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नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय के बीआर अंबेडकर जैव चिकित्सा अनुसंधान केंद्र ने एक ऐसी तकनीक इज़ाद की है, जिससे किसी भी तरह के टीबी के मरीजों की बीमारी का पता महज़ घंटे भर में चल जाएगा. इस जांच किट की कीमत भी मुश्किल से 50 रुपये तक आयेगी. इस किट को पेटेंट करवाया जा चुका है. मैन्युफैक्चरिंग को लेकर अब कोशिश कंपनी से करार की है. NDTV से खास बातचीत में बीआर अंबेडकर जैव चिकित्सा अनुसंधान केंद्र की सीनियर प्रोफेसर डॉक्टर दमन सलूजा ने बताया कि इस नई तकनीक परिणाम जल्दी आएंगे और मरीज को तुरंत इलाज मिलना शुरू हो जाएगा.
6 साल में किया गया विकसित
प्रोफेसर डॉक्टर दमन सलूजा ने बताया कि इस नई तकनीक के माध्यम से 45 मिनट से एक घंटे में कन्फर्म्ड पॉजिटिव या नेगेटिव परिणाम आ जाता है. सैंपल प्रोसेसिंग स्पुटम (बलगम) का हो या एक्स्ट्रा पल्मोनरी के लिए डिफरेंट तरह के सैंपल होते हैं, उसमे से डीएनए निकालने में आधे से पौन घंटे का वक्त और लगता है. इसको दो मेरे पीएचडी के स्टूडेंट्स के साथ मैंने इसको विकसित किया, जिसमें 6 साल लगे.
छोटी से छोटी लैब में हो सकता है ये टेस्ट
उन्होंने बताया कि अब ये ऐसी स्टेज पर है जहां छोटी से छोटी लैब इस टेस्ट को कर सकती है. पहले दो ढाई साल में रिजल्ट्स आने शुरू हो गए थे, लेकिन हमने बहुत सारे क्लीनिकल सैंपल के साथ इसको कन्फर्म किया. इसको अलग-अलग तरीकों से कन्फर्म किया, ताकि गलती की कोई गुंजाइश न हो और इसकी वजह से 6 साल का वक्त लगा. ये लैंप ईजी (Lamp Essay) मैथड है या इसको इसरो थर्मल पीसीआर (ISO Thermal PCR) मैथड भी कह सकते हैं.
दमन सलूजा ने बताया कि डॉट सेंटर में जो माइक्रोस्कोपिक मेथड जो यूज होता है, वो एक्सपेंसिव नहीं, पर स्पेसिफिसिटी बहुत कम है. जीन एक्सपर्ट मैथड है, उसको सरकार ने सब्सिडाइज्ड रेट पर सरकारी अस्पतालों में दिया हुआ है, लेकिन मशीन की कॉस्ट ही 20-25 लाख है. कैटेगरी काफी महंगी आती है. ये काफी महंगा है. प्राइवेट अस्पताल काफी चार्ज करते हैं, ढाई से तीन हजार रुपये. सरकारी में फ्री, पर हर मरीज़ का सैंपल जीन एक्सपर्ट मैथड से नहीं टेस्ट किया जाता है. सामान्य तौर पर माइक्रोस्कोपिक मैथड या कल्चर मैथड का उपयोग करते हैं. कल्चर मैथड में रिजल्ट आने में 6 से 7 दिन लगते हैं.
नोट और सिक्कों पर टीबी
दमन सलूजा कहती हैं कि ये काफी कॉमन है, हमारे यहां आदत है कि लोग थूक का इस्तेमाल करते हैं और कोई अगर टीबी का कैरियर हो और ज्यादा लक्षण न हों तो वो ये फैला सकता है. हमने टीबी हॉस्पिटल्स के बाहर से कुछ करेंसी कलेक्ट की थी दुकानों, छाबड़ी वालों से, तो उसमें काफी पॉजिटिव सैंपल मिले. सिक्के और नोट दोनों से सैंपल लिए 15 - 20% में पॉजिटिव सैंपल मिले. हमने 600-700 करेंसी के सिक्के और नोट लिए. टीबी को लेकर अस्पताल के सामने ही किया पर ये नोट तो हर जगह सर्कुलेट होते हैं.
बच्चों को खेलने में काफी मजा आता है। गर्मी हो या सर्दी, बच्चे बाहर खेलना काफी पसंद करते हैं। लेकिन जब गर्म दिनों में वे बाहर खेलते हैं तो ऐसे में उनकी स्किन झुलस जाती है। आपको शायद पता ना हो लेकिन अधिकतर सन डैमेज बचपन में ही होता है। कई बार पैरेंट्स अपने बच्चे को सनबर्न से बचाने के लिए सनस्क्रीन लगाते हैं। लेकिन अगर वे अधिक देर तक बाहर रहते हैं तो ऐसे में सनस्क्रीन का असर खत्म हो जाता है। सनबर्न होने पर बच्चों की स्किन लाल हो जाती है और उन्हें दर्द का अहसास होता है। ऐसे में बच्चों में सनबर्न का इलाज करने के लिए आप कुछ आसान उपाय अपना सकते हैं, जिसके बारे में आज हम आपको बता रहे हैं-
दर्द से यूं मिलेगा आराम
सनबर्न होने पर बच्चे को कई बार बहुत अधिक दर्द का सामना करना पड़ता है। ऐसे में उसके दर्द को मैनेज करने के लिए आप उसे इबुप्रोफेन दे सकते हैं। यह दर्द और सूजन में मदद कर सकता है। हालांकि, बच्चे को किसी भी तरह की दवा खुद से ना दें। बेहतर होगा कि इसके लिए पहले आप डॉक्टर से सलाह लें।
बुजुर्गों के साथ आज के समय में बच्चों में भी आंखों से कम दिखने की समस्या बहुत ज्यादा बढ़ गई है। जिसका मुख्य कारण बदलती लाइफस्टाइल, खान-पान और स्क्रीन टाइम का बढ़ना है। लेकिन इससे निपटने के लिए आप कई तरीके अपना सकते हैं।
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3. आंवला का जूस पिएं
आंवला, जिसे भारतीय करौदा के रूप में भी जाना जाता है, विटामिन सी और एंटीऑक्सिडेंट का एक समृद्ध स्रोत है जो आंखों को हेल्दी रखने और इसकी रोशनी बढ़ाने में मदद कर सकता है। रोजाना आंवले का रस पीने से आंखों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं और दृष्टि में सुधार होता है।
4. आंखों के लिए हेल्दी डाइट लें
एक संतुलित आहार खाने से जैसे गाजर, पालक, ब्रोकोली, केल, संतरे और बादाम आपके आंखों की रोशनी तेज हो सकती है। इस तरह के खाद्य पदार्थ आंखों की रोशनी में सुधार करने और आंखों की बीमारियों को रोकने में मदद कर सकते हैं।
5. आंखों की एक्सरसाइज
आंखों की एक्सरसाइज जैसे पलक झपकना, आंखों को घुमाना और निकट और दूर की वस्तुओं पर ध्यान केंद्रित करने से आंखों के लचीलेपन में सुधार और आंखों की मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद मिल सकती है। आप कोई भी एक्सरसाइज करने के लिए अपने डॉक्टर से भी सलाह ले सकते हैं।
खास बातें
ट हेल्थ का ख्याल रखना बहुत जरूरी है. आंत का हेल्दी होने का अर्थ है पाचन तंत्र (Digestion System) में सही मात्रा में अच्छे बैक्टीरिया का होना. यह गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल हेल्थ को बढ़ावा देने में मदद करेगा. गट यानि आंतों में मौजूद सूक्ष्मजीवों का हमारी ऑलओवर हेल्थ पर बड़ा प्रभाव पड़ता है. पाचन से लेकर, इम्यून सिस्टम, मूड तक, गट हेल्थ हमारी पूरी बॉडी को प्रभावित करती है. अपनी पाचन शक्ति (Digestion Power) को बढ़ाने के लिए इन जीवाणुओं को बढ़ाना जरूरी है. हालांकि पाचन तंत्र को मजबूत करने के उपाय कई हैं, लेकिन सुबह का समय अपने डायजेशन सिस्टम को हेल्दी बनाने के लिए प्रभावी होता है. ऐसे में आपको सुबह क्या करना चाहिए जिससे पाचन तंत्र मजबूत रहे.
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