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आज से नवरात्रि का पर्व शुरू हो गया है. इस बार 5 साल बाद अद्भुत संयोग बन रहा है, ऐसे में मां के नौ रूपों की पूजा करना बहुत फलदायी होगा. नवरात्रि में नौ दिन का उपवास करने वाले व्रती कलश स्थापना करके मां की पूजा की शुरूआत करते हैं. इस बार आप घटस्थापना सुबह की बजाय दोपहर में करते हैं तो मां का भरपूर आशीर्वाद प्राप्त होगा. तो चलिए जानते हैं कितने से कितने बजे तक घटस्थापना का मुहूर्त है.
इस बार वैधृति योग दोपहर बाद 2.18 बजे तक होने के कारण घटस्थापना सुबह 11.54 बजे से दोपहर 12.44 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त में ही सर्वश्रेष्ठ रहेगी. घटस्थापना के लिए 50 मिनट का मुहूर्त रहेगा. आपको बता दें कि पहले ही दिन 3 राजयोग बन रहा है.
नवरात्रि जिस दिन से शुरू होती है उसके आधार पर ही माता की सवारी निश्चित होती है. धर्म शास्त्रों के अनुसार, मंगलवार और शनिवार को नवरात्रि की शुरूआत शुभ संकेत वाली नहीं होती है. इस बार चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल यानी मंगलवार को शुरू होगी. मंगलवार और शनिवार को नवरात्रि शुरू होने पर माता घोड़े पर सवार होकर पधारती हैं. माता की सवारी घोड़ा होना सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में बड़े बदलावों की ओर संकेत करता है. इसे युद्ध और प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़ या अकाल जैसी परेशानियों का भी संकेत माना जाता है.
इस बार चैत्र नवरात्रि 17 अप्रैल को राम नवमी के दिन समाप्त होगी और उस दिन बुधवार है. नवरात्रि की समाप्ति बुधवार को होने पर माता हाथी पर सवार होकर प्रस्थान करती हैं. हाथी की सवारी पर प्रस्थान के शुभ संकेत वाला माना जाता है. यह अच्छी बारिश, अच्छी फसल और किसानों को भरपूर फसल प्राप्त करने का संकेत देती है.
नवरात्रि की पूजा का जितना महत्व है उतना ही भोग का भी है. मां की पूजा अर्चना में कई बातों का विशेष ख्याल रखना होता है, जिसमें से एक है भोग को सही पात्र में लगाना. अकसर लोग माता दुर्गा को सोने, चांदी, तांबा, स्टील आदि धातु के पात्र में प्रसाद चढ़ा देते हैं, जो कि नहीं करना चाहिए. इनसे नकारात्मक ऊर्जा निकलती है. इसलिए देवी दुर्गा को भोग लगाने के लिए विशेष धातु का पात्र होना जरूरी है. ऐसे में चलिए आपको बताते हैं कि आखिर किस पात्र में मां को भोग लगाना चाहिए.
पीतल या मिट्टी के पात्र में ही माता दुर्गा को भोग लगाना चाहिए. यह पात्र शुभ माना जाता है. वहीं, पूजा करने के बाद प्रसाद तुरंत ग्रहण करना चाहिए और लोगों में भी वितरित करें. देवी देवताओं के पास ज्यादा देर प्रसाद रखना अच्छा नहां माना जाता है. इसके अलावा पुराने पीतल के बर्तन में भी भोग लगाया जा सकता है, लेकिन वह गंदा और टूटा न हो. कोशिश करें मिट्टी का बरतन उपयोग करें प्रसाद चढ़ाने के लिए. यह बेस्ट होता है.
कौन से हैं मां दुर्गा के 32 नाम
अब बात आती है कि मां दुर्गा के 32 नाम कौन से हैं, जिनकी जाप करके आप भय और दुख को दूर कर सकते हैं, तो यह इस प्रकार हैं-
Kajari Teej 2023: कजरी तीज भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इस दिन सुहागन महिलाएं अपने पति की लम्बी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। इस दिन व्रत के पालन से दाम्पत्य जीवन में आ रही समस्याएं भी दूर होती हैं और जीवन में प्रेम और सुख समृद्धि आती हैं। यह कजरी तीज उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और बिहार के प्रान्तों में विशेष तौर पर मनाई जाती है।
इस वर्ष कजरी तीज 2 सितम्बर को मनाई जायेगी। इस कजरी तीज को कजली तीज, बूढ़ी तीज, सातुढ़ी तीज भी कहा जाता है। जानते हैं कजरी तीज सम्बन्धी तिथि, मुहूर्त, महत्व और अन्य ज़रूरी जानकारियाँ -
कजरी तीज 2023 की तिथि एवं मुहूर्त
हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि की शुरुआत 1 सितंबर को रात 11:50 बजे शुरू होगी और समापन 2 सितम्बर को रात 08:49 बजे होगा। पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 07:57 से सुबह 09:31 बजे तक रहेगा। वहीं रात में शुभ मुहूर्त 09:45 बजे से 11:12 बजे तक रहेगा।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सबसे पहला कजरी तीज व्रत देवी पार्वती ने रखा था। इस व्रत का पालन करने से वैवाहिक महिलाओं को प्रेम और सुखी दाम्पत्य जीवन की प्राप्ति होती है। इस दिन रात में चन्द्रमा की पूजा की जाती है और हाथ में गेहूं रखकर चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है।
कजरी तीज के अवसर पर नीमड़ी माता की पूजा करने का विधान है। पूजा से पहले मिट्टी व गोबर से दीवार के कोने में तालाब जैसी आकृति बनाई जाती है और उसके पास नीम की टहनियों को रोप देते हैं। हाथ से बनाये इस तालाब में कच्चा दूध और जल डालते हैं और किनारे पर एक दीया जलाकर रखते हैं। फिर थाली में नींबू, ककड़ी, केला, सेब, सत्तू, रोली, मौली, अक्षत आदि पूजा के लिए रखे जाते हैं। इसके अलावा लोटे में कच्चा दूध लें और फिर शाम के समय श्रृंगार करने के बाद नीमड़ी माता की पूजा की जाती है।
इस दिन घर के मंदिर को मंडप जैसा सजाकर शिव गौरी की स्थापना करें और मां गौरी को शृंगार की चीज़ें और लाल चुनरी चढ़ाएं। मंत्रोच्चारण के साथ ही सच्चे मन से पूजन करें। शाम में नीमड़ी माता और देवी पार्वती के पूजन के बाद रात में चंद्रमा को अर्घ्य दें और व्रत का पारण करें।
नोट: यह सूचना इंटरनेट पर उपलब्ध मान्यताओं और सूचनाओं पर आधारित है। बोल्डस्काई लेख से संबंधित किसी भी इनपुट या जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी और धारणा को अमल में लाने या लागू करने से पहले कृपया संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।
Hariyali Teej Puja Muhurat: श्रावण माह में पड़ने वाली तीज जिसे हरियाली तीज या श्रावणी तीज भी कहते हैं वो इस बार बहुत विशेष नक्षत्र में पड़ रहा है। इसलिए ये बहुत जरुरी है कि सही मुहूर्त में पूजा की जाए ताकि विशेष फल प्राप्त हो। आइये आपको बताते हैं इस बार के तीज का शुभ पूजा मुहूर्त क्या है।