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शरीर पर केमिकल का प्रभाव रोकने के लिए ज्यादात्तर लोग होम्योपैथिक दवाईयों को प्राकृतिक विकल्प मानकर इस्तेमाल करते हैं। हालांकि इन दवाईयों के भी कुछ साइड इफेक्ट हो सकते है। होम्योपैथिक ट्रीटमेंट के दौरान खान-पान में काफी सावधानी रखने की जरूरत होती है। इन दवाईयों के सेवन के दौरान थोड़ी सी भी चूक की वजह से आपको इसके साइडइफेक्ट्स भुगतने पड़ सकते हैं। यदि आप भी अनजान हैं इनसे तो जरूर जानिए
होम्योपैथिक दवाओं का सबसे बड़ा नुकसान यह है, कि किसी आपातकाल स्थिति के समय यह दवाएं आपके किसी काम की नहीं है, क्योंकि यह धीरे-धीरे असर करती हैं। सर्जरी या अन्य स्थियों में, जब मरीज को तुरंत इलाज की आवश्यकता होती है, तब होम्योपैथिक आपकी कोई मदद नहीं कर सकती।
होम्योपैथिक दवाईयां पोषण संबंधी समस्या या पोषण की कमी होने की स्थिति में बिल्कुल भी प्रभावकारी नहीं होती। उदाहरण के तौर पर एनिमिया या आयरन की कमी और अन्य तत्वों की कमी होने पर होम्योपैथिक बेअसर साबित होता है। इन कमियों को सिर्फ डाइट या सप्लीमेंट के माध्यम से ही पूरा किया जा सकता है।
इन दवाईयों का एक साइड इफेक्ट यह भी है कि डॉक्टर द्वारा दी गई दवाईयों का सेवन अगर निश्चित समय सीमा से अधिक समय तक किया जाए, तो इसका ओवर डोज लेना आपके लिए हानिकारक भी हो सकता है। इससे पेट में इंफेक्शन और अन्य परेशानियां भी हो सकती हैं।
होम्योपैथिक दवाईयों के सेवन से पहले और बाद में कई तरह का परहेज करना होता है। जैसे इसके आधे घंटे तक आप कुछ भी खा पी नहीं सकते हैं। ऑयली और खट्टी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। लेकिन थोड़ी सी भी लापरवाही के चलते इस दवा के फायदों के जगह नुकसान पहुंच सकता है।
होम्योपैथिक दवाईयों हर किसी पर उतनी ही प्रभावकारी साबित हो, यह जरूरी नहीं है। लंबे समय तक इसके सेवन से अगर आप लाभ महसूस नहीं करते, तो समस्या के गंभीर होने से पहले ही डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
कई बार होम्योपैथिक दवाओं का परामर्श आपके चिकित्सकीय इतिहास और बीमारियों पर भी निर्भर करता है। ऐसा न होने की स्थिति में यह दवाईयां आपको अपेक्षा अनुरूप लाभ नहीं पहुंचा पाएंगी।
हमारे देश में गर्मियों का मौसम आते ही पूरा खानपान बदल जाता है। इस मौसम में हर कोई ताजगी और ठंडक के अहसास के लिए ज्यादात्तर मौसमी फलों का सेवन करते हैं। गर्मी आते ही गली-मौहल्ले में गन्ने की जूस की दुकानें खुल जाती है और लोग गर्मी से निजात पाने के लिए पूरे दिन की थकान गन्ने का रस पीकर दूर करते हैं। गर्मियों में गन्ने का जूस पीने में कोई दिक्कत नहीं है लेकिन कुछ लोगों के लिए ये जूस इस मौसम में जहर का काम भी कर सकता है। आज इस आर्टिकल में आपको बताएंगे कि किन लोगों को गन्ने का रस पीने से सावधान रहने की जरुरत है। गन्ने का रस बहुत फायदेमंद होता है।
खून को करे पतला
गन्ने के रस में पोलिकोसनॉल होता है जो कि खून को पतला कर सकता है जिससे रक्त का थक्का जमने में देरी होती है। इसलिए अगर आप पहले से ही खून को पतला करने के लिए कोई दवा ले रहे हैं तो गन्ने का जूस ना पिएं।
अगर आपको बलगम या खांसी की समस्या है तो आपको गन्ने के जूस का सेवन नहीं करना चाहिए। अगर आप गन्ने का जूस पीते हैं तो शरीर में कफ की समस्या और बढ़ सकती है।
अगर आपका वजन ज्यादा है तो भी आपको गन्ने का जूस नहीं पीना चाहिए। गन्ने के जूस में काफी मात्रा में कैलोरीज और शुगर होती है जो हमारे शरीर के लिए नुकसानदेह है।
अगर आपके पेट में कीड़े हैं या फिर पेट से जुड़ी कोई अन्य समस्या है तो गन्ने के रस का कतई सेवन न करें।
डायबिटीज हो सकता है
गन्ने का रस में नेचुरल शुगर की मात्रा अधिक होती है। अगर आप मधुमेह के रोगी हैं तो आपको गन्ने का रस नहीं पीना चाहिए। ये आपके लिए खतरनाक हो सकता है।
गन्ने के रस को 15 मिनट तक रखने पर यह ऑक्सीडाइज हो जाता है जिसे पीने से संक्रमण होने का ज्यादा डर लगा रहता है। इसलिए ज्यादा ताजा गन्ने के रस का ही सेवन करना चाहिए।
गन्ने का रस निकालने के लिए ज्यादातर दुकानें मशीन का इस्तेमाल करती हैं और आपको शायद न पता हो कि इन मशीनों को चलाने के लिए एक खास किस्म के तेल का उपयोग होता है। यदि ये तेल गलती से पेट में चला जाए तो इसका बुरा असर हमारे स्वास्थ्य पर देखने को मिल सकता है। और कई लोग बिना गन्ना धोएं ही सीधा इसका रस निकाल लेते है जिससे कई साइडइफेक्ट्स हो सकते हैं।