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हम सभी को पता है कि शराब सेहत के लिए ठीक नहीं है, लेकिन फिर भी इससे बच पाना मुश्किल है। ऐसे में जिन्हें इसकी लत लग जाए तो इसके बिना रहना उनके लिए आसान नहीं होता। शराब से किडनी के साथ-साथ शरीर के दूसरे अंगों पर बहुत नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। शराब की लत से छुटकारा पाने के लिए लोग बहुत से तरीके आजमाते हैं, लेकिन हर कोई इस आदत को आसानी से नहीं छोड़ पाता।
इस खतरनाक आदत से बचने के लिए सबसे पहले जरूरी है, सही डायट और कड़ी मनशक्ति। साथ ही आज हम आपको कुछ ऐसे 6 सरल घरेलू नुस्खों के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें नियमित तौर पर अपनाने से शराब की लत से आसानी से छुटकारा मिल सकता है।
गाजर का रस
सर्दियों में आसानी से मिलने वाला गाजर का रस, शराब से छुटकारा दिला सकता है। इसके नियमित सेवन से आपकी शराब पीने की इच्छाशक्ति कम होने लगती है।
जब कभी आपकी शराब पीने की इच्छा हो तो, 2-4 किशमिश धीरे-धीरे चबाएं, ऐसा करने से शराब पीने का मन आधा होने लगता है। ऐसा नियमित रूप से करने पर शराब की लत भी कम होने लगती है।
तुलसी की पत्तियां
एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटी इंफ्लेमेटरी गुणों वाली तुलसी की पत्तियों को रोज चबाने से शराब पीने की इच्छा कम होने लगती है। साथ ही इससे शरीर में जमा हो रही गंदगी भी साफ होती है।
करेले की पत्तियां और तुलसी की पत्तियां शरीर से टॉक्सिन बाहर निकालने में मदद करती हैं। यह उपाय शराब छुड़ाने में भी आपके बेहद काम आ सकता है। इसके लिए बस आपको करना यह है कि करेले की पत्तियों को पीस कर, रस निकाल लें और छाछ के साथ दो चम्मच इस रस की मिलाकर पी जाएं।
एक ग्लास दूध में रोज एक चम्मच अश्वगंधा का पाउडर मिलाकर पीने से भी रोज-रोज शराब पीने की आदत में सुधार आता है। ऐसा इसलिए क्योंकि अश्वगंधा के एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटी इंफ्लेमेटरी गुणों की वजह से शराब पीने की लत कम होने लगती है।
शहद में कुछ बूंदें अदरक के तेल मिलाकर लेने से भी शराब की लत से छुटकारा मिलता है। इस मिश्रण को सही मात्रा में नियमित लेने से शराब से दूरी बनाने में मदद मिलती है।
आयोडीन हमारे शरीर के लिए बहुत आवश्यक है। बच्चों से लेकर बड़ों तक सबके लिए बहुत जरूरी है। यह शरीर के विकास के लिए बहुत अहम होता है। वहीं बात अगर बच्चों की करें तो उनके दिमागी विकास और थायरॉइड ग्रंथि की सक्रियता के लिए भी यह बहुत आवश्यक है। यहां हम आपको बता रहे हैं आखिर क्यों जरूरी है आयोडीन आपके व आपके बच्चे के लिए।
कितने मात्रा में आयोडीन की आवश्यकता होती है हमारे शरीर को
डब्ल्यूएचओ(WHO) के निर्देशों के मुताबिक विभिन्न आयु वर्ग के लोगों को लिए इतनी मात्रा में आयोडीन आवश्यक है।:
आयोडीन की कमी होने से क्या नुकसान हो सकते हैं?
अगर हमारे शरीर में आवश्यकता के मुताबिक आयोडीन ना मिले तो अनेक प्रकार की बीमारियां हो सकती हैं। आयोडीन की कमी के चलते थॉयराइड हार्मोन नहीं बन पाता है और इसकी कमी से ग्वायटर यानि घेंघा जैसी बीमारियां होने का भी खतरा बन सकता है। गर्भवती महिलाओं के लिए भी आयोडीन आवश्यक है। आहार में आयोडीन की कमी होने से गर्भ में पल रहे शिशु में गोइटर व हाइपोथायरॉयडिज्म जैसी समस्याएं हो सकती हैं। यही नहीं जन्म लेने वाला बच्चा दिमागी रूप से कमजोर हो सकता है।
आयोडीन के मुख्य स्रोत क्या हैं व किन खाद्य पदार्थों से आयोडीन मिल सकती है
अगर आप चाहते हैं कि शरीर में आयोडीन की पर्याप्त मात्रा रहे तो आपको कुछ आहार पर ध्यान देना होगा। ऐसे कई आहार हैं जिनमें आयोडीन की मात्रा पर्याप्त होती है। आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ आहारों के बारे में।
दूध – दूध में आयोडीन की पर्याप्त मात्रा होती है। ऐसे में आप इसे अपने व बच्चे के आहार में शामिल कर सकती हैं। स्टडी के अनुसार, 250 मिलीलीटर दूध में करीब 150 माइक्रोग्राम आयोडीन होता है।
दही – दही भी आयोडीन के लिए काफी उपयोगी है। एक कप दही के अंदर करीब 70 माइक्रोग्राम आयोडीन होता है। इसमें कैल्शियम व प्रोटीन की प्रचूर मात्रा होती है, जो पेट के लिए भी फायदेमंद है।
पनीर – डेयरी प्रॉडक्ट्स में पनीर आयोडीन के लिए सबसे बेहतर है। आप बच्चे के आहार में इसे शामिल कर सकते हैं।
अंडा – अंडे के योक में आयोडीन की मात्रा अधिक होती है। अपने बच्चे के आहार में इसे जरूर शामिल करें। बच्चे को नाश्ते में 1 उबला अंडा या फ्राई अंडा खाने को दे सकते हैं।
आलू – आलू भी आयोडीन का अच्छा स्रोत है। सबसे अधिक आयोडीन जैविक आलू में होता। बिना छीले आलू को पकाकर बच्चे को खाने के लिए दें। इससे 60 माइक्रोग्राम आयोडीन मिलता है।
करौंदा – कई गुणों से भरपूर करौंदा में आयोडीन की अच्छी मात्रा होती है। आप अपने बच्चे को इसके ताजे फलों का सेवन रोज कराएं। आप चाहें तो जूस बनाकर भी दे सकते हैं।
हिमालयन क्रिस्टल नमक – ग्रे सॉल्ट के नाम से मशहूर इस नमक में आयोडीन की प्रचूर मात्रा होती है। जैविक और अप्रसंस्कृत हिमालयन नमक में करीब 500 माइक्रोग्राम आयोडीन होता है। आयोडीन युक्त नमक को अपने आहार में नियमित रूप से शामिल करें।
कुछ अन्य आहार – इन सबके अलावा आप केले, स्ट्रॉबेरी, हरी पत्तेदार सब्जियां, मूंगफली, जौ, मीठे आलू व प्याज का सेवन भी आयोडीन के लिए कर सकते हैं।
आयोडीन प्रयोग करने के दौरान क्या सावधानियां बरतें?
हाई ब्लड प्रेशर या अन्य किसी प्रकार की हेल्थ से संबंधित समस्या है और इन कारणों से अगर आप नमक का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं तो इसके विकल्पों के लिए डॉक्टर से जरूर संपर्क करें। जिन लोगों को थाइराइड की समस्या है उनको आयरन के सप्लीमेंट देने की सलाह नहीं दी जाती है। आयोडीन युक्त नमक को सूर्य की तेज रोशनी और नमी से बचाकर रखें। इसलिए यह बहुत आवश्यक है कि आप नमक को शीशे या एयर टाइट कंटेनर में रखें। पैकिंग की तारीख से 12 महीने के अंदर ही आपको आयोडीन युक्त नमक का इस्तेमाल कर लेना चाहिए।
::/fulltext::दिनभर काम करने के बाद, रात को चैन की नींद सोते समय हमें किसी भी तरह का दखल रास नहीं आता। लेकिन अगर आप अस्थमा के मरीज हैं तो हर रात सोते हुए काफी परेशानी होती है। इस बीमारी से रोज रोज डील करना आसान काम नहीं है, कुछ लोगों को तो खासकर रात में ही इससे ज्यादा परेशानी होती है। कफ बनना, सांस ना आना और लगातार छीकें आते रहना यह सब 'नॉक्टेर्नल अस्थमा' के लक्षण हैं। इसी वजह से पूरे दिन आप थके हुए और चिड़चिड़े हो जाते हैं। हालांकि बहुत से लोग इस परिस्थिति को इग्नोर कर जाते हैं, लेकिन इस नॉक्टेर्नल अस्थमा यानी नाइटटाइम अस्थमा का सही वक्त पर इलाज करना बेहद जरूरी है। आइए जानते है नॉक्टेर्नल अस्थमा के लक्षण।
1. अंदरूनी कारण
कुछ लोगों को रात को सोते हुए सांस का अटैक आता है, जिसमें बेचैनी में उठ जाते हैं और ताजा हवा तलाशते हैं। इस मुद्दे पर हुए शोध में सामने आया कि इस तरह की बेचैनी सिर्फ आपके शरीर के अंदरूनी कारणों की वजह से होती है।
2. सोने का तरीका
जब हम सोते हैं तो हवा का बहाव नीचे की ओर होता है, लंग्स में खून का प्रभाव बढ़ने लगता है। इन सभी कारणों से ही रात में अस्थमा में ज्यादा परेशानी होती है।
3. एयर कंडीशनर
ठंडी हवा के कारण हवा में से मॉइश्चर निकल जाता है जिससे अस्थमा बढ़ता है। ऐसे में अगर आप एयर कंडीशनर में सो रहे हैं तो हो सकता है कि आपको रात में दो तीन बार जागना पड़े। सर्दियों में यह समस्या ज्यादा बढ़ जाती है।
अगर आपका गद्दा, तकिया और कंबल अच्छे से साफ नहीं है तो उनमें जमी धूल के कणों की वजह से आपको रातभर परेशानी हो सकती है।
5. फंगस
अपने कमरे में गीले धब्बे ना रहने दें, क्योंकि इससे आपको सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। साथ ही कमरे में नमी भी ना रहने दें क्योंकि नमी से फंगस बनने लगती है। इसी फंगस के कारण आपकी नींद में खलल आ सकती है।
इन्हेलर रखें हमेशा साथ
असल में अस्थमा के पेशेंट को थोड़ा ज्यादा सर्तक रहने की जरूरत है। अपने आस पास की जगह को हमेशा साफ सुथरा रखें और ठंडी जगह पर ना सोएं। इन सभी के अलावा अपना इन्हेलर हमेशा पलंग के आसपास ही रखें। अगर आपको अस्थमा की समस्या ज्यादा है तो अपने डॉक्टर से सलाह मशविरा जरूर करें। नॉक्टेर्नल अस्थमा के लक्ष्णों को इग्नोर करना हानिकारक हो सकता है।
सर्दी के मौसम में होने वाली बीमारियों से बचाव के लिए आपको विशेष रूप से सावधानियां बरतने की आवश्यकता है,खास करके बच्चे के स्वास्थ्य को लेकर। आप सीजनल यानी मौसमी फलों और सब्जियों के बारे में जरूर जानते होंगे, हम लोग मौसम के हिसाब से कपड़े भी पहनते हैं ठीक उसी प्रकार से कुछ बीमारियां ऐसी होती हैं जो किसी मौसम विशेष में ही हमें अपने चपेट में लेती है। आज हम आपको इस ब्लॉग में सर्दी के मौसम में होने वाली 10 बीमारियों के बारे में बताने जा रहे हैं और इसके साथ ही इन रोगों से बचने के लिए कुछ कारगर उपायों के बारे में भी जानकारी देने जा रहे हैं।
सर्दी के मौसम में होने वाली बीमारियां और उनसे बचने के उपाय
सर्दी का मौसम आपके हमारे और हमारे बच्चे के लिए तमाम मुश्किले लेकर आता है, तो सर्दियां आने से पहले हमें सावधान हो जाना चाहिए। नीचे दी गई जानकारी और इनसे बचने के उपाय जानें...
इसके अलावा भी कुछ और बीमारियां हैं जिनसे आपको ठंड के दौरान सतर्क रहना चाहिए।
क्यों होती है सर्दी के मौसम में ज्यादा बीमारियां?
यूं तो बहुत सारे लोगों का फेवरेट मौसम सर्दी होता है लेकिन इसके साथ ही इस मौसम में सेहत को लेकर सतर्कता बरतने की भी आवश्यकता होती है। इसे पढ़ें...
ठंड के मौसम में अपने बच्चों के खान-पान और पहनावे को लेकर सतर्कता जरूर बरतें। आप अपने बच्चे को इस तरह का आहार दें जो इम्यूनिटी बढ़ाने में मददगार साबित हों।
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