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रायपुर- विधानसभा सत्र की आगे की रणनीति के लिए नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक के निवास पर बीजेपी विधायक दल की बैठक हुई. इस बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह, धरमलाल कौशिक सहित 13 विधायक शामिल हुए. विद्यारतन भसीन स्वास्थ्यगत कारणों के चलते शामिल नहीं हुए. वहीं रामपुर विधायक ननकीराम कंवर भी नदारद रहे. बता दें कि ननकीराम कंवर नेता प्रतिपक्ष नहीं बनाए जाने से नाराज चल रहे हैं. नेता प्रतिपक्ष चयन के बाद उन्होंने माला पहने से भी इंकार कर दिया था.
अजय चंद्राकर ने कहा कि महत्वपूर्ण विषय है कि विभागीय प्रतिवेदन पर चर्चा शुरू होगी तो हमारे विधायक कौन-कौन से विभाग पर बोलेंगे, इसको लेकर चर्चा हुई. दूसरी महत्वपूर्ण बात है जो रोज के विषय हैं ध्यानाकर्षण, प्रश्नकाल उसको लेकर रणनीति तैयार हुई है. 15 तारीख को राष्ट्रीय अध्यक्ष आ रहे हैं, उसमें विधायकों की क्या भूमिका रहेगी इस पर विस्तार से चर्चा हुई.
विधायकों के परफॉर्मेंस के सवाल पर उन्होंने कहा कि दो दिन ही सत्र को हुआ है. इतनी जल्दी परफॉर्मेंस नहीं देखा जा सकता. सदन में हम तेवर नहीं दिखा रहे हैं, जनहित की उपेक्षा हमें स्वीकार नहीं है. हम चर्चा से भागे नहीं है. एनआईए का पत्र मुख्यमंत्री द्वारा विधानसभा में पढ़कर सुनाने के मामले पर बोले कि मुख्यमंत्री ने पत्र दिखाया और खुद ही पढ़ लिया. हमें पढ़ने नहीं दिया गया और ना ही विधानसभा पटल पर रखा गया. पूरी जनता और प्रदेश के लोग झीरम घाटी जांच की बात करते हैं. पूर्व सीएम रमन सिंह ने जांच के लिए न्यायिक आयोग बनाया था. वर्तमान सरकार को जो जांच कराना है कराए, हम सहयोग देंगे.
::/fulltext::रायपुर। नेशनल इंवेस्टीगेशन एजेंसी के चीफ वाय सी मोदी आज छत्तीसगढ़ के दो दिन के दौरे पर रायपुर पहुंचे। वे यहां एनआईए के अफसरों की मीटिंग लेंगे। संकेत हैं, जीरम घाटी नक्सली हमले की डायरी के संबंध में छत्तीसगढ़ के अफसरों से उनकी चर्चा होगी। ज्ञातव्य है, राज्य सरकार ने जीरम हमले की जांच के लिए एसआइटी गठित कर दी है। बस्तर आईजी विवेकानंद को एसआइटी का मुखिया बनाया गया है। हालांकि, एनआईए चीफ के आने के पहिले ही एनआईए का लेटर राज्य पुलिस को मिला है, जिसमें केस डायरी देने में असमर्थता जताई गई है। संभव है, अफसरों से चर्चा में केस डायरी देने पर बात हो।
एसआइटी बार-बार एनआईए द्वारा जीरम केस डायरी न देने का रोना रो रही है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी कई बार यह कहते हुए एनआईए को निशाने पर ले चुके हैं कि जांच के लिए वह केस डायरी नहीं दे रही। डायरी के लिए बताते हैं, यहां से एक आईपीएस को दिल्ली भेजा गया था। लेकिन, वे भी खाली हाथ लौट आए। चूकि, एनआईए चीफ यहां आए हुए हैं, इसलिए केस डायरी के संबंध में उनसे चर्चा होने से इंकार नहीं किया जा सकता।
एनआईए चीफ मोदी 84 बैच के असम कैडर के आईपीएस हैं। उनके सम्मान में छत्तीसगढ़ के डीजीपी डीएम अवस्थी आज रात पुलिस आफिसर्स मेस में डिनर दे रहे हैं। इसमें सीनियर आईपीएस अफसरों को आमंत्रित किया गया है। एनआईए चीफ कल राज्य के वरिष्ठ अफसरों से मुलाकात कर सकते हैं। इसके बाद दोपहर में वे दिल्ली लौट जाएंगे।
::/fulltext::रायपुर। झीरम नक्सली हमले की SIT जांच कराने के सरकार के फैसले को बड़ा झटका लगा है। केंद्र सरकार ने NIA से राज्य सरकार को केस वापस करने से इंकार कर दिया है। सरकार बनने के तुरंत बाद कैबिनेट में SIT जांच झीरम के लिए गठित करने का सरकार ने फैसला लिया था। इस फैसले के बाद राज्य सरकार ने गृह विभाग को पत्र भेजकर NIA से केस को वापस करने का अनुरोध किया था। लेकिन गृहमंत्रालय ने आज राज्य सरकार को पत्र भेजकर केस को वापस करने से इंकार कर दिया है।
आपको बता दें कि जब तक फाईलें NIA वापस नहीं करती, तब तक SIT इसकी जांच नहीं कर सकती। आज विधानसभा में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसकी जानकारी दी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि-“हमने केंद्र सरकार को NIA से झीरम मामले की केस फाइल वापस करने का अनुरोध किया था. लेकिन बहुत अफसोस के साथ बताना पड़ रहा है कि आज ही केंद्र सरकार ने इस केस को वापस करने से मना कर दिया है, इसका पत्र आज ही मुझे मिला है, झीरम कांड साधारण घटना नहीं थी, ये एक सुपारी किलिंग थी और आज केंद्र सरकार के रूख से हमारा शक और भी बलवती होता है”
::/fulltext::दंतेवाड़ा। शिक्षक को समाज का सच्चा पथ प्रदर्शक कहा जाता है। धुर नक्सल प्रभावित ग्राम बिंजाम के बघेल गुरुजी इस पर खरा उतरते हैं। शराब आदिवासियों की संस्कृति से जुड़ा हुआ है। उनके जीवन का अहम हिस्सा है। लेकिन इससे उनका कितना सामाजिक व शारीरिक नुकसान हो रहा है, इस ओर बघेल गुरुजी ने गंभीरता से सोचा। आज उन्हें रिटायर हुए 11 साल बीत चुके हैं। नौकरी के समय और उसके बाद भी वे गांव-गांव घूमकर नशे से दूर रहने के लिए ग्रामीणों को जागरूक कर रहे हैं। उनसे प्रेरित होकर अब तक हजारों आदिवासी शराब समेत अन्य नशा त्याग चुके हैं.
इतना ही नहीं, उनके प्रयासों से स्थानीय हाट-बाजारों में शराब की बिक्री भी कम हो गई है। एक सामान्य व सरल-सी जिंदगी जीने वाले दशरूराम बघेल के प्रयासों से बिंजाम आज आदर्श गांव के रूप में पहचाना जाता है। यहां के सारे ग्रामीण नशा त्याग चुके हैं। आदिवासी बहुल इस गांव में शराब-सिगरेट तो दूर, गुड़ाखू (नशायुक्त दंत मंजन) तक का उपयोग नहीं होता। इसका प्रभाव आसपास के गांवों पर भी है। दर्जनों गांवों में नशामुक्ति की यह बयार बह रही है। बघेल गुरुजी कहते हैं कि चार दशक की मेहनत का जो फल मिल रहा है, उसे वे शब्दों में बयां नहीं कर सकते.
इस तरह बदली जीवन की दिशा
मूलत: बिंजाम निवासी बघेल गुरुजी बताते हैं कि कभी वे भी शराब व मांस का सेवन करते थे। एक बार उनके मित्र व स्कूल के सीनियर शिक्षक एआर तेलामी ने धार्मिक कार्यक्रम में घर बुलाया। गायत्री की किताबें पढ़ने को दीं। उससे वे काफी प्रभावित हुए। फिर गायत्री मंत्र के साथ दीक्षा ले ली। इसके बाद से जीवन की दिशा ही बदल गई.
बलि प्रथा बंद कराने लड़ गए थे माईजी के पुजारी से
बघेल गुरुजी बताते हैं कि देवी-देवताओं के नाम पर मूक पशुओं की बलि रोकने के लिए वे एक बार दंतेश्वरी मंदिर के पुजारियों से भिड़ गए थे। आज मंदिर में बलि प्रथा पर रोक लग गई है। गांव में भी धार्मिक आयोजनों में बलि नहीं दी जाती.
हाट-बाजारों में घटी शराब बिक्री
वे बताते हैं कि दंतेवाड़ा जिला बनने के बाद उन्होंने नशामुक्ति के लिए विशेष अभियान छेड़ा था। इसमें जिला प्रशासन का सहयोग भी मिला। इसके बाद जिले के हाट-बाजारों में खुलेआम शराब की बिक्री में कमी आई है.
आसान नहीं था ग्रामीणों को तैयार करना
वे बताते हैं कि आदिवासियों को शराब से दूर रहने की बात समझाना आसान नहीं था। वे परंपराओं का हवाला देने लगते थे। पीठ पीछे बुराई भी होती थी। लेकिन वे डटे रहे और अंतत: अच्छाई की जीत हुई। आज वही लोग उनकी बड़ाई करते हैं। सम्मान करते हैं। उनके सहयोगी रूपाराम कुंजामी व धुरवाराम भी उन्हें इस नेक काम में मदद करते हैं.
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