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रायपुर- गर्मी के इस मौसम में कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव तथा इस दौरान लू तथा भीषण गर्मी से बचाव के लिए भारत सरकार गृह मंत्रालय के राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा जारी मार्गदर्शी सुझाव और सावधानियां जारी किए गए हैं। राज्य शासन के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा जनहित में लोगों की जानकारी के लिए क्या करें और क्या न करें जारी किए गए है।
आपदा प्रबंधन के जारी सुझाव और सावधानियों के अनुसार कोविड-19 के संक्रमण से बचाव, लू और भीषण गर्मी से बचने के लिए लोगों को सुझाव दिए गए हैं कि वे घर पर रहे और रेडियो सुनें, टीवी देखें, स्थानीय मौसम और कोविड-19 स्थिति पर अद्यतन परामर्श के लिए समाचार पत्र पढ़ें। जितना हो सके पर्याप्त पानी पिएं, भले ही प्यास न लगी हो। मिर्गी, हृदय, गुर्दे या लीवर से संभवित रोग वाले जो सरल प्रतिबंदित आहार लेते हो तरल पदार्थ लेने से पहले डाॅक्टर से परामर्श ले। हल्के रंग के ढीले सूती कपड़े पहनें। ओआरएस (ओरल रिहाइड्रेशन) घोल, घर का बना पेय लस्सी, (तोरानी, चावल) का पानी, नींबू का पानी, छाछ आदि का उपयोग करें। बाहर जाने से बचें, यदि बाहर जाना आवश्यक है, तो अपने सिर पर (कपड़े-टोपी, या छाता) और चेहरे को कवर करें। जहां तक संभव हो किसी भी सतह को छूने से बचें। अन्य व्यक्तियों से कम से कम एक मीटर की दूरी पर शारीरिक दूरी बनाए रखें। साबुन और पानी से बार-बार और ठीक से हाथ धोएं। साबुन और पानी उपलब्ध न हो तो हैंड सैनिटाइजर का उपयोग करें। घर के प्रत्येक सदस्य के लिए अलग-अलग तौलिये रखे। इन तौलियों को नियमित रूप से धोएं।
इसी प्रकार जितना हो सके घर के अंदर रहें। अपने घर को ठंडा रखें। धूप से बचाव के लिए पर्दे, शटर का उपयोग करें। निचली मंजिलों पर बने रहने का प्रयास करें। पंखों का उपयोग करें, कपड़ों को नम करें और अधिक गर्मी में ठंडे पानी में ही स्नान करें। यदि आप बीमार महसूस करते हैं - उच्च बुखार/लगातार सिरदर्द/चक्कर आना/ मतली या भटकाव/लगातार खांसी/संास की तकलीफ है तो तुरंत डाॅक्टर को दिखाएं। जानवरों को भी छाया मंे रखें और उन्हें पीने के लिए भरपूर पानी दें।
लाॅकडाउन के दौरान बाहर न जाएं। यदि आपको आवश्यक कार्य के लिए बाहर जाना है तो दिन के ठंडे घंटों के दौरान अपनी सारणी निर्धारित करने का प्रयास करें। अत्यधिक गर्मी के घंटों के दौरान बाहर जाने से बचें - विशेष रूप से दोपहर 12 बजे से 3 बजे के बीच। नंगे पैर या बिना चेहरे को ढके और बिना सिर ढककर बाहर न जाएं। व्यस्थतम समय (दोपहर) के दौरान खाना पकाने से बचें। खाना पकाने वाले क्षेत्रों (रसोई घरों) में दरवाजे और खिड़कियां खोल कर रखें, जिससे पर्याप्त रूप से हवा आ सके। शराब, चाय, काॅफी और कार्बाेनेटेड पेय, पीने से बचें जो शरीर को निर्जलित करते हैं। उच्च प्रोटीन, मसालेदार और तैलीय भोजन खाने से बचें, बासी खाना न खाएं। बिना हाथ धोएं अपनी आंखों, नाक और मुंह को न छुंए, जो लोग बीमार हैं उनके साथ नजदीकी संपर्क से बचें। बीमार होने पर बाहार धूप में न जाएं, घर पर रहें।
नियोक्ता और श्रमिक को सलाह दी गई है कि कार्यस्थल पर स्वच्छ और ठंडा पेयजल प्रदान करें। श्रमिकों को सीधे धूप से बचने के लिए सावधानी बरतें। यदि उन्हें खुले में काम करना पड़ता है जैसे की (कृषि मजदूर, मनरेगा मजदूर आदि) तो सुनिश्चित करें कि वे हर समय अपना सिर और चेहरा ढकें रहें। दिन के समय निर्धारित समय सारणी निश्चित करें। खुले में काम करने के लिए विश्राम गृह की अवधि और सीमा बढ़ाएं। गर्भवती महिलाओं या कामगारों की चिकित्सीय स्थिति पर विशेष ध्यान दें। सभी कार्यकर्ता चेहरे को ढककर रखे। एक-दूसरों से 1 से 1.5 मीटर की शारीरिक दूरी बनाए रखें और हाथ की सफाई का अभ्यास करवाएं। बार-बार हाथ धोने के लिए साबुन और पानी दें, अपने हाथों को धोएं बिना चेहरे को छूने से पहले सावधानी बरतने के निर्देश दें। दोपहर/रात के खाने के समय इस तरह से प्रावधान करें कि दो व्यक्तियों के बीच 1 से 1.5 मीटर की दूरी हो। स्वच्छता कर्मचारियों को अपने हाथों को ढंकना चाहिए, मास्क और दस्ताने पहनना चाहिए। दस्ताने पहनने के बाद मास्क को नहीं छूना चाहिए। उन्हें अपने हाथों को अच्छी तरह और बार-बार धोना चाहिए। हमेशा फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन करें, यदि कोई बीमार है तो उसे ड्यूटी पर्यवेक्षक को सूचित किया जाना चाहिए।
इसी तरह नियोक्ता और श्रमिकों को क्या नहीं करें के तहत सलाह दी गई है कि कार्यस्थल पर धूम्रपान या तम्बाखू न ही थूके और न ही चबाएं। एक-दूसरे से हाथ न मिलाएं या एक-दूसरों को गले न लगाएं। अपने चेहरे को विशेष रूप से आंखों, नाक और मुंह को न छुएं। जो लोग बीमार है उनके निकट संपर्क से बचें, बीमार होने पर काम पर न जाएं। घर पर ही रहें।
आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा पुलिस और यातायात पुलिस कार्मिकों को सलाह दी गई है कि दिन में ड्यूटी पर रहते हुए ठंड वाली जैकेट पहनंे। अपने से कुछ दूरी पर लोगों/वाहनों को रोकें। आपके द्वारा जांचे जा रहे दस्तावेजों को न छुएं, जहां तक संभव हो किसी भी सतह को छूने से बचें, जहां तक संभव हो, अपना हाथ नियमित और अच्छी तरह से धोंए, यदि साबुन, पानी आसानी से उपलब्ध नहीं है तो हैंड सैनिटाइजर का उपयोग करें। अपने चेहरे को अनचाहे हाथों से नही छुएं, हर समय फेस मास्क पहनें, उन्हें समय-समय पर बदलें और उपयोग किए गए मास्क को सुरक्षित रूप से फेकें। पर्याप्त पानी पीएं, जितनी बार संभव हो पानी पीएं, भले ही प्यास न लगी हो। सुरक्षात्मक साधनों का उपयोग करें- छाया में रहने का प्रयास करें, धूप का चश्मा और सनस्क्रीन का प्रयोग करें। जहां तक संभव हो युवा कर्मियों को यातायात ड्यूटी पर रखा जाना चाहिए। जब आप काम के बाद घर जाते है, तो स्नान करें और अपने इस्तेमाल किए कपड़ों को अच्छी तरह से धोएं।
आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा वरिष्ठ नागरिकों को सलाह दी गई है कि जितना हो सके घर के अंदर रहें, पार्क, बाजारों और धार्मिक स्थानों जैसे- भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर न जाएं, अपने घर को ठंडा रखें। पर्दें और पंखे या कूलर का उपयोग करें, नियमित रूप से हाथ धाने से खासकर भोजन करने से पहले स्वच्छता बनाए रखें। यदि आम बीमार महसूस करते हैं और निम्न में से किसी एक का अनुभव करते हैं, तो तुरंत डाॅक्टर को बुलाएं, उच्च शरीर का तापमान, शरीर में दर्द लगे, सिर दर्द, चक्कर आना, मतली या भटकाव लगना, सांस की तकलीफ होना, असामान्य रूप से भूख लगना। यदि आप एक वरिष्ठ नागरिक की देखरेख कर रहे हैं - नियमित रूप से हाथ धोने से उनकी मदद करें, समय पर भोजन और पानी का सेवन सुनिश्चित करें, उनके पास जाते समय अपनी नाक और मुंह ढकने के लिए फेस कवर का इस्तेमाल करें, यदि आप बुखार/खांसी/सांस/ लेने जैसे चीजों से पीड़ित है, तो आपको वरिष्ठ नागरिक के पास नहीं जाना चाहिए। उस दौरान किसी और को उसके पास जाने के लिए कहे वो भी पूरी सावधानी के साथ।
खास बातें
एसिडिटी के कारण पेट फूलने लगता है साथ ही तेजी से दर्द भी शुरू हो जाता है. आजकल लोग एसिडिटी के लिए घरेलू उपायअपनाते हैं, लेकिन आपको बता पेट की गैस के लिए नेचुरल उपाय (Natural Remedy For Stomach Gas) से बेहतर और कुछ नहीं हो सकता है. एसिडीटी के लिए योगा काफी फायदेमंद हो सकात है. कब्ज होने पर आप क्या करते हैं. दवाई लेना कब्ज का नेचुरल उपाय नहीं हो सकता है. कब्ज की समस्या किसी को भी हो सकती है. कब्ज बच्चों, बड़ों और बुजुर्गों किसी को भी हो सकती है. कब्ज के लक्षणों में पेट में दर्द होना, अपच होना, खाना खाने की इच्छा न होना शामिल हैं. कब्ज की समस्या से राहत पाने के लिए खानपान में बदलाव करने के साथ-साथ योग भी काफी फायदेमंद हो सकता है. योग ज्यादा बीमारियों को नेचुरल तरीके से ठीक करने का एक कमाल का उपाय हो सकता है. योग का एक आसन है उदराकर्षणासन जो कब्ज दूर करने में मददगार हो सकता है. सुबह नाश्ता न करें या खाली पेट चाय, कॉफी का सेवन करने, जंग फूड खाने से कब्ज की समस्या हो सकती है. इन दिनों लोग लाइफस्टाइल के साथ खानपान में भी बदलाव कर रहे हैं.
जो कई बीमारियों को न्योता दे रहा है. इन्ही में से एक कब्ज. कब्ज का इलाज नहीं किया गया तो यह समस्या आपके काम पर भी असर डाल सकती है. कब्ज होने से सिर में भी दर्द हो सकता है. पेट में दर्द होने पर आपका कुछ भी करने का मन नहीं करता है तो यहां जानें योगासन के बारे में जो जल्द ही कब्ज की समस्या से राहत दिला सकते हैं.
ये असरदार योगासन हैं एसिडिटी का नेचुरल उपाय
कब्ज के दौरान खानपान का खास ध्यान रखने की जरूरत होती है. कुछ फूड्स ऐसे हैं जिनसे कब्ज से राहत देने में फायदेमंद होते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक्सरसाइज भी क्बज से राहत दिलाने में फायदेमंद हो सकते हैं. खानपान पर कंट्रोल करने के साथ योगासन पेट पर असर कर इस समस्या से राहत दिला सकते हैं. शरीरिक रूप से ऐक्टिव रहने पर कब्ज को दूर करने में मदद मिल सकती है. फाइबर से भरपूर चीजों का सेवन और नियमित रूप से योग आपके लिए फायदेमंद हो सकता है.
1. उदराकर्षणासन दिलाएगा एसिडिटी से छुटकारा
उदराकर्षणासन शंख प्रक्षालन की क्रिया से जुड़ा हुआ है. योग में षट्कर्म की एक क्रिया है, जिसका नाम है शंखप्रक्षालन. जो पेट के लिए फायदेमंद होती है. इस क्रिया में किये जाने वाले चार आसनों में से एक है उदराकर्षणासन.
उदराकर्षणासन करने का तरीका
- सबसे पहले घुटने मोड़कर, दोनों पैरों की एड़ी और पंजों पर बैठ जाएं और हाथों को घुटनों पर रख लें.
- अब गहरी सांस भरें फिर सांस निकालते हुए दाहिने घुटने को बाएं पंजे के पास जमीन पर टिकाएं और बाएं घुटने को छाती की ओर दबाएं.
- ऐसा करने से बाई जंघा पेट पर दबाव डालने लगेगी.
- अब पूरा शरीर गर्दन सहित बाईं ओर घुमा दें. ऐसी स्थिति में दायां घुटना बाएं पंजे के पास रहेगा.
- यथाशक्ति आसन को रोक कर रखें, फिर सांस भरते हुए सामान्य अवस्था में लौट आएं.
- इसी प्रकार दूसरे पैर से भी कर लें. अधिकतम फायदा लेने के लिए 4-6 बार इसका अभ्यास कर लें.
उदराकर्षणासन के फायदे
1. यह आसन कब्ज को दूर करने में है कमाल.
2. एसिडिटी, भूख न लगना जैसी दिक्कतें दूर करने में मदद कर सकता है यह आसन.
3. पाचन के लिए फायदेमंद है उदराकर्षणासन.
4. स्पाइनल से जुड़ी दिक्कतों को दूर करने में लाभदायक.
5. लीवर, डायबिटीज पेट के रोगों को दूर करने में असरदार.
6. पेट की चर्बी हटाने में मदद करता है.
2. नौकासन एसिडिटी के लिए फायदेमंद
एसिडिटी की समस्या के लिए नौकासन काफी फायदेमंद माना जाता है. नौकासन करते समय हमारे शरीर का आकार नौका यानि नाव के समान रहता है. इस योग का अभ्यास करने से वजन को नियंत्रित किया जा सकता है साथ ही कमर दर्द से भी छुटकारा पाया जा सकता है.
नौकासन करने का तरीका
- सबसे पहले आप पीठ के बल लेट जाए.
- अपने शरीर को ढीला छोड़े और सांस पर ध्यान दें.
- अब आप सांस लेते हुए अपने सिर, पैर, और पुरे शरीर को 30 डिग्री पर उठायें.
- ध्यान रहे आपके हाथ ठीक आपके जांघ के ऊपर हो.
- जब अपने शरीर को नीचें लाना हो तो लंबी गहरी सांस छोड़ते हुए सतह की ओर आएं.