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होली का मतलब होता है तरह-तरह के रंग और स्वादिष्ट मिठाई। उत्तर भारत में इस त्योहार का बहुत ही जोश-खरोश के साथ मनाया जाता है, मिठाईयों के बिना इस त्योहार का आनंद ही फीका रह जाता है। हालांकि होली के समय हमें मिठाई खाने में थोड़ी सर्तकता बरतनी जरुरी होती है। गुजियां, ठंडाई और खोया बर्फी जैसी स्वादिष्ठ स्वीट डिशेज देखकर जी ललचा जाता है इसलिए चाहकर भी हम खुद को रोक नहीं पाते है।
ऐसे बनाया जाता है खोया
स्किम्ड दूध और पाम ऑयल को मिलाकर पेस्ट तैयार किया जाता है। तेज आंच पर उसे उबाला जाता है। फिर सैफोलाइट नामक केमिकल, उबले आलू, अरारोट, शकरकंद मिलाकर तैयार किया जाता है। असली दिखने के लिए रंग और एसेंस का इस्तेमाल किया जाता है।
मिलावटी खोआ व पनीर से पेट दर्द, डायरिया, मरोड़, एसिडिटी और इनडाइजेशन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। ज्यादा मात्रा में सेवन से तो इंटरनल ऑर्गन्स तक भी बुरा असर पड़ता है। मिलावटी पनीर व खोआ खाने से किडनी व लीवर सीधे प्रभावित होते हैं। तीन माह तक यदि मिलावटी पनीर, खोआ या ऐसे अन्य कोई भी सामान खाया जाए तो लीवर कैंसर की बीमारी हो सकती है।
कहीं आप गलतफहमी में नकली खोया तो नहीं खा रहे हैं इसके लिए बहुत जरुरी है कि आपको असली व नकली पनीर-खोआ में पहचान होना जरुरी है। इनकी शुद्धता खुद भी कर सकते हैं।
छोटा-सा टुकड़ा हाथ पर मसलें। टूट कर यदि वह बिखरने लगे तो समझ लीजिए कि पनीर अथवा खोआ मिलावटी है। क्योंकि, उनमें जो केमिकल्स होते हैं वे अत्यधिक दबाव नहीं सह पाते हैं।
यदि इन्हें घर ले आए हों तो थोड़े पानी में उबाल लें और ठंडा होने दें। फिर उसके छोटे से टुकड़े पर आयोडीन का टिंचर डालें। अगर रंग नीला पड़ने लगे तो समझिए कि वह मिलावटी है।
असली खोआ को पहचानने का आसान तरीका यह भी है कि वह चिपचिपा नहीं होता है। इसके साथ ही उसे चख कर भी देखें। यदि उसका स्वाद कसैला लगे तो वह नकली हो सकता है।
खोआ की तो अंगूठे के नाखून पर रगड़ कर भी पहचान की जा सकती है। असली खोआ से घी की खुशबू आएगी और वह देर तक रहेगी।
Ayurvedic Concoction To Boost Body's Metabolism: क्या आप वजन कम करने के लिए एक स्वच्छ और संतुलित आहार (Clean and balanced diet) ले रहे हैं? क्या आप भी एक एक्सरसाइज कर (Strict workout schedule) रहे हैं? यदि यह सब करने के बाद भी आपको लगता है कि आपकी इन कोशिशों के बावजूद आप अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं, तो शायद आप इसे अपने सुस्त चयापचय यानी मेटाबॉलिज्म (Metabolism) को दोष दे सकते हैं. जी हां, आपने सही पढ़ा. वजन कम करने की दिशा में हमारा चयापचय यानी मेआबॉलिज्म (Metabolism) बहुत मायने रखता है. हमारे शरीर में कुछ रासायनिक प्रतिक्रियाएं जो जीवों और कोशिकाओं के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करती हैं, जो चयापचय को संदर्भित करता है.
आपने लोगों को हाई या लो मैटाबॉलिज्म के बारे में बात करते हुए सुना होगा. और हो सकता है कि आप यह सोचते हों कि यह आखिर क्या बला है... हम आपको बताते हैं कि आखिर बेहत मैटाबॉलिज्म से क्या मतलब (What Is Metabolism) है. असल में व्यक्ति कीचयापचय दर एक दिन में उसकी कैलोरी को निर्धारित करती है. उच्च चयापचय यानी हाई मैटाबॉलिज्म (High metabolism) वाले लोग अधिक कैलोरी जलाने और अधिक तेज़ी से वजन कम करने में सक्षम होते हैं. दूसरी ओर, कम चयापचय यानी लो मैटाबॉलिज्म (Low metabolism) वाले लोग जल्दी वजन कम करने में चुनौतियों का सामना करेंगे. तो इस बात से परेशान न हों, क्योंकि कुछ जड़ी-बूटियां और मसाले हैं जो आपके चयापचय को काफी हद तक बढ़ावा (herbs and spices that can boost your metabolism) दे सकते हैं.
How to Get Fast Metabolism: दालचीनी, काली मिर्च और अदरक जैसी तीन सामग्रियों का उपयोग करके बनाया गया एक काढ़ा (concoction) आपके शरीर के चयापचय को बढ़ाने में आपकी मदद कर सकता है. आयुर्वेदिक विशेषज्ञ, डॉ. आशुतोष गौतम के अनुसार, "दालचीनी, काली मिर्च और अदरक चयापचय और पाचन में सुधार के लिए अच्छे हैं. दालचीनी शरीर में वसा के टूटने में सुधार करने में मदद करती है. जबकि, अदरक प्रतिरक्षा में सुधार करने में मदद करता है और मौसमी बदलाव में उतार-चढ़ाव के लक्षणों से लड़ने में मदद करता है.''
कैसे बनाएं आयुर्वेदिक काढ़ा
सामग्री:
दालचीनी- 1 स्टिक
काली मिर्च- एक चुटकी
अदरक- 1/2 चम्मच, कसा हुआ
कैसे बनाएं मैटाबॉलिज्म को स्ट्रान्ग बनाने वाला आयुर्वेदिक काढ़ा:
एक कटोरा लें और उसमें पानी डालें. इसे उबलने दें. एक बार जब पानी पर्याप्त रूप से उबल जाए, तो उसमें सभी सामग्री डालें और उनके स्वाद को पकने दें. बस आपको काढ़ा तैयार है. अच्छे नतीजों के लिए इसे दिन में दो बार पिएं.
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