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गर्मियों में कई जगह पारम्पारिक रुप से दही-चावल का सेवन किया जाता है। क्योंकि दही में प्राकृतिक रुप से पेट को ठंडा रखने के गुण मौजूद होते हैं। गर्मियों में वैसे भी ज्यादात्तर लोग हल्की डाइट लेना पसंद करते हैं। इस मौसम में वैसे भी लोग भारी-भरकम खाने से बचते हैं। दही-चावल इस मौसम के अनुसार बहुत ही संतुलित आहार हैं।
इसके अलावा दही चावल के सेवन से गर्मियों में शरीर का तापमान संतुलित रहता है जिसकी वजह से आपको लू लगने का भी डर नहीं रहता है। गर्मियों में रोजाना एक कटोरी दही-चावल खाने से शरीर को कई फायदे होते हैं।
अक्सर गर्मियो में गर्म हवाओं की चपेट में आने से बुखार आ जाता है। ऐसे मौसम में आपके लिए दही और चावल का सेवन फायदेमंद रहता है। बुखार में अक्सर कुछ खाने का मन नहीं करता है। बुखार में इसे खाने से इससे आपकी भूख खत्म होने के साथ ही शरीर को भरपूर मात्रा में ऊर्जा मिलेगी। दही से आपकी इम्युनिटी पॉवर बढ़ेगी।
अगर आप चाहते है कि गर्मियों में आपका वजन संतुलित रहें तो चावल का मांड निकालकर दही के साथ मिलाकर खाएं। इस तरह से आप लगातार दही और चावल खाएंगे, तो एक से दो महीने में वजन कम होने लगेगा। इसमें कम कैलोरी होती है, इसलिए बेहिचक इसका सेवन करें।
गर्मियों को लोग अक्सर दही-चावल का सेवन करते हैं, माएं भी अपने शिशु को भी दही चावल खिलाती है। दही चावल शरीर के तापमान को कम करने में मदद करता है। इसे आप किसी भी गर्म भोजन करने के बाद खाकर देखें, पेट को यह अंदर से ठंडा करता है।
दही में कैल्शियम के अलावा प्रोटीन की भा मात्रा अधिक होती है। यह बेहतर एंटीऑक्सीडेंट भी है। ऐसे में दही को चावल के साथ खाने से आपको कई तरह के सेहत लाभ हो सकते हैं।
दही एक तरह से मूड-बस्टर का काम करता है जो तनाव से निजात दिलाने के साथ ही मूड को बेहतर बनाता है। अध्ययनों के अनुसार, दही में पाए जाने वाले प्रोबायोटिक बैक्टीरिया और अच्छी वसा, तनाव को कम करने में मदद कर सकते हैं।
चावल मैग्नीशियम और पोटैशियम का एक अच्छा स्रोत है, जो पेट की ऐंठन और दर्द को कम करने में मदद करता है। दही और चावल खाने से पीरियड्स से पहले होने वाले ऐंठन और पेट दर्द को दूर किया जा सकता है।
हर साल 25 अप्रैल को मलेरिया के प्रति जागरुकता बढ़ाने के लिए दुनिया भर में मलेरिया दिवस मनाया जाता है। अफ्रीकी देश मलावा में मंगलवार को दुनिया की पहली मलेरिया वैक्सीन लॉन्च की गई। यह पांच महीने से लेकर 2 साल तक के बच्चों के लिए है। इसकी जानकारी विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ट्वीट के जरिए दी। यह वैक्सीन बच्चों को मलेरिया से बचाने के लिए शुरू किए गए पायलट प्रोग्राम का हिस्सा है। दुनियाभर में लाखों लोगों को मलेरिया की चपेट में आने से बचाने के लिए 30 वर्षों से इस टीकों को बनाने का काम चल रहा है।
इस टीके की लॉन्चिंग बच्चों को मलेरिया से बचाने के लिए शुरू किए गए पायलट प्रोजेक्ट का हिस्सा है। इस टीके का नाम RTS,S रखा गया है। डब्ल्यूएचओ ने बताया कि अफ्रीकी महाद्वीप के दो देशों घाना और केन्या में इस टीके की लॉन्चिंग अगले कुछ हफ्तों में होगी। बता दें कि दुनिया की इस घातक बीमारी से हर मिनट में दो बच्चों की मौत हो जाती है।
इस बीमारी से अफ्रीका में बड़े पैमाने पर लोगों की मौत होती है। यहां पर हर साल 2,50,000 बच्चों की जान इस बीमारी के कारण होती है। डब्ल्यूएचओ के अनुमान के अनुसार, दक्षिण पूर्व एशिया के कुल मामलों में 89 फीसद मामले अकेले भारत से दर्ज होते हैं।
छोटे बच्चों के लिए क्यों जरुरी
पांच साल से कम उम्र वाले बच्चों में इस बीमारी से जान जाने का खतरा सबसे अधिक होता है। दुनिया भर में हर साल मलेरिया से 4,35,000 लोगों की मौत हो जाती है। सबसे ज्यादा चिंताजनक बात है कि इनमें अधिकतर बच्चे होते हैं।
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