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H3N2 इन्फ्लूएंजा वायरस, जिसे हांगकांग फ्लू के नाम से भी जाना जाता है। एक तरह का इन्फ्लूएंजा वायरस है जो व्यक्ति में सांस संबंधित बीमारियों का कारण बन सकता है। इस वायरल से संक्रमित होने के बाद अधिकतर लोग लंबे समय तक खांसी, सांस फूलना, बार-बार छींकने का अनुभव कर रहा है। उत्तर भारत में पिछले 3 महीने में इस फ्लू के ज्यादा मामले सामने आए हैं।
H3N2 इन्फ्लूएंजा वायरल, इन्फ्लुएंजा ए वायरस का ही एक प्रकार है। नई दिल्ली में भी H3N2 इन्फ्लूएंजा के मामलों में अचानक काफी बढ़ोत्तरी हुई हुई है, जिसमें लोग लंबी बीमारी और खांसी के समान लक्षणों का अनुभव कर रहे हैं। ज्यादा ठंज से अचानक गर्मी का मौसम आना भी इस बीमारी के बढ़ने का एक कारण है।
क्या है H3N2 इन्फ्लूएंजा?
H3N2 इन्फ्लूएंजा ए वायरस का एक प्रकार है जो व्यक्ति में मौसमी फ्लू का कारण बन सकता है। H3N2 वायरस एक संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने या बात करने पर सांस की बूंदों के जरिए से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैल सकता है। H3N2 संक्रमण के लक्षण अन्य प्रकार के फ्लू के समान ही होते हैं, जिसमें बुखार, खांसी, गले में खराश, शरीर में दर्द, थकान और सिरदर्द शामिल हो सकते हैं। कई मामलों में तो निमोनिया की शिकायत भी हो सकती है। खासकर उन लोगों में जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर हो।
कोविड-19 और H3N2 इन्फ्लूएंजा दोनों ही संक्रामक वायरस के कारण होते हैं। भले ही ये दोनों वायरल सांस संबंधी बीमारियों वाले व्यक्ति के लिए ज्यादा संक्रामक है, लेकिन इनका एक दूसरे से कोई संबंध नहीं है। जहां कोरोना संक्रमण SARs-CoV-2 वायरस के कारण होता है, वहीं H3N2 इन्फ्लुएंजा, A इन्फ्लुएंजा कारकों के कारण एक व्यक्ति से दूसके व्यक्ति में फैलता है।
H3N2 इन्फ्लूएंजा के लक्षण
* बुखार आना
* बार-बार खांसी आना
* गले में खरास होना
* नाक का बार-बार भर जाना, या बहना
* शरीर में दर्द होना
* सिर में दर्द होना
* ठंड लगना
* थकान महसूस होना
कुछ मामलों में, H3N2 इन्फ्लुएंजा वाले लोगों को उल्टी और दस्त का अनुभव भी हो सकता है, हालांकि ये लक्षण वयस्कों की तुलना में बच्चों में ज्यादा आम हैं। लेकिन ये जरूरी नहीं कि H3N2 इन्फ्लूएंजा वाले सभी लोगों को इन सभी लक्षणों का अनुभव हो। कुछ लोगों मे सिर्फ हल्के लक्षण या कोई भी लक्षण महसूस नहीं हो सकते हैं।
H3N2 वायरस का इलाज बहुत आसान है। इस वायरस के संपर्क में आने वाले मरीजों या इससे बचने के लिए लोगों को ज्यादा से ज्यादा पानी या जूस पीना चाहिए। ताकि वो अपने आपको हाइड्रेट रख पाएं। बुखार, खांसी या सिरदर्द के लिए नियमित डॉक्टर की सलाह लेकर दवाओं का सेवन करें। स्थिति ज्यादा गभीर दिखने पर आप अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
( डिस्क्लेमर : इस लेख में दी गई सभी जानकारी और सूचनाएं सामान्य जानकारियों पर आधारित हैं। इन चीजों पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें। )
खास बातें
दुनिया भर में लाखों लोग हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज से पीड़ित हैं. दो हेल्थ कंडिशन कई और प्रोब्लम्स को न्योता दे सकती हैं. डायबिटीज के लिए घरेलू उपचार (Home Remedies For Diabetes) और हाई ब्लड प्रेशर के लिए नेचुरल उपाय बेहद लाभकारी और प्रभावी हो सकते हैं. अक्सर हमें इन बड़ी बीमारियों को कंट्रोल करने के आसान तरीकों के बारे में पता नहीं होता है जिस वजह से हम सिर्फ दवाओं पर निर्भर रहते हैं. आपको बता दें डायबिटीज के लिए डाइट (Diet For Diabetes) और नॉर्मल ब्लड प्रेशर के लिए खानपान (Food For Normal Blood Pressure) को बैलेंस और हेल्दी बनाए रखना जरूरी है. यहां तीन पत्तियों का एक कॉम्बिनेश है जिसे रोज सुबह खाली पेट खाने से डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में चमत्कार हो सकता है.
डायबिटीज और ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने वाली पत्तियां
1) तुलसी के पत्ते
तुलसी को जड़ी-बूटियों की रानी कहा जाता है और यह हमारे शरीर को कई तरह की बीमारियों से बचाती है. कई अध्ययनों से पता चला है कि तुलसी के पत्तों को खाली पेट खाने से टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित लोगों में ब्लड शुगर लेवल कम होता है. तुलसी के पत्तों को लिपिड कंटेंट को कम करके, इस्केमिया, स्ट्रोक को दबाने और हाई ब्लड प्रेशर को कम करके हार्ट डिजीज को रोकने के लिए भी जाना जाता है.
तुलसी के पत्ते प्रकृति में अम्लीय होते हैं, जो बहुत अधिक मात्रा में सेवन करने पर दांतों के इनेमल को घिस सकते हैं. इस प्रकार इन पत्तियों को मिक्सर में थोड़े से पानी के साथ मिलाना और फिर इसका सेवन करना सबसे अच्छा है.
2) करी पत्ता
करी पत्ता भारतीय खाना पकाने में उपयोग की जाने वाली एक आम सामग्री है. पत्ते न केवल आपके भोजन में सुगंध जोड़ते हैं बल्कि इसके कई स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं. करी पत्ते का नियमित सेवन इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं को उत्तेजित करने में मदद कर सकता है. ये कोशिकाएं ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल रखने में मदद करती हैं.
3) नीम के पत्ते
नीम के पत्तों के कई स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं. ऐसे सबूत हैं जो बताते हैं कि रोजाना नीम की पत्तियों का सेवन ब्लड शुगर लेवल को कम कर सकता है. अगर आपको डायबिटीज है, तो अपने ब्लड शुगर लेवल की नियमित रूप से निगरानी करें क्योंकि बहुत अधिक खपत आपके ब्लड शुगर लेवल को कुछ बहुत कम कर सकती है.
नीम की पत्तियों के एंटीहिस्टामाइन प्रभाव ब्लड वेसल्स को चौड़ा कर सकते हैं. यही कारण है कि ये पत्ते ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद कर सकते हैं.
बच्चों में आर्थराइटिस, जिसे जुवेनाइल इडियोपैथिक आर्थराइटिस के नाम से भी जाना जाता है एक तरह का गठिया है जो 16 साल से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करता है। यह एक पुरानी ऑटोइम्यून बीमारी है जो बॉडी के इम्यून सिस्टम के हेल्दी टिश्यू पर हमला करती है, जिसके कारण बच्चों को सूजन और जोड़ों में दर्द की समस्या होती है।
1. ओलिगोआर्टिकुलर जुवेनाइल इडियोपैथिक आर्थराइटिस (JIA): यह बचपन के गठिया का सबसे आम प्रकार है, जो लगभग 50 प्रतिशत मामलों में होता है। यह आमतौर पर पांच से कम जोड़ों को प्रभावित करता है और अक्सर घुटनों, टखनों या कलाई में दर्द का अनुभव होता है।
3. प्रणालीगत JIA: इस प्रकार की विशेषता बुखार और दाने के साथ-साथ जोड़ों में दर्द और सूजन के साथ होता है। यह शरीर के दिल, लीवर जैसे आंगों को भी प्रभावित कर सकता है।
4. एंथेसाइटिस से संबंधित गठिया: इस प्रकार के गठिया में सूजन शामिल होती है। यह अक्सर लड़कियों की तुलना में लड़कों को ज्यादा प्रभावित करता है और कभी-कभी अन्य स्थितियों जैसे कि सोरायसिस या सूजन की बीमारियों से जुड़ा होता है।
जुवेनाइल आर्थराइटिस के लक्षण
1. जोड़ों का दर्द
बच्चे को जोड़ों में दर्द की समस्या हो सकती है। खासकर सुबह उठने के बाद ये दर्दज ज्यादा महसूस होता है। बच्चों तो खेलते या कोई अन्य एक्टिविटी करते समय भी दर्द का अनुभव हो सकता है।
जोड़ों में दर्द के साथ सूजन होना भी आर्थराइटिस के लक्षणों में से एक है। ये सूजन इतनी ज्यादा बढ़ जाती है कि इससे बच्चों को अपना हाथ-पैर हिलाना भी मुश्किल हो जाता है।
3. जोड़ों में जकड़न
बच्चे को जोड़ों में जकड़न का अनुभव हो सकता है, विशेष रूप से सोकर या आराम करने के बाद। जोड़ों में जकड़न होने के कारण बच्चे अपने पैरों की मूवमेंट भी सही से नहीं कर पाते हैं।
जुवेनाइल इडियोपैथिक आर्थराइटिस के कारण बच्चों को हर वक्त थकावट महसूस हो सकती है। बच्चा छोटे छोटे कामों में ही थक जाता है।
5. बुखार होनाआर्थराइटिस का दर्द कई बार इतना बढ़ जाता है कि बच्चों को बुखार आ जाता है। खासकर जब बच्चे में ये समस्या सबसे ज्यादा बढ़ती है।
6. आंखों में सूजन
कई बार आर्थराइटिस के कुुछ प्रकार में आंखों में सूजन हो सकती है, जिससे आंखे लाल हो जाती हैं, दर्द और कम दिखने की समस्या होने लगती है।
7. स्किन रैसिज
आर्थराइटिस के कारण आपके बच्चे के स्किन पर दाने निकल सकते हैं। जिससे स्किन पर रेड रैसिज भी हो सकता है।
1. नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स - ये दवाएं सूजन को कम करने और दर्द को दूर करने में मदद कर सकती हैं।
2. रोग-संशोधित एंटीह्यूमेटिक ड्रग्स - ये दवाएं रोग को बढ़ने से रोकने में मदद कर सकती है।
3. जैविक दवाएं: ये दवाएं सूजन को कम करने और बच्चे को होने वाले नुकसान को रोकने में मदद करती है।
4. कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स: ये दवाएं सूजन को कम करने और दर्द से छुटकारा दिलाने में मददगार है। लेकिन आम तौर पर संभावित साइड इफेक्ट्स के कारण केवल थोड़े समय के इलाज के लिए ही इस्तेमाल किया जाता है।
5. सर्जरी: कुछ मामलों में, जोड़ों की मरम्मत या बदलने के लिए सर्जिकल प्रक्रियाओं की जरूरत होती है।
इंडिया में अधिकतर लोगों के दिन की शुरूआत एक कप चाय और बिस्कुट के साथ होती है। बड़ों से लेकर बच्चे और बुजुर्ग भी सुबह नाश्ते में चाय के साथ बिस्कुट खाना पसंद करते हैं। सुबह की हल्की भूख को खत्म करने के लिए लोग चाय और बिस्कुट का सहारा लेते हैं। लेकिन हमारे हेल्थ के लिए चाय और बिस्कुट हेल्दी नहीं माना जाता है। डाइटिशियन मनप्रीत ने अपने इस्टाग्राम अकाउंट पर एक वीडियो शेयर कर चाय और बिस्कुट खाने के नुकसान बताएं। साथ ही कुछ हेल्दी ड्रिक्स की रेसिपी भी शेयर की। डाइटिशियन ने अपने पोस्ट के कैप्शन में लिखा, " चाय और बिस्कुट के साथ अपना दिन शुरू करने से एसिडिटी हो सकती है, पेट की चर्बी और ब्लड शुगर लेवर तेजी से बढ़ सकता है।"
चाय और बिस्कुट खाने से आपका वजन तेजी से बढ़ सकता है। जिस कारण आपको मोटापे की समस्या भी हो सकती है। सुबह नाश्ते में खाली पेट चाय और बिस्कुट खाने से आपके शरीर में कैलोरी की मात्रा बहुत ज्यादा बढ़ जाती है जो मोटापे का कारण बन सकता है।
बिस्कुट में कार्ब्स और शुगर की मात्रा बहुत ज्यादा पाई जाती है। ऐसे में रोजाना बिस्कुट का सेवन करने से आपके शरीर में ब्लड शुगर का लेवल बढ़ा सकता है।
3. कब्ज की समस्या
बिस्कुट को बनाने में तेल, मैदा और चीनी का उपयोग किया जाता है। जिस कारण इसके सेवन से कई लोगों को कब्ज, सीने में जलन और पाचन संबंधित पेट से जुड़ी समस्याएं भी हो सकती है।
4. पिंपल, एक्ने की समस्या
चाय में पाए जाने वाला कैफीन और बिस्कुट में शुगर का लेवल आपके स्किन पर नेगेटिव असर डालता है। चाय और बिस्कुट का सेवन एक साथ करने से आपके स्किन पर पिंपल्स, एक्ने की समस्या बढ़ सकती है।
5. दांतों में सड़न
बिस्कुट का सेवन करने से आपके दांतों को ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है। बिस्किट में ज्यादा मात्रा में शुगर होने के कारण इसका सीधा असर आपके दांतों पर पड़ता है। आपके दांतों में बैक्टीरिया, सड़न जैसी समस्या भी हो सकती है।
गट और हार्मोनल हेल्थ के लिए ड्रिंक्स की रेसिपी
1. एक गिलास पानी में 1 छोटा चम्मच धनिया पाउडर डालकर अच्छी तरह मिलाकर इसे पी लें।
2. एलोवेरा जूस को एक गिलास पानी में मिलाकर पी लें।
3. नारियल पानी में 1/4 छोटा चम्मच हलीम के बीज मिलाएं और 2 घंटे तक भिगोकर छोड़ दें। फिर आप इसका सेवन कर सकते हैं।
4. नारियल पानी में एक चुटकी दालचीनी पाउडर मिलाकर पीएं। ये आपके हेल्थ के लिए फायदेमंद होता है।
5. सौंफ का पानी भी आपके हेल्थ के लिए फायदेमंद होता है। बस आपको एक गिलास पानी में 1 चम्मच सौंफ का पाउडर मिलाकर पीना है।