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नई दिल्ली : प्रवर्तन निदेशालय ने झारखंड में अवैध खनन माफिया पर कार्रवाई करते हुए पानी का जहाज जब्त किया है. इसी जहाज़ से अवैध खनन माफिया खनन कर पत्थरों को झारखंड से बाहर ले जा रहे थे. जब्त किए गए पानी की जहाज की कीमत 30 करोड़ रुपये है. खास बात ये है कि इस जहाज़ को पश्चिम बंगाल में रजिस्टर्ड करवाया गया था, लेकिन इसे झारखंड में चलाया जा रहा था. इस जहाज को पंकज मिश्रा के करीबी राजेश यादव उर्फ दाहू यादव के लोग अवैध खनन कर पत्थरों को दूसरे राज्य भेजने के लिए इस्तेमाल कर रहे थे.
अवैध खनन माफियाओं पर शिकंजा कसने के लिए ईडी के अधिकारी झारखंड सरकार के प्रदूषण विभाग की टीम के साथ साहेबगंज जिले में 25 जुलाई से जांच कर रहे थे. ईडी ने साहेबगंज के मौजा सिमारिया इलाके में उस माइन का पता लगाया, जहां से अवैध खनन किया जा रहा था. इसके अलावा मौजा डेंबा इलाके में सरकारी मंजूरी वाले इलाके से ज्यादा जगह को घेर कर अवैध खनन किया जा रहा था. ये अवैध खनन को बिष्णु यादव और उसके लोग कर रहे थे. ईडी के मुताबिक, आरोपी 37.5 मिलियन क्यूबिक फीट अवैध खनन कर चुके हैं, जिसकी कीमत करीब 45 करोड़ रुपये है.
ईडी ने इस इलाके से 2 स्टोन क्रैशर जब्त किए हैं, जिसे विष्णु यादव और पवित्रा यादव मां अम्बे स्टेन वर्कस के नाम से इस्तेमाल कर रहे थे. इसके अलावा तीन ट्रक भी जब्त किए हैं, जिनके जरिये पत्थरों को जहाज तक पहुंचाया जा रहा था. झारखंड पुलिस ने इसे लेकर 2 केस दर्ज किए हैं. पहला केस पानी के जहाज के मालिक के खिलाफ दर्ज किया गया है और दूसरा मामला अवैध खनन को लेकर है.
ईडी ने 8 जुलाई को झारखंड में 21 जगहों पर छापेमारी की थी. इस छापेमारी में आरोपियों के 50 बैंक खातों में 13.32 करोड़ रुपये मिले थे, जबकि 5.34 करोड़ रुपये नगदी जब्त हुई थी. ईडी के मुताबिक, ये पैसे जो पंकज मिश्रा और दाहू यादव के थे,इसके बाद 19 जुलाई को पंकज मिश्रा को गिरफ्तार कर लिया गया, जो फिलहाल 1 अगस्त तक ED की हिरासत में हैं,आरोपी पंकज मिश्रा झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का करीबी है और उनका राजनीतिक प्रतिनिधि है.
नई दिल्ली: महाराष्ट्र में शिवसेना के बीच खींचतान नया रूप लेती दिख रही है. चुनाव आयोग ने टीम ठाकरे और एकनाथ शिंद गुट से 'शिवसेना' पर अपना अधिकार साबित करने को लेकर दस्तावेज देने को कहा है. चुनाव आयोग ने इसके लिए दोनों ही गुट को 8 अगस्त तक का समय दिया है. एक बार दस्तावेज जमा होने के बाद ही आयोग इस मामले की सुनवाई करेगा. साथ ही दोनों गुटों से पार्टी के अंदर चले रहे विरोध की वजहों का ब्योरा भी लिखित में देने को कहा गया है. चुनाव आयोग को लिखे एक पत्र में राज्य के सीएम एकनाथ शिंदे और उनके साथी विधायकों ने अपने साथ शिवसेना के 40 विधायक और 12 सांसदों के होने का दावा किया है.
बता दें कि कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शिवसेना पार्टी पर दावा ठोंक दिया था. एकनाथ शिंदे जिस तरह तेजी से बढ़ रहे हैं उससे लगता है कि जल्द ही वो तीर-कमान पर अपना कब्जा जमा लेंगे. एकनाथ शिंदे ने चुनाव आयोग को लिखा था कि उद्धव ठाकरे द्वारा नियुक्त शिवसेना की राष्ट्रीय कार्यकारिणी भंग कर दी गई है और उन्होंने एक नई कार्यकारिणी का गठन किया है. गौरतलब है कि, BJP की मदद से एकनाथ शिंदे ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के खिलाफ तख्तापलट का नेतृत्व किया था. उद्धव को सत्ता से बेदखल कर खुद महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बने थे.
एखनाथ शिंदे ने अपने पत्र में लिखा था कि नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी के गठन में शिवसेना के अधिकांश नेताओं ने हिस्सा लिया है. शिंदे जिस बहुमत का उल्लेख करते हैं, वह उनके नेतृत्व वाला बागी गुट है.
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, उद्धव ठाकरे को शिवसेना के नेता के रूप में हटाने के लिए यह एकनाथ शिंदे का पहला औपचारिक कदम है. शिंदे ने यह कदम उस दिन उठाया है जब सुप्रीम कोर्ट में छह याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई होगी जिसमें ये तय होगा कि शिवसेना का प्रभारी कौन है. सुप्रीम कोर्ट बगावत से जुड़ी याचिकाओं और महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे सरकार द्वारा बगावत के दिनों में लिए गए विभिन्न फैसलों पर सुनवाई करेगा.
नई दिल्ली: गोवा में कांग्रेस के 11 में से पांच विधायकों से संपर्क नहीं हो पाने के मद्देनजर पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी के वरिष्ठ नेता मुकुल वासनिक से राज्य में ‘‘ताजा राजनीतिक घटनाक्रम पर नजर रखने'' के लिए रविवार को गोवा जाने को कहा. अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के महासचिव के सी वेणुगोपाल ने रविवार देर रात ट्वीट किया, ‘‘कांग्रेस अध्यक्ष ने सांसद मुकुल वासनिक को गोवा में ताजा राजनीतिक घटनाक्रम पर नजर रखने के लिए वहां जाने को कहा है.''
इस बीच, गोवा में कांग्रेस के कुछ विधायकों के सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने की अटकलों के बीच, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने रविवार को आरोप लगाया कि यह लोकतंत्र नहीं है, बल्कि भाजपा का ‘‘धन तंत्र'' है. उन्होंने आषाढ़ी एकादशी के अवसर पर सोलापुर जिले के पंढरपुर में भगवान विट्ठल की पूजा करने के बाद पुणे में पत्रकारों से यह कहा.
कांग्रेस के 11 विधायकों में से कुछ के भाजपा में शामिल होने की अटकलों के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा कि इस बात की जांच करने की जरूरत है कि इनमें से कितने विधायक प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और आयकर विभाग की जांच का सामना कर रहे हैं.
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया, ‘‘यदि आप इसके बारे में जानते हैं, तो आपको पता चल जाएगा कि यह लोकतंत्र नहीं है, बल्कि यह भाजपा का धनतंत्र है.'' गोवा में विपक्षी दल कांग्रेस ने रविवार को बताया कि राज्य में उसके 11 में से पांच विधायकों से ‘‘संपर्क नहीं हो पा रहा है'' और उसने अपने दो विधायकों माइकल लोबो और पूर्व मुख्यमंत्री दिगंबर कामत पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ मिलकर पार्टी के खिलाफ ‘‘साजिश'' रचने का आरोप लगाया.
नई दिल्ली: महाराष्ट्र में बीते दिनों एकनाथ शिंदे की बगावत से आए सियासी संकट बाद सुप्रीम कोर्ट में टीम शिंदे और उद्धव खेमे द्वारा दायर याचिकाओं पर आज अहम सुनवाई होनी है. कोर्ट की सुनवाई अगर उद्धव ठाकरे के पक्ष में गई तो महाराष्ट्र की राजनीति की दिशा फिर एक बार बदल सकती है. वहीं, अगर कोर्ट ने शिंदे के पक्ष में फैसला सुनाया तो सरकार के साथ-साथ उद्धव ठाकरे के हाथ से पार्टी सिंबल भी जा सकती है.
मामले से जुड़ी अहम जानकारियां :
महाराष्ट्र राजनीतिक संकट की याचिकाओं को सोमवार को सूचीबद्ध किया जाना है. न्यायाधीशों ने अंतिम सप्ताह में दोनों गुटों की तत्काल सुनवाई से इनकार करते हुए कहा था कि 11 जुलाई की तारीख होगी.
महाराष्ट्र राजनीतिक संकट पर दायर याचिकाओं के एक बैच पर आज सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से पहले, रविवार को शिवसेना के मुख्य सचेतक सुनील प्रभु और डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल सहित शिवसेना गुट के सदस्यों ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी प्रतिक्रिया दर्ज की है.
डिप्टी स्पीकर ने बागी विधायकों को जारी अयोग्यता नोटिस को जायज ठहराया और कहा है कि उन्हें जवाब देने के लिए उचित समय दिया गया है.
डिप्टी स्पीकर ने यह भी कहा है कि विधायकों द्वारा उन्हें हटाने का नोटिस अमान्य था. दरअसल, बागी गुट के विधायकों ने नोटिस जारी होने के बाद उन्हें हटाने के लिए याचिका दाखिल कर दी थी.
दूसरी ओर, मुख्य सचेतक सुनील प्रभु ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि "दलबदल को पुरस्कृत करने का इससे कोई बेहतर तरीका नहीं है कि वह अपने नेता को मुख्यमंत्री का पद प्रदान करें" और अदालत से निर्देश मांगा है ताकि बागी विधायकों को तब तक निलंबित किया जाए जब तक कि अयोग्यता की कार्यवाही पूरी न हो जाए.
बता दें कि शिवसेना नेता और कैबिनेट मंत्री एकनाथ शिंदे ने बीते दिनों पार्टी के 37 से अधिक विधायकों के साथ बगावत कर दी थी. इस कारण राज्य में सियासी संकट आ गया. हफ्ते भर से अधिक चले सियासी खींचतान के बाद शिंदे ने बीजेपी के साथ हाथ मिलाकर सरकार बना ली.
पार्टी से बगावत के बाद बनी सरकार में एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बने और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस उपमुख्यमंत्री.
हालांकि, नई सरकार के गठन को उद्धव खेमे ने चुनौती दी, जिसके बाद विधानसभा में एकनाथ शिंदे को फ्लोर टेस्ट से गुजरना पड़ा. फ्लोर टेस्ट में उन्होंने सफलता हासिल की.
हालांकि, उद्धव खेमे ने राष्ट्रपति को पूरे घटनाक्रम का जिम्मेदार ठहराया है. उनका कहना है कि बागी विधायकों से संबंधित मामला कोर्ट में लंबित है ऐसे में उन्होंने एकनाथ शिंदे के सरकार बनाने का न्योता किस प्रकार दे दिया.
इस मामले में उद्धव खेमे ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. इसके अतिरिक्त नए स्पीकर राहुल नार्वेकर ने जो पद संभालते ही शिवसेना में बदलाव किए उससे संबंधित एक मामला भी कोर्ट में लंबित है, जिस पर आज सुनवाई होनी है.