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पीरियड क्रैम्प से हर महीने महिला व लड़कियों को गुजरना पड़ता है. यह दर्द कुछ लोगों के लिए बहुत असहनीय होता है. ऐसे में कई बार दर्द बर्दाश्त न होने के चलते दवाओं का सेवन लड़कियां कर लेती हैं, जो अच्छा नहीं माना जाता है सेहत के लिए. बल्कि इस दौरान घरेलू उपाय (gharelu upay) और योगासन ज्यादा फायदेमंद साबित हो सकता है. ऐसे में हम आपको यहां पर एक ऐसे योगासन के बारे में बताने जा रहे हैं, जो आपके पीरियड दर्द को कम करने में काफी हद तक मदद करेगा.
दीवार के ऊपर पैर
अपनी चटाई के छोटे सिरे को दीवार के पास ले आएं. दीवार के बगल में बग़ल में बैठें. लेट जाएं और अपने शरीर को मोड़ें, अपने पैरों को दीवार के ऊपर ले जाएं. आप चाहेंगे कि आपका त्रिकास्थि (कमर के पीछे की तिकोने हड्डी) फर्श पर रहे, इसलिए जितना जरूरी हो उतना पीछे खिसकें.
अपने त्रिकास्थि के नीचे मुड़ा हुआ कंबल या पतला तकिया लीजिए सुनिश्चित करें कि आपकी बैठने की हड्डियां फर्श पर हों. अपनी भुजाओं को ऐसी जगह रखें जहां आपको आराम महसूस हो. यह उल्टा आसन आपको तनाव, चिंता और तनाव से मुक्त होने में मदद करता है.
लेग्स अप वॉल के फायदे
- साइटिका दर्द से राहत दिलाएं
- थायरॉइड फ़ंक्शन में सुधार करें
- सिरदर्द और माइग्रेन से राहत दिलाएं
- एनर्जेटिक रखे
- पीठ के निचले हिस्से की जकड़न और बेचैनी को कम करे
- पैर और पैरों की ऐंठन से राहत दिलाएं
-लिम्फ प्रवाह को बढ़ावा दें
- वैरिकोज़ नसों को नियंत्रित करें
- अपने पैरों के पिछले हिस्से को धीरे से स्ट्रेच करें
- रक्त परिसंचरण में सुधार करें
- अवसाद कम करें
- पाचन में सुधार करें
- नींद के पैटर्न में सुधार करें
- रक्तचाप को संतुलित करें.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (Madhya Pradesh High Court) ने एक बड़ा फैसला सुनाया है. अब पत्नी के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध को अपराध नहीं माना जाएगा. हाईकोर्ट जस्टिस जीएस आहलूवालिया ने अपने अहम फैसले में कहा है कि पत्नी के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध बनाना अपराध की श्रेणी में नहीं आता है. एकलपीठ ने एक मामले में पति के खिलाफ दर्ज धारा 377 तथा 506 के तहत दर्ज की गयी एफआईआर को निरस्त करने के आदेश जारी भी जारी किए हैं.
2019 में हुई थी शादी
याचिकाकर्ता पति की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि उसकी शादी मई 2019 में नरसिंहपुर निवासी युवती से हुई थी. उसकी पत्नी साल 2020 से अपने मायके में है. इस दौरान पत्नी ने उसके और उसके परिजनों के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का केस दर्ज करवाया था, जो अभी लंबित है.
तलाक के लिए किया था आवेदन
जिसके बाद उसने भी तलाक की मांग करते हुए कुटुम्ब न्यायालय जबलपुर में आवेदन दायर किया था. याचिका में कहा गया था कि पत्नी ने उसके खिलाफ जुलाई 2022 में अप्राकृतिक यौन शोषण करने का आरोप लगाते हुए नरसिंहपुर में एफआईआर दर्ज करवाई थी.
नरसिंहपुर पुलिस ने शून्य के तहत प्रकरण दर्ज कर कोतवाली थाना जबलपुर स्थानांतरित कर दिया. पुलिस ने पत्नी की शिकायत पर उसके खिलाफ धारा 377 तथा 506 के तहत प्रकरण दर्ज कर लिया. एफआईआर में कहा गया है कि विवाद के बाद उसने कई बार महिला के साथ अप्राकृतिक तरीके से यौन शोषण किया. पत्नी द्वारा पूर्व में दर्ज कराई गई एफआईआर में इसका उल्लेख नहीं किया गया है. एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि वयस्कों के बीच सहमति से स्थापित किये गए अप्राकृतिक यौन संबंध अपराध नहीं है.
एफआईआर निरस्त करने के दिए आदेश
एकलपीठ ने बलात्कार के संबंध में संशोधित नियमों का हवाला देते हुए कहा कि 15 साल से अधिक उम्र की पत्नी के साथ यौन संबंध स्थापित करना अपराध नहीं है. एकलपीठ ने पाया कि मामले में सहमति का अभाव नहीं होने के कारण मामला बलात्कार की श्रेणी में नहीं आता है. एकलपीठ ने एफआईआर निरस्त करने के आदेश जारी किए हैं.
नई दिल्ली: महिलाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महिला का स्त्रीधन उसकी पूर्ण संपत्ति है. उसे अपनी मर्जी से खर्च करने का पूरा अधिकार है. यह कभी भी उसके पति के साथ संयुक्त संपत्ति नहीं बन सकती. संकट के समय में पति इसका उपयोग कर सकता है लेकिन उसे इसे या इसके मूल्य को वापस पत्नी को लौटाना पति का दायित्व है.
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्ति का प्रयोग करते हुए पति को अपनी पत्नी के सभी आभूषण छीनने के लिए 25 लाख रुपये की आर्थिक क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया. महिला अब 50 वर्ष की है. जीवन-यापन की लागत में वृद्धि और समता एवं न्याय के हित को ध्यान में रखते हुए महिला को क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया गया.
पीठ ने हाईकोर्ट के तर्क को नकार दिया कि एक नवविवाहित महिला को पहली रात ही सारे सोने के आभूषणों से वंचित कर दिया जाना विश्वसनीय नहीं है. पीठ ने कहा है कि लालच एक शक्तिशाली प्रेरक है और इसने मनुष्यों को बहुत ही घृणित अपराध करने के लिए प्रेरित करता है. इस प्रकार, हम इसे मानवीय संभावना के दायरे से बाहर नहीं पाते हैं कि एक पति अपनी पत्नी के खिलाफ ऐसे अस्वीकार्य और अवांछनीय कार्य करे, जैसा कि आरोप लगाया गया था.
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विवाह के मामले शायद ही कभी सरल या सीधे कहे जा सकते हैं; इसलिए विवाह के पवित्र बंधन को तोड़ने से पहले एक यांत्रिक समयसीमा के अनुसार मानवीय प्रतिक्रिया वह नहीं है, जिसकी कोई उम्मीद करेगा.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तलाक प्रमुख रूप से भारतीय समाज में अभी भी एक कलंक माना जाता है और विवादों और मतभेदों को सुलझाने के लिए किए गए प्रयासों के कारण कानूनी कार्यवाही शुरू होने में किसी भी तरह की देरी समझ में आती है. अदालत ने यह भी कहा कि विवाह की अवधारणा पति-पत्नी के अपरिहार्य आपसी विश्वास पर टिकी होती है, जिसमें वैवाहिक संबंध अनिवार्य रूप से शामिल है. यह मान लेना कि अपीलकर्ता को पहले दिन से पहले पति पर भरोसा नहीं था, असंभव है. इसलिए हाईकोर्ट उन तथ्यों से सही निष्कर्ष निकालने में विफल रहा, जो काफी हद तक स्थापित प्रतीत होते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फैमिली कोर्ट के एक तर्कसंगत निर्णय में हस्तक्षेप कर हाईकोर्ट ने स्पष्ट रूप से गलती की है. अदालत ने यह भी नोट किया कि हाईकोर्ट ने महिला पर आवश्यकता से अधिक बोझ डाला और सही निष्कर्ष निकालने में विफल रहा.
कॉपर इंट्रायूट्राइन कॉन्ट्रासेप्टिव डिवाइस को कॉपर-टी कहते हैं। यह T की शेप में एक प्लास्टिक का डिवाइस होता है जिसे डॉक्टर गर्भाशय के अंदर फिट कर देते हैं। गर्भ को ठहरने से रोकने के लिए कॉपर टी एक अच्छा विकल्प माना जाता हैं। अगर आप गर्भ धारण नही करना चाहते हैं, तो आपको गर्भ निरोधक के रूप में कॉपर टी लगाना चाहिए। यह सबसे अच्छा और बेस्ट साधन माना जाता हैं।
फैक्ट: जी नहीं कॉपर टी लगाते समय आपको किसी भी प्रकार का दर्द नही होता हैं। यह एक साधारण और आसान प्रक्रिया होती हैं। जो एक्सपर्ट डॉक्टर के द्वारा की जाती हैं। इसलिए कॉपर टी लगाते समय आपको कोई भी दर्द नही होता हैं
फैक्ट: कॉपर-टी लगवाने के बाद आपको ऐसा महसूस नहीं होगा कि आपने इसे लगवाया है। कुछ महिलाओं को पीरियड्स के दौरान मरोड़ और अधिक ब्लीडिंग हो सकती है। आपके पीरियड्स के पैटर्न में कुछ बदलाव हो सकता है। इसे लगवाने के बाद पहले कुछ महीनों में दर्द और ज्यादा ब्लीडिंग हो सकती है। कुछ महिलाओं को पेट के निचले हिस्से में ऐंठन और कमर दर्द महसूस हो सकता है। अगर कॉपर टी गलत तरीके से लगाया गया हो तो योनि में इंफेक्शन होने का खतरा भी बढ़ सकता है।
फैक्ट: अगर आपको लगता है कि कॉपर टी प्रेगनेंसी को रोकने का सबसे असददार तरीका है, तो कुछ हद तक ये सही भी है और नहीं भी। एक साल के लिए 100 में से केवल 1 महिला में कॉपर-टी का फेलियर रेट देखा गया है। इसका मतलब है कि एक साल में 100 में से सिर्फ एक महिला के कॉपर-टी लगवाने के बाद गर्भवती होने के चांसेस होते हैं।
फैक्ट: इसके अलावा कॉपर टी यदि अपनी जगह से खिसक जाए। हैवी पीरियड्स के दौरान कॉपर-टी खून के साथ शरीर से बाहर आ जाए। इसके अलावा कॉपर-टी एक्सपायर हो जाए, तो इन सभी स्थितियों में गर्भ ठहरने की संभावना रहती है। 1000 में से एक महिला में आईयूडी से गर्भाशय की दीवार में छेद हो सकता है और ये गर्भाशय से बाहर आ सकती है। इसे फिर सर्जरी से निकालना पड़ता है।
मिथक: कॉपर-टी लगवाने से फर्टिलिटी पर असर पड़ता है?
फैक्ट: कॉपर-टी हटवाने के तुरंत बाद आप कंसीव करने के लिए ट्राई कर सकती हैं। यंग कपल 4 से 6 महीने में कंसीव कर सकते हैं। लगभग 85 से 90 पर्सेंट कपल्स एक साल के अंदर कंसीव कर लेते हैं।
फैक्ट: कॉपर-टी से सेक्सुअल लाइफ में इफेक्ट होती है, ये महज एक अफवाह है। इसकी वजह से आपको रोजमर्रा के काम करने और सेक्स में कोई दिक्कत नहीं आती है।
कॉपर-टी निकालने के बाद फर्टिलिटी पर इसका कोई असर नहीं पड़ता है। कॉपर-टी निकालने के बाद कुछ महिलाओं के मासिक चक्र में बदलाव आ सकता है लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है, ये बदलाव अस्थायी होता है।