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डब्लूएचओ और अन्य हेल्थ मंत्रालयों ने यह जरुर कहा है कि मास्क और हैंड ग्लोव्ज पहनने से कोरोना का खतरा कम होगा। ऐसे में ज्यादातर लोग मास्क और ग्लोव्ज पहनकर अपने आप को सुरक्षित महसूस कर रहे हैं। लेकिन यह याद रखना होगा कि इन सारी चीजों के बाद भी आपको कोरोना का संक्रमण हो सकता है। दरअसल इसे क्रॉस कंटामिनेशन कहा जाता है।
हाल ही में अमेरिका के मिशिगन की एक नर्स ने क्रॉस कंटामिनेशन को बहुत ही अच्छे तरीके से समझाया है। नर्स मोली लिक्सी का यह वीडियो पर काफी वायरल हो रहा है और पसंद किया जा रहा है।
मोली ने वीडियो में बताया कि उसने अपने हाथ में ग्लोव्ज पहन रखे हैं। लेकिन उसने बताया कि ग्लोव्ज पहनकर हम बाजार जा रहे हैं, सब्जियां खरीद रहे हैं और मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे हैं। इस बीच आपको लगता है कि आपने तो ग्लोव्ज पहन रखे हैं तो आप तो सुरक्षित हैं, लेकिन होता यह है कि उसी ग्लोव्ज पहने हाथों से आप कई तरह की चीजें छूते हैं। इसमें मोबाइल, टीवी का रीमोट, अखबार और कई तरह की ऐसी चीजों को छूते हैं।
नई दिल्ली: कोरोनावायरस के खिलाफ जंग में भारत ने बड़ी कामयाबी हासिल की है, HLL लाइफकेयर लिमिटेड ने कोरोनावायरस की एंटीबॉडी किट बनाने में कामयाबी हासिल कर ली है. समाचार एजेंसी एएनआई के हवाले से यह जानकारी सामने आई है. बता दें कि कोरोनावायरस के खिलाफ जंग में यह कामयाबी खासी महत्वपूर्ण है, इस किट को NIV पुणे द्वारा मान्य और अनुमोदित किया जा चुका है साथ ही IMR ने इसके इस्तेमाल की अनुमति भी दे दी है. एएलएल लाइकेयर, केंद्रीय स्वास्थ्य एंव परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत संचालित होती है. इस किट की मदद से मरीज के सीरम, प्लाजमा या खून लेकर एंटीबॉटी की पहचान की जा सकती है.
HLL Lifecare Limited, a Central Government Enterprise under Ministry of Health & Family Welfare has developed rapid antibody diagnostic kit for #COVID19.
बता दें कि भारत में कोरोना वायरस का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है. मंगलवार सुबह जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक मरीजों की संख्या 4421 हो गई है, जबकि अभी तक 114 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं, 326 लोगों का उपचार हो चुका है. पिछले 24 घंटे की बात करें तो पांच मौत और 354 नए मरीज सामने आए हैं.
सिर्फ भारत में नहीं बल्कि पूरी दुनिया में इस खतरनाक वायरस ने तूफान मचा रखा है, अब तक इस वायरस की वजह से पूरे विश्व में करीब 75 हजार लोगों की मौत हो चुकी है. विकसित देशों ने भी इस वायरस के आगे घुटने टेक दिए. ऐसे में एचएलएल द्वारा तैयार की गई यह एंटीबॉडी किट पूरे विश्व के लिए मददगार साबित हो सकती है.
कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए कोरोनावायरस लॉकडाउन के तरह हम सभी को घर के अंदर रहने और सामाजिक दूरी बनाए रखने की जरूरत है, लेकिन किराने के सामान और दवाइयों जैसी खरीदारी के लिए लोगों का बाहर निकलना लाजमी है. नोवल कोरोना वायरस फूड्स के जरिए फैल सकता है इसके बारे में सोचा भी नहीं जाता है, लेकिन यह वायरस कई दिनों तक सतहों पर रह सकता है, जिसमें पैकेज्ड सामग्री भी शामिल है. जब भी आप आवश्यक चीजों की खरीदारी करने जाते हैं तो एहतियाती बरतना जरूरी है. कुछ शॉपिंग टिप्स जानने के लिए यहां पढ़ें जो आपको जरूर फॉलो करनें चाहिए.
किराने के सामान की खरीदारी से जुड़ी इन बातों का रखें ध्यान
सबसे पहली और महत्वपूर्ण बात जो आपको तब याद रखनी है जब आप बाहर कदम रख रहे हों और मास्क पहनकर अपने साथ एक सैनिटाइजर लेकर चलें. द एसोसिएशन ऑफ सर्जन्स ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. पी. रघु राम ने कोरोनोवायरस प्रकोप के समय में खरीदारी संबंधी सलाह के रूप में कुछ टिप्स शेयर किए हैं.
1. किराने का सामान पानी से धोना जरूरी है. जो कुछ भी आप बाहर से लाते हैं उसे संभावित रूप से संक्रमित माना जाता है.
2. किराने का सामान धोने से पहले, अपने हाथों को साबुन और पानी से 20 सेकंड तक धोएं.
3. खाना पकाने के बाद या बर्तन धोने के बाद भी अपने हाथ धोएं.
4. सुनिश्चित करें कि किराने के सामान की प्लास्टिक बंद डस्टबिन डालें. इसके बाद, अपने हाथों को फिर से धो लें.5. सब्जियों को पकाने से पहले और बाद में अपने हाथ धोएं."
पोषण विशेषज्ञ नमामी अग्रवाल कहती हैं कि आपको खरीदारी करते समय छह फीट (2 मीटर) की सामाजिक दूरी बनाए रखने की आवश्यकता है. "अगर संभव हो तो किराने के सामान के लिए हफ्ते में एक बार ही बाहर जाएं.
नमामी अग्रवाल ने शेयर किए कुछ टिप्स
1. सामान लेने के लिए घर का केवल एक व्यक्ति ही बाहर जाए.
2. अपने साथ एक सैनिटाइटर को रखें और सतहों को छूने से बचें.
3. शॉपिंग कार्ट, हैंडल या भुगतान मशीनों को छूने के बाद हाथों को साफ करें या धोएं.
4. कैशलेस भुगतान करने की कोशिश करें क्योंकि मुद्रा का आदान-प्रदान एक संभावित जोखिम कारक हो सकता है.
5. अगर आपके पास हैं तो डिस्पोजेबल दस्ताने का उपयोग करें.
6. एक बार घर वापस आने के बाद, शॉपिंग कंटेनरों को बाहर छोड़ दें और हाथ धोएं.
7. "प्रारंभिक शोध से पता चलता है कि कोरोनोवायरस कार्डबोर्ड पर 24 घंटे और प्लास्टिक पर 72 घंटों तक जीवित रह सकते हैं. इसलिए, इस अवधि के बाद वस्तुओं का उपयोग करना सबसे अच्छा है.
8. इस बात का कोई सबूत नहीं है कि ट्रांसमिशन खाद्य पैकेजिंग के माध्यम से हो रहा है, लेकिन रोकथाम महत्वपूर्ण है.
9. सामान को पानी से अच्छी तरह से धोएं और सूखने के लिए छोड़ दें. "यूएसडीए (अमेरिकी कृषि विभाग) के अनुसार, डिटर्जेंट या साबुन से फलों और सब्जियों को धोने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन कुछ स्वास्थ्य विशेषज्ञ इसकी सिफारिश कर रहे हैं. आप ओजोन-आधारित फलों/सब्जियों के क्लीन्ज़र का उपयोग कर सकते हैं या आप पतला सिरका, नमक या नींबू के पानी में फलों, सब्जियों को भिगो सकते हैं और फिर सूखने के लिए छोड़ दें. फलों / सब्जियों को साबुन और पानी से धोना अभी भी एक शोध का विषय है.
कुछ और टिप्स जिनका रखें ध्यान
- अगर आप किसी भी लक्षण का अनुभव कर रहे हैं, तो खरीदारी करने के लिए बाहर जाने से बचें. परिवार में कोई और जाए तो उन्हें सामाजिक दूरी बनाए रखने के लिए कहें.
- 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को अपने किराने के सामान की होम डिलीवरी करवानी चाहिए. डिलीवरी वाले व्यक्ति को बैग बाहर छोड़ने के लिए कहें.
- नियमित रूप से घर पर सतहों को साफ करें. इनमें डोर नॉब्स और लाइट स्विच हो सकते हैं.
(डॉ. पी. रघु राम एसोसिएशन सर्जन ऑफ इंडिया के प्रेजिडेंटहैं)
(नमामी अग्रवाल नमामी लाइफ में पोषण विशेषज्ञ हैं)
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है.यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है।अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.
देश के प्रमुख रक्षा संगठन डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) ने कोरोना के खिलाफ संघर्ष कर रहे मेडिकल, पैरामेडिकल और अन्य कर्मियों को खतरनाक कोरोना वायरस से बचाने के लिए बॉयो सूट तैयार किया है.
डीआरडीओ के कई प्रयोगशालाओं में रिसर्च कर रहे वैज्ञानिकों ने व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) को तैयार करने के लिए टेक्सटाइल, कोटिंग और नैनो टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर बॉयो सूट तैयार किया है. अब इस सूट को बड़े स्तर पर बनाने की तैयारी चल रही है. टेक्सटाइल मापदंडों पर खरा उतरने के लिए कठोर टेस्टिंग के साथ-साथ सिंथेटिक ब्लड से भी सुरक्षा के लिहाज से इसे तैयार किया गया है.
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) की ओर से बॉडी सूट के लिए निर्धारित सुरक्षा मानदंडों से अधिक इस बॉयो सूट में सुरक्षा है. डीआरडीओ ने कोरोना संक्रमण के खिलाफ प्रभावशाली तरीके से बचाने के लिए तैयार किए गए सूट को शानदार करार दिया है.
डीआरडीओ यह सुनिश्चित करने के लिए जोरदार प्रयास कर रहा है कि इन सूटों को बड़ी संख्या में उत्पादित किया जाए और कोरोना का मुकाबला करने वाली अग्रिम पंक्ति में शामिल मेडिकल, पैरामेडिकल और अन्य कर्मियों की जीवन रक्षा की जा सके.
सेना के लिए तैयार किया पर्मीअबल सूट
उद्योग जगत बड़ी मात्रा में सूट के उत्पादन के लिए तैयार है. मेसर्स कुसुमगढ़ इंडस्ट्रीज कच्चे माल, कोटिंग सामग्री का उत्पादन कर रही है, जिससे पूरा सूट दूसरे विक्रेता की मदद से तैयार किया जा सके. वर्तमान में इस सूट की उत्पादन क्षमता 7,000 सूट प्रतिदिन है.
इसी तरह परिधान प्रौद्योगिकी में अनुभव रखने वाला एक अन्य वेंडर का दावा है कि वह प्रतिदिन 15 हजार सूट तैयार करने की तैयारी में लगा है. देश में बॉयो सूट डीआरडीओ अपने पार्टनर्स के साथ मिलकर तैयार करवाता है.
DRDO इससे पहले रक्षा मंत्रालय के लिए रासायनिक, जैविक, रेडियोलॉजिकल और परमाणु (CBRN) एजेंटों के खिलाफ कई उत्पादों और प्रौद्योगिकियों का विकास कर चुका है. DRDO की एक प्रयोगशाला रक्षा अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान (DRDE) ग्वालियर, केमिकल, बायोलॉजिकल, रेडियोलॉजिकल और न्यूक्लियर (CBRN) 3 हजार पर्मीएबल सूट तैयार करके सेना और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) को सप्लाई कर चुका है.