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तापमान गिरने के साथ ही कुछ लोगों में हड्डियों से जुड़ी समस्या शुरू हो जाती है। ठंड में उन्हें जोड़ों के दर्द की शिकायत रहती है।
अगर आप भी अपने इस दर्द की वजह से सर्दियों के मौसम का मज़ा नहीं ले पाते हैं तो आपको ज़रूरत है अपने खान पान में बदलाव करने की। एक्सपर्ट इस स्थिति से बचने के लिए दूध पीने की सलाह देते हैं लेकिन दूध के अलावा भी ऐसे दूसरे स्रोत उपलब्ध हैं जिससे आप अपने शरीर को सेहतमंद रख सकते हैं।
आप अपनी डाइट में दूध को शामिल करें। उसकी पोषकता बढ़ाने के लिए उसमें ड्राई फ्रूट्स मिला लें। बादाम खाने से भी हड्डियां मज़बूत होती हैं क्योंकि इसमें भी कैल्शियम पाया जाता है।
अगर आपको दूध पसंद नहीं है तो आप दूसरे खाद्य पदार्थों से उसकी पूर्ति कर सकते हैं। आप सर्दियों में पनीर का सेवन कर सकते हैं। पनीर में भी भरपूर मात्रा में कैल्शियम होता है। पनीर का सेवन करने से शरीर में कैल्शियम के साथ प्रोटीन की भी कमी पूरी हो जाती है जो हड्डियों को मज़बूती देता है। अगर आप पनीर के वास्तविक गुण को बनाए रखना चाहते हैं तो इसे ज़्यादा तेल में ना बनाएं। आप ग्रिल्ड करके इसे खा सकते हैं।
अगर आपको नॉर्मल दूध पीना बिल्कुल अच्छा नहीं लगता है तो आप सोया दूध या टोफू का सेवन कर सकते हैं। इनका स्वाद दूध के स्वाद से काफी अलग होता है पर इनमें कैल्शियम की प्रचुरता पाई जाती है।
अगर आप रोज़ाना दही को अपनी डाइट में शामिल करते हैं तो ये भी हड्डियों को प्रोटेक्ट करने का काम बखूबी करते हैं। आप चीनी की जगह इसमें जीरा पाउडर और नमक मिलाकर खा सकते हैं। एक कटोरी दही में 30 प्रतिशत कैल्शियम के साथ-साथ फास्फोरस, पोटेशियम, विटामिन बी2 और बी12 होता है, इसलिए यदि आपको दूध नहीं पसंद तो आप दही खा सकते हैं।
संतरे के रस में भी विटामिन D मौजूद होता है। मगर कोशिश करें कि जूस में शुगर की मात्रा ज़्यादा ना हो।
फिश में मौजूद विटामिन भी हड्डियों से जुड़ी समस्या को दूर रखने में सहायता करते हैं।
सर्दियों में अंडा खाना भी काफी फायदेमंद होता है। आप बॉयल या फिर ऑमलेट के रूप में रोज़ाना एक अंडे का सेवन कर सकते हैं।
बीन्स भी कैल्शियम का बहुत अच्छा स्रोत है। बीन्स की एक कटोरी में 24 प्रतिशत तक कैल्शियम होता है। शरीर में कैल्शियम की कमी को पूरा करने के लिए बीन्स को अपनी डाइट में शामिल करें।
बढ़ती उम्र के लोगों के लिए मशरूम में उपस्थित विटामिन काफी लाभदायक होते हैं। आप सब्ज़ी, सूप या किसी और रूप में इसका सेवन कर सकते हैं।
पालक में आयरन के अलावा कैल्शियम भी भरपूर मात्रा में होता है। 100 ग्राम पालक में 99 मिलीग्राम कैल्शियम पाया जाता है। आप सप्ताह में कम से कम तीन बार पालक का सेवन कर सकते हैं।
भिंडी सिर्फ हड्डियों की मज़बूती के लिए ही नहीं, दांतों की सेहत के लिए भी बहुत असरकारक होते हैं। एक कटोरी भिंडी में 40 ग्राम कैल्शियम होता है। इसका सेवन आप हफ्ते में दो बार कर सकते हैं।
फिश ऑयल या कॉड लिवर तेल में विटामिन D मौजूद होता है। आप इसके लिए बाज़ार में मिलने वाले कैप्सूल भी ले सकते हैं।
13 साल के लड़के ने ढूंढ निकाला कैंसर का इलाज.
नई दिल्ली: 13 साल के ऋषभ जैन ने पैनक्रिएटिक कैंसर (अग्नाशय कैंसर) का जड़ से खत्म करने वाला इलाज ढूंढ निकाला है. ऋषभ के इस इन्वेंशन से लाखों जानों को बचाया जा सकता है. आपको बता दें, पैनक्रिएटिक कैंसर को शरीर में लोकेट करना ही बेहद मुश्किल है. इसी वजह से इस कैंसर से पीड़ित लोगों का सरवाइवल रेट सिर्फ 7 से 12 प्रतिशत ही होता है.
वहीं, ऋषभ के इस आविष्कार से पैनक्रिएटिक कैंसर शरीर के किसी भी हिस्से में हो, उस जगह को टार्गेट कर इस कैंसर को धीरे-धीरे कम कर देता है. जबकि डॉक्टर अग्नाशय (Pancreas) के आस-पास के एरिया के सेल्स को खत्म कर इस कैंसर का इलाज करते हैं, जिसमें बहुत सारे हेल्दी सेल्स भी मर जाते हैं.
बता दें, यूएस के ओरेगन शहर के इंडियन-अमेरिकन ऋषभ ने डिस्कवरी एजुकेशन 3एम यंग साइंटिस्ट चैलेंज (Discovery Education 3M Young Scientist Challenge) को जीता. इस चैलेंज में उन्हें 25000 डॉलर की इनाम राशि भी मिली.
ऋषभ ने आगे बताया कि वो भविष्य में इस राशि को खुद की बनाई नॉनप्राॉफिट समयक साइंस सोसाइटी में लगाना चाहेंगे. इसके साथ पैनक्रिएटिक कैंसर के बारे में जागरुकता फैलाना चाहेंगे.
आपने कई तरह के फल खाएं होंगे और उनके बारे में सुना होगा। लेकिन कभी आपने पहाड़ों में मिलने वाले फल 'काफल' के बारे में सुना है। ये एक ऐसा फल है जो शरीर को कई तरह से फायदा पहुंचाती हैं। छोटा सा दिखने वाला ये फल कैंसर जैसी बड़ी बीमारी को भी मात दे सकती है। उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के जंगलों में पाया जाता है। वैसे तो ये फल ज्यादात्तर गर्मियों के सीजन मतलब साल में दो माह मई और जून में पहाड़ी इलाको में बिकता हुआ दिखाई देता है। जंगली पेड़ों में उगने वाला यह फल विभिन्न औषधीय गुणों से भरपूर है। साथ ही इसका मीठा और रसीला स्वाद भी खाने में मीठा होता है।
काफल देखने में लीची जैसा दिखता है। काफल के बाहर एक रसीली परत होती है जबकि अंदर एक छोटी सी सख्त गुठली होती है। इस फल को गुठली सहित खाया जाता है। आइए जानते है इस पहाड़ी रसीले फल के फायदों के बारे में।
काफल में पाए जाने वाला तत्व
इस फल में कई तरह के प्राकृतिक तत्व पाए जाते हैं। जैसे माइरिकेटिन, मैरिकिट्रिन और ग्लाइकोसाइड्स इसके अलावा इसकी पत्तियों में फ्लावे -4' और हाइड्रोक्सी-3 पाए जाते है।
लू से बचाता है
काफल के बारे में डॉक्टरों का कहना है कि काफल फल औषधि की तरह काम करता है। कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों की रोकथाम के अलावा काफल गर्मी में लगने वाली लू के लिए भी काफी फायदेमंद है। हालांकि अभी तक यह फल जंगलों में ही पाया जाता है।
इसकी छाल के भी है खूब फायदे
काफल के पेड़ की छाल से निकलने वाले सार को दालचीनी और अदरक के साथ मिलाकर इसका सेवन करते हो तो आप पेचिश, बुखार, फेफड़ों की बीमारियां, अस्थमा और डायरिया आदि रोगों से आसानी से बच सकते हो। यही नहीं इसकी छाल को सूंघने से आंखों के रोग व सिर का दर्द आदि रोग ठीक हो सकते हैं।
एंटी-ऑक्सीडेंट
इस प्राकृतिक फल में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट तत्व पेट से संबंधित रोगों को खत्म करते हैं। इसके फल से निकलने वाला रस शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा देता है।
नमक के साथ खाएं
काफल एक रसीला फल है इसको नमक के साथ खाने का अलग ही मजा है। लोग इसे सेंधे नमक के साथ खाना पंसद करते हैं क्योंकि इससे इसका स्वाद और भी बढ़ जाता है।
लकवा का इलाज
काफल के फूल का तेल कान दर्द, डायरिया तथा लकवे की बीमारी में उपयोग में लाया जाता है। इस फल का उपयोग औषधी तथा पेट दर्द निवारक के रूप में होता है