक एक घरेलू उपाय है। आइए आपको बताते हैं कि अदरक की मदद से आप किस तरह दर्द से छुटकारा पा सकते हैं।
अदरक में जिंजरोल नामक एक शक्तिशाली यौगिक गुण मौजूद होता है। जो अपने एंटीऑक्सीडेंट गुणों के लिए जाना जाता है। ये पीरियड्स में आपके पेंट में होने वाली ऐंठन को कम करने में मदद करता है। नेचुरल और आसानी से उपलब्ध होने वाला ये अदरक पीरियड्स के दर्द, ऐंठन और सूजन से राहत दिलाने में काफी प्रभावी है। शारीरिक रूप से कमजोर महिलाओं को इस समय तेज ऐंठन का अनुभव होता है, क्योंकि गर्भाशय की दीवार सिकुड़ती हैं और वहां से खून बहता है। इस अवधि के दौरान ऐंठन को रोकने के लिए श्रोणि की मांसपेशियों को आराम देना जरूरी होता है। आइए जानें पीरियड्स पैन में अदरक की मदद से राहत कैसे पा सकते हैं।
अदरक की चाय
अदरक की चाय पीरियड पैन में काफी लाभदायक होती है। इसे बनाने के लिए ताजा अदरक के दो छोटे टुकड़े करके इसे अच्छे से छीलकर इसे कूट लें। अब एक पैन में दो गिलास पानी डालकर पिसा हुआ अदरक भी मिलाकर अच्छे से 10 मिनट तक उबाल लें। अब अदरक के पानी को छान कर इसे चाय की तरह पीएं। अपने पीरियड्स में दिन में 2 से 3 बार इस अदरक की चाय को पीएं, आपको दर्द में काफी आराम मिलेगा।
अपने पीरियड पैन में ताजा अदरक को छीलकर कद्दूकस कर लें। या हो सके तो मिक्सर में ब्लेंड कर लें। अब इसके जूस को अच्छे से छान लें। इस जूस में थोड़ी सी चीनी मिलाएं। आपका अदरक कंसन्ट्रेट तैयार है। मजे से इसे पीएं।
मां का दूध शिशुओं (Child) के लिए सर्वोत्तम आहार (Diet) होता है। छोटे बच्चों के ना सिर्फ शारीरिक और मानसिक विकास के लिए मां का दूध महत्वपूर्ण होता है बल्कि यह इम्यूनिटी (Immunity) बढ़ाने के साथ-साथ शरीर के लिए कई मायने में फायदेमंद है। तो ऐसे में आपके मन में ये सवाल भी उठ रहे होंगे कि बच्चे को स्तनपान (Breastfeeding) के दौरान मां को किस तरह की सावधानियां बरतनी चाहिए खास तौर से इस समय में आहार में किन चीजों को लेना चाहिए? ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली माताओं के लिए खान पान बहुत जरूरी होता है और उन्हें भूख भी अधिक लगती है। लेकिन ऐसी सब्जियां और खाद्य पदार्थ हैं जिससे आपको परहेज करना चाहिए। ब्रेस्टफीडिंग के दौरान एक्सपर्ट सुझाव देते हैं कि, कौन सी सब्जियों और खाद्य सामग्री से आपको परहेज करना चाहिए। आपके इन सभी सवालों का जबाब आज हम यहां इस ब्लॉग में देने जा रहे हैं।
ब्रेस्टफीडिंग के दौरान किन चीजों से परहेज करना चाहिए
ब्रेस्टफीडिंग के दौरान माताओं को आहार सबंधी सावधानियां बरतनी आवश्यक है। कई ऐसे खाद्य पदार्थ हैं, जिससे परहेज करना चाहिए।
ब्रेस्टफीडिंग के दौरान कौन सी सब्जियां ना खाएं : what vegetables to avoid during ब्रेस्टफीडिंग : बेस्टफीडिंग के दौरान माताओं को बीन्स, पत्तागोभी, ब्रोकली, फूलगोभी, प्याज, कच्चा स्प्राउट्स आदि नहीं खाना चाहिए। इन खाद्य पदार्थों के सेवन से पाचन संबंधी समस्याएं की उत्पन्न हो सकती है और मां के साथ-साथ बच्चे को भी गैस (Acidity) की परेशानी हो सकती है।
ब्रेस्टफीडिंग के दौरान समुद्री भोजन से बचें/ Avoid to seafood during breastfeeding : स्तनपान कराने वाली माताओं को समुद्री भोजन के सेवन से बचना चाहिए। इन खाद्य पदार्थों में मर्करी (पारा) का स्तर अधिक होता है।
कॉफी अथवा कैफीन युक्त पदार्थों का सेवन ना करें/ Avoid to drink coffee or caffeine : ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली मांओं कॉफी और कैफीन वाली चीजों से परहेज करना चाहिए। क्योंकि यह बच्चों के नींद को प्रभावित कर सकता है। इसके अतिरिक्त कैफीन की अधिक मात्रा दूध में ऑयरन लेवल को कम कर सकता है, जिससे बच्चों में हीमोग्लोबिन का स्तर कम हो सकता है।
शराब का सेवन है नुकसानदेह / Avoid alcohol : वैसे तो शराब का सेवन सभी के लिए हानिकारक है, लेकिन खासतौर पर ब्रेस्टफीडिंग वाली महिलाओं को शराब से दूरी बनाना चाहिए। यह ना केवल बच्चे बल्कि मां के स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचाता है।
प्रोसेस्ड फूड ना खाएं/ Avoid processed food during breastfeeding : प्रोसेस्ड फूड आसानी से बन तो जाते हैं लेकिन यह स्वास्थ्य के लिए सही नहीं हैं। ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिलाओं को तो इसका सेवन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। क्योंकि इन भोज्य पदार्थों में प्रिजर्वेटिव और एडीटीव्स पाए जाते हैं जो बच्चों के स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं।
खट्टे फलों के सेवन से बचें/ Avoid citrus fruits: एक्सपर्ट के अनुसार ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिलाओं के लिए विटामिन सी युक्त खट्टे फलों का सेवन नुकसानदायक होता है। मां के द्वारा इन फलों का सेवन करने से दूध में अम्ल बनने लगता है, और यह एसिड दूध के साथ बच्चों के शरीर में जाता है। जिससे पेट दर्द, दस्त और चिड़चिड़ापन की समस्या हो सकती है।
गेहूं का सेवन ना करें / Avoid wheat : अक्सर ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिलाओं को विशेषज्ञ गेहूं का सेवन ना करने की सलाह देते हैं। क्योंकि गेहूं में ग्लूटन नामक प्रोटीन पाया जाता है जो कई बार बच्चों को नुकसान पहुंचाता है। इससे उन्हें स्टूल में खून आने के साथ ही पेट दर्द और चिड़चिड़ापन भी हो सकता है।
नवजात शिशु के लिए मां का दूध अमृत माना जाता है। जो महिलाएं स्तनपान कराती है उन्हें अपने खानपान का खास ध्यान रखना चाहिए। यदि आप खानपान में लापरवाही करेंगे तो इसका असर आपके बच्चों के स्वस्थ्य पर पड़ सकता है। यदि मां के दूध में किसी चीज़ की कमी या अधिकता होगी तो यह बच्चों के लिए समस्या बन सकती है। इसलिए आपको कुछ चीजों को अपनी डाइट से अलग करना होगा। अगर आप चाहते हैं आपके बच्चे स्वस्थ्य रहें तो आपको उपरोक्त बातों पर ध्यान देना होगा।